(04)Angelic Soul: When rays of light radiate from nature and vision.

फरिश्ता स्थिति:-(04)फरिश्ता आत्मा: जब स्वभाव और दृष्टि से प्रकाश की किरणें फैलती हैं।

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(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

परिचय

बाबा ने फरिश्ता स्थिति को सिद्धि की अवस्था कहा है।
आज हम फरिश्ता स्थिति का चौथा पाठ समझने जा रहे हैं –
फरिश्ता आत्मा जब स्वभाव और दृष्टि से प्रकाश की किरणें फैलाती है।


1. किरणें क्या हैं?

  • बाबा कहते हैं कि वास्तव में संकल्प और वाइब्रेशन ही किरणें हैं।

  • जैसे आम बोलचाल में कहते हैं – “चेहरा बोलता है” या “आंखों में सब झलकता है।”

  • इसी को बाबा प्रकाश की किरणें कहते हैं।

अव्यक्त मुरली – 15 जनवरी 1970
“फरिश्ता आत्मा का स्वभाव और दृष्टि दोनों प्रकाशमय होते हैं, जिससे चारों ओर किरणें फैलती हैं।”


2. हर आत्मा स्वयं प्रकाश है

  • आत्मा Self-luminous है।

  • जैसे दीपक स्वयं जलकर रोशनी देता है, वैसे ही आत्मा में नूर है।

  • वैज्ञानिक प्रमाण: Kirlian Camera या Aura Camera से शरीर से निकलने वाली रोशनी रिकॉर्ड की जा सकती है।

  • जब आत्मा शरीर छोड़ती है, तो यह प्रकाश तुरंत गायब हो जाता है।

साकार मुरली – 12 अप्रैल 1968
“जहां शुद्धता है वहां से प्रकाश फैलता है।”


3. नूर और किरणों का संबंध

  • जिनकी आँखों में नूर है, वे प्रेम, करुणा और पवित्रता की झलक देते हैं।

  • नूर से ही किरणें निकलती हैं – वाइब्रेशन और संकल्प के रूप में।

  • यह किरणें वातावरण को भी बदल देती हैं।


4. दृष्टि की शक्ति

  • दृष्टि केवल देखने का साधन नहीं, बल्कि संदेश देने की शक्ति है।

  • माता की दृष्टि से बच्चा सुरक्षित महसूस करता है।

  • फरिश्ता आत्मा की दृष्टि आत्माओं को शक्ति और शांति प्रदान करती है।

अव्यक्त मुरली – 26 मई 1975
“एक ही दृष्टि से अंधकार मिट जाता है।”

अव्यक्त मुरली – 4 फरवरी 1979
“फरिश्ता आत्मा जहां बैठती है वहां वातावरण प्रकाशमय बन जाता है। जैसे बल्ब अंधकार मिटा देता है।”


5. स्वभाव से सेवा

  • फरिश्ता आत्मा की सबसे बड़ी विशेषता – वाणी से नहीं, स्वभाव से सेवा करना।

  • जैसे अगरबत्ती जहां भी रखी जाती है, वहां सुगंध फैला देती है।

  • वैसे ही फरिश्ता आत्मा का स्वभाव और दृष्टि वातावरण को प्रकाशमय बना देती है।

साकार मुरली – 8 जून 1969
“फरिश्ता आत्मा की सेवा वाणी से नहीं, बल्कि स्वभाव और दृष्टि से होती है।”


 उदाहरण

  • दीपक: अपने आप रोशनी फैलाता है, वैसे ही फरिश्ता आत्मा अपने आप शांति और सुख की किरणें फैलाती है।

  • अगरबत्ती: बिना शब्द बोले चारों ओर सुगंध फैला देती है।

  • मां की दृष्टि: बच्चे को सुरक्षा और प्यार का अनुभव कराती है।


 निष्कर्ष

फरिश्ता आत्मा का सबसे सुंदर गुण है –
स्वभाव और दृष्टि दोनों से प्रकाश की किरणें फैलाना।
यह स्थिति हमें दीपक की तरह बनाती है, जो स्वयं जलकर औरों को रोशनी देता है।

फरिश्ता आत्मा जब स्वभाव और दृष्टि से प्रकाश की किरणें फैलाती है।


 प्रश्न 1: किरणें क्या हैं?

