Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
(08)जागरण माता का अखंड ज्योति क्यों जलाते हैं?
(08)Why do we light the eternal flame of Jagran Mata?
अखंड ज्योति का रहस्य
परिचय
हिंदू धर्म में माता के जागरण के दौरान अखंड ज्योति जलाने की परंपरा रही है। भक्तजन मूर्ति की स्थापना कर आरती करते हैं, भजन गाते हैं और जागरण करते हैं। विशेष रूप से, अखंड ज्योति को जलाकर उसकी पूजा की जाती है। परंतु, यह सोचने योग्य बात है कि अखंड ज्योति क्यों जलाई जाती है?
ज्योति का आध्यात्मिक रहस्य
परमपिता परमात्मा स्वयं आत्माओं को यह ज्ञान देते हैं कि आत्मा भी ज्योति है और परमात्मा भी ज्योति। संसार की समस्त आत्माओं का पिता, परमात्मा भी एक ज्योति है, जिसे सभी धर्मों में स्वीकार किया गया है।
सभी धर्मों में परमात्मा को ज्योति मान्यता
सभी प्रमुख धर्म यह मानते हैं कि परमात्मा ज्योति स्वरूप है:
- हिंदू धर्म: वेदों में ‘ओम’ शब्द का अर्थ ज्योति से किया गया है।
- सिख धर्म: गुरु नानक देव जी ने कहा, “एक नूर ते सब जग उपजा।”
- ईसाई धर्म: चर्च में मोमबत्तियाँ जलाकर ईश्वर की प्रार्थना की जाती है।
- इस्लाम धर्म: कुरान में भी कहा गया है कि खुदा एक नूर है।
एक परमपिता, एक ज्योति
संसार में प्रत्येक आत्मा के शरीर के माता-पिता अलग होते हैं, परंतु सभी आत्माओं का एक ही पिता है, जो परमात्मा है। परमपिता परमात्मा की यह शिक्षा है कि हम सभी आत्माएं एक ज्योति स्वरूप हैं और हमें अपने दिव्य घर में वापस जाना है।
ज्योति जलाने की परंपरा
हिंदू धर्म में धार्मिक कार्यों के दौरान ज्योति जलाने की परंपरा को गहरी आध्यात्मिक मान्यता प्राप्त है। जब भी कोई पूजा-पाठ, आरती या जागरण होता है, वहां दीप प्रज्ज्वलित किया जाता है। यह प्रतीक है कि परमात्मा की दिव्य किरणें हमें आध्यात्मिक प्रकाश देती हैं।
ज्योति का महत्व
- मंदिरों में अखंड ज्योति जलाना यह दर्शाता है कि परमात्मा का प्रकाश सदैव विद्यमान रहता है।
- आध्यात्मिक दृष्टि से, ज्योति आत्मज्ञान और मुक्ति का प्रतीक है।
- भक्तिमार्ग में सोमनाथ मंदिर में हीरे को रखा गया था, जो इस बात का प्रतीक था कि परमात्मा एक ज्योति स्वरूप शक्ति है।
- द्वादश ज्योतिर्लिंगों की स्थापना भी इस बात को दर्शाती है कि परमात्मा ज्योति स्वरूप है।
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अखंड ज्योति का रहस्य
संक्षिप्त प्रश्न एवं उत्तर
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अखंड ज्योति जलाने की परंपरा क्यों है?
- अखंड ज्योति आत्मज्ञान और परमात्मा के दिव्य प्रकाश का प्रतीक है।
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परमात्मा को ज्योति स्वरूप क्यों कहा जाता है?
- क्योंकि सभी धर्मों में परमात्मा को प्रकाश, नूर या ज्योति के रूप में स्वीकार किया गया है।
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हिंदू धर्म में ज्योति का क्या महत्व है?
- वेदों में ‘ओम’ शब्द का अर्थ ज्योति से किया गया है, और सभी धार्मिक अनुष्ठानों में दीप जलाया जाता है।
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गुरु नानक देव जी ने परमात्मा के बारे में क्या कहा?
- उन्होंने कहा, “एक नूर ते सब जग उपजा,” यानी संपूर्ण सृष्टि एक ही दिव्य ज्योति से उत्पन्न हुई है।
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ईसाई धर्म में ज्योति का क्या महत्व है?
- चर्च में मोमबत्तियाँ जलाकर ईश्वर की उपासना की जाती है, जो ज्योति स्वरूप को दर्शाता है।
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इस्लाम धर्म में परमात्मा के ज्योति स्वरूप की क्या मान्यता है?
- कुरान में कहा गया है कि खुदा एक नूर है, जो सर्वव्यापी है।
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सभी आत्माओं का पिता कौन है?
- परमपिता परमात्मा, जो स्वयं ज्योति स्वरूप है।
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अखंड ज्योति जलाने का आध्यात्मिक उद्देश्य क्या है?
- यह आत्मा के दिव्य स्वरूप और परमात्मा के प्रकाश को स्मरण दिलाने के लिए जलाया जाता है।
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सोमनाथ मंदिर में ज्योति का क्या प्रतीक है?
- वहां एक हीरा रखा गया था, जो यह दर्शाता है कि परमात्मा ज्योति रूप में अंधकार को दूर करने वाले हैं।
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द्वादश ज्योतिर्लिंगों का क्या महत्व है?
- वे इस सत्य के प्रतीक हैं कि परमात्मा एक शाश्वत ज्योति है।
- परमात्मा के ज्योति रूप को समझने के लिए क्या करना चाहिए?
- ध्यान, भक्ति और आत्मज्ञान के माध्यम से उनकी दिव्यता का अनुभव करना चाहिए।
- मंदिरों में अखंड ज्योति जलाने का क्या कारण है?
- यह परमात्मा की निरंतर उपस्थिति और आध्यात्मिक प्रकाश का प्रतीक है।
- आध्यात्मिक रूप से ज्योति किसे कहा जाता है?
- आत्मा और परमात्मा दोनों को ही ज्योति स्वरूप कहा जाता है।
- ज्योति जलाने से क्या लाभ होता है?
- यह हमें आत्मज्ञान, आध्यात्मिक शांति और परमात्मा की याद में स्थित रहने की प्रेरणा देता है।
- क्या ज्योति स्वयं परमात्मा है?
- नहीं, यह केवल उनके दिव्य स्वरूप को समझाने के लिए प्रतीक रूप में उपयोग की जाती है।
- परमात्मा की ज्योति से हमें क्या संदेश मिलता है?
- हमें आत्मिक उन्नति, शुद्धता और मोक्ष के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।
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निष्कर्ष
अखंड ज्योति जलाने का उद्देश्य केवल धार्मिक परंपरा का पालन करना नहीं है, बल्कि यह हमें हमारे परमात्मा के ज्योति स्वरूप को पहचानने की याद दिलाता है। परमात्मा स्वयं ज्योति है और उनकी रोशनी से ही संसार की अंधकार दूर होती है। यह ज्ञान हमें आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाता है और मुक्ति का मार्ग दिखाता है।