(02) Bhaiya Dooj How to awaken spiritual love in relationships?

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भैया दूज का सच्चा अर्थ :-(02)भैया दूज रिश्तों में आत्मिक प्रेम कैसे जगाएं?

(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

अध्याय: भैया दूज – आत्मिक प्रेम


1. भैया दूज और आत्मिक प्रेम

भैया दूज केवल भाई-बहन के शारीरिक संबंध का पर्व नहीं है।
सच्चा भैया दूज आत्मा और परमात्मा के बीच के आत्मिक बंधन का प्रतीक है।

  • भैया दूज में तिलक केवल संस्कार नहीं, बल्कि आत्मिक शुभ संकल्प का प्रतीक है।

  • बहन भाई के माथे पर तिलक लगाकर कहती है:
    “मैं तुम्हारे लिए शुभ, शांत और पवित्र संकल्प रखती हूं।”

  • यह संकल्प संबंधों को दिव्यता और स्थायित्व देता है।

मुरली नोट: साकार मुरली 25 अक्टूबर 2018 – “सच्चा प्रेम आत्मा का होता है। जब आत्मा आत्मा को पहचानती है तो कोई अपेक्षा नहीं रहती। यही सच्चा स्नेह है।”

उदाहरण:
जैसे सूर्य बिना भेदभाव सभी पर प्रकाश डालता है, वैसे ही आत्मिक प्रेम स्वाभाविक, पवित्र और शाश्वत होता है।


2. आत्मिक दृष्टि से रिश्तों की कमी और सुधार

आज अधिकांश रिश्ते “मैं और मेरा” के दायरे में सिमट गए हैं।

  • अपेक्षा होने पर निराशा आती है।

  • देह और स्वभाव की दृष्टि से देखना रिश्तों में अहंकार और दुख लाता है।

समाधान:
आत्मिक दृष्टि अपनाएँ – सबको आत्मा की दृष्टि से देखें।

  • हर आत्मा भाई-भाई समान है।

  • सामने वाला चाहे कुछ भी करे, आपका स्नेह अटूट रहेगा।

मुरली नोट: अव्यक्त मुरली 30 अक्टूबर 2020 – “जब दृष्टि बदल जाती है तो दुनिया बदल जाती है। देह अभिमान के रिश्ते दुख देते हैं, आत्मिक दृष्टि के रिश्ते सुख देते हैं।”

उदाहरण:
यदि कोई भाई दूर हो गया है, तो दोष देने के बजाय आत्मिक दृष्टि से स्नेह दें। यही आत्मा की सच्ची सेवा है।


3. परमात्मा शिव – सच्चे भाई का प्रतीक

भैया दूज का वास्तविक संदेश यह है कि हर आत्मा का सच्चा भाई परमात्मा शिव है।

  • वह हमें ज्ञान का तिलक लगाकर रक्षा करते हैं।

  • हर परिस्थिति में हमारे संग रहते हैं।

  • ज्ञान और योग का कवच पहनाकर हमें माया और कष्टों से सुरक्षित करते हैं।

उदाहरण:
जैसे बड़ा भाई अपनी बहन की रक्षा करता है, वैसे ही परमात्मा आत्मा को माया से बचाते हैं।

मुरली नोट: साकार मुरली 27 अक्टूबर 2017 – “जब आत्मा को तमोप्रधान विकारी आत्मा देखती है, तेजी से विकार मिट जाते हैं।”


4. आत्मिक दृष्टि हर संबंध को दिव्य बनाती है

  • पहले आत्मा को पहचानो, फिर हर संबंध में आत्मिक दृष्टि से सेवा करो।

  • अहंकार नहीं, केवल सम्मान और स्नेह रहेगा।

  • किसी अपमान या त्रुटि को देखकर क्रोध न करें, समझें – “यह आत्मा अपने विकारों के वश में है।”

उदाहरण:
यदि किसी ने अपमान किया, तो आत्मिक दृष्टि अपनाकर स्नेह बनाए रखें।


5. आत्मिक प्रेम – सच्ची सुरक्षा

  • सच्चा प्रेम वही है जो आत्मिक सुरक्षा देता है।

  • इसमें न डर, न अपेक्षा, न तुलना होती है।

  • भैया दूज का तिलक सिखाता है कि जब आत्मा परमात्मा से जुड़ती है, तो हर संबंध में शांति और सुरक्षा स्वतः आती है

मुरली नोट: अव्यक्त मुरली 26 अक्टूबर 2019 – “सच्चा प्रेम वह है जिसमें केवल देने की भावना होती है। जो प्रेम परमात्मा से सीखा, वही दूसरों को दो।”

उदाहरण:
जैसे दीपक दूसरे दीपक को जलाकर स्वयं कम नहीं होता, वैसे ही आत्मा का प्रेम बांटने से घटता नहीं।


6. निष्कर्ष

  • भैया दूज हमें सिखाता है कि रिश्तों में आत्मा की दृष्टि लाओ।

  • जो प्रेम परमात्मा शिव से प्राप्त हुआ, वही सबसे सुंदर और स्थायी उपहार है।

  • यही प्रेम हर संबंध को दिव्य और स्थायी बनाता है।

  • भैया दूज – आत्मिक प्रेम


    प्रश्न 1: भैया दूज का सच्चा अर्थ क्या है?

