MURLI 29-12-2024/BRAHMAKUMARIS

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Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

29-12-24
प्रात:मुरली
ओम् शान्ति
”अव्यक्त-बापदादा”
रिवाइज: 31-12-02 मधुबन

इस नये वर्ष में सर्व खजाने सफल कर सफलतामूर्त बनने की विशेषता दिखाओ

आज नव युग रचता, नव जीवन दाता बापदादा नव वर्ष मनाने आये हैं। आप सभी भी नव वर्ष मनाने आये हो वा नव युग मनाने के लिए आये हो? नव वर्ष तो सभी मनाते हैं लेकिन आप सभी नव जीवन, नव युग और नव वर्ष तीनों ही मना रहे हो। बापदादा भी त्रिमूर्ति मुबारक दे रहे हैं। नव वर्ष की एक दो को मुबारक देते हैं और साथ में कोई न कोई गिफ्ट भी देते हैं। गिफ्ट देते हो ना! लेकिन बापदादा ने आप सबको कौन सी गिफ्ट दी है? गोल्डन दुनिया की गिफ्ट दी है। सभी को गोल्डन दुनिया की गिफ्ट मिल गई है ना! जिस गोल्डन दुनिया में, नव युग में सर्व प्राप्तियां हैं। याद है अपना राज्य? कोई अप्राप्ति का नाम-निशान नहीं है। ऐसी गिफ्ट सिवाए बापदादा के और कोई दे नहीं सकता। सारे विश्व में अगर कोई बड़े ते बड़ी सौगात देंगे भी तो क्या देंगे? बड़े ते बड़ा ताज वा तख्त दे देंगे। जब स्थापना हुई थी, (आगे-आगे बैठे हैं स्थापना वाले) तब आदि में ही ब्रह्मा बाप बच्चों से पूछते थे कि अगर आपको आजकल की कोई भी रानी ताज और तख्त देवे तो आप जायेंगे? याद है ना! तो बच्चे कहते थे इस ताज और तख्त को क्या करेंगे, जब बाप मिल गया तो यह क्या है! तो इस गोल्डन वर्ल्ड की गिफ्ट के आगे कोई भी गिफ्ट बड़ी नहीं हो सकती। कई बच्चे पूछते हैं वहाँ क्या-क्या प्राप्ति होगी? तो बापदादा कहते हैं प्राप्तियों की लिस्ट तो लम्बी है लेकिन सार रूप में क्या कहेंगे! अप्राप्त कोई नहीं वस्तु, जो जीवन में चाहिए वह सब प्राप्तियां होंगी। तो ऐसी गोल्डन गिफ्ट की अधिकारी आत्मायें हो। अधिकारी हैं ना! डबल विदेशी अधिकारी हैं? (हाथ हिलाते हैं) सभी राजा बनेंगे? तो इतने तख्त तैयार करने पड़ेंगे। बापदादा कहते हैं वह तख्त तो तख्त है, सर्व प्राप्ति हैं लेकिन इस संगमयुग का स्वराज्य उससे कम नहीं है। अभी भी राजा हो ना! प्रजा हो या रॉयल फैमिली हो? क्या हो? एक ही बाप है जो फलक से कहते हैं कि मेरा एक-एक बच्चा राजा बच्चा है। राजा हो ना! राजयोगी हो कि प्रजा योगी हो? इस समय सब दिलतख्तनशीन, स्वराज्य अधिकारी राजा बच्चे हैं, इतना रूहानी नशा रहता है ना? क्योंकि इस समय के स्वराज्य से ही भविष्य राज्य प्राप्त होता है। यह संगमयुग बहुत-बहुत-बहुत अमूल्य श्रेष्ठ है। संगमयुग को बापदादा और सभी बच्चे जानते हैं, खुशी-खुशी में संगमयुग को नाम क्या देते हैं? मौज़ों का युग। क्यों? यहाँ संगम जैसी मौज़ सारे कल्प में नहीं है। कारण? परमात्म मिलन की मौज़ सारे कल्प में अब मिलती है। संगमयुग का एक एक दिन क्या है? मौज़ ही मौज़ है। मौज़ है ना? मौज़ है, मूँझते तो नहीं हो ना! हर दिन उत्सव है क्योंकि उत्साह है। उमंग है, उत्साह है कि अपने सर्व भाई बहिनों को परमात्मा पिता का बनायें। सेवा का उमंग-उत्साह रहता है ना! यह करें, यह करें, यह करें… प्लैन बनाते हो ना! क्योंकि जो श्रेष्ठ प्राप्ति होती है तो दूसरे को सुनाने के बिना रह नहीं सकते हैं। इसी संगमयुग की प्राप्ति गोल्डन वर्ल्ड में भी होगी। अभी के पुरुषार्थ की प्रालब्ध भविष्य गोल्डन वर्ल्ड है। तो संगमयुग अच्छा लगता है या सतयुग अच्छा लगता है? क्या अच्छा लगता है? संगम अच्छा है ना? सिर्फ बीच-बीच में माया आती है। थोड़ा-थोड़ा कभी-कभी मूंझ जाते हैं। कई बच्चे सहज योग को मुश्किल योग बना देते हैं, है नहीं लेकिन बना देते हैं। वास्तव में है बहुत सहज, मुश्किल लगता है? जिसको मुश्किल लगता है वह हाथ उठाओ। सदा नहीं, कभी कभी मुश्किल है? या सहज है? जो मुश्किल योगी हैं वह हाथ उठाओ। मातायें मुश्किल योगी हो या सहज योगी? कोई मुश्किल योगी है? (कोई हाथ नहीं उठा रहा है) सारी सभा में हाथ कैसे उठायेंगे!

