Holi -/(12) To remain coloured in the colours of divine company is the true Holi

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होली-/(12)ईश्वरीय संग के रंगों में रंगे रहना ही सच्ची होली है

Holi -/(12) To remain coloured in the colours of divine company is the true Holi

होली का आध्यात्मिक रहस्य

सच्ची होली का अर्थ

ईश्वरीय संग के रंग में रंगे रहना ही सच्ची होली है। आज हम सच्ची होली का अर्थ समझेंगे – वह होली जो आत्मा को पवित्रता, उमंग, उत्साह और दिव्यता से भर देती है।

सत चित आनंद स्वरूप शिव के ज्ञान और गुणों से स्वयं को अलंकृत करना ही सच्ची होली मनाना है।

होली का आध्यात्मिक अर्थ

होली केवल बाहरी रंगों का उत्सव नहीं, बल्कि आत्मा के रंगने का पर्व है। जब आत्मा ईश्वरीय गुणों और मर्यादाओं से रंग जाती है, तभी जीवन में वास्तविक आनंद आता है। परमात्मा प्रेम का रंग हमें अविनाशी सुख देता है।

ज्ञान और योग का रंग हमें सच्ची शक्ति देता है। धारणा और सेवा का रंग हमें दिव्यता प्रदान करता है।

विकारों का रंग उतारने का पर्व

जो विकारों का रंग हमारे ऊपर चढ़ा है, उसे उतारने का पर्व है। जब आत्मा माया के विकारों से रंग जाती है, तो दुख और अशांति का अनुभव होता है।

ईश्वरीय संग का रंग हमें विकारों से मुक्त कर देता है। योग बल से आत्मा की सफाई करने से पुराने कर्मों का बोझ समाप्त हो जाता है। जब आत्मा परमात्मा की याद में स्थिर हो जाती है, तो जीवन शीतल और सुखदाई बन जाता है।

वैर भाव मिटाकर सच्ची होली मनाना

होली नवीनता का पर्व है। यदि हम किसी से वैर भाव रखते हैं, किसी के प्रति मन में हट (द्वेष) रखते हैं, तो उसे स्मृति और प्रेम की अग्नि में भस्म कर देना ही सच्ची होली है।

होनी थी, सो हो गई। उसको कहते हैं – “होनी होकर रही, अनहोनी ना कोई।” इस भावना से हर बीती हुई बात को समाप्त कर देना चाहिए।

जो बीता सो बीत गया – उसे होली मान लो। जो होना था, वह हो चुका। अब रोने से कुछ फायदा नहीं। बीती हुई बात को समाप्त कर देना चाहिए।

होली का संदेश है – राग-द्वेष मिटाओ।

राग यानी प्यार, ना तो किसी में इतना लगाव हो कि वह मोह बन जाए, और ना ही किसी के प्रति द्वेष हो। इन दोनों को मिटाकर सबसे प्रेम बढ़ाओ।

होली आत्म-शुद्धि का प्रतीक

होली का दिन केवल बाहरी लकड़ी जलाने का पर्व नहीं, बल्कि हमारे अंदर की नकारात्मकता, दुर्भावनाएँ और व्यर्थ चिंताओं को जलाने का प्रतीक है।

होली हमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार को जलाकर सच्ची पवित्रता को अपनाने की प्रेरणा देती है। जैसे हिरण्यकश्यप और होलिका का अंत हुआ, वैसे ही आत्मा में व्याप्त आसुरी संस्कारों को समाप्त करना ही वास्तविक विजय है।

होली – आनंद और उत्साह का पर्व

ईश्वरीय होली में केवल बाहरी रंग नहीं, बल्कि अंतर के आनंद का महत्व है। सच्चा रंग वह है जो कभी मिटता नहीं – परमात्मा के ज्ञान, योग और गुणों का रंग।

जब हम परमात्मा प्रेम के रंग में रंग जाते हैं, तो जीवन की हर परिस्थिति हमें हल्की लगती है।

मैं परमात्मा की हो गई – यह भाव ही सच्ची होली का रंग है।

सच्ची होली कैसे मनाएँ?