    उत्तर:
    भैया दूज केवल भाई-बहन के शारीरिक संबंध का पर्व नहीं है।
    सच्चा भैया दूज आत्मा और परमात्मा के बीच के आत्मिक बंधन का प्रतीक है।
    भैया दूज में तिलक केवल संस्कार नहीं, बल्कि आत्मिक शुभ संकल्प का प्रतीक है।

    उदाहरण:
    जैसे सूर्य बिना भेदभाव सभी पर प्रकाश डालता है, वैसे ही आत्मिक प्रेम स्वाभाविक, पवित्र और शाश्वत होता है।

    मुरली नोट: साकार मुरली 25 अक्टूबर 2018 – “सच्चा प्रेम आत्मा का होता है। जब आत्मा आत्मा को पहचानती है तो कोई अपेक्षा नहीं रहती। यही सच्चा स्नेह है।”


    प्रश्न 2: आज के समय में रिश्तों में कमी क्यों आई है और इसे कैसे सुधारें?

    उत्तर:
    आज अधिकांश रिश्ते “मैं और मेरा” के दायरे में सिमट गए हैं।

    • अपेक्षा होने पर निराशा आती है।

    • देह और स्वभाव की दृष्टि से देखना रिश्तों में अहंकार और दुख लाता है।

    समाधान:

    • आत्मिक दृष्टि अपनाएँ – सबको आत्मा की दृष्टि से देखें।

    • हर आत्मा भाई-भाई समान है।

    • सामने वाला चाहे कुछ भी करे, आपका स्नेह अटूट रहेगा।

    उदाहरण:
    यदि कोई भाई दूर हो गया है, तो दोष देने के बजाय आत्मिक दृष्टि से स्नेह दें। यही आत्मा की सच्ची सेवा है।

    मुरली नोट: अव्यक्त मुरली 30 अक्टूबर 2020 – “जब दृष्टि बदल जाती है तो दुनिया बदल जाती है। देह अभिमान के रिश्ते दुख देते हैं, आत्मिक दृष्टि के रिश्ते सुख देते हैं।”


    प्रश्न 3: भैया दूज में परमात्मा शिव का क्या स्थान है?

    उत्तर:
    भैया दूज का वास्तविक संदेश यह है कि हर आत्मा का सच्चा भाई परमात्मा शिव है।

    • वे हमें ज्ञान का तिलक लगाकर रक्षा करते हैं।

    • हर परिस्थिति में हमारे संग रहते हैं।

    • ज्ञान और योग का कवच पहनाकर हमें माया और कष्टों से सुरक्षित रखते हैं।

    उदाहरण:
    जैसे बड़ा भाई अपनी बहन की रक्षा करता है, वैसे ही परमात्मा आत्मा को माया से बचाते हैं।

    मुरली नोट: साकार मुरली 27 अक्टूबर 2017 – “जब आत्मा को तमोप्रधान विकारी आत्मा देखती है, तेजी से विकार मिट जाते हैं।”


    प्रश्न 4: आत्मिक दृष्टि हर संबंध को कैसे दिव्य बनाती है?

    उत्तर:

    • पहले आत्मा को पहचानो, फिर हर संबंध में आत्मिक दृष्टि से सेवा करो।

    • अहंकार नहीं, केवल सम्मान और स्नेह रहेगा।

    • किसी अपमान या त्रुटि को देखकर क्रोध न करें, समझें – “यह आत्मा अपने विकारों के वश में है।”

    उदाहरण:
    यदि किसी ने अपमान किया, तो आत्मिक दृष्टि अपनाकर स्नेह बनाए रखें।


    प्रश्न 5: आत्मिक प्रेम क्या है और यह सुरक्षा कैसे देता है?

    उत्तर:

    • सच्चा प्रेम वही है जो आत्मिक सुरक्षा देता है।

    • इसमें न डर, न अपेक्षा, न तुलना होती है।

    • भैया दूज का तिलक सिखाता है कि जब आत्मा परमात्मा से जुड़ती है, तो हर संबंध में शांति और सुरक्षा स्वतः आती है।

    उदाहरण:
    जैसे दीपक दूसरे दीपक को जलाकर स्वयं कम नहीं होता, वैसे ही आत्मा का प्रेम बांटने से घटता नहीं।

    मुरली नोट: अव्यक्त मुरली 26 अक्टूबर 2019 – “सच्चा प्रेम वह है जिसमें केवल देने की भावना होती है। जो प्रेम परमात्मा से सीखा, वही दूसरों को दो।”


    प्रश्न 6: भैया दूज से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

    उत्तर:

    • भैया दूज हमें सिखाता है कि रिश्तों में आत्मा की दृष्टि लाओ।

    • जो प्रेम परमात्मा शिव से प्राप्त हुआ, वही सबसे सुंदर और स्थायी उपहार है।

    • यही प्रेम हर संबंध को दिव्य और स्थायी बनाता है।

Disclaimer:

यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ आध्यात्मिक शिक्षाओं पर आधारित है। यह सामग्री केवल आध्यात्मिक मार्गदर्शन और आत्मिक ज्ञान हेतु है।

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