Avyakt Murli”18 जनवरी 1969 (7)

Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं) (संदेश 07)

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आज जब वतन में गई तो जाते ही क्या देखा कि शिवबाबा और अपना ब्रह्मा बाबा दोनों आपस में बैठे थे और सामने जैसे एक छोटी पहाड़ी बनी हुई थी। वह किसकी थी? क्या देखा कि ढेर के ढेर पत्र थे। इतने पत्र थे, इतने पत्र थे जैसे कि पहाड़ियां बन गई थी जैसे ही हम पहुँची तो ब्रह्मा बाबा ने हमको देखा और कहा कि ईशू कहाँ है। इतने पत्र हो गये हैं। मैंने कहा बाबा मैं आई हूँ। कहा ईशू बच्ची को भी साथ लाई हो ना! देखना ईशू बच्ची, मैं दो मिनट में इतने सारे पत्र पूरा कर देता हूँ। शिव बाबा तो साक्षी होकर मुस्करा रहे थे। इतने में देखा कि ईशू बहन भी वहाँ इमर्ज हो गई। ईशू का चेहरा बिल्कुल ही शान्त था। बाबा ने कहा बच्ची क्या सोच रही हो? आज तो पत्र का जवाब देना है। उसी समय जैसे साकार वतन का संस्कार पूर्ण रीति इमर्ज था। मम्मा खड़ी होकर देख रही थी। इतने में ही शिव बाबा ने ब्रह्मा बाबा को कहा आप कहाँ हो? वतन में बैठे हो? फिर एक सेकेण्ड में ही रूप बदल गया। बाबा ने कुछ कहा नहीं, एकदम डेड साइलेन्स हो गये। इतने में बाबा ने मुझे कहा कि बच्ची यह पत्र खोलकर देखो। मैंने कहा बाबा पत्र तो ढेर हैं। बाबा ने कहा बच्ची इसमें तो एक सेकेण्ड लगेगा। क्योंकि सभी में एक ही बात है। इसके बाद बाबा ने सुनाया कि सभी पत्रों में बच्चों के उल्हने ही हैं। पत्रों में सभी उल्हने ही थे। अब देखना बाबा बच्चों को रेस्पाण्ड करते हैं। देखना एक सेकेण्ड में मैं सभी को जवाब दे देता हूँ। फिर बाबा ने सभी पत्रों का लाल अक्षरों में यहाँ माफिक ही पत्र लिखा। पत्र में क्या था – “ब्राह्मण कुल भूषण, स्वदर्शनचक्रधारी, ये रत्नों बच्चों प्रति, समाचार यह है कि सभी बच्चों के उल्हनों के पत्र सूक्ष्मवतन में पाये। रेस्पान्ड में बापदादा बच्चों को कह रहे हैं कि ड्रामा की भावी के बन्धन में सर्व आत्मायें बंधी हुई हैं। सभी पार्ट बजा रही हैं। उसी ड्रामा के मीठे-मीठे बन्धन अनुसार आज अव्यक्त वतन में पार्ट बजा रहा हूँ। सभी बच्चों को दिल व जान सिक व प्रेम से अव्यक्त रूप से याद प्यार बहुत-बहुत-बहुत स्वीकार हो। जैसे बाप की स्थिति है वैसे बच्चों को स्थिति रखनी है”। यह है बापदादा का पत्र। फिर बाबा को हमने भोग स्वीकार कराया। बाबा बोले बच्ची आज कुछ नये बच्चे भी आये हैं। पहले मैं उन्हों को खिलाता हूँ। फिर वतन में बाबा ने सभी बच्चों को इमर्ज कर अपने हस्तों से जल्दी-जल्दी एक एक दृष्टि भी दे रहे थे, हाथों से गिट्टी भी खिला रहे थे। लेकिन एक एक को एक सेकेण्ड भी जो दृष्टि दे रहे थे, उस दृष्टि में बहुत कुछ भरा हुआ था। उसके बाद फिर तीसरा दृश्य हमने देखा। बाबा को कहा कि सभी ने एक प्रश्न पूछने के लिए कहा है। बाबा ने कहा जो भी प्रश्न हैं वह पूछ सकते हो। बाबा तो एक अक्षर में जवाब दे देगा।

