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(03) Spiritual mystery of Shiv Baraat and Mahashivratri

February 15, 2025February 22, 2025omshantibk07@gmail.com

(03) शिवबारातऔर महाशिवरात्रि काआध्यात्मिक रहस्य

(03) Spiritual mystery of Shiv Baraat and Mahashivratri

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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शिव बारात और महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य

महाशिवरात्रि और शिव की बारात का आध्यात्मिक रहस्य

1. शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?

अधिकांश लोग कहते हैं कि इस दिन शिव की बारात निकली थी, इसलिए यह पर्व मनाया जाता है। लेकिन क्या वास्तव में यही कारण है, या इसके पीछे कोई गहरा आध्यात्मिक रहस्य छिपा हुआ है? इस पर विचार करेंगे।

2. महाशिवरात्रि: केवल भक्ति का पर्व नहीं

यह केवल भक्ति और पूजा का पर्व नहीं है, बल्कि यह आत्मा के जागरण का विशेष अवसर है। इस दिन को गहराई से समझने पर हमें सृष्टि चक्र का रहस्य और परमात्मा शिव का कर्तव्य समझ में आता है।

3. शिव की बारात का शास्त्रों में वर्णन

शास्त्रों में बताया जाता है कि शिव की बारात में देवता, मानव, गंधर्व, किन्नर, भूत-प्रेत, जीव-जंतु—सभी सम्मिलित होते हैं। लेकिन यह केवल एक पौराणिक कथा नहीं है, बल्कि इसका गुप्त आध्यात्मिक अर्थ भी है।

शिव की बारात का आध्यात्मिक अर्थ

शिव की बारात का अर्थ यह है कि अंतिम समय में सभी आत्माएँ अपने स्थूल शरीर को छोड़कर परमधाम की ओर जाएँगी। इस यात्रा में सभी आत्माएँ—मनुष्य, पशु-पक्षी, जीव-जंतु सम्मिलित होंगे। यह एक आध्यात्मिक यात्रा होगी, जहाँ हर आत्मा बाबा के साथ घर जाएगी।

4. आत्मा का हिसाब बराबर कैसे होगा?

हर आत्मा को अपने किए गए कर्मों का फल मिलेगा। जब आत्मा पवित्र हो जाती है और उसका कोई भी लेना-देना बाकी नहीं रहता, तभी वह परमधाम जा सकती है। यह सारा हिसाब एक सेकंड में समाप्त हो जाएगा और सभी आत्माएँ परमधाम चली जाएँगी।

5. परमधाम की ओर आत्माओं की यात्रा

जब शरीर समाप्त हो जाएगा, कोई भी सांसारिक संबंध शेष नहीं रहेगा, तब आत्मा को केवल परमात्मा की ओर जाना होगा। उस समय न कोई विचार रहेगा, न कोई माया, न कोई मोह। आत्मा स्वतः शांति और साइलेंस में स्थित हो जाएगी।

“चाहे प्यार से चलो या मार खा कर, लेकिन मैं सबको साथ लेकर जाऊँगा।” — शिव बाबा

6. महाशिवरात्रि और सृष्टि परिवर्तन

परमात्मा शिव सृष्टि परिवर्तन का कार्य करते हैं। यह महाविनाश का समय होता है, जब पुरानी दुनिया समाप्त हो जाती है और नई स्वर्णिम दुनिया की स्थापना होती है।

कैसे होता है सृष्टि परिवर्तन?

  • महाभारत युद्ध, परमाणु युद्ध, प्राकृतिक आपदाएँ—इनके माध्यम से पुरानी दुनिया का अंत होता है।
  • आत्माएँ शरीर छोड़कर परमधाम जाती हैं।
  • प्रकृति सतोप्रधान बन जाती है।
  • जो आत्माएँ 100% पवित्र बन चुकी होती हैं, वे स्वर्ग में जन्म लेने के लिए पुनः इस धरती पर आती हैं।

7. गीता और महाभारत की पुनरावृत्ति

भगवान ने गीता का ज्ञान कब दिया? जब सृष्टि का परिवर्तन होने वाला था। गीता का ज्ञान परमात्मा स्वयं आकर देते हैं, जिसके बाद कलियुग समाप्त होकर सतयुग की स्थापना होती है। यह हर कल्प (5000 वर्षों के चक्र) में दोहराया जाता है।

8. यह युद्ध कहाँ लड़ा जा रहा है?

