Skip to content
brahmakumarisbkomshanti

brahmakumarisbkomshanti

Welcome to The Home of Godly Knowledge

  • HOME
  • RAJYOGA
  • LITRATURE
  • INDIAN FESTIVALS
  • CONTACT US
  • DISCLAMER
  • Home
  • Chhath Pooja Ka Asalee Arth
  • (05)Why is Chhath Puja performed only for Sun God? Why is only Sun God worshipped?

(05)Why is Chhath Puja performed only for Sun God? Why is only Sun God worshipped?

October 13, 2025October 13, 2025omshantibk07@gmail.com

YouTube player

छठ पूजा का असली अर्थ-:(05)क्यों छठ पूजा सिर्फ सूर्य देव की ही की जाती है।सूर्य देव को ही क्यों पूजा जाता है?

क्यों छठ पूजा सिर्फ सूर्य देव की ही की जाती है?

 “सूर्य नहीं, परमात्मा की याद – इसका रहस्य”

छठ पूजा का नाम सुनते ही आँखों के सामने उगते सूर्य का दृश्य आता है।
भक्त गंगा में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पण करते हैं।
पर क्या यह केवल भौतिक सूर्य की पूजा है?
या इसके पीछे कोई गहरा आध्यात्मिक अर्थ छिपा है?


ब्रह्माकुमारीज की दृष्टि से सूर्य पूजा का अर्थ

ज्ञान, प्रकाश और जीवन के स्रोत – ये तीनों एक ही परम तत्व से आते हैं – परमात्मा शिव।
वो ही है ज्ञान सूर्य, जो सभी आत्माओं को अंधकार (अज्ञान) से मुक्त करता है।

मुरली – 22 फरवरी 2024

“बच्चे, मैं हूं ज्ञान सूर्य शिव। ये सूर्य तो प्रतीक है मेरे प्रकाश का।”

 उदाहरण

जैसे दीपक की लौ देखकर हम उसके तेल को नहीं भूलते,
वैसे ही सूर्य की पूजा करते समय हमें उस परम स्रोत को नहीं भूलना चाहिए,
जिससे यह सूर्य भी शक्ति प्राप्त करता है।

ज्ञान सूर्य शिव बाबा ही वह शक्ति-स्रोत हैं
जिससे यह स्थूल सूर्य भी प्रकाशमान है।


सूर्य – देने का प्रतीक

सूर्य सृष्टि का एकमात्र तत्व है जो सदा देता है, कभी लेता नहीं।
वह गरीब-अमीर, पौधा-पशु, मानव सबको समान रूप से प्रकाश देता है।
इसलिए मनुष्य ने सूर्य को ईश्वर का प्रतीक माना।

मुरली – 9 अप्रैल 2024

“मैं भी इस सूर्य के समान हूं, जो सब आत्माओं को समान शक्ति देता है, कोई भेदभाव नहीं।”

 उदाहरण

सूर्य किसी का धर्म या नाम नहीं पूछता —
वैसे ही परमात्मा शिव भी सबको समान शक्ति देते हैं।


सूर्य पूजा का असली अर्थ – ज्ञान सूर्य की स्मृति

सूर्य केवल ग्रह नहीं, बल्कि ज्ञान सूर्य परमात्मा शिव का प्रतीक है।
जब आत्मा अंधकार में होती है, तो वह उसी प्रकाश स्रोत की ओर मुड़ती है।

मुरली – 18 जनवरी 2024

“मैं ही वह ज्ञान सूर्य हूं जो अंधकारमय आत्मा को प्रकाशमय बनाता हूं।”

 उदाहरण

जैसे उगता सूर्य रात के अंधकार को मिटा देता है,
वैसे ही परमात्मा का ज्ञान आत्मा के अंधकार को मिटा देता है।


सूर्यास्त और सूर्योदय का रहस्य

  • अस्त होते सूर्य को अर्घ देना – पुराने विकारों और संस्कारों को विदा देना।

  • उगते सूर्य को अर्घ देना – नए संकल्पों और दिव्य जीवन की शुरुआत करना।

मुरली – 10 मार्च 2024

“समर्पण का अर्थ है – पुराना सब समाप्त कर देना और योग से नया जीवन शुरू करना।”

यह आत्मा की आंतरिक पुकार है –
“हे परमात्मा, मेरी पुरानी कमजोरियों को मिटा दो, मुझे नया दिव्य जीवन दो।”


आत्मा और सूर्य का संबंध

हर आत्मा स्वयं भी एक ज्योति बिंदु है।
वह भी सूर्य समान चमक सकती है, यदि वह परमात्मा से योग द्वारा शक्ति प्राप्त करे।

मुरली – 5 जनवरी 2024

“बच्चे, तुम भी सूर्य समान आत्माएं हो, बस तुम्हारा प्रकाश अभी माया ने ढक दिया है।”

 उदाहरण

जैसे बादल सूर्य को नहीं बुझा सकता,
वैसे ही विकार आत्मा के प्रकाश को केवल ढक सकते हैं, मिटा नहीं सकते।


क्यों सूर्य और नहीं चंद्र?

