Avyakta Murli”01-11-1970

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Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

“बाप समान बनने की युक्तियाँ” 

आज हिम्मते बच्चे मददे बाप का प्रत्यक्ष सबूत देख रहे हैं। जो गायन है उसका साकार रूप देख रहे हैं। एक कदम बच्चे आगे आते हैं तो हजार गुणा बाप भी कितना दूर से सम्मुख आते हैं। आप कितना माइल से आये हो? बापदादा कितना दूर से आये हैं? ज्यादा स्नेही कौन? बच्चे वा बाप? इसमें भी बाप बच्चों को आगे बढ़ाते हैं। अभी भी इस पुरानी दुनिया में बाप से ज्यादा आकर्षण करने वाली वस्तु क्या है? जब मालूम पड़ गया कि यह पुरानी दुनिया है, सर्व सम्बन्ध, सर्व-सम्पत्ति, सर्व पदार्थ अल्पकाल और दिखावा-मात्र है। फिर भी धोखा क्यों खाते हो? लिप्त क्यों होते हो? अपने गुप्त स्वरुप और बाप के गुप्त स्वरुप को प्रत्यक्ष करो तब बाप के गुप कर्तव्य को प्रत्यक्ष कर सकेंगे। आपका शक्ति स्वरूप प्रख्यात हो जायेगा। अभी गुप्त है। सिर्फ एक शब्द याद रखो तो अपने गुप्त रूप को प्रैक्टिकल में ला सकते हो। वह कौन-सा शब्द है? सिर्फ अन्तर शब्द। अन्तर में दोनों रहस्य आ जाते हैं। अन्तर कन्ट्रास्ट को भी कहा जाता है और अन्तर अन्दर को भी कहा जाता है। जैसे कहते हैं अन्तर्मुख वा अन्तर्यामी। तो अन्तर शब्द से दो अर्थ सिद्ध हो जाते हैं। अन्तर शब्द याद आने से एक तो हरेक बात का कन्ट्रास्ट करेंगे कि यह श्रेष्ठ है वा नहीं। दूसरा अन्तर की स्थिति में रहने से वा अन्तर स्वरुप में स्थित होने से आपका गुप्त स्वरुप प्रत्यक्ष हो जायेगा। एक शब्द को याद रखने से जीवन को बदल सकते हो। अभी जैसे समय की रफ़्तार चल रही है उसी प्रमाण अभी यह पाँव पृथ्वी पर नहीं रहने चाहिए। कौन सा पाँव? जिससे याद की यात्रा करते हो। कहावत है ना कि फरिश्तों के पाँव पृथ्वी पर नहीं होते। तो अभी यह बुद्धि पृथ्वी अर्थात् प्रकृति के आकर्षण से परे हो जाएगी फिर कोई भी चीज़ नीचे नहीं ला सकती है। फिर प्रकृति को अधीन करने वाले हो जायेंगे।

