05-08-2025/आज की मुरली बड़े-बड़े अक्षरों में पढ़े सुनें और मंथन करे
“हम भगवान से पढ़ रहे हैं!” | कैसे बनें ऊँच पद के अधिकारी? |
1. भूमिका: यह कोई साधारण पढ़ाई नहीं
Opening Line (Anchor Style):
“मीठे-मीठे रूहानी बच्चों! क्या आपने कभी सोचा है — हम कौन हैं? हम यह ज्ञान क्यों ले रहे हैं? और इस पढ़ाई का अंतिम लक्ष्य क्या है?“
यह कोई साधारण पढ़ाई नहीं। यह वह दिव्य पढ़ाई है जो स्वयं भगवान हमें पढ़ाते हैं। हम 21 जन्मों के लिए स्वर्ग का मालिक बनने का पुरुषार्थ कर रहे हैं।
2. क्यों भूल जाते हैं हम भगवान को?
बाबा कहते हैं — “माया इतनी जोर से भुला देती है कि सारा दिन याद ही नहीं आता कि हम भगवान से पढ़ रहे हैं।”
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कोई-कोई तो पूरे दिन याद नहीं करते, इसलिए खुशी गायब हो जाती है।
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भूलने का नतीजा? सेवा नहीं कर पाते, ऊँच पद नहीं बनता।
Example:
जैसे छात्र परीक्षा के समय टीचर को ही भूल जाए — तो कैसे पास होगा?
3. सेवा किसकी करनी है? — “अधम ते अधम वेश्याओं” की!
बाबा की विशेष राय — “उन आत्माओं तक ज्ञान पहुँचाओ जो जीवन में बहुत गिर गई हैं।”
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साहूकार लोग नहीं बन सकते स्वर्ग के राजा, परन्तु एक वेश्या भी बन सकती है स्वर्ग की महारानी।
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बोलो: “तुम ही नीच ते नीच बनी हो, अब तुम शिवालय में जा सकती हो।”
Bold Message:
“गरीबों का है ही भगवान।”
4. जो भूल जाते हैं पढ़ाई, वो पीछे छूट जाते हैं
बाबा कहते हैं — “कोई-कोई बच्चे पढ़ाई छोड़ बहाने बनाते हैं – फलाना ने ऐसा कहा… हफ्ते में एक बार ही आते हैं।”
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यह अपनी आत्मा का नुकसान है।
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मुरली तो रोज सुननी चाहिए — ज्ञान ही भविष्य का निर्माण करता है।
5. गीता पाठशाला खोलना – विशेष माताओं की सेवा
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गरीब माताएं पूछती हैं – बाबा, घर में गीता पाठशाला खोलें?
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उत्तर: हाँ, अवश्य! सेवा का शौक ईश्वरीय वरदान बन जाता है।
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पुरुष क्लबों में घूमते हैं, माताएं तो परमात्मा की सेवा में लग जाती हैं।
6. स्वर्ग की नैचुरल ब्यूटी बनाम फैशन की दुनियावी सुंदरता
बाबा कहते हैं – “देवताओं की नैचुरल ब्यूटी देखो कैसी है!”
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दुनिया में श्रृंगार और फैशन दिखावा है।
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ज्ञान चिता पर बैठने वाला बनता है पद्मा पद्म भाग्यशाली।
7. लोक लाज या ईश्वरीय आज्ञा?
शादी और कुल की मर्यादा के नाम पर लोग कह देते हैं – “क्या करें? दुनिया वाले बिगड़ जाएंगे।”
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बाबा कहते हैं – “यह बरबादी का धंधा छोड़ो, स्वर्ग में चलो।”
Power Line:
“अगर तुम पावन नहीं बने, तो लक्ष्मी को वरने लायक कैसे बनोगे?”
8. ब्राह्मणियों की जिम्मेदारी – गलत आत्माओं को मत लाओ
बाबा चेतावनी देते हैं – “अगर तुम कच्चे को लेकर आओगे, तो तुम्हारी अवस्था भी गिर जायेगी।”
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“इन्द्र सभा की कहानी” याद करो — ले आने वाले को भी दण्ड मिलता है।
9. आत्मा का सत्य निश्चय – हम आत्मा हैं, यह शरीर नहीं
बाबा कहते हैं – “यह ज्ञान सिर्फ एक बार मिलता है – इस संगमयुग में। फिर पूरे कल्प नहीं मिलेगा।”
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आत्मा सतोप्रधान थी, अब तमोप्रधान बन गई है।
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सिर्फ बाप को याद करो, तो विकर्म विनाश होंगे।
10. पढ़ाई में फुर्ती और सेवा का उमंग
बाबा कहते हैं – “बच्चों को जितना समय मिले, याद में रहो। सर्विसएबुल बच्चे ही ऊंच पद पाते हैं।”
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जैसे परीक्षा के दिन नज़दीक हों — वैसे एकान्त में जाकर अभ्यास करो।
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बाबा खुद भी यह प्रैक्टिस करते हैं — इसलिए हम बच्चों को सिखाते हैं।
11. निष्कर्ष: यही एक बार का सौभाग्य है
“यह ज्ञान, यह पढ़ाई, यह बाप से रिश्ता — सिर्फ और सिर्फ इस संगमयुग पर ही मिलता है।”
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यही तो वह सुनहरा अवसर है जिससे हम पूरे 21 जन्मों का भाग्य बना सकते हैं।
“हम भगवान से पढ़ रहे हैं!” | कैसे बनें ऊँच पद के अधिकारी?