सूर्य कभी रुकता नहीं, उसमें ऊर्जा और सातत्य है।
वह स्थिर है, जैसे परमात्मा का ज्ञान और प्रेम — अपरिवर्तनीय।

मुरली – 11 जुलाई 2024

“मैं हूं परम प्रकाश – जो कभी मंद नहीं होता।”

जैसे बिजली का बल्ब बदल सकता है, पर स्रोत नहीं बदलता,
वैसे ही युग बदलते हैं, पर परमात्मा सदा समान शक्ति देता है।


छठ पूजा का आध्यात्मिक संदेश

छठ पूजा आत्मा का सूर्य से मिलन है —
अंधकार से प्रकाश की ओर, अज्ञान से ज्ञान की ओर।
यह केवल भक्ति नहीं, बल्कि योग की अनुभूति है।

मुरली – 3 जून 2024

“अब बाप आया है बच्चों को सूर्य समान बनाने, ताकि तुम भी विश्व के दीपक बनो।”


छठ पूजा का दृश्य अर्थ

जब भक्त गंगा में खड़े होकर सूर्य को अर्घ देते हैं,
तो वह दृश्य आत्मा की गहराई से निकली पुकार है —
“हे प्रभु, मुझे भी अपने प्रकाश में लीन कर लो।”


समापन

छठ पूजा का उद्देश्य केवल सूर्य देव की भक्ति नहीं,
बल्कि उस परम प्रकाश की अनुभूति है जो आत्मा को दिव्य बनाता है।

मुरली – 30 अगस्त 2024

“ज्ञान की किरणों से आत्मा फिर से स्वर्णिम बन जाती है।”


निष्कर्ष

छठ पूजा सूर्य देव की नहीं, बल्कि ज्ञान सूर्य परमात्मा शिव की याद की पूजा है।
सूर्य केवल एक संदेशवाहक है —
कि आत्मा को भी उसी प्रकार प्रकाशमय और देने वाला बनना है।

जब आत्मा योग द्वारा उस परम सूर्य से जुड़ती है,
तभी सच्चा छठ पर्व मनाया जाता है —
जहां आत्मा का अंधकार मिटकर वह फिर से
स्वर्णिम युग का दीपक बन जाती है।

“सूर्य नहीं, परमात्मा की याद – इसका रहस्य”


प्रश्न 1: छठ पूजा में सूर्य देव की पूजा क्यों की जाती है?

उत्तर:
छठ पूजा का बाह्य रूप सूर्य देव की आराधना है, परंतु इसका आध्यात्मिक अर्थ बहुत गहरा है।
सूर्य केवल एक प्रतीक है — उस परमात्मा शिव का, जो “ज्ञान सूर्य” कहलाते हैं।
वास्तव में यह पूजा उस परम प्रकाश स्रोत की है, जो सभी आत्माओं को अज्ञान के अंधकार से मुक्त करता है।

मुरली – 22 फरवरी 2024

“बच्चे, मैं हूं ज्ञान सूर्य शिव। ये सूर्य तो प्रतीक है मेरे प्रकाश का।”

उदाहरण:
जैसे दीपक की लौ देखकर हम उसके तेल को नहीं भूलते,
वैसे ही सूर्य की पूजा करते समय हमें उस परम स्रोत को याद रखना चाहिए,
जिससे यह सूर्य भी अपनी शक्ति पाता है।


प्रश्न 2: ब्रह्माकुमारीज की दृष्टि में सूर्य पूजा का असली अर्थ क्या है?

उत्तर:
ब्रह्माकुमारी ज्ञान कहता है कि सूर्य ज्ञान, प्रकाश और जीवन के स्रोत का प्रतीक है।
इन तीनों का मूल स्रोत है परमात्मा शिव।
सूर्य की पूजा वास्तव में परमात्मा की स्मृति और योग साधना का बाहरी रूप है।


प्रश्न 3: सूर्य को “देने वाला” क्यों कहा गया है?