न कि प्रकृति के अधीन होने वाले। जैसे साइंस वाले आज प्रयत्न कर रहे हैं, पृथ्वी से परे जाने के लिए। वैसे ही साइलेंस की शक्ति से इस प्रकृति के आकर्षण से परे, जब चाहें तब आधार लें, न कि प्रकृति जब चाहे तब अधीन कर दे। तो ऐसी स्थिति कहाँ तक बनी है? अभी तो बापदादा साथ चलने के लिए सूक्ष्मवतन में अपना कर्तव्य कर रहे हैं लेकिन यह भी कब तक? जाना तो अपने ही घर में हैं ना। इसलिए अभी जल्दी-जल्दी अपने को ऊपर की स्थिति में स्थित करने का प्रयत्न करो। साथ चलना, साथ रहना और फिर साथ में राज्य करना है ना। साथ कैसे होगा? समान बनने से। समान नहीं बनेंगे तो साथ कैसे होगा। सभी साथ उड़ना है, साथ रहना है। यह स्मृति में रखो तब अपने को जल्दी समान बना सकेंगे। नहीं तो कुछ दूर पड़ जायेंगे। वायदा भी है ना कि साथ रहेंगे, साथ चलेंगे और साथ ही राज्य करेंगे। सिर्फ राज्य करने समय बाप गुप्त हो जाते हैं। तो साथ कैसे रहेंगे? समान बनने से। समानता कैसे लायेंगे? साकार बाप के समान बनने से। अभी बापदादा कहते हो ना। उनमें समानता कैसे आई? समर्पणता से समानता सेकण्ड में आई। ऐसे समर्पण करने की शक्ति चाहिए। जब समर्पण कर दिया तो फिर अपना वा अन्य का अधिकार समाप्त हो जाता। जैसे किसको कोई चीज़ दी जाती है तो फिर अपना अधिकार और अन्य का अधिकार समाप्त हो जाता है। अगर अन्य कोई अधिकार रखे भी तो उसको क्या कहेंगे? यह तो मैंने समर्पण कर ली। ऐसे हर वस्तु सर्व समर्पण करने के बाद अपना वा दूसरों का अधिकार रह कैसे सकता है। जब तक अपना वा अन्य का अधिकार रहता है तो इससे सिद्ध है कि सर्व समर्पण में कमी है। इसलिए समानता नहीं आती। जो सोच-सोच कर समर्पण होते हैं उनकी रिजल्ट अब भी पुरुषार्थ में वही सोच अर्थात् संकल्प विघ्न रूप बनते हैं।

बाप समान बनने की युक्तियाँ

प्रश्न 1: बापदादा के समीप आने के लिए बच्चों को क्या करना चाहिए?
उत्तर: बच्चों को एक कदम आगे बढ़ना है, तो बापदादा हजार गुणा समीप आते हैं।

प्रश्न 2: बापदादा से अधिक स्नेही कौन है – बच्चे या बाप?
उत्तर: बापदादा बच्चों को अधिक स्नेह देते हैं और उन्हें आगे बढ़ाते हैं।

प्रश्न 3: पुरानी दुनिया में सबसे अधिक आकर्षण करने वाली वस्तु क्या है?
उत्तर: यह संसार, इसके संबंध, संपत्ति, और पदार्थ जो अल्पकालिक और दिखावामात्र हैं।

प्रश्न 4: यदि पुरानी दुनिया का सच पता है तो फिर भी आत्माएँ क्यों लिप्त होती हैं?
उत्तर: क्योंकि वे अपने गुप्त स्वरूप और बाप के गुप्त स्वरूप को प्रत्यक्ष नहीं कर पातीं।

प्रश्न 5: बाप समान बनने के लिए कौन-सा एक शब्द स्मरण रखना चाहिए?
उत्तर: “अंतर” शब्द, जो अंतर्यामी और अंतरमुखी बनने की स्मृति दिलाता है।

प्रश्न 6: फरिश्तों के पाँव पृथ्वी पर क्यों नहीं होते?
उत्तर: क्योंकि उनकी बुद्धि प्रकृति के आकर्षण से परे होती है।

प्रश्न 7: समानता लाने के लिए कौन-सी शक्ति आवश्यक है?
उत्तर: समर्पण की शक्ति, जिससे आत्मा संकल्प-विघ्नों से मुक्त होकर बाप समान बन सके।

प्रश्न 8: बापदादा के साथ रहने और राज्य करने के लिए क्या करना होगा?
उत्तर: बाप समान बनना होगा, क्योंकि समानता से ही सदा साथ रहने का अनुभव होगा।

प्रश्न 9: समर्पण का सही अर्थ क्या है?
उत्तर: जब सर्वस्व समर्पण कर दिया, तो न अपना अधिकार रहता है, न दूसरों का।

प्रश्न 10: समर्पण करने के बाद भी यदि संकल्पों में विघ्न आते हैं, तो इसका क्या कारण है?
उत्तर: इसका कारण यह है कि संपूर्ण समर्पण में अभी भी कमी है।

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