(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
छठ पूजा का असली अर्थ- (01)”क्या हम सूर्य की नहीं, आत्मा की आराधना कर रहे हैं।”
अध्याय: “क्या हम सूर्य की नहीं, आत्मा की आराधना कर रहे हैं? — छठ पूजा का आध्यात्मिक रहस्य”
1. परिचय: छठ पूजा और उसकी महत्ता
छठ पूजा भारत के प्रमुख पर्वों में से एक है, विशेषकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में इसे आस्था के साथ मनाया जाता है।
आम दृष्टि से इसे सूर्य उपासना के रूप में देखा जाता है, लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से इसका मूल संदेश आत्मा और परमात्मा की जागृति है।
उदाहरण: हर सुबह सूर्य की पहली किरण अंधकार मिटा देती है। वैसे ही, जब ज्ञान सूर्य, शिव का ज्ञान हमारे जीवन में प्रवेश करता है, तो अज्ञान रूपी अंधकार समाप्त हो जाता है।
मुरली नोट:
14 नवंबर 2023 — “बाप वो ज्ञान सूर्य है जो अंधियारे को मिटाता है। जब बाप का परिचय मिल जाता है, तब सच्चा प्रकाश फैलता है।”
2. छठ पूजा का वास्तविक उद्देश्य
छठ पूजा का मूल उद्देश्य है:
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शुद्धता
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संयम
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सूर्य (परमात्मा) से एकत्व की भावना
ब्रह्मा कुमार दृष्टिकोण: यहाँ सूर्य का अर्थ परमात्मा शिव है, जो आत्मा को ज्ञान और शक्ति का प्रकाश देते हैं।
उदाहरण:
हम बाहर सूर्य की पूजा करते हैं ताकि जीवन में ऊर्जा आए। लेकिन जब हम परम ज्ञान सूर्य, शिव बाबा को याद करते हैं और उनकी श्रीमत पर चलते हैं, तो आत्मा में आंतरिक ऊर्जा और पवित्रता भर जाती है।
मुरली नोट:
8 मई 2024 — “मैं ही ज्ञान सूर्य हूं। तुम आत्माओं को अपनी किरणों से शक्ति और राज्य का अधिकार देता हूं। तुम्हें मैं शक्ति देता हूं और राज्य का अधिकार देता हूं।”
3. जल अर्पण: भक्ति और अहंकार का विसर्जन
छठ पूजा में लोग सूर्य को जल अर्पित करते हैं।
-
केवल भक्ति नहीं, बल्कि अहंकार का विसर्जन भी है।
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झुकना = अहंकार समाप्त करना
उदाहरण:
जल बहता है, वैसे ही जीवन में भी हमें प्रवाहशीलता बनाए रखनी चाहिए।
अहंकार और आसक्ति से मुक्त होकर कर्म करते रहना चाहिए।
मुरली नोट:
25 फरवरी 2024 — “समर्पण का अर्थ है मैं नहीं, बाप ही करता है। ऐसे बनो तो सुख का सागर बन जाए।”
4. स्नान: शरीर और मन की शुद्धि
नदी या तालाब में स्नान केवल शरीर की सफाई नहीं, बल्कि मन की शुद्धि का संकेत है।
उदाहरण: ज्ञान की गंगा मन को निर्मल बनाती है।
मुरली नोट:
17 मार्च 2024 — “ये ज्ञान गंगा जल से भी महान है। यह ज्ञान सूर्य शिव बाबा परमधाम से आकर दे रहे हैं।”
5. सूर्य उपासना या आत्मा उपासना?
