सृष्टि चक्र :-(03)क्या आत्मा का रोल पहले से तय है? सृष्टि का रहस्य
हम सृष्टि चक्र का अध्ययन कर रहे हैं।
आज सृष्टि चक्र का तीसरा पार्ट है।
आज के इस पार्ट में हम अध्ययन करेंगे —
क्या आत्मा का रोल पहले से तय है?
सृष्टि का रहस्य —
आज हम इस विषय पर मंथन करेंगे।
आज का यह प्रश्न बहुत सूक्ष्म है —
क्या मनुष्य की भूमिका पहले से निश्चित है?
क्या करना है, कैसे करना है, कब करना है?
क्या वास्तव में सब कुछ ड्रामा के अनुसार पहले से लिखा गया है?
या हम भाग्य को बदल सकते हैं?
क्या लगता है आपके विचार से?
बाबा कहते हैं —
क्या हम अपने भाग्य को बदल सकते हैं?
या जो लिखा हुआ है उसी अनुसार होगा?
आइए, इस रहस्य को शिव बाबा की मुरली के माध्यम से समझते हैं।
🌸 सृष्टि नाटक की अटलता
विषय है — सृष्टि नाटक की अटलता।
यह नाटक अटल है। इस नाटक को कोई हिला नहीं सकता।
मीठे बच्चे, यह सृष्टि नाटक बेहद अचर्चित और अटल है।
‘अचर्चित’ का अर्थ होता है — जिसकी कोई चर्चा नहीं।
इसमें एक पलक भी आगे-पीछे नहीं हो सकती।
‘पलक’ यानी क्षणभर — इतना भी अंतर नहीं पड़ सकता।
ईश्वरीय ज्ञान के अनुसार यह दुनिया एक पूर्व-निर्धारित ड्रामा है।
जो कुछ घटता है, वह उसी क्रम में बार-बार घटता है —
ना कम, ना ज़्यादा।
उदाहरण:
जैसे एक फिल्म पहले से शूट होकर थिएटर में बार-बार दिखाई जाती है —
वही दृश्य, वही संवाद, वही कलाकार —
कुछ भी नहीं बदलता।
केवल अभिनय दोहराया जाता है।
इसी प्रकार यह सृष्टि नाटक भी एक्यूरेट रिपीट होता है।
इसमें कोई भी बात ड्रामा से अलग नहीं हो सकती।
🌼 आत्मा की भूमिका क्यों निश्चित है?
हर आत्मा के संस्कार, गुण और कर्मों के अनुसार उसकी भूमिका निश्चित होती है।
यह ड्रामा इतना सटीक है कि हर आत्मा अपने ही खास भाग को निभाने आती है —
जो कोई दूसरा नहीं निभा सकता।
इसलिए कहा गया है — हर आत्मा यूनिक (अद्वितीय) है।
उस जैसी और कोई आत्मा नहीं।
एक पेड़ के दो पत्ते भी एक समान नहीं हो सकते —
तो आत्माएं कैसे समान होंगी?
🌺 ड्रामा में रिटर्न नहीं होता
जैसे ड्रामा का एक सीन रिपीट होता है, वैसा ही यह नाटक भी अटल है।
हर आत्मा अपनी भूमिका निभा रही है —
देवी आत्माएं, द्वापर और कलियुग में भी उसी क्रम में अपनी भूमिका निभाती हैं।
निष्कर्ष:
रोल फिक्स है —
लेकिन उसके अनुभव का बोध बदल सकता है।
🌞 रोल फिक्स, पर दृष्टिकोण बदल सकता है
बाबा कहते हैं —
जो घट रहा है, वह पहले से फिक्स है।
पर जो अनुभव हो रहा है, वह आत्मा की जागरूकता (awareness) से बदलता है।
अर्थात — रोल नहीं बदलता,
पर उस रोल को देखने का दृष्टिकोण बदल सकता है।
आज हम जो संस्कार बदल रहे हैं, वह हमारे एटीट्यूड (attitude) को श्रेष्ठ बनाता है।
बाबा हमें यह सिखाते हैं ताकि हम “वर्तमान” में सुधार करके “भविष्य” को श्रेष्ठ बना सकें।
5000 साल पहले जैसा हुआ था, वैसा ही होता रहेगा।
परंतु, बाबा हमें पॉजिटिव दृष्टि सिखाते हैं —
कि जागृति और समझ से आत्मा अपनी भूमिका को श्रेष्ठ बना सकती है।
🌻 उदाहरण
जैसे किसी कलाकार के संवाद वही रहते हैं,
पर उसकी अभिव्यक्ति (expression) बदल जाती है।
ड्रामा वही रहता है, पर भावना बदलने से अभिनय में गहराई आ जाती है।
इसी प्रकार, ड्रामा फिक्स है —
लेकिन हम अपने रोल को कैसे निभाते हैं, यह हमारी जागरूकता पर निर्भर करता है।
🌷 आत्मा का अभिनय
बाबा कहते हैं —
हर आत्मा को अपनी भूमिका अदा करनी है।
कोई भी आत्मा की भूमिका बिगड़ नहीं सकती।
बस स्वयं को डिटैच ऑब्ज़र्वर समझो।
जब आत्मा जान लेती है कि उसका रोल पहले से निश्चित है,
तो वह चिंता, भय और क्रोध से मुक्त हो जाती है।
यही ईश्वरीय ज्ञान का सार है —
ड्रामा अचल है, मैं अभिनेता हूँ।
🌼 प्रकृति का उदाहरण
जैसे सूर्य का कार्य केवल प्रकाश देना है,
चंद्रमा का कार्य शीतलता देना है,
वैसे ही आत्मा अपनी भूमिका अनुसार कार्य करती है।
कोई आत्मा नेतृत्व देती है,
कोई सेवा में रहती है,
कोई शिक्षा देती है —
प्रत्येक का धर्म और कार्य निश्चित है।
🌺 निष्कर्ष
बापदादा कहते हैं —
ड्रामा पर पूरा निश्चय रखने वाला ही सच्चा योगी है।
उसे कोई भी परिस्थिति विचलित नहीं कर सकती।
हर आत्मा का रोल निश्चित है,
क्योंकि यह सृष्टि नाटक पूर्ण और अचूक है।
‘अचूक’ का मतलब — जिसमें जरा-सी भी गलती नहीं हो सकती।
🌸 अंतिम संदेश
इस ज्ञान से हमें यह सीखना है कि —
स्वीकार, संतुलन और श्रेष्ठता लाना ही सच्ची साधना है।
हम अपनी भूमिका को जितना श्रेष्ठ बनाएँगे,
वह उतना ही पहले से लिखा हुआ श्रेष्ठ बनेगा।
जब हम अपने रोल को पहचानते हैं,
तो दूसरों के प्रति सहिष्णुता और प्रेम उत्पन्न होता है।
🌞 समापन
अपने रोल को पहचानिए —
क्रोध नहीं, शिकायत नहीं, तुलना नहीं।
ड्रामा पर विश्वास रखिए और
अपनी भूमिका को श्रेष्ठ भाव से निभाइए।
यही है आत्म-राज्य का मार्ग।
अगर आपको यह समझ आया कि आत्मा का रोल पहले से निश्चित है और सुंदर है —
तो कमेंट करें —
“I am a Peaceful Actor.”
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सृष्टि का रहस्य — अगले भाग में।