उत्तर:
बाबा कहते हैं कि वास्तव में संकल्प और वाइब्रेशन ही किरणें हैं।
जैसे हम कहते हैं – “चेहरा बोलता है” या “आंखों में सब झलकता है।”
इसी को बाबा प्रकाश की किरणें कहते हैं।

अव्यक्त मुरली – 15 जनवरी 1970
“फरिश्ता आत्मा का स्वभाव और दृष्टि दोनों प्रकाशमय होते हैं, जिससे चारों ओर किरणें फैलती हैं।”


 प्रश्न 2: क्या हर आत्मा स्वयं प्रकाश है?

उत्तर:
हाँ, आत्मा Self-luminous है।
जैसे दीपक स्वयं जलकर रोशनी देता है, वैसे ही आत्मा में नूर है।
वैज्ञानिक प्रमाण – Kirlian Camera या Aura Camera से शरीर से निकलने वाली रोशनी देखी जा सकती है।
जब आत्मा शरीर छोड़ती है तो यह प्रकाश तुरंत गायब हो जाता है।

साकार मुरली – 12 अप्रैल 1968
“जहां शुद्धता है वहां से प्रकाश फैलता है।”


 प्रश्न 3: नूर और किरणों का आपस में क्या संबंध है?

उत्तर:
जिनकी आँखों में नूर है, वे प्रेम, करुणा और पवित्रता की झलक देते हैं।
यही नूर वाइब्रेशन और संकल्प के रूप में किरणें बनकर वातावरण को प्रभावित करता है।


 प्रश्न 4: दृष्टि की शक्ति किस प्रकार काम करती है?

उत्तर:
दृष्टि केवल देखने का साधन नहीं, बल्कि संदेश देने और शक्ति देने का माध्यम है।
मां की प्रेममयी दृष्टि से बच्चा सुरक्षित महसूस करता है।
वैसे ही फरिश्ता आत्मा की दृष्टि दूसरों को शक्ति और शांति प्रदान करती है।

अव्यक्त मुरली – 26 मई 1975
“एक ही दृष्टि से अंधकार मिट जाता है।”

अव्यक्त मुरली – 4 फरवरी 1979
“फरिश्ता आत्मा जहां बैठती है वहां वातावरण प्रकाशमय बन जाता है। जैसे बल्ब अंधकार मिटा देता है।”


 प्रश्न 5: फरिश्ता आत्मा किस प्रकार सेवा करती है?

उत्तर:
फरिश्ता आत्मा की सबसे बड़ी विशेषता है –
वह वाणी से नहीं, बल्कि स्वभाव और दृष्टि से सेवा करती है।
जैसे अगरबत्ती जहां भी रखी जाती है, वहां सुगंध फैला देती है।
वैसे ही फरिश्ता आत्मा का पवित्र स्वभाव और दृष्टि वातावरण को प्रकाशमय बना देते हैं।

साकार मुरली – 8 जून 1969
“फरिश्ता आत्मा की सेवा वाणी से नहीं, बल्कि स्वभाव और दृष्टि से होती है।”


 उदाहरण

  • दीपक: स्वयं जलकर अंधकार मिटाता है।

  • अगरबत्ती: बिना शब्द बोले सुगंध फैलाती है।

  • मां की दृष्टि: बच्चे को सुरक्षा और प्यार देती है।


 निष्कर्ष

फरिश्ता आत्मा का सबसे सुंदर गुण है –
स्वभाव और दृष्टि दोनों से प्रकाश की किरणें फैलाना।
यह स्थिति हमें दीपक की तरह बनाती है, जो स्वयं जलकर औरों को रोशनी देता है।

Disclaimer (डिस्क्लेमर):यह वीडियो ब्रह्माकुमारियों की मुरली और ईश्वरीय ज्ञान पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल आत्मिक जागृति, सकारात्मक सोच और आध्यात्मिक प्रेरणा देना है। यह किसी भी धर्म, सम्प्रदाय या परम्परा की आलोचना हेतु नहीं है।

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