(04) सहज राजयोग द्वारा सामना करने की शक्ति?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
सहज राजयोग के लाभ – सामना करने की शक्ति
ओम शांति।
सहज राजयोग का वास्तविक लाभ क्या है?
हम सभी सहज राजयोग सीखते हैं, परंतु अक्सर यह प्रश्न आता है –
“इससे हमें क्या लाभ होगा?”
राजयोग का अभ्यास केवल शांति या ज्ञान के लिए नहीं, बल्कि शक्तिशाली बनने के लिए किया जाता है।
इसमें से एक प्रमुख शक्ति है – “सामना करने की शक्ति”।
जीवन की सच्चाई: हर आत्मा के जीवन में आते हैं पेपर
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रोज़ मुरली पढ़ते हैं – 1 घंटा
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लेकिन बाकी 23 घंटे – जीवन का मैदान है, जहाँ पेपर कभी भी आ सकता है।
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परिस्थितियां प्रतिकूल होती हैं:
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शरीर बीमार
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संबंधों में दरार
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संसाधन अवरोध बन जाते हैं
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तब आवश्यक होती है – सामना करने की शक्ति।
क्या है “सामना करने की शक्ति”?
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ना डरना
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ना भागना
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बस टिके रहना – यह है सच्चा सामना
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चाहे कैसी भी स्थिति हो – पारिवारिक, शारीरिक, मानसिक – डरने का नहीं, डटने का समय होता है।
बाबा कहते हैं:
“सामना की शक्ति तब आती है, जब आत्मा योगबल में रहती है।”
योगबल से कैसे मिलती है ये शक्ति?
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योगबल = बाबा के साथ जुड़ाव
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श्रीमत पर चलने का अभ्यास
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आत्मा को शक्तिशाली बनाने का अनुभव
जितना अनुभव होगा, उतना सामना सहज होगा।
जो आत्मा बाबा से जुड़ी है, वह डगमगाएगी नहीं – हिल सकती है, पर डूबेगी नहीं।
जब संबंध, शरीर, संसाधन चुनौती बन जाएं
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संबंधों में दर्द हो – अपनाएं या छोड़ें?
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शरीर पीड़ित हो – जिएं या हार मानें?
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संसाधन रुकावट बनें – समाधान कैसे करें?
तब आवश्यकता होती है – अपने अंदर से शक्ति निकालने की।
सामना की शक्ति = स्थिति + साहस + स्थिरता
सामना करने की शक्ति का सूत्र:
स्थिर बुद्धि + साहस + राइट को पकड़ना
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बाहरी व्यक्तित्व के दबाव में ना आएं
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अपनी स्थिति को स्थिर बनाए रखें
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निर्णय स्पष्ट हो – क्या सही है, क्या गलत है
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और फिर साहसपूर्वक खड़े हो जाएं
उदाहरण: मजबूत जड़ों वाला वृक्ष
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तूफान आता है – पतली-पतली चीज़ें उड़ जाती हैं
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परंतु जिसकी जड़ें मजबूत होती हैं, वह वृक्ष टिक जाता है
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योगबल से आत्मा की जड़ें मजबूत बनती हैं
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बाबा की श्रीमत पर चलकर आत्मा अनुभव के बल पर स्थिर होती है
पत्थर को हटाने से बेहतर है उसे स्वीकारना
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कुछ परिस्थितियां पत्थर की तरह अचल होती हैं
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आप कहें – हट जाओ – पर वे नहीं हटतीं
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उलझने से समाधान नहीं मिलता – सूझने से मिलता है
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इसलिए सामना का अर्थ है – उस परिस्थिति को स्वीकारते हुए टिके रहना
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और फिर देखना – धीरे-धीरे वह परिस्थिति स्वयं हल होती है
निष्कर्ष: सहज राजयोग से बने “अडोल” आत्मा
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राजयोग कोई केवल ध्यान की विधि नहीं, यह जीवन जीने की शक्ति है
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सामना की शक्ति हमें हर परिस्थिति में सफल बनाती है
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जितना गहरा योग, उतना गहरा आत्म-बल
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और जितनी स्थिति शक्तिशाली – उतना सामना सहज
शिव बाबा का वरदान है:
“बच्चे, अडोल बनो। परिस्थितियों को देखकर डोलो नहीं।”
सहज राजयोग के लाभ – कैसे पाएँ सामना करने की शक्ति | Om Shanti | BK Dr Surender Sharma
प्रश्नोत्तरी: सहज राजयोग से कैसे मिलती है “सामना करने की शक्ति”?
1. प्रश्न: सहज राजयोग सीखने का वास्तविक लाभ क्या है?
