A-P(47)Christ’s suffering and the experience of the Spirit?

आत्मा-पदम(47)क्राइस्ट का दु:ख और आत्मा का अनुभव?

 A-P47 Christ’s suffering and the experience of the Spirit?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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ओम शांति: कौन बनेगा पद्मा पदम

 1: परिचय

यह वीडियो सभी ब्रह्मा कुमारी के अनुयायियों और अन्य दर्शकों को एक महत्वपूर्ण समझ का अनुभव कराएगा। जो कोई भी इस वीडियो को देखेगा और इसमें भाग लेगा, वह पद्मा पदम पति बनने के योग्य हो सकता है। यह केवल एक ज्ञान का मंथन है, जिसमें हम क्राइस्ट के दुःख और आत्मा के अनुभव की गहरी आध्यात्मिक समझ पर विचार करेंगे।

 2: क्राइस्ट और आत्मा का विभाजन

हम इस अध्याय में क्राइस्ट और उसके शरीर को चलाने वाली दूसरी आत्मा के बीच विभाजन को समझेंगे। क्राइस्ट की पवित्र आत्मा हमेशा उस शरीर में नहीं रहती थी, वह जब शरीर में प्रवेश करती थी, तब चमत्कार होते थे। यह समझना महत्वपूर्ण है कि क्राइस्ट की पवित्र आत्मा और मरियम के बेटे की आत्मा दो अलग-अलग अस्तित्व थे। जब क्राइस्ट की आत्मा शरीर में आती थी, तब वह सच्चे ज्ञान का प्रसार करती थी, जैसे ब्रह्मा बाबा के तन में शिव बाबा का प्रवेश होता है।

 3: क्राइस्ट का दुःख और सहनशक्ति

यहाँ हम समझेंगे कि क्राइस्ट को क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले उनकी आत्मा शरीर से बाहर निकल गई थी या नहीं। यह समझना महत्वपूर्ण है कि क्राइस्ट की आत्मा ने कभी भी दुःख नहीं उठाया, बल्कि दुःख मरियम के बेटे ने सहा। इस अनुभव को समझने से हमें यह ज्ञान मिलेगा कि आत्माएं अलग-अलग शरीरों में कार्य करती हैं, जैसे ब्रह्मा बाबा के शरीर में शिव बाबा प्रवेश करते हैं और ज्ञान प्रदान करते हैं।

 4: दुःख और आत्मा की भूमिका

क्राइस्ट के दुःख का अनुभव करने के बाद, यह स्पष्ट हुआ कि क्राइस्ट की आत्मा कभी भी शारीरिक दुःख नहीं भोग सकती थी। वह पवित्र आत्मा थी और उसने अपने पवित्र कर्मों के आधार पर शरीर को छोड़ दिया। इस प्रकार, जो दुःख जीसस ने भोगा, वह उनके कर्मों का परिणाम था, न कि क्राइस्ट की पवित्र आत्मा का।

5: क्राइस्ट के जीवन में कष्ट और सहनशक्ति की आध्यात्मिक समझ

इस अध्याय में हम देखेंगे कि क्राइस्ट के जीवन में कष्ट और सहनशक्ति की आध्यात्मिक गहराई को कैसे समझ सकते हैं। क्राइस्ट की आत्मा ने कभी भी किसी शारीरिक कष्ट का सामना नहीं किया, लेकिन जिस आत्मा ने उसके शरीर में प्रवेश किया, वह उस कष्ट को सहन करने में सक्षम थी। इस समझ से हमें अपने जीवन में सहनशक्ति और दुःख से मुक्ति पाने के उपाय मिलते हैं।

 6: क्राइस्ट और ब्रह्मा बाबा की समानताएं

यह अध्याय क्राइस्ट और ब्रह्मा बाबा के बीच समानताओं पर ध्यान केंद्रित करता है। दोनों आत्माएं अपने-अपने समय पर महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। जैसे ब्रह्मा बाबा के तन में शिव बाबा ने ज्ञान दिया, वैसे ही क्राइस्ट की आत्मा ने जीसस के शरीर में प्रवेश कर धर्म की स्थापना की। इस प्रकार, आत्मा के स्थानांतरण का यह प्रबंधन हमारे लिए एक गहरी आध्यात्मिक समझ प्रदान करता है।

7: क्राइस्ट की आत्मा और क्रिश्चियन धर्म की स्थापना

इस अध्याय में हम यह समझेंगे कि क्राइस्ट की आत्मा ने कैसे जीसस के शरीर से ज्ञान की शुरुआत की और क्रिश्चियन धर्म की स्थापना की। यह एक गहरी आध्यात्मिक प्रक्रिया थी, जिसमें पवित्र आत्मा ने अपने कर्मों और साक्षात्कार के माध्यम से संसार को शांति और प्रेम का संदेश दिया।

8: निष्कर्ष

इस अध्याय में हम यह समझेंगे कि क्राइस्ट की आत्मा और जीसस के शरीर के बीच के रहस्यों को जानने से हमें अपने जीवन में सहनशक्ति, प्रेम और पवित्रता के सिद्धांतों को समझने का मार्ग मिलता है। हमें यह स्वीकार करना होगा कि आत्मा का कर्म, और न कि शरीर, हमें मार्गदर्शन देता है।

