Avyakt Murli”18 जनवरी 1969 (2)

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Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं) (संदेश 02)

आज जब मैं वतन में गई तो बापदादा हम सभी बच्चों का स्वागत करने के लिए सामने उपस्थित थे। और जैसे ही मैं पहुँची तो जैसे साकार रूप में दृष्टि से याद लेते थे वैसे ही अनुभव हुआ लेकिन आज की दृष्टि में विशेष प्रेम के सागर का रूप इमर्ज था। एक-एक बच्चे की याद नयनों में समाई हुई थी। बाबा ने कहा याद तो सभी बच्चों ने भेजी है, लेकिन इसमें दो प्रकार की याद है। कई बच्चों की याद अव्यक्त है और कईयों की याद में अव्यक्त भाव के साथ व्यक्त भाव मिक्स है। 75 बच्चों की याद अव्यक्त थी लेकिन 25 की याद मिक्स थी। फिर बाबा ने सभी को स्नेह और शक्ति भरी दृष्टि देते गिट्टी खिलाई। फिर एक दृश्य इमर्ज हुआ – क्या देखा सभी बच्चों का संगठन खड़ा है और ऊपर से बहुत फूलों की वर्षा हो रही है। बिल्कुल चारों और फूल के सिवाए और कुछ देखने में नहीं आ रहा था। बाबा ने सुनाया – बच्ची, बाप- दादा ने स्नेह और शक्ति तो बच्चों को दी ही है लेकिन साथ-साथ दिव्य गुण रुपी फूलों की वर्षा शिक्षा के रूप में भी बहुत की है। परन्तु दिव्य गुणों की शिक्षा को हरेक बच्चे ने यथाशक्ति ही धारण किया है। इसके बाद फिर दूसरा दृश्य दिखाया – तीन प्रकार के गुलाब के फूल थे एक लोहे का, दूसरा हल्का पीतल का और तीसरा रीयल गुलाब था। तो बाबा ने कहा बच्चों की रिजल्ट भी इस प्रकार है। जो लोहे का फूल हैं – यह बच्चों के कड़े संस्कार की निशानी थे। जैसे लोहे को बहुत ठोकना पड़ता है, जब तक गर्म न करो, हथोड़ी न लगाओ तो मुड़ नहीं सकता। इस तरह कई बच्चों के संस्कार लोहे की तरह है जो कितना भी भट्टी में पड़े रहें लेकिन बदलते ही नहीं। दूसरे है जो मोड़ने से वा मेहनत से कुछ बदलते हैं। तीसरे वह जो नैचुरल ही गुलाब हैं। यह वही बच्चे हैं जिन्होंने गुलाब समान बनने में कुछ मेहनत नहीं ली। ऐसे सुनाते- सुनाते बाबा ने रीयल गुलाब के फूल को अपने हाथ में उठाकर थोड़ा घुमाया। घुमाते ही उनके सारे पत्ते गिर गये। और सिर्फ बीच का बीज रह गया। तो बाबा बोले, देखो बच्ची जैसे इनके पत्ते कितना जल्दी और सहज अलग हो गये – ऐसे ही बच्चों को ऐसा पुरुषार्थ करना है जो एकदम फट से पुराने संस्कार, पुराने देह के सम्बन्धियों रूपी पत्ते छट जायें। और फिर बीजरूप अवस्था में स्थित हो जायें। तो सभी बच्चों को यही सन्देश देना कि अपने को चेक करो कि अगर समय आ जाए तो कोई भी संस्कार रूपी पत्ते अटक तो नहीं जायेंगे, जो मेहनत करनी पड़े? कर्मातीत अवस्था सहज ही बन जायेगी या कोई कर्मबन्धन उस समय अटक डालेगा? अगर कोई कमी है तो चेक करो और भरने की कोशिश करो।

बाबा का संदेश और बच्चों का आत्मचिंतन

प्रश्न और उत्तर:

प्रश्न 1: जब बच्चों ने बाबा से मुलाकात की, तो बाबा की दृष्टि में कौन सा विशेष रूप दिखा?
उत्तर: बाबा की दृष्टि में प्रेम के सागर का रूप इमर्ज था और हर बच्चे की याद नयनों में समाई हुई थी।

प्रश्न 2: बाबा ने बच्चों की याद के कितने प्रकार बताए?
उत्तर: बाबा ने बच्चों की याद के दो प्रकार बताए – एक अव्यक्त याद और दूसरी अव्यक्त भाव के साथ व्यक्त भाव मिक्स।

प्रश्न 3: कितने बच्चों की याद अव्यक्त थी और कितनों की मिक्स?
उत्तर: 75 बच्चों की याद अव्यक्त थी और 25 की याद मिक्स थी।

प्रश्न 4: बाबा ने बच्चों को कौन सा प्रतीक रूपी दृश्य दिखाया?
उत्तर: बाबा ने गुलाब के तीन प्रकार के फूल दिखाए – लोहे का, पीतल का, और रीयल गुलाब।

प्रश्न 5: लोहे के गुलाब का क्या संकेत था?
उत्तर: लोहे का गुलाब उन बच्चों के कड़े संस्कार की निशानी था, जिन्हें बदलने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है।

प्रश्न 6: रीयल गुलाब के फूल को देखकर बाबा ने क्या सन्देश दिया?
उत्तर: बाबा ने कहा कि जैसे रीयल गुलाब के पत्ते आसानी से अलग हो जाते हैं, वैसे ही बच्चों को अपने पुराने संस्कार और देह के संबंधों को सहज रूप से छोड़ना सीखना चाहिए।

प्रश्न 7: बच्चों को कौन सा पुरुषार्थ करने का निर्देश दिया गया?
उत्तर: बच्चों को ऐसा पुरुषार्थ करना चाहिए कि पुराने संस्कार और कर्मबंधनों से मुक्त होकर बीजरूप अवस्था में स्थित हो सकें।

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प्रश्न 8: बाबा ने बच्चों को क्या आत्मचिंतन करने को कहा?
उत्तर: बाबा ने कहा कि सभी बच्चे खुद को चेक करें कि अगर समय आए, तो कोई संस्कार रूपी पत्ते उन्हें अटकाएंगे तो नहीं। अगर कमी है, तो उसे पूरी करने की कोशिश करें।

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