यह युद्ध बाहर नहीं, हमारी बुद्धि में लड़ा जा रहा है। यह युद्ध विकारों और दिव्य गुणों के बीच का युद्ध है। जब आत्मा परमात्मा के ज्ञान को अपनाती है, तो उसके अंदर विकार समाप्त होने लगते हैं।

“हिंसा से कभी भी सत्य की स्थापना नहीं होती।” — परमात्मा शिव

9. शिव बाबा: सर्व प्राप्तियों का भंडार

शिव बाबा केवल एक विशेष धर्म या जाति के लिए नहीं आते। वे सभी आत्माओं के लिए आते हैं। वे हर आत्मा को उसके सच्चे स्वरूप का ज्ञान देते हैं। वे हमारी आत्मा को विकारों से मुक्त करते हैं और हमें दिव्यता प्रदान करते हैं।

10. निष्कर्ष

महाशिवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आत्मा के जागरण का संकेत है। शिव की बारात का अर्थ है—समस्त आत्माओं का परमधाम लौटना। महाभारत युद्ध केवल हथियारों का युद्ध नहीं, बल्कि यह आत्मा के अंदर चलने वाला आध्यात्मिक युद्ध है।

साकार बाबा की मुरली से प्रेरणा

📖 “बच्चे, यह संगमयुग का समय सबसे श्रेष्ठ है, क्योंकि इस समय मैं स्वयं आता हूँ और आत्माओं को पावन बनाकर घर ले जाता हूँ।” — (मुरली, 25 फरवरी 2004)

📖 “शिवरात्रि का वास्तविक अर्थ है—पुरानी दुनिया का अंत और नई दुनिया की शुरुआत।” — (मुरली, 15 मार्च 2005)

11. भाग्य को संवारने का मार्ग

श्रेष्ठ कर्मों द्वारा अपने भाग्य को संवारने का मार्ग दिखाया गया है। परमात्मा की शिक्षा हमें यह सिखाती है कि हमें अपने कर्मों का खाता बनाना चाहिए। जब हम श्रेष्ठ कर्म करते हैं, तो हम अपने पिछले कर्मों का संतुलन बना रहे होते हैं।

12. वर्तमान समय: सबसे मूल्यवान क्षण

यह सृष्टि के अंतिम क्षण हैं। हमें समय की महत्ता को समझना होगा और अपने कर्मों को सुधारना होगा। परमात्मा ने राजयोग और आध्यात्मिक ज्ञान का यज्ञ रचाया है, जिससे आत्माएँ पतित से पावन बन सकती हैं।

13. विकारों का त्याग और शुभ संकल्पों का धारण

हमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार को त्यागकर पवित्रता और शुभ संकल्पों को अपनाना होगा। जब हमारा हिसाब बराबर हो जाएगा, तो हम मुक्ति धाम जा सकेंगे।

14. मनुष्य से देवता बनने का प्रयास

अब मेहनत करेंगे, तो अगले कल्प में मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। यह संगमयुग का अंतिम समय है, जिसमें आत्मा को स्वयं को तैयार करना होगा।

15. महाशिवरात्रि: केवल जागरण नहीं, आत्मा के वास्तविक जागरण का पर्व

यह आत्मिक जागरण और सत्य मार्ग पर चलने का अवसर है। यह एकता और शुभ संकल्पों का पर्व भी है। हमें सभी आत्माओं के प्रति शुभ भावना और शुभ दृष्टि रखनी है।

16. निष्कर्ष

अब शिव की बारात जाने वाली है। इसमें कुछ साथी बनकर, कुछ घराती बनकर, और कुछ बाराती बनकर जाएंगे। परिवर्तन का समय निकट है। ज्ञान और योग द्वारा स्वयं को तैयार करना ही सबसे बड़ी बुद्धिमानी है।

शिवबारात और महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य

प्रश्नोत्तर

1.प्रश्न – शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?

उत्तर: अधिकांश लोग मानते हैं कि इस दिन शिव की बारात निकली थी, इसलिए यह पर्व मनाया जाता है। लेकिन इसका गहरा आध्यात्मिक रहस्य यह है कि इस दिन परमात्मा शिव आत्माओं के जागरण का संदेश देते हैं और सृष्टि चक्र के परिवर्तन का कार्य आरंभ करते हैं।


2. प्रश्न – क्या महाशिवरात्रि केवल भक्ति का पर्व है?

उत्तर: नहीं, यह केवल भक्ति और पूजा का पर्व नहीं है। यह आत्मा के जागरण और सृष्टि चक्र के रहस्य को समझने का विशेष अवसर है। यह पर्व हमें यह संकेत देता है कि परमात्मा शिव कलियुग के अंत में आकर आत्माओं को पवित्र बनाते हैं और सत्ययुग की स्थापना करते हैं।


3. प्रश्न -शिव की बारात का शास्त्रों में क्या वर्णन है?

उत्तर: शास्त्रों में बताया जाता है कि शिव की बारात में देवता, मानव, गंधर्व, किन्नर, भूत-प्रेत, जीव-जंतु—सभी सम्मिलित होते हैं। लेकिन इसका आध्यात्मिक अर्थ यह है कि अंतिम समय में सभी आत्माएँ अपने स्थूल शरीर को छोड़कर परमधाम की ओर जाएँगी। यह एक आध्यात्मिक यात्रा होगी, जहाँ हर आत्मा परमात्मा के साथ घर जाएगी।


4. प्रश्न – आत्मा का हिसाब बराबर कैसे होगा?

उत्तर: हर आत्मा को अपने किए गए कर्मों का फल मिलेगा। जब आत्मा पवित्र हो जाती है और उसका कोई भी लेना-देना बाकी नहीं रहता, तभी वह परमधाम जा सकती है। यह प्रक्रिया बहुत तीव्र होगी और एक सेकंड में सभी आत्माएँ परमधाम चली जाएँगी।


5. प्रश्न – परमधाम की ओर आत्माओं की यात्रा कैसे होगी?

