The real secret of Navratri:-(03)

नवरात्रि का असली रहस्य:-(03)शब्दार्थ या भावार्थ नवरात्रि की कथाओं का असली अर्थ।

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नवरात्रि का असली रहस्य | शब्दार्थ और भावार्थ का आध्यात्मिक अर्थ |


1. भूमिका

नवरात्रि पर हम केवल पूजा-पाठ और कथा तक सीमित न रहें, बल्कि इसके असली आध्यात्मिक रहस्य को समझें।
आज हम तीसरे विषय शब्दार्थ और भावार्थ पर चर्चा करेंगे।


2. शब्दार्थ और भावार्थ क्या है?

  • शब्दार्थ: शब्द का सीधा अर्थ बताना।

  • भावार्थ: उसके पीछे का गहरा आध्यात्मिक भाव समझना।

 जब तक भावार्थ नहीं समझेंगे, तब तक कथा का असली संदेश हमें नहीं मिलेगा।
हमारे ऋषि-मुनियों ने अलंकारिक भाषा और प्रतीकों का प्रयोग किया है।


3. नवरात्रि की कथाओं का संदेश

नवरात्रि की कथाएं केवल कथानक नहीं हैं।

  • इनमें आत्मा और परमात्मा के कार्य का गहरा संदेश छिपा हुआ है।

  • शब्दार्थ से केवल बाहरी रूप दिखता है।

  • भावार्थ से असली रहस्य खुलता है।


4. रूपक और प्रतीकात्मक भाषा

  • असुर = विकार

  • देवियां = आत्मा की शक्तियां

  • अस्त्र-शस्त्र = रूहानी शक्तियां

  • आठ हाथ = आठ विशेष शक्तियां

 ऋषि-मुनियों ने इन्हीं को अलंकारिक रूप में कथा में लिखा।


5. असुरों का असली अर्थ

(क) मधु और कैटब

  • मधु = मीठा (राग, मोह, लोभ)

  • कैटब = कड़वा (क्रोध, अहंकार)
    📖 मुरली (18 अक्टूबर 1965): राग-द्वेष रूपी असुर ही मनुष्य को परास्त करते हैं।

(ख) महिषासुर

  • महिष = भैंस = मंदबुद्धि, अविवेकी, अज्ञानी।
    📖 मुरली (2 अक्टूबर 1970): अज्ञान रूपी भैंस को हटाकर ज्ञान का सूर्य उदय करना है।

(ग) धूम्रलोचन

  • धुआं निकलने वाली दृष्टि = ईर्ष्या, बुरी नजर, दोषयुक्त दृष्टि।

(घ) शुम्भ और निशुम्भ

  • प्रतीक = हिंसा और द्वेष।
    📖 मुरली (19 अक्टूबर 1975): ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध आदि विकार ही आत्मा को असुर बना देते हैं।


6. देवी का भावार्थ

  • देवी कोई मूर्ति नहीं, बल्कि आत्मा की शक्ति-स्वरूप स्थिति है।

  • देवी = देने वाली आत्मा (गुण और शक्तियां देने वाली)।

  • दुर्गा = दुर्गुणों का नाश करने वाली।

 जैसे अंधकार में दीपक जलकर उजाला करता है, वैसे ही आत्मा में ज्ञान का दीपक जलाकर पाप-अंधकार मिटाना ही देवी का कार्य है।


7. निष्कर्ष

  • असली अर्थ भावार्थ में छिपा है।

  • नवरात्रि की कथाओं का उद्देश्य था बच्चों और समाज को नैतिक व आध्यात्मिक शिक्षा देना

  • आज का समय है कि हम इन कथाओं का भावार्थ समझकर विकार रूपी असुरों का नाश करें।

नवरात्रि का असली रहस्य | शब्दार्थ और भावार्थ | प्रश्नोत्तर रूप में आध्यात्मिक व्याख्या


प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: शब्दार्थ और भावार्थ में क्या अंतर है?

उत्तर:

  • शब्दार्थ = शब्द का सीधा अर्थ।

  • भावार्थ = उस शब्द के पीछे छिपा गहरा आध्यात्मिक भाव।
     उदाहरण: कथा में असुर = कोई व्यक्ति नहीं, बल्कि हमारे अंदर के विकार।


प्रश्न 2: भावार्थ को समझना क्यों जरूरी है?

उत्तर:यदि हम भावार्थ नहीं समझेंगे, तो केवल बाहरी कथा ही समझ पाएंगे।
भावार्थ ही हमें असली संदेश और आध्यात्मिक शिक्षा देता है।


प्रश्न 3: नवरात्रि की कथाओं का असली उद्देश्य क्या है?

उत्तर:इन कथाओं का उद्देश्य बच्चों और समाज को नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षा देना है।
इनमें आत्मा और परमात्मा के कार्य का रहस्य छिपा है।


प्रश्न 4: असुरों का प्रतीकात्मक अर्थ क्या है?

उत्तर:

  • असुर = विकार

  • देवियां = आत्मिक शक्तियां

  • अस्त्र-शस्त्र = आत्मा की शक्तियां

  • आठ हाथ = आठ शक्तियां


प्रश्न 5: मधु और कैटब असुर किसका प्रतीक हैं?

उत्तर:

  • मधु = मीठे विकार (राग, मोह, लोभ)

  • कैटब = कड़वे विकार (क्रोध, अहंकार)
     मुरली (18 अक्टूबर 1965): राग-द्वेष रूपी असुर ही मनुष्य को परास्त करते हैं।


प्रश्न 6: महिषासुर का क्या अर्थ है?

उत्तर:

  • महिष = भैंस = मंदबुद्धि, अज्ञानी, अविवेकी।
     मुरली (2 अक्टूबर 1970): अज्ञान रूपी भैंस को हटाकर ज्ञान का सूर्य उदय करना है।


प्रश्न 7: धूम्रलोचन किसका प्रतीक है?

उत्तर:

  • धूम्रलोचन = धुएं वाली दृष्टि = ईर्ष्या, बुरी नजर, दोषयुक्त दृष्टि।


प्रश्न 8: शुम्भ और निशुम्भ का भावार्थ क्या है?

उत्तर:

  • ये हिंसा और द्वेष के प्रतीक हैं।
     मुरली (19 अक्टूबर 1975): ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध आदि विकार ही आत्मा को असुर बना देते हैं।


प्रश्न 9: देवी का असली अर्थ क्या है?

उत्तर:

  • देवी = आत्मा का शक्ति-स्वरूप।

  • देवी = देने वाली आत्मा (गुण और शक्तियां देने वाली)।

  • दुर्गा = दुर्गुणों का नाश करने वाली आत्मा।


प्रश्न 10: हमें इन कथाओं से क्या सीख मिलती है?

उत्तर:हमें यह समझना चाहिए कि नवरात्रि की कथाएं केवल पूजा-पाठ नहीं हैं, बल्कि आत्मा को विकारों से मुक्त कर शुद्ध और शक्तिशाली बनाने का संदेश देती हैं।

Disclaimer (डिस्क्लेमर)

यह वीडियो ब्रह्माकुमारियों के ईश्वरीय ज्ञान और मुरली में बताई गई शिक्षाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक समझ और आत्मिक जागृति प्रदान करना है। यह किसी भी धार्मिक मान्यता, परंपरा या देवी-देवताओं की पूजा-पद्धति का विरोध नहीं करता। दर्शकों से निवेदन है कि इसे आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समझें और आत्म कल्याण के लिए अपनाएँ।

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