तुलसी विवाह :-(02)भक्ति की तुलसी से ज्ञान की देवी बनना सच्चा तुलसी विवाह कब होता है?
(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
अध्याय 1: तुलसी विवाह – बाहरी रस्म नहीं, आध्यात्मिक संदेश
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हर कार्तिक मास की एकादशी पर देशभर में श्रद्धा से तुलसी विवाह मनाया जाता है।
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तुलसी को देवी का स्वरूप मानकर उसका विवाह श्री विष्णु से किया जाता है।
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यह विवाह केवल बाहरी रस्म नहीं, बल्कि मन की शुद्धता और परमात्मा से योग का प्रतीक है।
मुख्य संदेश:
तुलसी भक्ति की पवित्र भावना का प्रतीक है।
उदाहरण:
जैसे तुलसी हर परिस्थिति में सुगंधित रहती है, वैसे ही सच्ची आत्मा विपरीत परिस्थितियों में भी श्रद्धा और स्नेह की सुगंध फैलाती है।
मुरली नोट:
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12 नवंबर 2019: “बच्चों, सच्ची भक्ति वही है जिसमें निस्वार्थ प्रेम हो। और सच्चा योग वही है जिसमें मन शिव में स्थिर हो।”
अध्याय 2: तुलसी = भक्ति और स्थिरता
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तुलसी का अर्थ है स्थिरता और सुगंध।
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भक्ति की तुलसी हमेशा मंदिर में रहती है, यानी वह परमात्मा के घर में रहना चाहती है।
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यह दर्शाता है कि आत्मा की गहराई में भी घर वापसी की चाह है – परमधाम की ओर लौटने की।
उदाहरण:
तुलसी माता की तरह आत्मा भी उस स्थान पर रहना चाहती है जहाँ शांति, प्रेम और दिव्यता का वास है।
अध्याय 3: विष्णु = परमात्मा शिव
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भक्ति में तुलसी का विवाह श्री विष्णु से होता है।
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ब्रह्मा कुमारी ज्ञान अनुसार, विष्णु कोई व्यक्ति नहीं बल्कि पूर्णता की अवस्था हैं।
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उस पूर्णता की प्राप्ति का बीज शिव परमात्मा संगम युग में डालते हैं।
मुरली नोट:
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14 नवंबर 2017: “मैं ही ज्ञान का सागर हूँ जो तुम बच्चों को फिर विष्णु समान बनाता हूँ।”
उदाहरण:
जैसे ज्ञान का सागर आत्मा को पूर्णता प्रदान करता है, वैसे ही तुलसी का विवाह परमात्मा से होने पर आत्मा दिव्यता प्राप्त करती है।
अध्याय 4: तुलसी विवाह का वास्तविक अर्थ
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तुलसी विवाह तब होता है जब आत्मा का मिलन शिव बाबा से होता है।
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ज्ञान, पवित्रता और योग की शक्ति के माध्यम से आत्मा और परमात्मा का मिलन होता है।
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जब आत्मा अपने मन को काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार से मुक्त करती है, तब वह सच्ची परमात्मा की दुल्हन बनती है।
मुरली नोट:
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15 नवंबर 2020: “मैं आया हूँ तुम आत्माओं को पवित्र बनाने। जब तुम मनसा, वाचा, कर्मणा पवित्र हो जाते हो, तो मैं तुम्हें अपना बनाता हूँ।”
उदाहरण:
जैसे विवाह में दुल्हन पुराने घर को छोड़कर नई जिंदगी शुरू करती है, वैसे ही आत्मा पुराने संस्कारों को त्यागकर नई दिव्य अवस्था में प्रवेश करती है।
अध्याय 5: तुलसी विवाह = आत्मा का दिव्यता उत्सव
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आत्मा की दिव्यता का सच्चा उत्सव तब होता है जब ज्ञान का दीप जलता है और अंधकार रूपी अज्ञान मिट जाता है।
मुरली नोट:
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12 नवंबर 2022: “बच्चे अपने मन के दीपक को योग से भर दो, क्योंकि वही दीप आत्मा को फिर से ज्योतिर्मय बनाता है।”
मुख्य संदेश:
भक्ति की तुलसी से ज्ञान की देवी बनो – भावनाओं से समझो और जीवन में उतारो।
समापन: अनंत विवाह
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तुलसी विवाह हमें याद दिलाता है कि हम केवल शरीर नहीं, बल्कि परमात्मा के संतान हैं।
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जब हम शिव से योग संबंध जोड़ते हैं, तो यही सच्चा और अनंत विवाह है।
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अनंत विवाह का मतलब है ऐसा विवाह जिसका अंत न हो, जो पूरे कल्प तक चलता है।
मुरली नोट:
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14 नवंबर 2018: “संगम युग ही सच्चा विवाह काल है। जब आत्मा शिव के संग योग लगाती है और सदा सुखी बनती है।”
निष्कर्ष:
तुलसी विवाह केवल परंपरा नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा का दिव्य संगम है। यह विवाह हमें हमारी मूल दिव्यता, प्रेम और शांति की ओर ले जाता है।
तुलसी विवाह का आध्यात्मिक संदेश – Q&A
अध्याय 1: तुलसी विवाह – बाहरी रस्म नहीं, आध्यात्मिक संदेश
Q1. तुलसी विवाह कब और क्यों मनाया जाता है?