सुभक्त सूर्य को प्रणाम करते हैं, तो अनजाने में प्रकाश का आदर करते हैं।
ज्ञान कहता है सूर्य केवल प्रतीक है।
-
असली प्रकाश = आत्मा और परमात्मा का मिलन
उदाहरण:
जैसे दर्पण सूर्य का प्रकाश दिखाता है, वैसे ही आत्मा परमात्मा के प्रकाश को प्रतिबिंबित करती है।
मुरली नोट:
9 दिसंबर 2023 — “शुद्धता ही मां है। जो शुद्ध है वही दुनिया को पवित्र बना सकता है।”
6. छठी माया और संयम
सच्ची माया = शक्ति का प्रतीक, जो आत्मा में श्रद्धा, संयम और शुद्धता जगाती है।
उदाहरण:
जैसे मां अपने बच्चे को साफ-सुथरा रखती है, वैसे ही छठी माया आत्मा को शुद्ध विचारों से सजाती है।
मुरली नोट:
6 अप्रैल 2024 — “जितना संयम और मर्यादा में रहोगे, उतना ही सहज योग लगेगा। मर्यादा ही आत्मा की सुरक्षा है।”
7. सच्चा संदेश
-
बाहरी सूर्य नहीं, आंतरिक परमात्मा की उपासना करें।
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जब आत्मा परमात्मा से योग लगाती है, तब मिलता है नया जन्म, अर्थात नया जीवन।
समापन विचार:
छठ पूजा का सार यही है कि सूर्य की ओर देखकर आत्मा के प्रकाश को जगाना।
बाहरी सूर्य कुछ समय बाद अस्त हो जाता है, परंतु परमात्मा का ज्ञान सूर्य कभी नहीं।
जब हम याद करते हैं — “मैं आत्मा हूं, शिव बाबा मेरा पिता है”, यही असली छठ पूजा है।
अध्याय: “क्या हम सूर्य की नहीं, आत्मा की आराधना कर रहे हैं? — छठ पूजा का आध्यात्मिक रहस्य”
1. परिचय: छठ पूजा और उसकी महत्ता
Q1. छठ पूजा भारत में क्यों महत्वपूर्ण है?
A: छठ पूजा भारत के प्रमुख पर्वों में से एक है। विशेषकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में इसे आस्था के साथ मनाया जाता है।
Q2. क्या छठ पूजा केवल सूर्य की उपासना है?
A: सामान्य दृष्टि से इसे सूर्य उपासना माना जाता है, लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से इसका मूल संदेश आत्मा और परमात्मा की जागृति है।
Q3. इसका उदाहरण क्या है?
A: जैसे हर सुबह सूर्य की पहली किरण अंधकार मिटा देती है, वैसे ही ज्ञान सूर्य, शिव का ज्ञान जीवन में अज्ञान रूपी अंधकार मिटाता है।
मुरली नोट:
14 नवंबर 2023 — “बाप वो ज्ञान सूर्य है जो अंधियारे को मिटाता है। जब बाप का परिचय मिल जाता है, तब सच्चा प्रकाश फैलता है।”
2. छठ पूजा का वास्तविक उद्देश्य
Q4. छठ पूजा का मूल उद्देश्य क्या है?
A: छठ पूजा का मूल उद्देश्य है:
-
शुद्धता
-
संयम
-
सूर्य (परमात्मा) से एकत्व की भावना
Q5. ब्रह्मा कुमार दृष्टिकोण में सूर्य का क्या अर्थ है?
A: सूर्य का अर्थ परमात्मा शिव है, जो आत्मा को ज्ञान और शक्ति का प्रकाश देते हैं।
Q6. इसका उदाहरण क्या है?
A: हम बाहरी सूर्य की पूजा करके ऊर्जा प्राप्त करते हैं। लेकिन जब हम शिव बाबा को याद करते हैं और उनकी श्रीमत पर चलते हैं, तो आत्मा में आंतरिक ऊर्जा और पवित्रता भर जाती है।
मुरली नोट:
8 मई 2024 — “मैं ही ज्ञान सूर्य हूं। तुम आत्माओं को अपनी किरणों से शक्ति और राज्य का अधिकार देता हूं। तुम्हें मैं शक्ति देता हूं और राज्य का अधिकार देता हूं।”
3. जल अर्पण: भक्ति और अहंकार का विसर्जन
Q7. छठ पूजा में जल अर्पण का क्या अर्थ है?