प्रश्न:-सभी पूछते हैं कि पिछाड़ी के समय आप ने कुछ बोला नहीं। बाहर की सीन तो हम सभी ने सुनी है लेकिन अन्दर क्या था वह अनुभव भी सुनना चाहते हैं। बाबा बोले, हाँ बच्ची, क्यों नहीं। अपना अनुभव सुनायेंगे। अच्छा लो सुनो –

बच्ची खेल तो सिर्फ 10-15 मिनट का ही था। उस थोड़े से समय में ही अनेक खेल चले। उसमें भिन्न-भिन्न अनुभव हुए। पहला अनुभव तो यह था कि पहले जोर से युद्ध चल रही थी। किसकी? योगबल और कर्मभोग की। कर्मभोग भी फुल फोर्स में अपने तरफ खींच रहा था और योगबल भी फुल फोर्स में ही था। ऐसे अनुभव हो रहा था कि जो भी शरीर के हिसाब-किताब रहे हुऐ थे वह फट से योग अग्नि में भस्म हो रहे थे। और मैं साक्षी हो देख रहा हूँ, जैसे अखाड़े में बैठ मल्लयुद्ध देखते हैं। मतलब तो दोनों का फोर्स पूरा ही था। उसके बाद बाबा बोले कि कुछ समय बाद कर्मभोग (दर्द) तो बिल्कुल निर्बल हो गया। बिल्कुल दर्द गुम हो गया। ऐसे ही अनुभव हो रहा था कि आखरीन में योगबल ने कर्मभोग पर जीत पा ली। उस समय तीन बातें साथ-साथ चल रही थी वह कौन सी? एक तरफ तो बाबा से बातें कर रहा था कि बाबा आप हमें अपने पास बुला रहे हो। दूसरे तरफ यूँ तो कोई खास बच्चों की स्मृति नहीं, लेकिन सभी बच्चों के स्नेह की याद शुद्ध मोह के रूप में थी बाकी शुद्ध मोह की रग वा यह संकल्प कि छुट्टी नहीं ली वा और कोई भी संकल्प नहीं था। तीसरी तरफ यह भी अनुभव हो रहा था कि कैसे शरीर से आत्मा निकल रही है। कर्मातीत न्यारी अवस्था जो बाबा ने पहले मुरली भी चलाई कि कैसे भाँ भाँ होकर सन्नाटा हो जाता है। वैसे ही बिल्कुल डेड साइलेन्स का अनुभव हो रहा था और देख रहा था कि कैसे एक-एक अंग से आत्मा अपनी शक्ति छोड़ती जा रही है। तो कर्मातीत अवस्था की मृत्यु क्या चीज है वह अनुभव हो रहा था। यह है मेरा अनुभव। फिर हमने बाबा को कहा कि बाबा सभी बच्चे कहते हैं अगर हम सभी सामने होते तो बाबा को रोक लेते। तो बाबा ने कहाँ बच्ची रोक लेते तो यह ड्रामा कैसे होता। फिर हमने कहा बाबा यह सीन जैसे अब तो आर्टीफिशियल लग रही है। रीयल ड्रामा नहीं लगता। बाबा ने कहा कि बच्ची यह स्नेह की मीठी तार जुटी होने के कारण तुमको अन्त तक यह वण्डर ही देखने में आयेगा और अब तक भी तो सम्बन्ध है। भल साकार रथ गया है लेकिन ब्रह्मा के रूप में अव्यक्त पार्ट बजा रहे हैं। बाबा ने कहा मैं भी कभी साकार वतन में चला जाता हूँ फिर शिव बाबा पूछते हैं कहाँ बैठे हो? यहाँ बैठे जैसे साकार वतन में। यह मकान बन रहा है वहाँ तक जाता हूँ। मैंने कहा बाबा, कभी कभी लगता है कि जैसे बाबा चक्र लगा रहे हैं। बाबा ने कहा मैं चक्कर लगाता हूँ तो वह भासना तो बच्चों को आयेगी ही। मतलब तो रूह रूहान हो रही थी। फिर बाबा ने एक दृश्य दिखाया जैसे एक चक्र के अन्दर बहुत चक्र दिखाई पड़े। चक्र का ढंग ऐसे बनाया था कि उस चक्र से निकलने के 4-5 रास्ते दिखाई पड़े परन्तु निकल न पाये। सिर्फ ब्रह्मा बाबा का यह दिखाया कि चक्र में चलते-चलते प्याइन्ट (जीरो) पर खड़े हो गये, निकले नहीं। बाबा ने सम- झाया कि यह है ड्रामा का बन्धन। ब्रह्मा भी ड्रामा के सर्कल से निकल नहीं सकते। ड्रामा के बन्धन से कोई भी निकल नहीं सकते। उस जीरो प्याइन्ट तक पहुँच गये लेकिन फिर भी ड्रामा का मीठा बन्धन है। जिस मीठे बन्धन को खेल के रूप में दिखाया। फिर मिश्री बादामी खिलाई। छुट्टी दी, बोला, जाओ बच्ची टाइम हो गया है।