सभी बच्चे फलक से कहते हैं मेरा बाबा। मेरा बाबा है कि दादियों का बाबा है? मेरा बाबा है ना! हर एक कहेगा पहले मेरा। ऐसे है? यह सिन्धी लोग सभी बैठे हैं ना! मेरा बाबा है या दादी जानकी का है? दादी प्रकाशमणि का है? किसका है? मेरा है? सारा दिन क्या याद रहता है? मेरा ना! बाप कहते हैं बहुत सहज युक्ति है जितने बार मेरा-मेरा कहते हैं, सारे दिन में कितने बार मेरा शब्द कहते हो? अगर गिनती करो तो बहुत बार मेरा शब्द बोलते हो। जब मेरा शब्द बोलते हो तो बस मेरा कौन? मेरा बाबा। मुश्किल है? कभी-कभी भूल तो जाते हो? बापदादा कोई नया शब्द नहीं देता है, जो सदैव कार्य में लाते हो मैं और मेरा, तो मैं कौन और मेरा कौन! कई बच्चे मुश्किल पुरुषार्थ क्यों करते? सिर्फ सोचते हैं बिन्दु सामने आ जाए, बिन्दु बिन्दु बिन्दु… और बिन्दु खिसक जाती है। बिन्दु तो है लेकिन कौन सी बिन्दु? मैं कौन हूँ, यह अपने स्वमान स्मृति में लाओ तो रमणीक पुरुषार्थ हो जायेगा सिर्फ ज्योति बिन्दु कहते हो ना तो मुश्किल हो जाता है। सहज पुरुषार्थ, मौज का पुरुषार्थ करो।

इस नये वर्ष में पुरुषार्थ भी श्रेष्ठ हो लेकिन श्रेष्ठ के साथ पहले सहज हो। सहज भी हो और श्रेष्ठ भी हो यह हो सकता है? दोनों साथ हो सकता है? डबल फारेनर्स बोलो, हो सकता है? तो बापदादा देखेंगे। बापदादा तो चेक करते रहते हैं ना! तो मुश्किल योगी कौन-कौन बनता है! सहज योगी का यह मतलब नहीं है कि अलबेलेपन का पुरुषार्थ हो। श्रेष्ठ भी हो और सहज भी हो। तो पाण्डव सहज योगी हैं? सहजयोगी जो हैं वह हाथ उठाओ। देखना टी.वी. में आ रहा है। मुबारक हो। तो यह वर्ष कोई के आगे कोई मुश्किलात नहीं आयेगी क्योंकि सहज योगी हो। अलबेले नहीं बनना।