A: यह केवल भक्ति नहीं है, बल्कि अहंकार का विसर्जन भी है।
Q8. झुकना क्यों जरूरी है?
A: झुकना = अहंकार समाप्त करना। जब हम जल अर्पित करते हैं, तो यह संकेत है कि “मैं कुछ नहीं, सब कुछ परमात्मा का है।”
Q9. इसका जीवन में उदाहरण क्या है?
A: जैसे जल बहता है, वैसे ही जीवन में भी प्रवाहशीलता बनाए रखें। अहंकार और आसक्ति से मुक्त होकर कर्म करते रहना चाहिए।
मुरली नोट:
25 फरवरी 2024 — “समर्पण का अर्थ है मैं नहीं, बाप ही करता है। ऐसे बनो तो सुख का सागर बन जाए।”
4. स्नान: शरीर और मन की शुद्धि
Q10. छठ पूजा में स्नान का क्या महत्व है?
A: नदी या तालाब में स्नान केवल शरीर की सफाई नहीं है, बल्कि मन की शुद्धि का संकेत भी है।
Q11. इसका उदाहरण क्या है?
A: ज्ञान की गंगा मन को निर्मल बनाती है।
मुरली नोट:
17 मार्च 2024 — “ये ज्ञान गंगा जल से भी महान है। यह ज्ञान सूर्य शिव बाबा परमधाम से आकर दे रहे हैं।”
5. सूर्य उपासना या आत्मा उपासना?
Q12. क्या सूर्य उपासना का आध्यात्मिक अर्थ है?
A: सुभक्त सूर्य को प्रणाम करते हैं, लेकिन ज्ञान कहता है सूर्य केवल प्रतीक है। असली प्रकाश = आत्मा और परमात्मा का मिलन।
Q13. इसका उदाहरण क्या है?
A: जैसे दर्पण सूर्य का प्रकाश दिखाता है, वैसे ही आत्मा परमात्मा के प्रकाश को प्रतिबिंबित करती है।
मुरली नोट:
9 दिसंबर 2023 — “शुद्धता ही मां है। जो शुद्ध है वही दुनिया को पवित्र बना सकता है।”
6. छठी माया और संयम
Q14. छठी माया क्या है?
A: सच्ची माया शक्ति का प्रतीक है, जो आत्मा में श्रद्धा, संयम और शुद्धता जगाती है।
Q15. इसका उदाहरण क्या है?
A: जैसे मां अपने बच्चे को साफ-सुथरा रखती है, वैसे ही छठी माया आत्मा को शुद्ध विचारों से सजाती है।
मुरली नोट:
6 अप्रैल 2024 — “जितना संयम और मर्यादा में रहोगे, उतना ही सहज योग लगेगा। मर्यादा ही आत्मा की सुरक्षा है।”
7. सच्चा संदेश
Q16. छठ पूजा का सच्चा संदेश क्या है?
A: बाहरी सूर्य नहीं, आंतरिक परमात्मा की उपासना करें।
Q17. आत्मा और परमात्मा का योग क्यों आवश्यक है?
A: जब आत्मा परमात्मा से योग लगाती है, तब मिलता है नया जन्म, अर्थात नया जीवन।
Q18. असली छठ पूजा कैसे होती है?
A: जब हम याद करते हैं — “मैं आत्मा हूं, शिव बाबा मेरा पिता है”, और हर क्षण आत्मा में नया प्रकाश भरते हैं।
डिस्क्लेमर:
“यह वीडियो आध्यात्मिक दृष्टि से छठ पूजा और आत्मा-परमात्मा संबंध को समझाने के लिए बनाया गया है। इसमें धार्मिक परंपराओं का अपमान या विवाद करने का उद्देश्य नहीं है। सभी जानकारी ब्रह्मा कुमारि मुरली और आध्यात्मिक स्रोतों पर आधारित है।”
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