(01) What was the early life span of humans like?

(01) मानव का आदि जीवन काल कैसा था

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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बहुत बढ़िया विषय लिया है आपने—”मानव का आदि जीवन कैसा था?”
अब इसे हम  फ्रेंडली, विजुअल-इमेजिनेशन और सरल भाषा में एक दमदार वीडियो स्क्रिप्ट के रूप में प्रस्तुत करते हैं।


“क्या इंसान बंदर से बना? | मानव की असली शुरुआत | 

क्या सच में हम बंदरों से इंसान बने हैं?
क्या जीवन की शुरुआत पानी से हुई थी?
या फिर… इस सृष्टि की एक दिव्य और चक्रवात रूप में शुरुआत हुई थी?
आज हम जानेंगे वो सच, जो विज्ञान नहीं बता पाया—परमात्मा ने बताया।

आज तक हमने जो सुना और पढ़ा, वो है डार्विन का “Evolution Theory”।
पहले सिंगल सेल जीव, फिर मछली, फिर जलचर, थलचर… और फिर बंदर से मनुष्य।
फिर गुफाएं, खेती, और धीरे-धीरे आधुनिक सभ्यता।
इसका सार क्या है? हम ‘नीचे से ऊपर’ गए। हमने विकास किया।

🌀 लेकिन एक दूसरा सिद्धांत भी है…
वो कहता है कि हम “ऊपर से नीचे” आए हैं।
हम परफेक्ट थे, अब गिरते-गिरते आज के हालात में आ गए हैं।

तो सच क्या है?अब खुद उस परमपिता परमात्मा ने आकर हमें सच्चा इतिहास बताया है।

परमात्मा कहते हैं—“बच्चे, मैं शून्य से कुछ नहीं बनाता।”
“जो कुछ है, उसी से कुछ बनता है।”
यह सृष्टि अनादि है—हमेशा से है और हमेशा रहेगी।
यह एक चक्र में चलती है—जो बार-बार रिपीट होता है।इस चक्र की शुरुआत होती है एक परफेक्ट, पावन दुनिया से—सत्ययुग
जहां मनुष्य देवी-गुणों से भरपूर होते हैं,
जहां कोई दुख, रोग, युद्ध नहीं होता।
एक ही कॉन्टिनेंट था—जिसे आज के वैज्ञानिक ‘Pangea’ कहते हैं।

✨ सत्ययुग के मनुष्य इतने दिव्य होते हैं कि उनके शरीर भी प्रकाशमय होते हैं।
उनका जीवन श्रेष्ठ, शुद्ध और परमात्मा से जुड़ा होता है।लेकिन समय के साथ ये आत्माएं गिरती जाती हैं।
चक्र चलता है—त्रेता, द्वापर और फिर कलियुग आता है।
आज हम उस चक्र के अंतिम स्टेज, यानी कलियुग में हैं—तमोप्रधान अवस्था में।

🌪️ धरती पर दुख, रोग, डर और असुरक्षा का वातावरण है।
हर धर्म, हर आत्मा परमात्मा को पुकार रही है—“हे भगवान, हमें बचाओ!”अब वह समय है जब परमात्मा इस धरती पर आते हैं—ज्ञान देने और आत्माओं को पावन बनाने।
वो ज्ञान देते हैं—कैसे ये दुनिया फिर से वैसी ही पवित्र बन सकती है।परमात्मा ने बताया:
आख़िरी समय में ये धरती आग का गोला बन जाती है।
बम्स और मिसाइल्स चलेंगे—पानी भाप बनेगा, ओजोन लेयर रिपेयर होगी, और फिर धरती ठंडी होकर नई दुनिया के लिए तैयार होगी।

इस प्रोसेस में धरती शुद्ध होती है—वायु, जल, मृदा—सब कुछ।
फिर एक नया चक्र शुरू होता है—फिर से सत्ययुग की स्थापना।अब एक बात ध्यान रखें—इतिहास हमें द्वापर से ही उपलब्ध है।
सत्ययुग और त्रेता का इतिहास लिखित नहीं, मौखिक रहा—जैसे वेदों को “श्रुति” कहा गया।
2000 साल से पहले का कोई पक्का प्रमाण आज तक नहीं है।