  • ईश्वरीय संग का रंग – परमात्मा से योग लगाकर उनकी शक्तियों को अनुभव करें।
  • ज्ञान और धारणा का रंग – अपने विचारों और कर्मों को सदा श्रेष्ठ बनाएँ।
  • पुराने संस्कारों को जलाने का संकल्प – व्यर्थ संकल्पों और नकारात्मक सोच को समाप्त करें।
  • सकारात्मकता और खुशी का रंग – हर आत्मा को आनंद और उमंग-उत्साह का अनुभव कराएँ।
  • सर्व को ईश्वरीय प्रेम में रंगना – स्नेह, सद्भावना और शुभकामनाओं के रंग से संसार को रंग दो।

निष्कर्ष

सच्ची होली केवल एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि पूरे जीवन का संकल्प है।

  • मैं ईश्वरीय गुणों में ही रहूँ – यही सच्ची होली है।
  • मैं हर आत्मा को दिव्य गुणों से रंग दूँ – यही सच्ची सेवा है।
  • मैं जीवन को उमंग-उत्साह से भर दूँ – यही सच्ची खुशी है।

इसलिए, अपने भीतर का परिवर्तन करें। परमात्मा के संग का रंग लगाएँ। आत्मा को दिव्यता और शुद्ध शुभभावना का रंग दें।

सभी को पावन, दिव्य और सच्ची होली की शुभकामनाएँ!

होली का आध्यात्मिक रहस्य – प्रश्न एवं उत्तर

1. सच्ची होली का क्या अर्थ है?

उत्तर: ईश्वरीय संग के रंग में रंगे रहना ही सच्ची होली है, जो आत्मा को पवित्रता, उमंग, उत्साह और दिव्यता से भर देती है।

2. आध्यात्मिक रूप से होली का क्या महत्व है?

उत्तर: होली केवल बाहरी रंगों का उत्सव नहीं, बल्कि आत्मा को ईश्वरीय गुणों और मर्यादाओं से रंगने का पर्व है।

3. होली में परमात्मा के रंग का क्या महत्व है?

उत्तर: परमात्मा प्रेम का रंग हमें अविनाशी सुख देता है, ज्ञान और योग का रंग सच्ची शक्ति देता है, और सेवा का रंग दिव्यता प्रदान करता है।

4. विकारों का रंग क्यों उतारना आवश्यक है?

उत्तर: विकारों का रंग दुख और अशांति लाता है, जबकि ईश्वरीय संग का रंग आत्मा को विकारों से मुक्त कर देता है।

5. वैर भाव को मिटाना क्यों ज़रूरी है?

उत्तर: वैर भाव को स्मृति और प्रेम की अग्नि में भस्म कर देना ही सच्ची होली है, जिससे मन हल्का और शांत हो जाता है।

6. ‘होनी थी, सो हो गई’ का क्या अर्थ है?

उत्तर: इसका अर्थ है कि बीती हुई घटनाओं को स्वीकार करके आगे बढ़ना और मन को शुद्ध रखना।

7. होली आत्म-शुद्धि का प्रतीक कैसे है?

उत्तर: होली बाहरी लकड़ी जलाने का पर्व नहीं, बल्कि आंतरिक नकारात्मकता, दुर्भावनाएँ और व्यर्थ चिंताओं को जलाने का अवसर है।

8. होली हमें कौन-सा आध्यात्मिक संदेश देती है?

उत्तर: होली राग-द्वेष मिटाने, आत्म-शुद्धि अपनाने, और परमात्मा के संग के रंग में रंगने का संदेश देती है।

9. हिरण्यकश्यप और होलिका की कथा का आध्यात्मिक अर्थ क्या है?

उत्तर: यह कथा आसुरी संस्कारों के अंत और सच्ची विजय का प्रतीक है, जिससे आत्मा दिव्यता प्राप्त कर सकती है।

10. सच्ची होली कैसे मनाएँ?

उत्तर:

  • ईश्वरीय संग का रंग: परमात्मा से योग लगाकर शक्तियों को अनुभव करें।
  • ज्ञान और धारणा का रंग: अपने विचारों और कर्मों को श्रेष्ठ बनाएँ।
  • संस्कारों को जलाने का संकल्प: व्यर्थ संकल्पों और नकारात्मक सोच को समाप्त करें।
  • सकारात्मकता और खुशी का रंग: हर आत्मा को आनंद और उमंग-उत्साह का अनुभव कराएँ।
  • सभी को ईश्वरीय प्रेम में रंगें: स्नेह, सद्भावना और शुभकामनाओं से संसार को रंग दें।

11. होली का आध्यात्मिक संकल्प क्या होना चाहिए?

उत्तर:

  • मैं सदा ईश्वरीय गुणों में रहूँ।
  • मैं हर आत्मा को दिव्यता के रंग में रंगूँ।
  • मैं जीवन को उमंग-उत्साह से भर दूँ।

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