(04) Raksha Bandhan – the festival of protection of the soul

(04) रक्षाबंधन आत्मा की रक्षा का पर्व

YouTube player

“रक्षाबंधन का ईश्वरीय रहस्य | राखी = पवित्रता की प्रतिज्ञा | 


 प्रस्तावना – रक्षाबंधन पर एक आत्मिक प्रश्न

हर वर्ष हम राखी बाँधते हैं, मिठाई खाते हैं, उपहार देते हैं…
लेकिन क्या कभी आत्मा ने सोचा —
इस पर्व की शुरुआत कब और कैसे हुई? इसका असली अर्थ क्या है?

आज हम जानेंगे:
 रक्षाबंधन का आध्यात्मिक रहस्य
 जब परमात्मा स्वयं इस पर्व की नींव रखते हैं संगमयुग पर।


 1. रक्षाबंधन की शुरुआत कब और कैसे हुई?

उत्तर:
जब संगमयुग पर परमात्मा शिव इस सृष्टि पर अवतरित होते हैं,
तो वे ब्रह्मा के तन द्वारा माताओं को ज्ञान का कलश देते हैं।
वहीं से शुरू होता है ब्राह्मण जीवन… और वहीं से शुरू होता है
सच्चा रक्षाबंधन — आत्मा की माया से रक्षा का संकल्प।

Murli (18 अगस्त 2005):

“राखी का अर्थ है – अब कोई विकार रूपी रावण तुझे बाँध न सके।
तू आत्मा, पवित्रता की प्रतिज्ञा से स्वयं को सुरक्षित कर।”


 2. राखी किसे बाँधी जाती है और क्यों?

राखी कोई उम्र या शरीर पर नहीं बाँधी जाती —
यह आत्मा को आत्मा से जोड़ने वाला पवित्रता का संकल्प है।

जब बहन भाई को राखी बाँधती है, वह कहती है:

“भाई, तू भी आत्मा है। तू मन-वचन-कर्म से पवित्र जीवन जी।”

उदाहरण:
एक 3 साल की बहन 2 साल के भाई को राखी बाँधती है —
यह रक्षा नहीं, बल्कि आत्मिक स्मृति का प्रतीक है:

“हम आत्माएं एक ईश्वर की संतान हैं — अब पवित्रता का व्रत लो।”


 3. राखी = आत्मा की पवित्रता का संकल्प

‘राखी’ शब्द का अर्थ है:
“रक्षा का संकल्प” — लेकिन यह बाहरी नहीं, आत्मा की आंतरिक रक्षा है।

इस दिन आत्मा प्रतिज्ञा करती है:

  • मैं विकारों से बचूँगा

  • माया मुझे न हराए

  • मैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार से स्वयं की रक्षा करूँगा


 4. मुरली बिंदु: रक्षाबंधन की सच्ची परिभाषा

Murli (15 अगस्त 2003):

“बच्चे, राखी बाँधना आत्मा को याद दिलाना है कि अब तुम भगवान के बच्चे हो।
तुम्हें पवित्र जीवन जीना है।”

Murli (18 अगस्त 2005):

“अब कोई विकार तुझे बाँध न सके।
तू आत्मा पवित्रता की प्रतिज्ञा से स्वयं को सुरक्षित कर।”


 5. पवित्रता: आत्मा की सबसे बड़ी रक्षा

परमात्मा शिव कहते हैं:

“जब तुम पवित्र बनते हो, तब ही माया हार जाती है।
यही आत्मा की सच्ची रक्षा है।”

आत्मिक उदाहरण:
राम ने सीता को बचाने के लिए लंका हिला दी —
लेकिन आज आत्मा को अपने ही भीतर के रावण से युद्ध करना है।
 यही सच्चा रक्षाबंधन है – आत्मा की जागृति और रक्षा।


 6. संगमयुग का रक्षाबंधन: जब परमात्मा बाँधते हैं राखी

आज संगमयुग पर, परमात्मा स्वयं आत्मा से कहते हैं:

“बच्चे, मैं तुम्हें ज्ञान की राखी बाँधता हूँ।
अब तुम आत्मा हो — आत्मिक जीवन जीओ।
मैं हूँ तुम्हारा सच्चा रक्षक।”


 निष्कर्ष – राखी: आत्मा की जागृति और पवित्रता का महापर्व

पारंपरिक दृष्टि आध्यात्मिक दृष्टि (BK ज्ञान)
भाई बहन की सुरक्षा का वचन आत्मा स्वयं पवित्रता का संकल्प लेती है
बहन भाई को बाँधती है परमात्मा आत्मा को आत्मिक स्मृति बाँधते हैं
परिवार की रक्षा आत्मा की माया से रक्षा

प्रश्नोत्तर (Q&A) Format for Speech / Episode


प्रश्न 1: रक्षाबंधन की शुरुआत कब और कैसे हुई?