समाप्ति

इस अध्याय के माध्यम से हम समझ पाते हैं कि क्राइस्ट के जीवन के दुखों और उनके पवित्रता के अनुभव से हमें आध्यात्मिक शिक्षा मिलती है। यह ज्ञान हमें शारीरिक और आत्मिक कष्टों से ऊपर उठने के लिए प्रेरित करता है, ताकि हम अपने जीवन में पूर्णता और शांति की प्राप्ति कर सकें।

ओम शांति: कौन बनेगा पद्मा पदम

1: परिचय

प्रश्न: इस वीडियो का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: इस वीडियो का उद्देश्य ब्रह्मा कुमारी के अनुयायियों और अन्य दर्शकों को क्राइस्ट के दुःख और आत्मा के अनुभव की गहरी आध्यात्मिक समझ प्रदान करना है, ताकि वे पद्मा पदम पति बनने के योग्य हो सकें।


2: क्राइस्ट और आत्मा का विभाजन

प्रश्न: क्राइस्ट और उसकी आत्मा के बीच विभाजन को समझने का क्या महत्व है?

उत्तर: यह महत्वपूर्ण है क्योंकि क्राइस्ट की पवित्र आत्मा और मरियम के बेटे की आत्मा अलग-अलग अस्तित्व थे। क्राइस्ट की आत्मा जब शरीर में प्रवेश करती थी, तब चमत्कार होते थे, जैसे ब्रह्मा बाबा के तन में शिव बाबा का प्रवेश होता है।


3: क्राइस्ट का दुःख और सहनशक्ति

प्रश्न: क्या क्राइस्ट ने शरीर पर दुःख सहा था?

उत्तर: क्राइस्ट की आत्मा ने कभी शारीरिक दुःख नहीं उठाया। दुःख को मरियम के बेटे ने सहा, जबकि क्राइस्ट की आत्मा पवित्र और कर्मों के आधार पर शरीर छोड़ देती थी।


4: दुःख और आत्मा की भूमिका

प्रश्न: क्राइस्ट के दुःख का अनुभव हमें क्या समझाता है?

उत्तर: क्राइस्ट के दुःख का अनुभव यह दर्शाता है कि आत्मा अलग-अलग शरीरों में कार्य करती है, जैसे ब्रह्मा बाबा के शरीर में शिव बाबा प्रवेश करते हैं और ज्ञान प्रदान करते हैं। दुःख का परिणाम जीसस के कर्मों का था, न कि क्राइस्ट की आत्मा का।


5: क्राइस्ट के जीवन में कष्ट और सहनशक्ति की आध्यात्मिक समझ

प्रश्न: क्राइस्ट के जीवन में कष्ट और सहनशक्ति की आध्यात्मिक समझ से हम क्या सीख सकते हैं?

उत्तर: हम सीख सकते हैं कि क्राइस्ट की आत्मा ने शारीरिक कष्ट का सामना नहीं किया, लेकिन जिस आत्मा ने उसके शरीर में प्रवेश किया, वह उस कष्ट को सहन करने में सक्षम थी। इससे हमें सहनशक्ति और दुःख से मुक्ति पाने के उपाय मिलते हैं।


6: क्राइस्ट और ब्रह्मा बाबा की समानताएं

प्रश्न: क्राइस्ट और ब्रह्मा बाबा के बीच क्या समानताएं हैं?

उत्तर: दोनों आत्माएं अपने-अपने समय पर महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। जैसे ब्रह्मा बाबा के तन में शिव बाबा ने ज्ञान दिया, वैसे ही क्राइस्ट की आत्मा ने जीसस के शरीर में धर्म की स्थापना की। यह आत्मा के स्थानांतरण की गहरी आध्यात्मिक प्रक्रिया को समझने में मदद करता है।


7: क्राइस्ट की आत्मा और क्रिश्चियन धर्म की स्थापना

प्रश्न: क्राइस्ट की आत्मा ने क्रिश्चियन धर्म की स्थापना में कैसे योगदान दिया?

उत्तर: क्राइस्ट की आत्मा ने जीसस के शरीर से ज्ञान की शुरुआत की और क्रिश्चियन धर्म की स्थापना की। पवित्र आत्मा ने अपने कर्मों और साक्षात्कार के माध्यम से संसार को शांति और प्रेम का संदेश दिया।


8: निष्कर्ष

प्रश्न: क्राइस्ट की आत्मा और जीसस के शरीर के बीच के रहस्यों को जानने से हमें क्या लाभ होता है?

उत्तर: इससे हमें अपने जीवन में सहनशक्ति, प्रेम, और पवित्रता के सिद्धांतों को समझने का मार्ग मिलता है। आत्मा का कर्म, और न कि शरीर, हमें मार्गदर्शन देता है। यह ज्ञान हमें शारीरिक और आत्मिक कष्टों से ऊपर उठने के लिए प्रेरित करता है, ताकि हम अपने जीवन में पूर्णता और शांति की प्राप्ति कर सकें।


समाप्ति

प्रश्न: इस अध्याय का उद्देश्य क्या था?

उत्तर: इस अध्याय का उद्देश्य यह था कि क्राइस्ट के जीवन के दुखों और उनके पवित्रता के अनुभव से हमें आध्यात्मिक शिक्षा मिलती है, जो शारीरिक और आत्मिक कष्टों से ऊपर उठने के लिए प्रेरित करती है, ताकि हम पूर्णता और शांति की प्राप्ति कर सकें।

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