Avyakta Murli”05-04-1970(1)

Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं) 

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सर्व पॉइंट का सार पॉइंट (बिन्दी) बनो

सभी सुनने चाहते हो वा सम्पूर्ण बनने चाहते हो? सम्पूर्ण बनने के बाद सुनना होता होगा? पहले है सुनना फिर है सम्पूर्ण बन जाना। इतनी सभी पॉइंट सुनी है उन सभी पॉइंट का स्वरुप क्या है जो बनना है? सर्व सुने हुए पॉइंट का स्वरुप क्या बनना है? सर्व पॉइंट का सार व स्वरुप पॉइंट(बिंदी) ही बनना है। सर्व पॉइंट का सार भी पॉइंट में आता है तो पॉइंट बनना है। पॉइंट अति सूक्ष्म होता है जिसमे सभी समाया हुआ है। इस समय मुख्य पुरुषार्थ कौन-सा चल रहा है? अभी पुरुषार्थ है विषार को समाने का। जिसको विस्तार को समाने का तरीका आ जाता है वाही बापदादा के समान बन जाते हैं। पहले भी सुनाया था ना कि समाना और समेटना है। जिसको समेटना आता है उनको समाना भी आता है। बीज में कौन सी शक्ति है? वृक्ष के विस्तार को अपने में समाने की। तो अब क्या पुरुषार्थ करना है? बीज स्वरुप स्थिति में स्थित होने का अर्थात् अपने विस्तार को समाने का। तो यह चेक करो। विस्तार करना तो सहज है लेकिन विस्तार को समाना सरल हुआ है? आजकल साइंस वाले भी विस्तार को समेटने का ही पुरुषार्थ कर रहे हैं। साइंस पॉवर वाले भी तुम साइलेंस की शक्ति वालों से कॉपी करते हैं। जैसे-जैसे साइलेंस की शक्ति सेना पुरुषार्थ करती है वैसा ही वह भी पुरुषार्थ कर रहे हैं। पहले साइलेंस की शक्ति सेना इन्वेंशन करती है फिर साइंस अपने रूप से इन्वेंशन करती है। जैसे-जैसे यहाँ रिफाइन होते जाते हैं वैसे ही साइंस भी रिफाइन होती जाती है। जो बातें पहले उन्हों को भी असंभव लगती थी वह अब संभव होती जा रही हैं। वैसे ही यहाँ भी असंभव बातें सरल और संभव होती जाती हैं। अब मुख्य पुरुषार्थ यही करना है कि आवाज़ में लाना जितना सहज है उतना ही आवाज़ से परे जाना सहज हो। इसको ही सम्पूर्ण स्थिति के समीप की स्थिति कहा जाता है।

यह ग्रुप कौन-सा है? इस ग्रुप के हरेक मूरत में अपनी-अपनी विशेषता है। विशेषता के कारन ही सृष्टि में विशेष आत्माएं बने हैं। विशेष आत्माएं तो हो ही। अब क्या बनना है? विशेष हो, अब श्रेष्ठ बनना है। श्रेष्ठ बन्ने के लिए भट्ठी में क्या करेंगे? इस ग्रुप में एक विशेषता है जो कोई में नहीं थी। वह कौन सी एक विशेषता है? अपनी विशेषता जानते हो? इस ग्रुप की यही विशेषता देख रहे हैं कि पुरुषार्थी की लेवल में एक दो के नजदीक हैं। हरेक के मन में कुछ करके दिखाने का ही उमंग है। इसलिए इस ग्रुप को बापदादा यही नाम दे रहे हैं – होवनहार और उम्मीदवार ग्रुप और यही ग्रुप है जो सृष्टि के सामने अपना असली रूप प्रत्यक्ष करके दिखा सकते हैं। मैदान में कड़ी हुई सेना यह है। आप लोग तो बैकबोन हो। तो बापदादा के कर्त्तव्य को प्रत्यक्ष करने की यह भुजाएं हैं। मालूम है कि भुजाओं में क्या-क्या अलंकार होते हैं? बापदादा की भुजाएं अलंकारधारी हैं। तो अपने आप से पूछो कि हम भुजाएं अलंकारधारी हैं? कौन-कौन से अलंकार धारण किये हुए मैदान पर उपस्थित हो? सर्व अलंकारों को जानते हो ना? तो अलंकारधारी भुजाएं हो? अलंकारधारी शक्तियां ही बापदादा का शो करती हैं। शक्तियों की भुजाएं कभी भी खली नहीं दिखाते। अलंकार कायम होंगे तो ललकार होगी। तो बापदादा आज क्या देख रहे है? एक-एक भुजा के अलंकार और रफ़्तार। इस ग्रुप को भट्ठी में क्या करायेंगे? शक्तियों का मुख्य गुण क्या है? इस ग्रुप में एक शक्तिपन का पहला गुण निर्भयता और दूसरा विस्तार को एक सेकंड में समेटने की युक्ति भी सिखाना। एकता और एकरस। अनेक संस्कारों को एक संस्कार कैसे बनायें। यह भी इस भट्ठी में सिखाना है। कम समय और कम बोल लेकिन सफलता अधिक हो। यह भी तरीका सिखाना है। सुनना और स्वरुप बन जाना है। सुनना अधिक और स्वरुप बनना कण, नहीं। सुनते जाना और बनते जाना। जब साक्षात्कार मूर्त्त बनकर जाना, वाचा मूर्ति नहीं। जो भी आप सभी को देखे तो आकरी और अलंकारि देखे। सेन्स बहुत है लेकिन अब क्या करना है? ज्ञान का जो इसेन्स है उसमे रहना है। सेन्स को इसेन्स में लगा देना है। तब ही जो बापदादा उम्मीद रखते हैं वह प्रत्यक्ष दिखायेंगे। इसेन्स को जानते हो ना। जो इस ज्ञान की आवश्यक बातें हैं वही इसेन्स है। अगर वह आवश्यकताएं पूरी हो जाएंगी। अभी कोई-न-कोई आवश्यकएं हैं। लेकिन आवश्यकताओं को सदा के लिए पूर्ण करने के लिए दो आवश्यक बातें हैं। जो बताई – आकारी और अलंकारी बनना। आकारी और अलंकारी बन्ने के लिए सिर्फ एक शब्द धारण करना है। वह कौन-सा शब्द है जिसमे आकारी और अलंकारी दोनों आ जायें? वह एक शब्द है लाइट। लाइट का अर्थ एक तो ज्योति भी है और लाइट का अर्थ हल्का भी है। तो हल्कापन और प्रकाशमय भी। अलंकारी भी और आकारी भी। ज्योति स्वरुप भी, ज्वाला स्वरुप भी और फिर हल्का, आकारी। तो एक ही लाइट शब्द में दोनों बातें आ गई ना। इसमें कर्त्तव्य भी आ जाता है। कर्त्तव्य क्या है? लाइट हाउस बनना। लाइट में स्वरुप भी आ जाता है। कर्त्तव्य भी आ जाता है।