उत्तर:रक्षाबंधन कोई लौकिक त्योहार नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक संकल्प है जिसकी शुरुआत संगमयुग पर होती है।
जब परमात्मा शिव इस दुनिया में अवतरित होते हैं और ब्रह्मा के तन द्वारा माताओं को ज्ञान का कलश देते हैं,
तभी ब्राह्मण जीवन की शुरुआत होती है और सच्चे रक्षाबंधन का बीजारोपण होता है।

Murli (18 अगस्त 2005):
“राखी का अर्थ है – अब कोई विकार रूपी रावण तुझे बाँध न सके।
तू आत्मा, पवित्रता की प्रतिज्ञा से स्वयं को सुरक्षित कर।”


प्रश्न 2: राखी किसे बाँधी जाती है और क्यों?

उत्तर:राखी शरीर या उम्र पर नहीं, आत्मा को आत्मा से जोड़ने का संकल्प है।
जब बहन भाई को राखी बाँधती है, तो वह कहती है:
“भाई, तू भी आत्मा है। तू पवित्र जीवन जी – मन, वचन और कर्म से।”

उदाहरण:
एक छोटी बच्ची अपने छोटे भाई को राखी बाँधती है — यह रक्षा नहीं,
बल्कि एक आत्मिक स्मृति है कि –
“हम आत्माएं एक ही परमपिता की संतान हैं – अब पवित्रता का व्रत लो।”


प्रश्न 3: क्या ‘राखी’ केवल धागा है या कुछ और?

उत्तर:‘राखी’ शब्द का अर्थ है – रक्षा का संकल्प
लेकिन यह कोई बाहरी सुरक्षा नहीं —
बल्कि आत्मा की आंतरिक रक्षा का संकेत है।

 आत्मा प्रतिज्ञा करती है:

  • मैं विकारों से बचूँगा

  • माया मुझे न हराए

  • मैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार से अपनी रक्षा करूँगा


प्रश्न 4: मुरली में रक्षाबंधन को कैसे बताया गया है?

उत्तर:Murli (15 अगस्त 2003):
“राखी बाँधना आत्मा को याद दिलाना है कि अब तुम भगवान के बच्चे हो।
तुम्हें पवित्र जीवन जीना है।”

Murli (18 अगस्त 2005):
“अब कोई विकार तुझे बाँध न सके।
तू आत्मा पवित्रता की प्रतिज्ञा से स्वयं को सुरक्षित कर।”


प्रश्न 5: आत्मा की सबसे बड़ी सुरक्षा क्या है?

उत्तर:पवित्रता ही आत्मा की सबसे बड़ी रक्षा है।
परमात्मा शिव कहते हैं:
“जब आत्मा पवित्र बनती है, तभी माया हार जाती है।”
 यही आत्मा की सच्ची रक्षा है।

उदाहरण:
प्राचीनकाल में राम ने सीता को रावण से छुड़ाने के लिए लंका हिला दी।
आज आत्मा को अपने भीतर के रावण (विकारों) से युद्ध करना है।
 यही सच्चा रक्षाबंधन है — आत्मा की जागृति और रक्षा।


प्रश्न 6: क्या परमात्मा स्वयं भी राखी बाँधते हैं?

उत्तर:हाँ, संगमयुग पर परमात्मा स्वयं आत्मा से कहते हैं:

“बच्चे, मैं तुम्हें ज्ञान की राखी बाँधता हूँ।
अब तुम आत्मा हो – आत्मिक जीवन जीओ।
मैं हूँ तुम्हारा सच्चा रक्षक।”

 यह परमात्मा द्वारा आत्मा की रक्षा का संकल्प है —
जहां आत्मा स्मृति, पवित्रता और योगबल से स्वयं को माया से सुरक्षित करती है।

Disclaimer (डिस्क्लेमर):

इस वीडियो का उद्देश्य श्रोताओं को आध्यात्मिक ज्ञान और आत्म-जागृति की दिशा में प्रेरित करना है। यह प्रस्तुति ब्रह्माकुमारीज द्वारा दिए गए मुरली महावाक्यों और आध्यात्मिक सिद्धांतों पर आधारित है। सभी शास्त्रीय सन्दर्भ, आत्मिक दृष्टिकोण से समझाए गए हैं। यह किसी धर्म, परंपरा या व्यक्ति विशेष की आलोचना नहीं है, बल्कि सभी आत्माओं की जागृति और पवित्रता की भावना को जागृत करने का प्रयास है।

#Rakhi2025 #रक्षाबंधनका_रहस्य #SpiritualRakhi #BKMurli #BKDrSurenderSharma #RakhiMessage #Sangamyug #RakhiAndPurity #OmShantiGyan #GodlyMessage #BKSpeech #BrahmaKumaris #MurliPoints #RakhiWithGod #ShivBaba #BrahmaBaba #RakhiFestival #RakshaBandhan #SpiritualFestival #BKThoughts #PavitrataKiRakhi #RakhiSignificance

#राखी2025 #रक्षाबंधनका_रहस्य #आध्यात्मिकराखी #बीकेमुरली #बीकेडॉसुरेंडरशर्मा #राखीसंदेश #संगमयुग #राखीएंडप्योरिटी #ओमशांतिज्ञान #गॉडलीमैसेज #बीकेस्पीच #ब्रह्माकुमारी #मुरलीपॉइंट्स #राखीविदगॉड #शिवबाबा #ब्रह्माबाबा #राखीफेस्टिवल #रक्षाबंधन #आध्यात्मिक उत्सव #बीकेविचार #पवित्रताकीराखी #राखीमहत्व