🌍 और अलग-अलग कॉन्टिनेंट्स की खोज भी केवल 1490 के बाद हुई—जब पानी के जहाज बने।तो यह थी असली कहानी हमारे आदि जीवन की—
हम परफेक्ट थे, देवता थे…
और अब फिर से उसी स्थिति में जाने का समय है।

🧘 परमात्मा हमें फिर से पढ़ा रहे हैं—स्वयं को पहचानो, उन्हें याद करो, और पावन बनो।

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 “बंदर से इंसान? या देवता से मनुष्य?”एक ओर  का बंदर-से-इंसान ग्राफ, दूसरी ओर देवता का तेजस्वी चित्र।

“मानव का आदि जीवन कैसा था?” | सवाल-जवाब

❓Q1: क्या इंसान सच में बंदरों से बना है?
Answer:नहीं। ये सिर्फ डार्विन का एक वैज्ञानिक सिद्धांत है।
परमात्मा का ज्ञान कहता है कि हम पहले से ही परफेक्ट मनुष्य थे—देवता जैसे। हम ऊपर से नीचे गिरे हैं, नीचे से ऊपर नहीं गए।


❓Q2: फिर जीवन की असली शुरुआत कहां से हुई थी?
Answer:जीवन की शुरुआत एक पावन, परफेक्ट दुनिया से हुई—जिसे सत्ययुग कहते हैं।
वहां मनुष्य दिव्यता से भरे थे, उनका जीवन शांत, सुखी और आध्यात्मिक था।


❓Q3: डार्विन की Evolution Theory क्या कहती है?
Answer:वो कहती है कि जीवन एक कोशिका (cell) से शुरू हुआ, फिर मछली, फिर रेंगने वाले जीव, फिर बंदर और फिर इंसान।
इसका मतलब है “नीचे से ऊपर” विकास।
लेकिन यह सिद्धांत अधूरा है—इसमें आत्मा और परमात्मा की बात नहीं है।


❓Q4: Brahma Kumaris के अनुसार मनुष्य कैसे बने?
Answer:हम पहले से ही मनुष्य थे—संपूर्ण, शक्तिशाली, दिव्य आत्माएं।
हम देवता स्वरूप थे। समय के चक्र में हमारी शक्ति कम होती गई और हम आज की स्थिति में आ गए।


❓Q5: सत्ययुग कैसा था?
Answer:वो एक स्वर्ग जैसा समय था।

  • वहां एक ही धर्म था

  • एक ही भाषा थी

  • युद्ध, रोग, दुख नाम की चीज़ नहीं थी

  • धरती एक कॉन्टिनेंट (Pangea) जैसी थी

  • मनुष्य का शरीर प्रकाशमय और शक्तिशाली था।


❓Q6: हम गिरते कैसे गए?
Answer:जैसे-जैसे आत्मा पुनर्जन्म लेती है, उसकी पवित्रता और शक्ति घटती जाती है।
सत्ययुग → त्रेता → द्वापर → कलियुग
अब हम कलियुग के अंत में हैं, जहां आत्माएं तमोप्रधान हो गई हैं।


❓Q7: क्या परमात्मा इस चक्र को फिर से शुरू करते हैं?
Answer:जी हां।जब दुनिया बहुत गिर जाती है, तब परमात्मा स्वयं इस धरती पर आते हैं।
वो ज्ञान देते हैं, याद का मार्ग सिखाते हैं और आत्माओं को फिर से पवित्र बनाते हैं।


❓Q8: नई दुनिया कैसे बनेगी?
Answer:जब विनाश होगा—बम, युद्ध, प्राकृतिक प्रलय—तब धरती की सफाई होगी।
ओजोन लेयर, जल, वायु, सब शुद्ध होंगे।
और फिर सत्ययुग का चक्र फिर से शुरू होगा।


❓Q9: हमें क्या करना है?
Answer:हमें आत्मा को पहचानकर परमात्मा को याद करना है।
योग, ज्ञान और सेवा के माध्यम से पवित्र बनना है।
ताकि हम भी नई दुनिया के निवासी बन सकें।


❓Q10: सत्ययुग और त्रेता का कोई प्रमाण क्यों नहीं है?
Answer:क्योंकि उस समय लिखित इतिहास नहीं था—वो युग श्रुति पर आधारित था।
द्वापर से ही इतिहास लिखा जाना शुरू हुआ।
इसलिए पुरातन समय की यादें सिर्फ धर्मों की कथाओं और वेदों में मिलती हैं।

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