समय प्रमाण इस नये वर्ष में सभी को विशेष यह लक्ष्य रखना है कि जो भी खजाने प्राप्त हैं – समय है, संकल्प हैं, गुण हैं, ज्ञान है, शक्तियां हैं… सबसे बड़ा खजाना संकल्प है – श्रेष्ठ संकल्प, शुद्ध संकल्प। इन सभी खजानों को हर रोज़ सफल करना है। खूब बांटो। दाता के बच्चे मास्टर दाता बनो। खूब बांटों। क्यों? सफल करना अर्थात् सफलता को प्राप्त करना। तो यही इस वर्ष की विशेषता सदा कायम रखना। सफल करना है और सफलता है ही है। सभी कहते भी हो ना कि सफलता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। है अधिकार? तो सफल करो और सफलता प्राप्त करो। कोई भी कार्य करो, कोई न कोई खजाना सफल करते जाओ और सफलता का अनुभव करते चलो। सोचो – सफलता का अधिकार आप ब्राह्मण आत्माओं के सिवाए और किसका अधिकार हो सकता है! क्यों? क्योंकि बाप ने आपको सफलता भव का वरदान दिया है। बापदादा सदा कहते हैं कि एक-एक ब्राह्मण आत्मा सफलता का सितारा है, सफलता स्वरूप है। सफलता के सितारे हो ना या मेहनत के सितारे हो? बापदादा सभी बच्चों को सफलता का सितारा, इसी स्वरूप में देखते हैं। याद है ब्रह्मा बाप ने आदि में कितने समय में सब सफल किया? अन्त तक अपना समय सफल किया, चाहे कर्मातीत भी बन गये फिर भी कितने पत्र लिखे! समय सफल किया ना! लास्ट दिन भी मुख से महावाक्य उच्चारण किये। लास्ट दिन तक सब सफल किया इसीलिए सफलता को प्राप्त हो गये। तो फालो फादर। वास्तव में संगमयुग का एक-एक संकल्प, एक-एक सेकण्ड सफल करना ही सफलता मूर्त बनना है। सभी निश्चय से कहते हैं ना कि ब्रह्मा बाप से तो हमारा बहुत प्यार है। तो प्यार की निशानी है जो बाप को प्रिय था वह बच्चों को प्रिय हो। समय, संकल्प और सर्व खजाने सफल हो। व्यर्थ नहीं हो। प्यार की निशानी फालो फादर। ब्रह्मा बाप ने विशेषता क्या दिखाई? जो सोचा वह सेकण्ड में किया। सिर्फ सोचा नहीं, सिर्फ प्लैन नहीं बनाया, प्रैक्टिकल में करके दिखाया। तो ऐसे है? फालो करने वाले हैं ना? अच्छा है।

आज बहुत ही आ गये हैं – न्यू ईयर मनाने के लिए। अच्छा है। अगर हॉल छोटा पड़ गया तो दिल तो बड़ी है। देखो दिल बड़ी है तो समा गये हैं ना? (आज सभा में 18-19 हजार भाई बहिनें बैठे हैं) सभी बाहर बैठे हुए भी सुन रहे हैं ना? बाहर बैठने वाले सुन रहे हैं, वह तो दिखाई नहीं देंगे। बापदादा ने सुना कि फारेन में सबसे ज्यादा आस्ट्रेलिया वाले रात के 12 बजे बैठते हैं और 4 बजे अमृतवेला करके उठते हैं। तो बापदादा ने भी आज आस्ट्रेलिया को याद किया। सुन रहे हैं। यहाँ आस्ट्रेलिया वाले हैं हाथ उठाओ। त्रिमूर्ति मुबारक पहले आस्ट्रेलिया को फिर सभी को।

इस वर्ष का लक्ष्य तो बताया – सफल करो, सफलता है ही। यह सभी ने पक्का किया? सफल करना है। व्यर्थ नहीं। संगमयुग समर्थ युग है, सफलता का युग है, व्यर्थ का नहीं है। व्यर्थ के 63 जन्म समाप्त हुए। अब यह छोटा सा युग सफल करने का युग है। अगर समय सफल करेंगे तो भविष्य में भी आधाकल्प का पूरा समय राज्य अधिकारी बनेंगे। अगर कभी-कभी सफल करेंगे तो राज्य अधिकारी भी कभी-कभी बनेंगे। समय सफल की प्रालब्ध यह है। श्वांस सफल कर रहे हो तो 21 जन्म ही स्वस्थ रहेंगे। चलते-चलते हार्टफेल नहीं होगी। किसकी हार्ट रूक जाती, किसकी नलियां बन्द हो जाती, वह नहीं होगी।

