होली-/(02)होली देख कबीरा रोया
Holi-/(02) Kabir cried after seeing Holi
होली देख कबीरा
होली का वास्तविक अर्थ
होली को कैसे मनाते हैं? होली का वास्तविक अर्थ क्या है? इसे हम समझने का प्रयास करेंगे। हर वर्ष की भाँति होली का त्यौहार फिर आ गया। लोग एक दूसरे पर रंग डालते हैं, बाजारों में रंगों की दुकाने सजती हैं, करोड़ों रुपए खर्च होते हैं और पूरा देश इस उत्सव को मनाता है। सरकार भी इसे मनाने के लिए छुट्टी देती है।
लेकिन यह कैसी होली है? इसमें ढ़ंग है, शोर है, कभी-कभी अनावश्यक उग्रता देखने को मिलती है। यदि यह त्यौहार कबीर साहब के समय में होता तो क्या वे इसे देखकर प्रसन्न होते? खुश होते?
नहीं, नहीं, वो अवश्य रो पड़ते, क्योंकि जो सच्ची होली का अर्थ समझते हैं, वो जानते हैं कि यह आत्मिक रंग में रंगने का अवसर है, ना कि केवल बाहरी रंगों में डूबने का।
होली मनाने का सही अर्थ
लोग कहते हैं हम होली मनाएंगे, परंतु मनाया तो उसे जाता है जो रूठा हुआ हो। होली के दिन लोग रंग डालकर एक दूसरे को नाराज कर देते हैं, फिर भी इसे मनाना कहते हैं। कैसा अजीब उत्सव है, जिसमें पुलिस तैनात करनी पड़ती है, अखबारों में चेतावनी देनी पड़ती है कि कोई जबरदस्ती रंग ना डाले।
शिक्षा के प्रचार के बावजूद पढ़े-लिखे लोग भी मनाने का सही अर्थ नहीं जानते, नहीं समझते। क्या करोड़ों रुपए के रंग उड़ाना, कपड़ों को खराब करना, सार्वजनिक संपत्ति को बर्बाद करना सही अर्थ में उत्सव है?
क्या यह खुशी का दिन है या मात्र एक बाहरी दिखावा?
सच्ची होली: ज्ञान और आत्मिक रंग
होली शब्द का वास्तविक अर्थ है— “हो ली”, जो बीत गया उसे भुला दो। कहते हैं “बुरा ना मानो, होली है।” किसी की बात का कोई बुरा नहीं मानना। परंतु आज होली में पुरानी बातें याद कर, एक-दूसरे पर रंग डालकर अपमानित किया जाता है। बदले की भावना से व्यवहार किया जाता है।
होली का रंग आत्मा पर चढ़ना चाहिए, ना कि शरीर पर। ज्ञान और सत्संग का रंग हमें रंगना चाहिए, परंतु हम बाहरी वस्त्रों को रंग रहे हैं, जबकि मन विकारों से भरा रह जाता है।
सच्चा उत्सव: आत्मिक रंग में रंगना
सच्चा उत्सव वही कहलाता है, जो मनुष्य के भीतर सच्चा उत्साह और आनंद जगाए। ऐसा कौन सा उत्सव होगा जिसमें बाद में पछतावा हो कि किसी को नाराज कर दिया, समय और धन व्यर्थ चला गया?
कबीर जी कहते हैं:
“पत्थर पूजे हरि मिले तो मैं पूजू पाहा। ती तो चाकी भली पीस खाए संसार।”
जिस प्रकार पत्थर पूजने से भगवान नहीं मिलते, वैसे ही वस्त्रों पर रंग डालने से मंगलमय मिलन नहीं होता। सच्ची होली तब होगी जब आत्मा प्रभु से मिलन के रंग में रंग जाती।
सच्ची होली का संदेश
हमारा प्रयास होना चाहिए कि इस दिन बाहरी रंग की बजाय आत्मिक रंग में रंगे। बीती बातों को भुलाकर नए संकल्प लें कि हम प्रेम, शांति और सद्भाव को अपनाएंगे।
सच्चा रंग वह है जो हमें सत्य के रंग में रंग दे, हमें परमात्मा से जोड़ दे।
तो आइए, इस बार होली को सच्चे अर्थों में मनाएं— ज्ञान, प्रेम और सत्य के रंग में रंगकर।
होली देख कबीरा – प्रश्नोत्तरी
1. होली का वास्तविक अर्थ क्या है?
उत्तर: होली का वास्तविक अर्थ “हो ली” है, अर्थात जो बीत गया उसे भुला देना और नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ना।
2. कबीर साहब यदि आज की होली देखते तो उनकी क्या प्रतिक्रिया होती?
उत्तर: कबीर साहब इसे देखकर प्रसन्न नहीं होते बल्कि रो पड़ते, क्योंकि सच्ची होली आत्मिक रंग में रंगने का अवसर है, ना कि बाहरी रंगों में डूबने का।
3. होली मनाने का सही अर्थ क्या है?
उत्तर: होली मनाने का सही अर्थ आत्मिक शुद्धि, प्रेम, शांति और सद्भाव को अपनाना है, ना कि दूसरों को नाराज करना या जबरदस्ती रंग लगाना।
4. आज की होली में कौन-कौन सी समस्याएँ देखने को मिलती हैं?
उत्तर: आज की होली में अनावश्यक शोर, उग्रता, जबरदस्ती रंग डालना, सार्वजनिक संपत्ति की हानि और धन का अपव्यय जैसी समस्याएँ देखी जाती हैं।
5. “बुरा ना मानो, होली है” कहने का सही अर्थ क्या है?
उत्तर: इसका सही अर्थ है किसी की बात या व्यवहार का बुरा ना मानना, परंतु आज इसका गलत प्रयोग कर दूसरों को परेशान किया जाता है।
6. सच्ची होली का रंग कौन सा होना चाहिए?
उत्तर: सच्ची होली का रंग ज्ञान, आत्मिक शांति और ईश्वर से जुड़ने का होना चाहिए, ना कि केवल बाहरी रंगों का।
7. कबीर जी का होली से जुड़ा संदेश क्या है?
उत्तर: कबीर जी कहते हैं कि जिस प्रकार पत्थर पूजने से भगवान नहीं मिलते, वैसे ही बाहरी रंग लगाने से सच्चा आनंद नहीं मिलता, बल्कि आत्मा को परमात्मा से जोड़ना ही सच्ची होली है।
8. हमें होली को कैसे मनाना चाहिए?
उत्तर: हमें होली को बाहरी रंगों की बजाय आत्मिक रंग में मनाना चाहिए, प्रेम, शांति और सद्भाव के नए संकल्प लेकर सत्य के रंग में रंगना चाहिए।
होली, कबीर, होली का अर्थ, आत्मिक रंग, सच्ची होली, आध्यात्मिक होली, ज्ञान की होली, प्रेम और शांति, सत्य का रंग, होली उत्सव, होली का महत्व, होली और आत्मा, कबीर के विचार, आध्यात्मिकता, भारतीय त्योहार, होली का सही अर्थ, आत्मा और परमात्मा, ईश्वरीय प्रेम, सत्संग, आध्यात्मिक ज्ञान, ध्यान और आत्मशुद्धि, होली संदेश, सामाजिक जागरूकता, आध्यात्मिक चेतना
holi, kabir, meaning of holi, spiritual colors, true holi, spiritual holi, holi of knowledge, love and peace, color of truth, holi festival, importance of holi, holi and soul, thoughts of kabir, spirituality, indian festival, true meaning of holi, soul and god, divine love, satsang, spiritual knowledge, meditation and self purification, holi message, social awareness, spiritual consciousness