(03)Celebrating true Holi – Letting go of the past

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Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

(03)सच्ची होली मनाना – बीती को बीती करना

(03)Celebrating true Holi – Letting go of the past

परिचय

होली का पर्व केवल रंगों और उमंगों का नहीं, बल्कि आत्मिक रूपांतरण और पुरानी बातों को भुलाकर नए स्वरूप में प्रवेश करने का भी संकेत देता है। 23 मार्च 1977 को बाप-दादा ने अव्यक्त मुरली में इसी विषय पर प्रकाश डाला। इस अध्याय में हम उस दिव्य संदेश को समझने का प्रयास करेंगे।

बाप-दादा की दृष्टि और आत्माओं की स्थिति

बाप-दादा हर आत्मा को उसकी विशेषता के साथ देखते हैं। प्रत्येक आत्मा का अपना विशिष्ट स्वभाव, गुण और पुरुषार्थ की गति होती है। बाबा इस मुलाकात में विशेष रूप से आत्माओं की स्पीड और सिद्धि की चिप को देख रहे थे।

स्पीड और सिद्धि का संबंध

  1. जितनी सादगी (simplicity) होगी, उतनी ही आत्मा की गति तेज होगी।
  2. जितनी आत्मिकता (spiritual intimacy) होगी, उतनी ही आत्मा की शक्ति अधिक होगी।

बाप-दादा यह देख आनंदित हो रहे थे कि बच्चों ने सूक्ष्म लोक और इस धरती पर दोनों स्थानों पर होली मनाई

सच्ची होली का अर्थ – बीती को बीती करना

होली मनाने का सच्चा अर्थ है – बीती हुई बातों को पूर्ण रूप से समाप्त कर देना।

  1. किसी भी आत्मा की पुरानी बातों को मन और बुद्धि में न लाना।
  2. जैसे बहुत पुराने जन्म की बात अब याद नहीं रहती, वैसे ही पुराने अनुभवों को पूरी तरह भुला देना
  3. जो बीत गया, वह बीत गया – इस संकल्प को पक्का करना।

पुरुषार्थ की स्पीड को धीमा करने वाली बातें

  1. बीती बातों का बार-बार चिंतन करना।
  2. दूसरों की बीती हुई बातों को स्मृति में रखना।
  3. उन बातों को वर्णन करना और दूसरों के साथ साझा करना।

यदि कोई आत्मा इन आदतों से मुक्त हो जाती है, तो उसकी आत्मिक गति तीव्र हो जाती है।

होली का सही रंग

होली के दिन दो कार्य होते हैं – रंग लगाना और होलिका जलाना।

होली का दिव्य रंग

  1. दिव्य रंग आत्मा में स्थायी हो, अस्थायी नहीं।
  2. मधुरता का गुण विकसित हो।
  3. दृष्टि, वाणी और व्यवहार में प्रेम और मिठास झलके।
  4. संस्कारों का सच्चा मिलन हो।

संस्कार मिलन – सच्ची संगम होली

संस्कारों की भिन्नता आत्माओं को अलग रखती है। जब मधुरता बढ़ती है, तब संस्कारों का मिलन होता है। यही सच्चा मंगल मिलन है।

संस्कारों का मिलन क्यों आवश्यक है?

  1. संस्कारों की भिन्नता के कारण आत्माएं दूर हो जाती हैं।
  2. जब आत्माएं दिव्य गुणों में रंग जाती हैं, तब एकता और प्रेम की स्थिति बनती है।
  3. इसी से सच्चे सम्मेलन और संगम का अनुभव होता है।

साक्षात्कार मूर्त बनने का संकल्प

अंत में बाप-दादा ने संकेत दिया कि जब आत्माएं साक्षात परमात्मा समान बन जाएंगी, तब सभी उन्हें परमात्मा का रूप मानेंगे।

समानता की चेकिंग

  1. जितनी समानता, उतना ही न्यारा और श्रेष्ठ अनुभव।
  2. समानता ही आत्मा को सम्मान दिलाती है।
  3. जो जितना समीप होगा, उतनी ही समानता उसमें झलकेगी।

निष्कर्ष

बाप-दादा की इस विशेष मुरली का सार यही है कि होली मनाने का अर्थ केवल उत्सव नहीं, बल्कि भीतर की नकारात्मकता को जलाना और दिव्य गुणों में रंग जाना है। जब आत्मा बीती को बीती करने का संकल्प पक्का कर लेगी, तभी वह सच्चे अर्थों में होली का वास्तविक अनुभव कर पाएगी।

सच्ची होली मनाना – बीती को बीती करना

(03) Celebrating True Holi – Letting Go of the Past

प्रश्नोत्तरी

1. होली का आध्यात्मिक अर्थ क्या है?
👉 होली केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि आत्मिक रूपांतरण और बीती को बीती करने का संकेत है।

2. बाप-दादा आत्माओं को किस दृष्टि से देखते हैं?
👉 बाप-दादा प्रत्येक आत्मा की विशेषता, स्वभाव, गुण और पुरुषार्थ की गति को देखते हैं।

3. आत्मा की स्पीड और सिद्धि में क्या संबंध है?
👉 जितनी सादगी होगी, उतनी आत्मा की गति तेज होगी, और जितनी आत्मिकता होगी, उतनी आत्मा की शक्ति अधिक होगी।

4. सच्ची होली मनाने का क्या अर्थ है?
👉 बीती हुई बातों को पूरी तरह भुला देना और मन-बुद्धि में उन्हें स्थान न देना।

5. बीती बातों को याद रखने से क्या प्रभाव पड़ता है?
👉 यह पुरुषार्थ की स्पीड को धीमा कर देता है और आत्मा की शक्ति को कम करता है।

6. होली के दो मुख्य कार्य कौन से हैं?
👉 रंग लगाना (दिव्यता में रंग जाना) और होलिका जलाना (नकारात्मकता का अंत करना)।

7. दिव्य रंग किसे कहते हैं?
👉 आत्मा में स्थायी रहने वाले दिव्य गुण, जैसे मधुरता, प्रेम, और आत्मिक एकता।

8. संस्कार मिलन क्यों आवश्यक है?
👉 संस्कारों की भिन्नता आत्माओं को अलग रखती है, जबकि दिव्यता से रंगी आत्माएं एकता और प्रेम में रहती हैं।

9. समानता की चेकिंग कैसे की जा सकती है?
👉 जितनी समानता होगी, उतना ही आत्मा परमात्म समान बनेगी और श्रेष्ठ अनुभव करेगी।

10. सच्ची होली मनाने का वास्तविक सार क्या है?
👉 भीतर की नकारात्मकता को जलाकर दिव्य गुणों में रंग जाना और सदा बीती को बीती कर आगे बढ़ना।

यदि आपको इन प्रश्नों में कोई और जोड़ना हो या बदलाव चाहिए हो, तो बताइए!

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