ज्ञान के खजाने को भी सफल करो तो ज्ञान का अर्थ है समझ, वहाँ इतने समझदार बन जायेंगे जो कोई मत्रियों की जरूरत नहीं है। आजकल तो देखो शपथ लेते ही पहले मत्रीमण्डल बनाते हैं। वहाँ साथी होंगे लेकिन मत्री नहीं होगे। रॉयल फैमिली हर एक दरबार में बैठने वाले ताजधारी होंगे। रॉयल फैमिली कम नहीं होगी, चाहे तख्त पर नहीं भी बैठे लेकिन मर्तबा एक ही जैसा होगा इसलिए यह नहीं सोचो कि तख्तनशीन बहुत थोड़े बनेंगे लेकिन आप लोग भी राज दरबार में राज्य अधिकारी के रूप में होंगे। आपके सिर पर भी ताज होगा और आपका पूरा अधिकार होगा। तो क्या बनेंगे? नम्बरवन या नम्बरवार, क्या बनेंगे? नम्बरवार बनेंगे या नम्बरवन बनेंगे? तो क्या करना पड़ेगा, पता है? हिम्मत दिखाई, यह बहुत अच्छा है। लेकिन वन नम्बर बनने के लिए पहले विन करना पड़ेगा। कर रहे हैं ना! करेंगे, यह नहीं कहना, कर रहे हैं। दूसरे भी सुन रहे हैं। आज सुना कि पुराने सिन्ध के ब्रह्मा के साथी बहुत आये हैं। हाथ उठाओ। छोटे बच्चे उठो, परिवार के परिवार आये हैं। अच्छा। कोई कमाल दिखायेंगे ना! क्या दिखायेंगे? (मैसेज देंगे) वह तो कर ही रहे हो। अच्छा 38 आये हैं, तो क्या कमाल करेंगे? चलो ज्यादा नहीं कहते हैं, छोटी सी बात कहते हैं, करने के लिए तैयार हो? बच्चे भी कमाल करेंगे ना? (38 लाख बनायेंगे) पदमगुणा मुबारक हो। आपने तो बड़ी बात बता दी लेकिन बापदादा छोटी बात कहते हैं वह एक एक, एक को लाओ। लाना है? एक, एक को लाओ। बच्चे हैं तो बच्चों को लाओ। मातायें हैं तो भाई या बहन को लायें, लेकिन एक-एक को एक लाना है। यह ग्रुप देख लो, आप इसको गाइड करना, अगले साल लेकर ही आना, डबल ग्रुप लेकर आना। बापदादा यही चाहते हैं कि जहाँ से आदि हुई, वहाँ ही प्रत्यक्षता होनी है। रहम आता है ना! ब्रह्मा बाप के देश के वासी हो तो देश वासियों से प्यार होता है।

आपके पास खजाने बहुत हैं, गुणों का खजाना कितना बड़ा है, शक्तियों का खजाना कितना बड़ा है। तो गुण दान, शक्तियों का दान करने वाले मास्टर दाता बनो। जो भी आये चाहे सम्बन्ध में आये, चाहे सम्पर्क में आये लेकिन उनको कोई न कोई गुण या शक्ति की गिफ्ट दे देना। कोई खाली हाथ नहीं जाये। और कुछ नहीं तो बाप के सन्देश के मीठे बोल, वह मीठे बोल भी गिफ्ट देना। दुनिया वाले तो कोई भी उत्सव होता है ना तो एक दो को मुख मीठा कराते हैं। लेकिन बापदादा कहते हैं मुख मीठा तो कराना ही है लेकिन अपना मीठा मुखड़ा भी दिखाना है। सिर्फ मुख मीठा नहीं, मुखड़ा भी मीठा। इतनी मधुरता जमा है ना! जो बांटो तो भी भरपूर रहो और इस खजाने को तो जितना बांटेंगे उतना बढ़ेगा, कम नहीं होगा। तो इस वर्ष नोट करना, जो भी आत्मा आई उसको कुछ दिया? अगर सुनने वाला नहीं है तो मीठी शक्तिशाली दृष्टि देना। लेकिन देना जरूर। खाली नहीं जाये। यह तो सहज है ना! या मुश्किल है?

अच्छा – एक सेकण्ड में मन की ड्रिल याद है? हर एक सारे दिन में कितने बार यह ड्रिल करते हो? यह नोट करो। यह मन की ड्रिल जितना बार करेंगे उतना ही सहज योगी, सरल योगी बनेंगे। एक तरफ मन्सा सेवा दूसरे तरफ मन्सा एक्सरसाइज़। अभी-अभी निराकारी, अभी-अभी फरिश्ता। ब्रह्मा बाप आप फरिश्तों का आह्वान कर रहे हैं। फरिश्ता बनके ब्रह्मा बाप के साथ अपने घर निराकार रूप में चलना फिर देवता बन जाना। अच्छा।

चारों तरफ से बहुत-बहुत यादप्यार चाहे कार्ड के रूप में, चाहे पत्रों के रूप में बापदादा के पास पहुंच गये हैं। बापदादा जानते हैं कि हर बच्चा यही समझते हैं मेरी याद बाबा को देना, लेकिन मिल गई है। यादप्यार देने वाले बहुत लाडले बच्चे बापदादा के सामने हैं इसलिए बापदादा कहते हैं कि हर एक बच्चा अपने-अपने नाम से मुबारक और दिल की दुआयें स्वीकार करे।