हरेक टीचर्स को बापदादा द्वारा पर्सनल ज्ञान रत्नों की सौगात मिली

टिका क्यों लगाया जाता है? जैसे तिलक मष्तिष्क पर ही लगया जाता है, ऐसे ही बिन्दी स्वरुप यह भी तिलक है जो सदैव लगा ही रहे। दूसरा भविष्य का राज्तिकल यह भी तिलक ही है। दोनों की स्मृति रहे। उसकी निशानी यह तिलक है। निशानी को देख नशा रहे। यह निशानी सदा काल के लिए दी जाती है। जैसे सुनाया था पॉइंट, वैसे यह तिलक भी पॉइंट है।

“सर्व पॉइंट का सार पॉइंट (बिन्दी) बनो”

1. सवाल: सर्व पॉइंट का सार क्या है?
उत्तर: सर्व पॉइंट का सार बिन्दी (पॉइंट) बनना है। यह अत्यधिक सूक्ष्म रूप है, जिसमें सभी चीजें समाई हुई हैं।

2. सवाल: सम्पूर्ण बनने के बाद क्या करना होता है?
उत्तर: सम्पूर्ण बनने के बाद हमें सुनना नहीं छोड़ना चाहिए, बल्कि उसे समझकर उसके स्वरूप में ढलना है।

3. सवाल: बीज में कौन सी शक्ति होती है?
उत्तर: बीज में वृक्ष के विस्तार को समाने की शक्ति होती है। यह शक्तिपन समाने की विधि को दर्शाता है।

4. सवाल: विज्ञान और साइलेंस की शक्ति में क्या समानता है?
उत्तर: विज्ञान और साइलेंस की शक्ति दोनों ही विस्तार को समेटने का पुरुषार्थ कर रहे हैं। साइंस भी उसी तरह से रिफाइन हो रही है जैसे साइलेंस की शक्ति होती है।

5. सवाल: इस ग्रुप की विशेषता क्या है?
उत्तर: इस ग्रुप की विशेषता यह है कि इसमें प्रत्येक सदस्य के पास अपने स्तर पर कुछ विशेष करने की उमंग है, और यह ग्रुप अपनी असली शक्ति को सृष्टि के सामने प्रस्तुत कर सकता है।

6. सवाल: भुजाओं का अलंकार क्या है?
उत्तर: भुजाएं अलंकारधारी होती हैं, जो शक्तियों को व्यक्त करती हैं। अलंकारधारी शक्तियों का ही बापदादा का शो होता है।

7. सवाल: “लाइट” शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर: “लाइट” शब्द का अर्थ है ज्योति और हल्का। यह आकारी और अलंकारी दोनों रूपों को दर्शाता है।

8. सवाल: तिलक क्यों लगाया जाता है?
उत्तर: तिलक मष्तिष्क पर लगाया जाता है ताकि यह हमें सतत रूप से हमारी स्थिति और उद्देश्य की याद दिलाए। बिन्दी स्वरुप तिलक भी यही कार्य करता है, जो हमारी पहचान और स्मृति को स्थायी बनाता है।

9. सवाल: आकारी और अलंकारी बनने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर: आकारी और अलंकारी बनने के लिए हमें “लाइट” शब्द को धारण करना चाहिए, जिससे हम हल्के और प्रकाशमय रूप में स्वयं को व्यक्त कर सकें।

10. सवाल: ज्ञान के “इसेन्स” से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: ज्ञान के “इसेन्स” का तात्पर्य है उन आवश्यक बातों से, जो हमें जीवन में लागू करनी हैं और जिनके माध्यम से हम अपनी स्थिति को स्थिर और श्रेष्ठ बना सकते हैं।

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