Title: बाबा का अनुभव और ब्रह्मा बाबा का दृष्टिकोण

Q1: जब वतन में पहुंचे, तो क्या देखा?

  • Answer: शिव बाबा और ब्रह्मा बाबा दोनों आपस में बैठे हुए थे, और सामने एक छोटी पहाड़ी पर ढेर सारे पत्र थे, जो ब्रह्मा बाबा ने जवाब देने के लिए खोले।

Q2: ब्रह्मा बाबा ने क्या कहा जब पत्रों के बारे में पूछा गया?

  • Answer: ब्रह्मा बाबा ने कहा, “ईशू बच्ची को साथ लाई हो ना, देखो मैं दो मिनट में सारे पत्रों का जवाब दे दूंगा।”

Q3: शिव बाबा के बारे में क्या अनुभव था जब पत्रों का जवाब दिया गया?

  • Answer: शिव बाबा मुस्कराते हुए साक्षी बने रहे और पत्रों का जवाब एक सेकेण्ड में दे दिया। सभी पत्रों में बच्चों के उल्हने थे और बापदादा ने उन्हें प्रेम से उत्तर दिया।

Q4: बाबा ने बच्चों से क्या संदेश दिया?

  • Answer: बाबा ने पत्रों के माध्यम से बच्चों को यह संदेश दिया कि “ड्रामा के बन्धन में सभी आत्माएं बंधी हुई हैं और जो स्थिति बाप की है, वही बच्चों को भी अपनानी है।”

Q5: वतन में बाबा ने बच्चों को किस प्रकार से आशीर्वाद दिया?

  • Answer: बाबा ने बच्चों को अपनी दृष्टि से आशीर्वाद दिया और उनके हाथों से गिट्टी भी खिलाई, जिससे बच्चों को प्रेम और शक्ति का अनुभव हुआ।

Q6: बाबा ने बच्चों से पूछे गए प्रश्न का क्या उत्तर दिया?

  • Answer: बच्चों ने पूछा कि “आपने पिछाड़ी के समय कुछ नहीं बोला।” बाबा ने जवाब दिया कि वह अनुभव साक्षी रूप में था और सभी को आंतरिक शांति का अनुभव हो रहा था।

Q7: बाबा ने अपने अनुभव के बारे में क्या बताया?

  • Answer: बाबा ने बताया कि कर्मभोग और योगबल के बीच संघर्ष हुआ, लेकिन अंत में योगबल की विजय हुई और आत्मा ने शरीर से निकलते हुए शांति का अनुभव किया।

Q8: बाबा ने साकार वतन और ब्रह्मा के रूप में अपने अनुभव को कैसे व्यक्त किया?

  • Answer: बाबा ने कहा कि वह कभी साकार वतन में जाते हैं, लेकिन ड्रामा के बन्धन से बाहर नहीं निकल सकते। ब्रह्मा बाबा ने भी ड्रामा के मीठे बन्धन को महसूस किया।

Q9: बाबा ने ब्रह्मा बाबा के बारे में क्या दृश्य दिखाया?

  • Answer: बाबा ने एक चक्र के भीतर कई चक्र दिखाई, जिसमें ब्रह्मा बाबा किसी जीरो पॉइंट पर खड़े हुए थे, जो ड्रामा के बन्धन को दर्शाता था।

Q10: बाबा ने बच्चों से क्या कहा जब वह “चक्र” को देख रहे थे?

  • Answer: बाबा ने कहा कि यह ड्रामा का मीठा बन्धन है, जिसमें कोई भी नहीं निकल सकता, और यह साकार वतन में बच्चों को देखने के अनुभव की तरह होता है।

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