Avyakta Murli”17-07-1969

Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“अव्यक्त स्थिति बनाने की युक्तियाँ”

अव्यक्त स्थिति अच्छी लगती है या व्यक्त में आना अच्छा लगता है? अव्यक्त स्थिति में आवाज है? आवाज से परे रहना चाहते हो? जब आप सभी आवाज से परे रहने का प्रयत्न करते हो, अच्छा भी लगता है। तो फिर बापदादा को व्यक्त में क्यों बुलाते हो? हर वक्त अव्यक्त स्थिति में रहें, उसके लिए क्या पुरुषार्थ करना है? सिर्फ एक अक्षर बताओ। जिस एक अक्षर से अव्यक्त स्थिति रहे। कौन सा एक अक्षर याद रखेंगे जो अव्यक्त स्थिति बन जाये? मन्सा-वाचा-कर्मणा तीनों ही व्यक्त में होते अव्यक्त रहे इसके लिए एक अक्षर बताओ? आत्म- अभिमानी बनना, आत्मभिमानी अर्थात् अव्यक्त स्थिति। लेकिन उस स्थिति के लिए याद क्या रखें? पुरुषार्थ क्या करें?

धीरे-धीरे ऐसी स्थिति सभी की हो जायेगी। जो किसके अन्दर में जो बात होगी वह पहले से ही आप को मालूम पड़ेगा। इसलिए प्रैक्टिस करा रहे हैं। जितना-जितना अव्यक्त स्थिति में स्थित होंगे, कोई मुख से बोले न बोले लेकिन उनके अन्दर का भाव पहले से ही जान लेंगे। ऐसा समय आयेगा। इसलिए यह प्रैविटस कराते हैं। तो पहली बात पूछ रहे थे कि एक अक्षर कौन सा याद रखें? अपने को मेहमान समझना। अगर मेहमन समझेंगे तो फिर जो अन्तिम सम्पूर्ण स्थिति का वर्णन है वह इस मेहमान बनने से होगा। अपने को मेहमान समझेंगे तो फिर व्यक्त में होते हुए भी अव्यक्त में रहेंगे। मेहमान का किसके साथ भी लगाव नहीं होता है। हम इस शरीर में भी मेहमान हैं। इस पुरानी दुनिया में भी मेहमान है। जब शरीर में ही मेहमान हैं तो शरीर से भी क्या लगन रखें। सिर्फ थोड़े समय के लिए यह शरीर काम में लाना है।

यहा मेहमान बनेंगे तो फिर वहाँ क्या बनेंगे? जितना यहाँ मेहमान बनेंगे उतना ही फिर वहाँ विश्व का मालिक बनेंगे। इस दुनिया के मालिक नहीं हैं। इस दुनिया में हम मेहमान हैं। नई दुनिया के मालिक हैं। यह जो व्यक्त भाव में आ जाते हैं तो उसका कारण यही है जो अपने को मेहमान नहीं समझते हैं। वस्तुओं पर भी अपना अधिकार समझते हैं। इसलिए उसमें अटैचमेंट हो जाती है। अपने को अगर मेहमान समझो तो फिर यह सभी बातें खत्म हो जायें।

अपना बैक बैलेन्स भी नोट करना है। जितना कमाते हैं उतना खाते हैं या कुछ जमा भी होता है। टोटल हिसाब निकाला है कितना जमा किया है? उस जमा के हिसाब से खुद अपने से सन्तुष्ट हो?(नहीं) तो जमा करने का और कोई समय रहा हुआ है? कितना समय है? समय भी नहीं है, सन्तुष्ट भी नहीं तो फिर क्या होगा? अभी सभी को यह खास ध्यान रखना चाहिए। अपना बैलेन्स बढ़ाना चाहिए। कम से कम इतना तो होना चाहिए जो खुद सन्तुष्ट रहे। अपनी कमाई से खुद भी सन्तुष्ट नहीं रहेंगे तो औरों को क्या कहेंगे। एक एक को इतना जमा करना है। क्या सिर्फ अपने लिए ही जमा करना है या औरों के लिए भी करना है। औरों को दान करने के लिये जमा नहीं करना है?

ऐसा समय अभी आयेगा जो सभी भिखारी रूप में आप लोगों से यह भीख माँगेंगे। तो उन्हों को नहीं देंगे? इतना जमा करना पड़ेगा ना। अपने लिए तो करना ही है लेकिन साथ-साथ ऐसा दृश्य सभी के सामने होगा। जो आज अपने को भरपूर समझते हैं वह भी भिखारी के रूप में आप सभी से भीख माँगेंगे। तो भीख कैसे दे सकेंगे? जब जमा होगा ना। दाता के बच्चे तो सभी देने वाले ठहरे। आप सभी के एक सेकेण्ड की दृष्टि के, अमूल्य बोल के भी प्यासे रहेंगे। ऐसा अन्तिम दृश्य अपने सामने रख पुरुषार्थ करो। ऐसा न हो कि दर पर आयी हुई कोई भूखी आत्मा खाली हाथ जाये। साकार में क्या करके दिखाया? कोई भी आत्मा असन्तुष्ट होकर न जाये। भल कैसी भी आत्मा हो लेकिन सन्तुष्ट होकर जाये। तो ऐसी बातें सोचनी चाहिए। सिर्फ अपने लिए नहीं।

