(02) The soul of Sri Krishna is Yogeshwar, not Sri Krishna

(02) श्रीकृष्ण की आत्मा योगेश्वर है श्रीकृष्णा नहीं

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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श्रीकृष्ण योगेश्वर नहीं, उनकी आत्मा योगेश्वर कैसे बनी? | ब्रह्माकुमारी स्पष्टीकरण | योगेश्वर का रहस्य”

ओम् शांति प्यारे आत्माओं!
आज हम एक बहुत ही गूढ़ और गहराई से जुड़ा हुआ विषय समझने जा रहे हैं —
क्या श्रीकृष्ण योगेश्वर हैं या उनकी आत्मा योगेश्वर बनी?”

बहुतों के मन में यह प्रश्न है कि श्रीकृष्ण को ही योगेश्वर क्यों कहा जाता है? क्या वे योगेश्वर थे? या उनकी आत्मा योगेश्वर बनी?
आज इस रहस्य को हम सहज और स्पष्टरूप में समझेंगे।

श्रीकृष्ण कौन हैं?)
सबसे पहले, हमें यह जानना जरूरी है कि श्रीकृष्ण कौन हैं?
बच्चों, श्रीकृष्ण कोई सर्वव्यापी या ईश्वर नहीं हैं।
श्रीकृष्ण सतयुग का पहला प्रिन्स है, जो जन्म लेता है, माता-पिता से पालना पाता है और बाल्यकाल में गुरु से ज्ञान भी प्राप्त करता है।
तो सोचिए, जो स्वयं ज्ञान ले रहा हो, वह सर्वज्ञानी या योगेश्वर कैसे हो सकता है?

योगेश्वर का सही अर्थ)
दूसरी बात,
अक्सर लोग समझते हैं कि योगेश्वर मतलब जो योग सिखाए।
परन्तु ईश्वरीय ज्ञान से हमें समझाया गया —
योगेश्वर का अर्थ है —
जो परमात्मा से योग लगाए।”

परमात्मा स्वयं तो योगेश्वर नहीं होते।
परमात्मा तो हमें योग सिखलाते हैं।
योग लगाने वाला है — आत्मा।
जो परमात्मा से योग जोड़ता है, वही कहलाता है — योगेश्वर।

श्रीकृष्ण की आत्मा योगेश्वर कैसे बनी?)
तो अब प्रश्न आता है —
क्या श्रीकृष्ण की आत्मा योगेश्वर बनी?
जी हाँ! बनी। पर कब?

जब वही आत्मा इस समय ब्रह्मा बाबा के रूप में आई।
ब्रह्मा बाबा के रूप में उन्होंने परमात्मा शिव से ज्ञान और योग की शिक्षा ली।
योग द्वारा उन्होंने अपने जन्म-जन्मांतरों के पापों का हिसाब चुक्तु किया और श्याम से सुंदर, पावन श्रीकृष्ण बनने की तैयारी की।
इसलिए कहा —
श्रीकृष्ण की आत्मा योगेश्वर बनी, न कि स्वयं श्रीकृष्ण।

ईश्वर कौन है?)
अब सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न —
ईश्वर कौन है?
परमपिता परमात्मा शिव।
वे निराकार हैं।
वे कभी जन्म नहीं लेते।
वे इस संगम युग में ब्रह्मा तन द्वारा हमें शिक्षा दे रहे हैं।

उन्होंने ही श्रीकृष्ण की आत्मा को और हम सभी आत्माओं को,
हे आत्माओं! मुझे याद करो।”
यह सिखलाया।
इसलिए ईश्वर स्वयं योगेश्वर नहीं कहलाते,
बल्कि वह योग शिक्षक हैं।

सतयुग में श्रीकृष्ण योगेश्वर नहीं होते)
सतयुग में श्रीकृष्ण कोई योग लगाने वाले नहीं होते।
क्योंकि सतयुग में सभी आत्माएँ पावन, देही अभिमानी और स्वाभाविक रूप से योगी होती हैं।
वहाँ किसी को भी योग लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

अंतिम रहस्य और संदेश)
तो बच्चों, आज यह सच्चाई स्पष्ट हो गई कि —

  • ईश्वर परमपिता परमात्मा शिव हैं।
  • योग लगाने वाला, योगेश्वर बनने वाला, आत्मा है।
  • श्रीकृष्ण की आत्मा इस संगमयुग में परमात्मा से योग सीखकर ही योगेश्वर बनी है।