आप सभी को भी नव जीवन, नव युग और नये वर्ष की बहुत-बहुत पदम-पदम-पदम-पदमगुणा मुबारक और दिल की दुआयें हैं, यादप्यार और नमस्ते।

बापदादा ने सभी बच्चों को नये वर्ष की बधाई दी:-

चारों ओर के बहुत मीठे, बहुत प्यारे बच्चों को पदम-पदम गुणा न्यू ईयर की मुबारक हो। यह जो घड़ी बीत गई, यह है विदाई और बधाई की घड़ी। एक तरफ विदाई देनी है, जो अपने में सम्पन्न बनने में कमी अनुभव करते हो, उसको विदाई, सदा के लिए विदाई देना और आगे उड़ने के लिए बधाई। बधाई हो, बधाई हो, बधाई हो। अच्छा – ओम् शान्ति।

वरदान:- स्मृति को अनुभव की स्थिति में स्थित करने वाले नम्बरवन विशेष आत्मा भव
सभी ब्राह्मण आत्माओं के अन्दर संकल्प रहता है कि हम विशेष आत्मा नम्बरवन बनें लेकिन संकल्प और कर्म के अन्तर को समाप्त करने के लिए स्मृति को अनुभव में लाना है। जैसे सुनना, जानना याद रहता है ऐसे स्वयं को उस अनुभव की स्थिति में लाना है इसके लिए स्वयं के और समय के महत्व को जान मन और बुद्धि को किसी भी अनुभव की सीट पर सेट कर लो तो नम्बरवन विशेष आत्मा बन जायेंगे।
स्लोगन:- बुराई की रीस को छोड़ अच्छाई की रेस करो।

इस नये वर्ष में सर्व खजाने सफल कर सफलतामूर्ति बनने की प्रेरणा


प्रश्न और उत्तर:

  1. प्रश्न: बापदादा ने नव वर्ष के साथ कौन-कौन से विशेष उत्सव का उल्लेख किया है?
    उत्तर: बापदादा ने नव जीवन, नव युग, और नव वर्ष के उत्सव का उल्लेख किया है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मण आत्माएँ इन तीनों को एक साथ मनाती हैं।
  2. प्रश्न: बापदादा द्वारा दी गई सबसे बड़ी गिफ्ट कौन सी है?
    उत्तर: बापदादा ने सभी ब्रह्मण आत्माओं को गोल्डन वर्ल्ड (सतयुग) की गिफ्ट दी है, जहाँ हर आत्मा को सर्व प्राप्तियाँ उपलब्ध होती हैं।
  3. प्रश्न: संगमयुग को बापदादा ने क्या विशेष नाम दिया है और क्यों?
    उत्तर: संगमयुग को बापदादा ने “मौज़ों का युग” कहा है क्योंकि इसमें परमात्मा मिलन का विशेष सुख और उमंग-उत्साह है, जो पूरे कल्प में नहीं मिलता।
  4. प्रश्न: सहज योगी और मुश्किल योगी में क्या अंतर है?
    उत्तर: सहज योगी वे हैं जो सरलता और स्वाभाविकता से योग और पुरुषार्थ करते हैं। मुश्किल योगी वे हैं जो अलबेले या प्रयास में कठिनाई अनुभव करते हैं।
  5. प्रश्न: इस वर्ष का मुख्य लक्ष्य क्या बताया गया है?
    उत्तर: इस वर्ष का मुख्य लक्ष्य है – सभी खजानों को सफल करना और सफलता को प्राप्त करना। इसमें समय, संकल्प, गुण, ज्ञान, और शक्तियों के खजाने को विशेष रूप से सफल बनाना शामिल है।
  6. प्रश्न: बापदादा ने समय के सफल उपयोग का क्या महत्व बताया?
    उत्तर: बापदादा ने कहा कि संगमयुग का हर संकल्प और सेकंड सफल करना, भविष्य के गोल्डन वर्ल्ड में पूर्ण राज्य अधिकारी बनने का आधार बनता है।
  7. प्रश्न: बापदादा के अनुसार सफलता मूर्त बनने के लिए क्या करना आवश्यक है?
    उत्तर: सफलता मूर्त बनने के लिए बापदादा ने कहा कि अपने संकल्प और कर्म के बीच का अंतर समाप्त कर, स्मृति को अनुभव की स्थिति में लाना आवश्यक है।
  8. प्रश्न: “बुराई की रीस छोड़ अच्छाई की रेस करो” स्लोगन का क्या अर्थ है?
    उत्तर: इसका अर्थ है कि हमें दूसरों की बुराइयों की नकल करने के बजाय अच्छाई और श्रेष्ठता में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।
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