(14)Shiv Jayanti is the birth anniversary of all human beings.
(14)शिवजयंती सर्व मनुष्यों की जयंती है।
शिव जयंती – सर्व मनुष्य की जयंती
शिव किसे कहा जाता है?
शिव, परमपिता परमात्मा हैं, जिन्हें संसार के कल्याणकर्ता के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म या जयंती तब होती है, जब वे किसी शरीर में प्रवेश करते हैं। जब तक परमात्मा किसी शरीर में प्रवेश नहीं करते, तब तक जन्म का कोई सवाल नहीं उठता। इसी संदर्भ में, यह समझना महत्वपूर्ण है कि परमात्मा शिव कब और कैसे शरीर में प्रवेश करते हैं, और इस प्रक्रिया को ध्यान से समझना आवश्यक है।
शिव और शंकर में अंतर
हम अक्सर शिव और शंकर को एक ही मानते हैं, लेकिन दोनों में एक महत्वपूर्ण अंतर है। शिव निराकार ज्योति स्वरूप परमात्मा हैं, जबकि शंकर एक शरीरधारी देवता हैं। शिव का रूप और नाम निराकार है, जबकि शंकर का रूप और कार्य अलग है। शंकर की पूजा में शिवलिंग का स्थान होता है, और शंकर भी शिव को याद करते हैं। इस अंतर को समझना बेहद जरूरी है, क्योंकि शंकर और शिव के रूप में भिन्नता स्पष्ट है।
शिवलिंग की पूजा
शंकर भी शिवलिंग की पूजा करते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि वे स्वयं शिव हैं। शंकर एक पुजारी के रूप में कार्य करते हैं, जबकि शिव पूज्य और कल्याणकारी परमात्मा हैं। शिवलिंग को पूजा करने के संदर्भ में यह सिद्ध होता है कि शिव और शंकर अलग-अलग हैं। शंकर ने हमेशा शिवलिंग की पूजा की है, और यह पूजा एक दिव्य स्मृति के रूप में जानी जाती है।
ज्योतिर्लिंग का महत्व
भारत के 12 प्रसिद्ध शिव मंदिरों को ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। ये मंदिर परमात्मा के ज्योति रूप को दर्शाते हैं। ‘ज्योतिर्लिंग’ का अर्थ है वह जगह जहाँ शिव का प्रकाश रूप मौजूद है। इन मंदिरों में शिवलिंग की पूजा होती है, जो परमात्मा शिव के दिव्य रूप का प्रतीक है।
परमात्मा का स्वरूप
परमात्मा का स्वरूप सूक्ष्म और अति सूक्ष्म है, जिसे हमारी आँखों से देखा नहीं जा सकता। यही कारण है कि उसे ज्योति के रूप में पूजा जाता है। गीता में भी कहा गया है कि परमात्मा सूक्ष्म ज्योति है, और उसकी ज्योति सूर्य से भी तेज़ होती है, लेकिन हम उसे देख नहीं सकते। इसीलिए शिवलिंग को पूजा का रूप माना गया है, क्योंकि यह परमात्मा की ज्योति का प्रतीक है।
परमात्मा का अवतार
जब परमात्मा इस संसार में आते हैं, तो वे शरीर में प्रवेश करते हैं, और यही उनका अवतार कहलाता है। परमात्मा शिव का जन्म तब होता है जब वे शरीर में प्रवेश करते हैं। उनका जन्म कोई सामान्य जन्म नहीं होता; यह एक दिव्य घटना होती है, जब वे हमें ज्ञान का बोध कराते हैं और हमारे अज्ञान को दूर करते हैं।
परमात्मा का हमारे साथ संबंध
परमात्मा ने हमें कभी अपने संतान के रूप में नहीं पैदा किया, बल्कि हमें ब्रह्मा के द्वारा अडॉप्ट किया। जब परमात्मा ने ब्रह्मा के माध्यम से हमें अपने बच्चों के रूप में स्वीकार किया, तब हमारा जन्म हुआ। इस प्रक्रिया में हमें अपनी पहचान मिलती है, और हम परमात्मा के बच्चों के रूप में अपनी जीवन यात्रा को शुरू करते हैं।
निष्कर्ष
शिव जयंती एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो हमें परमात्मा शिव के अवतार और उनके दिव्य कार्यों के बारे में समझने का अवसर देता है। यह जयंती हमें यह याद दिलाती है कि परमात्मा हर समय हमारे साथ हैं, और वे हमें अपनी दिव्य ज्योति से मार्गदर्शन करते हैं। यही कारण है कि शिव जयंती को सर्व मनुष्य की जयंती कहा जाता है, क्योंकि यह दिन हमें अपने दिव्य स्वभाव और परमात्मा के साथ अपने रिश्ते को समझने का एक अद्भुत अवसर प्रदान करता है।
शिव जयंती – सर्व मनुष्य की जयंती
1. शिव किसे कहा जाता है?
उत्तर: शिव, परमपिता परमात्मा हैं, जो संसार के कल्याणकर्ता हैं। उनका जन्म तब होता है जब वे किसी शरीर में प्रवेश करते हैं।
2. शिव और शंकर में क्या अंतर है?
उत्तर: शिव निराकार ज्योति स्वरूप परमात्मा हैं, जबकि शंकर एक शरीरधारी देवता हैं। दोनों का रूप, नाम और कार्य अलग-अलग हैं।
3. शिवलिंग की पूजा का क्या महत्व है?
उत्तर: शिवलिंग की पूजा परमात्मा शिव के दिव्य रूप का प्रतीक है, और यह दिखाता है कि शिव और शंकर अलग-अलग हैं।
4. ज्योतिर्लिंग का क्या अर्थ है?
उत्तर: ज्योतिर्लिंग वह स्थान हैं जहाँ शिव का प्रकाश रूप मौजूद है, और यह भारत के 12 प्रसिद्ध शिव मंदिरों में पाया जाता है।
5. परमात्मा का स्वरूप कैसा होता है?
उत्तर: परमात्मा का स्वरूप सूक्ष्म और अति सूक्ष्म होता है, जिसे हमारी आँखों से देखा नहीं जा सकता। यह ज्योति के रूप में पूजा जाता है।
6. परमात्मा का अवतार कब होता है?
उत्तर: परमात्मा का अवतार तब होता है जब वे शरीर में प्रवेश करते हैं और हमें ज्ञान का बोध कराते हैं।
7. परमात्मा ने हमें कैसे स्वीकार किया?
उत्तर: परमात्मा ने हमें ब्रह्मा के माध्यम से अडॉप्ट किया, और हम उनके बच्चों के रूप में अपनी पहचान पाते हैं।
8. शिव जयंती का क्या महत्व है?
उत्तर: शिव जयंती परमात्मा शिव के अवतार और उनके दिव्य कार्यों को समझने का अवसर देती है, और यह हमें हमारे दिव्य स्वभाव और परमात्मा से हमारे रिश्ते को समझने में मदद करती है।
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