A: हर कार्तिक मास की एकादशी पर देशभर में श्रद्धा से तुलसी विवाह मनाया जाता है। तुलसी को देवी का स्वरूप मानकर उसका विवाह श्री विष्णु से किया जाता है। यह केवल बाहरी रस्म नहीं, बल्कि मन की शुद्धता और परमात्मा से योग का प्रतीक है।
Q2. तुलसी विवाह का मुख्य संदेश क्या है?
A: तुलसी भक्ति की पवित्र भावना का प्रतीक है। यह बताता है कि सच्ची आत्मा विपरीत परिस्थितियों में भी श्रद्धा और स्नेह की सुगंध फैलाती है।
उदाहरण:
जैसे तुलसी हर परिस्थिति में सुगंधित रहती है, वैसे ही सच्ची आत्मा विपरीत परिस्थितियों में भी पवित्र भावनाओं का प्रकाश फैलाती है।
मुरली नोट:
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12 नवंबर 2019: “बच्चों, सच्ची भक्ति वही है जिसमें निस्वार्थ प्रेम हो। और सच्चा योग वही है जिसमें मन शिव में स्थिर हो।”
अध्याय 2: तुलसी = भक्ति और स्थिरता
Q3. तुलसी का अर्थ और महत्व क्या है?
A: तुलसी का अर्थ है स्थिरता और सुगंध। भक्ति की तुलसी हमेशा मंदिर में रहती है, यानी वह परमात्मा के घर में रहना चाहती है। यह आत्मा की गहराई में घर वापसी की चाह – परमधाम की ओर लौटने की – को दर्शाता है।
उदाहरण:
तुलसी माता की तरह आत्मा भी उस स्थान पर रहना चाहती है जहाँ शांति, प्रेम और दिव्यता का वास है।
अध्याय 3: विष्णु = परमात्मा शिव
Q4. तुलसी का विवाह श्री विष्णु से क्यों होता है?
A: भक्ति में तुलसी का विवाह श्री विष्णु से होता है। ब्रह्मा कुमारी ज्ञान अनुसार, विष्णु कोई व्यक्ति नहीं बल्कि पूर्णता की अवस्था हैं।
Q5. पूर्णता की प्राप्ति का बीज कौन डालते हैं?
A: शिव परमात्मा संगम युग में आत्माओं में पूर्णता का बीज डालते हैं।
मुरली नोट:
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14 नवंबर 2017: “मैं ही ज्ञान का सागर हूँ जो तुम बच्चों को फिर विष्णु समान बनाता हूँ।”
उदाहरण:
जैसे ज्ञान का सागर आत्मा को पूर्णता प्रदान करता है, वैसे ही तुलसी का विवाह परमात्मा से होने पर आत्मा दिव्यता प्राप्त करती है।
अध्याय 4: तुलसी विवाह का वास्तविक अर्थ
Q6. तुलसी विवाह कब वास्तविक रूप में होता है?
A: तुलसी विवाह तब होता है जब आत्मा का मिलन शिव बाबा से होता है।
Q7. इस विवाह के माध्यम से आत्मा क्या प्राप्त करती है?
A: ज्ञान, पवित्रता और योग की शक्ति के माध्यम से आत्मा परमात्मा के साथ मिलती है और सच्ची दुल्हन बनती है।
मुरली नोट:
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15 नवंबर 2020: “मैं आया हूँ तुम आत्माओं को पवित्र बनाने। जब तुम मनसा, वाचा, कर्मणा पवित्र हो जाते हो, तो मैं तुम्हें अपना बनाता हूँ।”
उदाहरण:
जैसे विवाह में दुल्हन पुराने घर को छोड़कर नई जिंदगी शुरू करती है, वैसे ही आत्मा पुराने संस्कारों को त्यागकर नई दिव्य अवस्था में प्रवेश करती है।
अध्याय 5: तुलसी विवाह = आत्मा का दिव्यता उत्सव
Q8. तुलसी विवाह में आत्मा का उत्सव क्या है?
A: आत्मा की दिव्यता का सच्चा उत्सव तब होता है जब ज्ञान का दीप जलता है और अंधकार रूपी अज्ञान मिट जाता है।
मुरली नोट:
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12 नवंबर 2022: “बच्चे अपने मन के दीपक को योग से भर दो, क्योंकि वही दीप आत्मा को फिर से ज्योतिर्मय बनाता है।”
मुख्य संदेश:
भक्ति की तुलसी से ज्ञान की देवी बनो – भावनाओं से समझो और जीवन में उतारो।
समापन: अनंत विवाह
Q9. अनंत विवाह का अर्थ क्या है?
A: तुलसी विवाह हमें याद दिलाता है कि हम केवल शरीर नहीं बल्कि परमात्मा के संतान हैं। शिव से योग संबंध जोड़ना सच्चा और अनंत विवाह है।
Q10. यह विवाह कितने समय तक चलता है?
A: अनंत विवाह का मतलब है ऐसा विवाह जिसका अंत न हो, जो पूरे कल्प तक चलता है।
मुरली नोट:
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14 नवंबर 2018: “संगम युग ही सच्चा विवाह काल है। जब आत्मा शिव के संग योग लगाती है और सदा सुखी बनती है।”
निष्कर्ष:
तुलसी विवाह केवल परंपरा नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा का दिव्य संगम है। यह विवाह हमें हमारी मूल दिव्यता, प्रेम और शांति की ओर ले जाता है।
Disclaimer:
यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ के आध्यात्मिक शिक्षाओं और मुरली के आधार पर बनाया गया है। इसमें धार्मिक परंपराओं के प्रतीकात्मक और आध्यात्मिक अर्थ को समझाया गया है। इसे किसी भौतिक या सामाजिक नियम के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।
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