Powerful BK Q&A Format – प्रेरणादायक सवाल-जवाब
प्र.1: यह पढ़ाई क्यों साधारण नहीं है?
उत्तर:क्योंकि यह पढ़ाई कोई मनुष्य नहीं, स्वयं परमात्मा शिवबाबा हमें पढ़ाते हैं। यह नॉलेज हमें 21 जन्मों के लिए स्वर्ग का मालिक बनाने वाली है। यही एक पढ़ाई है जो आत्मा को सतोप्रधान बनाती है।
प्र.2: हम भगवान को क्यों भूल जाते हैं?
उत्तर:बाबा कहते हैं – “माया इतनी ज़ोर से भुला देती है कि सारा दिन याद ही नहीं आता कि हम भगवान से पढ़ रहे हैं।”
याद न होने से खुशी खत्म हो जाती है, सेवा में रुचि नहीं रहती और ऊँच पद से हाथ धो बैठते हैं।
प्र.3: सेवा सबसे पहले किसकी करनी है?
उत्तर:उन आत्माओं की जो जीवन में बहुत नीचे गिर गई हैं — वेश्याएं, शराबी, अपराधी।
बाबा कहते हैं — “गरीबों का है ही भगवान”, और वही आत्माएं आज ज्ञान ले स्वर्ग की महारानी बन सकती हैं।
प्र.4: जो बच्चे मुरली नहीं सुनते, उन्हें क्या नुकसान होता है?
उत्तर:जो बच्चे पढ़ाई में लापरवाह हैं, हफ्ते में एक बार आते हैं, वे पीछे छूट जाते हैं।
बाबा कहते हैं – “यह आत्मा की हानि है।”
ज्ञान ही भविष्य का निर्माता है — मुरली सुनना रोज़ाना का टॉनिक है।
प्र.5: गीता पाठशाला क्यों खोलनी चाहिए?
उत्तर:माताएं जो घर से बाहर नहीं जा सकतीं, वे घर में गीता पाठशाला खोलकर सेवा कर सकती हैं।
यह सेवा वरदान का कारण बन जाती है। बाबा माताओं को विशेष प्रेरणा देते हैं क्योंकि वे ही सेवा में सच्चा शौक दिखाती हैं।
प्र.6: स्वर्ग की सुंदरता और आज की दुनिया की सुंदरता में क्या फर्क है?
उत्तर:स्वर्ग में देवताओं की नैचुरल ब्यूटी होती है, वहां कोई दिखावा नहीं होता।
दुनिया की सुंदरता फैशन और श्रृंगार का दिखावा है — पर यह सब नाशवान है।
ज्ञान चिता पर बैठने से आत्मा सजीव बनती है और वही सच्चा श्रृंगार है।
प्र.7: लोक-लाज और ईश्वरीय आज्ञा में क्या चुनना चाहिए?
उत्तर:बाबा कहते हैं – “अगर तुम पावन नहीं बने, तो लक्ष्मी को वरने लायक कैसे बनोगे?”
शादी-ब्याह और समाज के डर से पीछे हटना स्वयं की हानि है।
ईश्वरीय आज्ञा पालन से ही आत्मा ऊँच पद पा सकती है।
प्र.8: सेवा में किन आत्माओं को लाने से हानि होती है?
उत्तर:बाबा चेतावनी देते हैं – “कच्ची आत्माओं को सेवा में मत लाओ।”
यदि आप बिना योग्यता वाली आत्माओं को जबरन लाते हो, तो आपकी भी अवस्था गिर सकती है।
यह नियम इन्द्र सभा की कहानी से भी प्रमाणित होता है।
प्र.9: आत्मा का सत्य निश्चय क्या है?
उत्तर:“हम आत्मा हैं, यह शरीर नहीं।”
यह ज्ञान सिर्फ एक बार संगमयुग में मिलता है।
बाबा कहते हैं — “सिर्फ बाप को याद करने से ही विकर्म विनाश होंगे।”
प्र.10: ऊँच पद पाने के लिए क्या अभ्यास ज़रूरी है?
उत्तर:बाबा की सलाह – जितना समय मिले, याद में रहो और सेवा में लगो।
जैसे परीक्षा के समय पढ़ाई में फुर्ती आ जाती है, वैसे ही आत्मिक पुरुषार्थ करो।
फुर्तीला, सर्विसएबुल बच्चा ही विशेषता वाला बनता है।
प्र.11: निष्कर्ष – यह एक बार का सौभाग्य क्यों है?
उत्तर:क्योंकि यह ज्ञान, यह संबंध, यह संगमयुग — पूरा कल्प में सिर्फ एक बार आता है।
जो आज पढ़ रहे हैं, वही 21 जन्मों तक राजयोगी बनेंगे।
अब नहीं, तो कभी नहीं।
Disclaimer (डिस्क्लेमर)
यह वीडियो आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित है, जो प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा प्रचारित राजयोग एवं श्रीमत भगवद् गीता के मूल सिद्धांतों पर आधारित है।
यह वीडियो किसी भी धर्म, व्यक्ति या संस्था की आलोचना नहीं करता। हमारा उद्देश्य केवल आध्यात्मिक जागृति और आत्म-परिवर्तन को प्रेरित करना है।
यह वीडियो आधिकारिक BK Murli affidavit (दिनांक 13 जून 2025, BK करुणा) के अनुरूप है।
सभी विचार स्वयं ईश्वर द्वारा संगमयुग में दिए गए ज्ञान पर आधारित हैं।
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