अभी आप रचयिता हो। आप के एक-एक रचना के पीछे फिर रचना भी है। माँ-बाप को जब तक बच्चे नहीं होते हैं, माँ-बाप की कमाई अपने प्रति ही होती है। जब रचना होती है तो फिर रचना का भी पूरा ध्यान रखना पड़ता है। अब अपने लिए जो कमाई थी वह तो बहुत समय खाया, मनाया। लेकिन अब अपनी रचना का भी ध्यान रखना है। आपने अपनी रचना देखी है? कितनी रचना है। छोटी है व बड़ी है। बापदादा हरेक की रिजल्ट देखते हैं। उस हिसाब से कह देते हैं। एक-एक सितारे की कितनी रचना है। जितनी यहाँ रचना होगी उतना वहाँ बड़ा राज्य होगा। यहाँ कितनी रचना रची है? अपनी रचना देखी है? भविष्य को जानते हो? रचयिता तो सभी हैं लेकिन बड़ी रचना की है या छोटी रचना की हैं? (आश तो बड़ी की है) बड़ी रचना के साथ फिर जिम्मेवारियों भी बड़ी है।

अव्यक्त स्थिति बनाने की युक्तियाँ

  1. प्रश्न: अव्यक्त स्थिति अच्छी लगती है या व्यक्त में आना अच्छा लगता है?
    उत्तर: अव्यक्त स्थिति में शांति और एकता का अनुभव होता है, जबकि व्यक्त में आने से बाहरी चीजों से जुड़ाव होता है।
  2. प्रश्न: क्या अव्यक्त स्थिति में आवाज होती है?
    उत्तर: अव्यक्त स्थिति में आवाज नहीं होती, यह शांति की अवस्था है, जिसमें सिर्फ स्वरूप और अनुभव का स्थान होता है।
  3. प्रश्न: आवाज से परे रहना चाहते हो?
    उत्तर: हां, अव्यक्त स्थिति में रहते हुए आवाज और बाहरी प्रभावों से परे रहना अच्छा लगता है।
  4. प्रश्न: फिर बापदादा को व्यक्त में क्यों बुलाते हैं?
    उत्तर: बापदादा को व्यक्त में बुलाने से हमें उनकी उपस्थिति का अनुभव होता है, जिससे हम और भी अधिक अव्यक्त स्थिति की ओर बढ़ सकते हैं।
  5. प्रश्न: हर वक्त अव्यक्त स्थिति में रहने के लिए क्या पुरुषार्थ करना चाहिए?
    उत्तर: अव्यक्त स्थिति में रहने के लिए हमें अपनी अंतरात्मा से जुड़ने और बाहरी आकर्षणों से दूर रहने का पुरुषार्थ करना चाहिए।
  6. प्रश्न: अव्यक्त स्थिति बनाए रखने के लिए एक अक्षर बताइए।
    उत्तर: ‘मेहमान’ शब्द को याद रखें। खुद को मेहमान समझने से हम अव्यक्त स्थिति में रहते हुए व्यक्त में भी रहते हैं।
  7. प्रश्न: मन्सा-वाचा-कर्मणा तीनों ही व्यक्त में होते हैं, अव्यक्त रहने के लिए एक अक्षर बताइए।
    उत्तर: ‘मेहमान’ अक्षर याद रखें, जिससे मन्सा-वाचा-कर्मणा तीनों को अव्यक्त अवस्था में रखा जा सकता है।
  8. प्रश्न: आत्म- अभिमानी बनने से क्या होता है?
    उत्तर: आत्म- अभिमानी बनने से हम अपने दिव्य स्वरूप से जुड़ते हैं, जिससे अव्यक्त स्थिति बनी रहती है।
  9. प्रश्न: अव्यक्त स्थिति बनाने के लिए पुरुषार्थ में क्या करना चाहिए?
    उत्तर: पुरुषार्थ में हमें अपने आत्मा के प्रति अभिमान और ध्यान में रहना चाहिए, जिससे हम अव्यक्त स्थिति में स्थिर रह सकें।
  10. प्रश्न: अपने आप को मेहमान समझने से क्या लाभ है?
    उत्तर: अपने आप को मेहमान समझने से हम इस संसार में अस्थायी रूप से रहते हुए किसी भी वस्तु या शरीर से जुड़ाव नहीं महसूस करते, जिससे अव्यक्त स्थिति बनी रहती है।
  11. प्रश्न: बैक बैलेंस बढ़ाने का क्या मतलब है?
    उत्तर: बैक बैलेंस बढ़ाने का मतलब है आत्मिक शक्ति और संग्रह को बढ़ाना ताकि हम अपने और दूसरों के लिए संतुष्टि और योगदान दे सकें।
  12. प्रश्न: अगर हम दूसरों को दान देना चाहते हैं तो क्या करना चाहिए?
    उत्तर: हमें अपनी आत्मिक स्थिति को मजबूत करना चाहिए, और अपनी कमाई को जमा करके दूसरों के लिए दान देने की स्थिति में होना चाहिए।
  13. प्रश्न: भविष्य में भिखारी रूप में लोग आपसे क्या माँग सकते हैं, हम कैसे मदद करेंगे?
    उत्तर: हमें अपनी आत्मिक संपत्ति जमा करनी चाहिए ताकि हम दूसरों की आत्मिक प्यास बुझा सकें और उन्हें संतुष्ट कर सकें।
  14. प्रश्न: रचनाएँ बड़ी या छोटी हो सकती हैं, इसका क्या महत्व है?
    उत्तर: रचनाएँ जितनी बड़ी होंगी, उतनी बड़ी जिम्मेदारी और क्षेत्र का विस्तार होगा, और यह हमारी आत्मिक स्थिति को प्रभावित करेगा।
  15. प्रश्न: आत्मिक रचनाओं के बारे में बापदादा क्या कहते हैं?
    उत्तर: बापदादा कहते हैं कि हम जितनी बड़ी रचनाएँ रचते हैं, उतनी बड़ी जिम्मेदारियाँ होती हैं, जो हमारे राज्य को प्रभावित करती हैं।

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