उत्तर:सहज राजयोग का उद्देश्य केवल शांति या ज्ञान प्राप्त करना नहीं, बल्कि आत्मा को शक्तिशाली बनाना है। इसका प्रमुख लाभ है – सामना करने की शक्ति, जिससे हम जीवन की कठिन परिस्थितियों से डरते नहीं, डटकर उनका सामना करते हैं।
2. प्रश्न: जीवन में किस प्रकार की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है?
उत्तर:हर आत्मा के जीवन में पेपर आते हैं।
शरीर बीमार हो सकता है
संबंधों में खटास या दरार आ सकती है
संसाधन (जैसे गाड़ी, मकान) अवरोध बन सकते हैं
इन सभी में “सामना करने की शक्ति” की आवश्यकता होती है।
3. प्रश्न: “सामना करने की शक्ति” का वास्तविक अर्थ क्या है?
उत्तर:सामना करने की शक्ति का अर्थ है:
ना डरना
ना भागना
टिके रहना
चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, आत्मा स्थिर बुद्धि और साहस के साथ डटी रहे – यही सच्चा सामना है।
4. प्रश्न: यह शक्ति आत्मा को कैसे प्राप्त होती है?
उत्तर:बाबा कहते हैं:
“सामना की शक्ति तब आती है, जब आत्मा योगबल में रहती है।”
जब आत्मा शिव बाबा से जुड़ती है
श्रीमत पर चलती है
योगबल से शक्तिशाली बनती है
तो कोई भी परिस्थिति उसे हिला नहीं सकती।
5. प्रश्न: संबंध, शरीर या संसाधन जब चुनौती बनें, तब क्या करें?
उत्तर:
संबंधों में पीड़ा हो, तो अपनाना है या छोड़ना – यह निर्णय शक्ति से आएगा।
शरीर पीड़ित हो, तो हार नहीं माननी – आत्मबल से चलना होगा।
संसाधन अवरोध बनें, तो बुद्धि स्थिर रखनी होगी।
इन सबमें सामना करने की शक्ति हमें टिकाए रखती है।
6. प्रश्न: क्या “सामना करने की शक्ति” का कोई सूत्र है?
उत्तर:हाँ, यह शक्ति तीन बातों से मिलती है:
स्थिति + साहस + स्थिरता
स्थिर बुद्धि
साहस
सही को पकड़ना और गलत से बचना
बाहरी दबाव में आए बिना, आत्मा निर्णय के साथ टिके रहती है।
7. प्रश्न: इसका कोई जीवन उपयोगी उदाहरण क्या है?
उत्तर:जैसे तूफान में पतली चीज़ें उड़ जाती हैं लेकिन जिसकी जड़ें मजबूत होती हैं – वह वृक्ष खड़ा रहता है।
वैसे ही –
योगबल आत्मा की जड़ें मजबूत करता है, और आत्मा परिस्थिति के तूफान में भी अडोल रहती है।
8. प्रश्न: अगर कोई परिस्थिति बिल्कुल “पत्थर” जैसी हो, तो क्या करें?
उत्तर:कई बार परिस्थितियां अचल होती हैं – जैसे पत्थर।
उसे हटाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, उलझने से समाधान नहीं मिलता।
बल्कि सामना का अर्थ है – उसे स्वीकारना, और टिके रहना।
धीरे-धीरे वह परिस्थिति हल होने लगती है।
9. प्रश्न: सहज राजयोग आत्मा को “अडोल” कैसे बनाता है?
उत्तर:सहज राजयोग आत्मा को बाबा से जोड़कर शक्तिशाली बनाता है।
जैसे-जैसे आत्मा का योग गहरा होता है – आत्मबल भी गहराता है।
फिर परिस्थितियाँ कितनी भी विकट हों – आत्मा डोलती नहीं।
बाबा कहते हैं:
“बच्चे, अडोल बनो। परिस्थितियों को देखकर डोलो नहीं।”सहज राजयोग हमें केवल ध्यान सिखाने की विधि नहीं,
बल्कि जीवन जीने की शक्ति देता है।
“सामना करने की शक्ति” से ही आत्मा सच्चे अर्थों में राजा बनती है।सहज राजयोग, राजयोग के लाभ, सामना करने की शक्ति, ओम शांति, ब्रह्माकुमारी ज्ञान, BK Dr Surender Sharma, BK Omshanti GY, योगबल, आत्मा की शक्ति, परिस्थितियों का सामना, सहज राजयोग से शक्ति, जीवन में शक्ति, BK Rajyog, शिव बाबा, मुरली ज्ञान, राजयोग मेडिटेशन, अडोल स्थिति, आत्मा को शक्तिशाली बनाएं, ब्रह्मा कुमारी राजयोग, मानसिक शक्ति, स्थिर बुद्धि, श्रीमत पर चलना, शक्ति का अनुभव, BK योग, जीवन की सच्चाई, शक्तिशाली आत्मा, जीवन की कठिनाई, spiritual power, BK Hindi speech,
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