(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
तुलसी विवाह :-(01)तुलसी विवाह का सच्चा आध्यात्मिक रहस्यआत्मा और परम आत्मा का संगम
अध्याय 1: तुलसी विवाह – क्या है और क्यों होता है?
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देखा होगा कि हर साल कार्तिक मास में तुलसी विवाह होता है।
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देव उठनी एकादशी के दिन देवता जागते हैं और शुभ कार्य जैसे विवाह शुरू होते हैं।
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पुराने समय में बरसात और कठिनाइयों के कारण देवता चार महीने सोते रहते थे। इस दौरान बड़े काम नहीं होते।
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तुलसी विवाह के माध्यम से भक्ति और योग की यात्रा शुरू होती है।
उदाहरण:
जैसे देवता जागते ही शुभ कार्य शुरू होते हैं, वैसे ही आत्मा जब परमात्मा की स्मृति में जागती है तो उसका जीवन आध्यात्मिक फल देने लगता है।
अध्याय 2: तुलसी = आत्मा
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मुरली 11 नवंबर 2018: “आत्मा सदा पवित्र तुलसी के समान है।”
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तुलसी माता भक्ति, पवित्रता और समर्पण का प्रतीक हैं।
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जैसे तुलसी को रोज़ पानी और देखभाल से हरी-भरी रखा जाता है, वैसे ही आत्मा को रोज़ परमात्मा की स्मृति और योग से पवित्र और शक्तिशाली रखा जा सकता है।
उदाहरण:
तुलसी को अगर पानी न मिले तो सूख जाती है। उसी तरह, आत्मा को परमात्मा का स्मृति योग न मिले तो दिव्यता कमजोर हो जाती है।
अध्याय 3: विष्णु = परमात्मा शिव
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भक्ति में तुलसी का विवाह विष्णु या शालिग्राम से होता है।
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विष्णु ज्ञान और पूर्णता का प्रतीक हैं।
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ब्रह्मा, विष्णु, शंकर सभी आत्मा के दृष्टिकोण से एक ही रूप हैं और परमात्मा शिव के कार्य से उत्पन्न होते हैं।
उदाहरण:
जब आत्मा परमात्मा के निर्देश पर कर्म करती है, तो दिव्यता बढ़ती है और अवगुण धीरे-धीरे दूर होते जाते हैं।
अध्याय 4: तुलसी विवाह का आध्यात्मिक अर्थ
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विवाह = योग और संपूर्ण समर्पण
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तुलसी-विष्णु विवाह = आत्मा का परमात्मा से मिलाप
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भक्ति के माध्यम से आत्मा और परमात्मा का संगम होता है।
मुरली नोट:
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9 नवंबर 2019: “बाबा से योग लगाते रहो तो तुलसी समान पवित्रता का पुष्प खिलता रहेगा।”
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विवाह के बाद दो जीवन एक उद्देश्य में जुड़ते हैं, वैसे ही योग के बाद आत्मा और परमात्मा का लक्ष्य सृष्टि सुधार होता है।
अध्याय 5: संगम युग में तुलसी विवाह
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तुलसी विवाह भौतिक नहीं, बल्कि आत्मिक योग विवाह है।
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मुरली 8 नवंबर 2018: “मैं आकर बच्चों से योग विवाह करता हूं।”
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इस विवाह से आत्मा हमेशा के लिए सुखी, पवित्र और प्रेमपूर्ण बनती है।
निष्कर्ष: तुलसी विवाह का सच्चा अर्थ
| प्रतीक | अर्थ |
|---|---|
| तुलसी | आत्मा |
| विष्णु | परमात्मा (शिव का बीज रूप) |
| विवाह | योग, संपूर्ण समर्पण |
| तुलसी-विष्णु विवाह | डिवाइन कनेक्शन, आत्मा का परमात्मा से मिलाप |
सच्चा तुलसी विवाह = आत्मा का परमात्मा से योग और दिव्यता प्राप्त करना, जहां आत्मा अपने मूल स्वरूप – शुद्धता, प्रेम और शांति – को अनुभव करती है।
तुलसी विवाह का आध्यात्मिक रहस्य – Q&A
अध्याय 1: तुलसी विवाह – क्या है और क्यों होता है?
Q1. तुलसी विवाह कब और क्यों किया जाता है?
A: तुलसी विवाह हर साल कार्तिक मास में किया जाता है। यह देव उठनी एकादशी से शुरू होता है, जब देवता जागते हैं और शुभ कार्य जैसे विवाह शुरू होते हैं। पुराने समय में बरसात और कठिनाइयों के कारण देवता चार महीने सोते रहते थे, इसलिए इस दौरान बड़े कार्य नहीं होते थे।
Q2. तुलसी विवाह का आध्यात्मिक महत्व क्या है?