उत्तर: जब आत्मा शरीर छोड़ देगी, कोई भी सांसारिक संबंध शेष नहीं रहेगा। उस समय आत्मा स्वतः शांति और साइलेंस में स्थित हो जाएगी। माया और मोह समाप्त हो जाएँगे। परमात्मा शिव इस यात्रा का नेतृत्व करेंगे।


6. प्रश्न – महाशिवरात्रि और सृष्टि परिवर्तन का क्या संबंध है?

उत्तर: महाशिवरात्रि सृष्टि परिवर्तन का संकेत देती है। जब पुरानी दुनिया समाप्त होती है, तब परमात्मा शिव नई स्वर्णिम दुनिया की स्थापना करते हैं। महाभारत युद्ध, परमाणु युद्ध, और प्राकृतिक आपदाएँ इस परिवर्तन की प्रक्रिया का हिस्सा होती हैं।


7. प्रश्न -गीता और महाभारत की पुनरावृत्ति कैसे होती है?

उत्तर: भगवान गीता का ज्ञान तब देते हैं जब सृष्टि का परिवर्तन होने वाला होता है। यह हर कल्प (5000 वर्षों के चक्र) में दोहराया जाता है। महाभारत युद्ध केवल भौतिक युद्ध नहीं है, बल्कि यह धर्म और अधर्म के बीच का आध्यात्मिक युद्ध भी है।


8.प्रश्न – यह युद्ध कहाँ लड़ा जा रहा है?

उत्तर: यह युद्ध हमारी बुद्धि में लड़ा जा रहा है। यह विकारों और दिव्य गुणों के बीच का युद्ध है। जब आत्मा परमात्मा के ज्ञान को अपनाती है, तो उसके अंदर विकार समाप्त होने लगते हैं। यह एक अहिंसक युद्ध है, जिसमें आत्मा स्वयं को पवित्र बनाने के लिए संघर्ष करती है।


9. प्रश्न -शिव बाबा कौन हैं?

उत्तर: शिव बाबा सभी आत्माओं के परमपिता हैं। वे किसी विशेष धर्म या जाति के लिए नहीं आते, बल्कि समस्त आत्माओं को उनके सच्चे स्वरूप का ज्ञान देते हैं और उन्हें विकारों से मुक्त कर दिव्यता प्रदान करते हैं।


10. प्रश्न -महाशिवरात्रि का वास्तविक उद्देश्य क्या है?

उत्तर: महाशिवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आत्मा के जागरण का संकेत है। शिव की बारात का अर्थ है—समस्त आत्माओं का परमधाम लौटना। सतयुग की स्थापना के लिए, हर आत्मा को पवित्र बनना आवश्यक है।


11. प्रश्न -शिव बाबा की शिक्षाएँ हमें क्या सिखाती हैं?

उत्तर: शिव बाबा हमें यह सिखाते हैं कि श्रेष्ठ कर्मों द्वारा अपने भाग्य को संवारें। कर्मों का हिसाब संतुलित करें। अपने संकल्पों को पवित्र और शुभ बनाएँ। विकारों का त्याग करें और शुभ संकल्पों को धारण करें।


12. प्रश्न -वर्तमान समय में आत्माओं को क्या करना चाहिए?

उत्तर: यह संगमयुग का सबसे मूल्यवान समय है। आत्माओं को अपनी आभा (चमक) बढ़ानी चाहिए और दूसरों को भी इस दिव्य ज्ञान में शामिल करना चाहिए। यह अंतिम समय है, जब हमें परमात्मा के मार्ग पर चलकर स्वयं को तैयार करना होगा।


13. प्रश्न -अंतिम यात्रा और परमधाम की ओर गमन कैसे होगा?

उत्तर: एक सेकंड में सभी आत्माएँ परमधाम चली जाएँगी। यह संगमयुग का अंतिम सुखद अनुभव होगा। इसके लिए हमें अभी से अपने संस्कारों को शुद्ध करना होगा।


14. प्रश्न -महाशिवरात्रि हमें क्या संदेश देती है?

उत्तर: महाशिवरात्रि केवल जागरण नहीं, बल्कि आत्मा के वास्तविक जागरण का पर्व है। यह एकता, शुभ संकल्पों और दिव्यता का पर्व भी है। हमें सभी आत्माओं के प्रति शुभ भावना और शुभ दृष्टि रखनी चाहिए और अपने आत्मिक स्वरूप को पहचानना चाहिए।


15. प्रश्न -निष्कर्ष:

महाशिवरात्रि हमें यह सिखाती है कि यह समय परिवर्तन का है। यह शिव की बारात जाने का समय है। इस बारात में कुछ साथी बनकर, कुछ घराती बनकर, और कुछ बाराती बनकर जाएँगे। अब हमें निर्णय लेना है कि हम कौन सा स्थान ग्रहण करेंगे।

“परिवर्तन का समय निकट है। ज्ञान और योग द्वारा स्वयं को तैयार करना ही सबसे बड़ी बुद्धिमानी है।”

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