इसलिए श्रीकृष्ण योगेश्वर नहीं,
योगेश्वर उनकी आत्मा बनी

परमात्मा आज हम सभी से भी यही कह रहे हैं —
बच्चे, योग लगाकर पावन बनो, श्याम से सुंदर बनो, सत्य धर्मराज्य के योग्य बनो।”

अगर यह ज्ञान आपको दिल से समझ में आया हो,
तो इसे आगे जरूर पहुँचाइए।

श्रीकृष्ण योगेश्वर नहीं, उनकी आत्मा योगेश्वर कैसे बनी? | ब्रह्माकुमारी स्पष्टीकरण | योगेश्वर का रहस्य

प्रश्न एवं उत्तर

प्रश्न 1: श्रीकृष्ण को योगेश्वर क्यों कहा जाता है?
उत्तर: श्रीकृष्ण को योगेश्वर कहना एक भ्रांति है। वास्तव में, योगेश्वर वह होता है जो परमात्मा से योग लगाता है। श्रीकृष्ण सतयुग का पहला राजकुमार होता है, जो जन्म लेता है, पालन-पोषण पाता है और शिक्षाएँ प्राप्त करता है। स्वयं ज्ञान लेने वाला कभी योगेश्वर नहीं हो सकता।

प्रश्न 2: योगेश्वर का वास्तविक अर्थ क्या है?
उत्तर: योगेश्वर का अर्थ है “जो परमात्मा से योग लगाए।” परमात्मा स्वयं योगेश्वर नहीं होते, बल्कि वह योग सिखाते हैं। आत्मा जब परमात्मा से योग जोड़ती है, तब वह योगेश्वर कहलाती है।

प्रश्न 3: श्रीकृष्ण की आत्मा योगेश्वर कब बनी?
उत्तर: श्रीकृष्ण की आत्मा योगेश्वर तब बनी जब उसने संगमयुग में ब्रह्मा बाबा के रूप में जन्म लिया और परमात्मा शिव से ज्ञान और योग की शिक्षा प्राप्त की। योग द्वारा उसने अपने सभी कर्मबंधन मिटाए और श्याम से सुंदर श्रीकृष्ण बनने की तैयारी की।

प्रश्न 4: क्या सतयुग में योग की आवश्यकता होती है?
उत्तर: नहीं। सतयुग में सभी आत्माएँ स्वाभाविक रूप से पवित्र और देही-अभिमानी होती हैं। वहाँ किसी को भी योग की आवश्यकता नहीं पड़ती क्योंकि सभी आत्माएँ विकारों से मुक्त होती हैं।

प्रश्न 5: ईश्वर कौन है और क्या वे योगेश्वर हैं?
उत्तर: ईश्वर परमपिता परमात्मा शिव हैं, जो निराकार हैं और कभी जन्म नहीं लेते। वे स्वयं योगेश्वर नहीं होते बल्कि हमें योग सिखाते हैं। योग लगाने वाला आत्मा होती है, न कि स्वयं परमात्मा।

प्रश्न 6: अगर श्रीकृष्ण योगेश्वर नहीं, तो यह भ्रांति क्यों फैली?
उत्तर: श्रीकृष्ण की आत्मा संगमयुग में योग अभ्यास द्वारा पावन बनी, इसलिए लोग समझने लगे कि श्रीकृष्ण स्वयं योगेश्वर थे। परंतु असल में, योगेश्वर उनकी आत्मा बनी, न कि श्रीकृष्ण स्वयं।

प्रश्न 7: हमें इस ज्ञान से क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर: हमें यह समझ में आता है कि हमें भी संगमयुग में परमात्मा से योग लगाकर पावन बनना है। “हे आत्माओं! मुझे याद करो।” यही परमात्मा का संदेश है, जिससे हम भी श्याम से सुंदर श्रीकृष्ण बनने की यात्रा पर चल सकते हैं।

प्रश्न 8: हम इस सत्य ज्ञान को कैसे आगे पहुँचा सकते हैं?
उत्तर: हमें इस ज्ञान को दूसरों तक पहुँचाना चाहिए ताकि सभी आत्माएँ सत्य को पहचानें और परमात्मा से योग लगाकर अपने जीवन को पावन बना सकें।

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