A: तुलसी विवाह भक्ति और योग की यात्रा की शुरुआत है। जैसे देवता जागते ही शुभ कार्य होते हैं, वैसे ही आत्मा जब परमात्मा की स्मृति में जागती है तो उसका जीवन आध्यात्मिक फल देने लगता है।
उदाहरण: देवता जागते ही कार्य प्रारंभ होते हैं। इसी प्रकार, जब आत्मा परमात्मा की स्मृति योग में जागती है, तो उसके कर्म और जीवन में दिव्यता आती है।
अध्याय 2: तुलसी = आत्मा
Q3. तुलसी का आत्मा से क्या संबंध है?
A: मुरली 11 नवंबर 2018 के अनुसार, “आत्मा सदा पवित्र तुलसी के समान है।” तुलसी माता भक्ति, पवित्रता और समर्पण का प्रतीक हैं। आध्यात्मिक दृष्टि से तुलसी आत्मा का प्रतिनिधित्व करती है, जो परमात्मा से मिलने की लालसा रखती है।
Q4. आत्मा और तुलसी में समानता कैसे है?
A: जैसे तुलसी को रोज़ पानी और देखभाल से हरी-भरी रखा जाता है, वैसे ही आत्मा को रोज़ परमात्मा की स्मृति और योग से पवित्र और शक्तिशाली रखा जा सकता है।
उदाहरण: यदि तुलसी को पानी न मिले तो वह सूख जाती है। उसी प्रकार, यदि आत्मा को परमात्मा का स्मृति योग न मिले, तो उसकी दिव्यता कमजोर हो जाती है।
अध्याय 3: विष्णु = परमात्मा शिव
Q5. तुलसी का विवाह विष्णु से क्यों होता है?
A: भक्ति में तुलसी का विवाह विष्णु या शालिग्राम से किया जाता है। विष्णु ज्ञान और पूर्णता के प्रतीक हैं। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर सभी आत्मा के दृष्टिकोण से एक ही रूप हैं और परमात्मा शिव के कार्य से उत्पन्न होते हैं।
Q6. परमात्मा के निर्देश का आत्मा पर क्या प्रभाव पड़ता है?
A: जब आत्मा परमात्मा के निर्देश पर कर्म करती है, तो उसकी दिव्यता बढ़ती है और अवगुण धीरे-धीरे दूर होते जाते हैं।
उदाहरण: जैसे आत्मा परमात्मा के आदेश पर योग करती है, वैसे ही तुलसी हर दिन पानी और देखभाल से हरी रहती है।
अध्याय 4: तुलसी विवाह का आध्यात्मिक अर्थ
Q7. तुलसी-विष्णु विवाह का सच्चा अर्थ क्या है?
A: विवाह = योग और संपूर्ण समर्पण। तुलसी-विष्णु विवाह का अर्थ है आत्मा का परमात्मा से मिलाप। भक्ति के माध्यम से आत्मा और परमात्मा का संगम होता है।
मुरली नोट: 9 नवंबर 2019 – “बाबा से योग लगाते रहो तो तुलसी समान पवित्रता का पुष्प खिलता रहेगा।”
Q8. विवाह और योग के बाद आत्मा का क्या लक्ष्य होता है?
A: विवाह के बाद दो जीवन एक उद्देश्य में जुड़ते हैं। उसी तरह योग के बाद आत्मा और परमात्मा एक लक्ष्य में सृष्टि सुधार के भागी बनते हैं।
अध्याय 5: संगम युग में तुलसी विवाह
Q9. संगम युग में तुलसी विवाह किस प्रकार होता है?
A: तुलसी विवाह भौतिक नहीं, बल्कि आत्मिक योग विवाह है। इस समय परमात्मा शिव आते हैं और आत्माओं को पवित्र बनाते हैं।
मुरली नोट: 8 नवंबर 2018 – “मैं आकर बच्चों से योग विवाह करता हूं।”
Q10. तुलसी विवाह से आत्मा को क्या लाभ मिलता है?
A: इस विवाह से आत्मा हमेशा के लिए सुखी, पवित्र और प्रेमपूर्ण बनती है।
निष्कर्ष: तुलसी विवाह का सच्चा आध्यात्मिक अर्थ
| प्रतीक | अर्थ |
|---|---|
| तुलसी | आत्मा |
| विष्णु | परमात्मा (शिव का बीज रूप) |
| विवाह | योग, संपूर्ण समर्पण |
| तुलसी-विष्णु विवाह | डिवाइन कनेक्शन, आत्मा का परमात्मा से मिलाप |
सच्चा तुलसी विवाह = आत्मा का परमात्मा से योग और दिव्यता प्राप्त करना, जहां आत्मा अपने मूल स्वरूप – शुद्धता, प्रेम और शांति – को अनुभव करती है।Disclaimer:
यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ के आध्यात्मिक शिक्षाओं और मुरली के आधार पर बनाया गया है। इसमें धार्मिक परंपराओं के प्रतीकात्मक और आध्यात्मिक अर्थ को समझाया गया है। इसे किसी भौतिक या सामाजिक नियम के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।
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