उत्तर:
सूर्य सृष्टि का ऐसा तत्व है जो निरंतर देता है, कभी लेता नहीं।
वह गरीब-अमीर, पौधा, पशु, मानव — सबको समान रूप से प्रकाश देता है।
इसलिए उसे परमात्मा का जीवंत प्रतीक माना गया।

मुरली – 9 अप्रैल 2024

“मैं भी इस सूर्य के समान हूं, जो सब आत्माओं को समान शक्ति देता है, कोई भेदभाव नहीं।”

उदाहरण:
सूर्य किसी से पूछता नहीं कि तुम कौन हो, क्या धर्म है —
वैसे ही परमात्मा शिव भी सभी आत्माओं को समान शक्ति देते हैं।


प्रश्न 4: सूर्य पूजा का असली अर्थ क्या है?

उत्तर:
सूर्य कोई देवता नहीं बल्कि ज्ञान सूर्य परमात्मा शिव का प्रतीक है।
जब आत्मा अंधकार (अज्ञान) में होती है, तो वह उसी परम प्रकाश की ओर मुड़ती है।

मुरली – 18 जनवरी 2024

“मैं ही वह ज्ञान सूर्य हूं जो अंधकारमय आत्मा को प्रकाशमय बनाता हूं।”

उदाहरण:
जैसे उगता सूर्य रात के अंधकार को मिटा देता है,
वैसे ही परमात्मा का ज्ञान आत्मा के अंधकार को मिटाता है।


प्रश्न 5: छठ पूजा में सूर्यास्त और सूर्योदय को अर्घ्य देने का क्या अर्थ है?

उत्तर:

  • अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देना – पुराने विकारों, बुरे संस्कारों को विदा करना।

  • उगते सूर्य को अर्घ्य देना – नए दिव्य संकल्पों और पवित्र जीवन की शुरुआत करना।

मुरली – 10 मार्च 2024

“समर्पण का अर्थ है – पुराना सब समाप्त कर देना और योग से नया जीवन शुरू करना।”

भावार्थ:
जब भक्त सूर्य को जल अर्पण करता है, वह कहता है –
“हे परमात्मा, मेरी पुरानी कमजोरियों को मिटा दो और मुझे नया जीवन दो।”


प्रश्न 6: आत्मा और सूर्य का क्या संबंध है?

उत्तर:
हर आत्मा स्वयं भी एक ज्योति बिंदु है।
वह भी सूर्य समान चमक सकती है, जब वह परमात्मा शिव से योग द्वारा शक्ति प्राप्त करे।

मुरली – 5 जनवरी 2024

“बच्चे, तुम भी सूर्य समान आत्माएं हो, बस तुम्हारा प्रकाश अभी माया ने ढक दिया है।”

उदाहरण:
जैसे बादल सूर्य को नहीं बुझा सकते,
वैसे ही विकार आत्मा के प्रकाश को केवल ढकते हैं, मिटा नहीं सकते।


प्रश्न 7: पूजा सूर्य की होती है, चंद्र की क्यों नहीं?

उत्तर:
सूर्य नित्य प्रकाशमान है, उसमें सातत्य और ऊर्जा है।
वह स्थिर है, जैसे परमात्मा का ज्ञान और प्रेम — जो कभी घटता नहीं।
चंद्रमा बदलता है, पर सूर्य स्थिर रहता है।

मुरली – 11 जुलाई 2024

“मैं हूं परम प्रकाश – जो कभी मंद नहीं होता।”

उदाहरण:

जैसे बिजली का बल्ब बदल सकता है, पर स्रोत (विजली) नहीं बदलती —
वैसे ही युग बदलते हैं, पर परमात्मा की शक्ति सदा समान रहती है।


प्रश्न 8: छठ पूजा का आध्यात्मिक संदेश क्या है?

उत्तर:
छठ पूजा आत्मा के सूर्य से मिलन का प्रतीक है —
अंधकार से प्रकाश की ओर, अज्ञान से ज्ञान की ओर बढ़ना।
यह केवल भक्ति नहीं, बल्कि योग की अनुभूति है।

मुरली – 3 जून 2024

“अब बाप आया है बच्चों को सूर्य समान बनाने, ताकि तुम भी विश्व के दीपक बनो।”


प्रश्न 9: जब भक्त गंगा में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं, तो उसका क्या अर्थ है?

उत्तर:
वह दृश्य आत्मा की आंतरिक पुकार है —
“हे प्रभु, मुझे भी अपने प्रकाश में लीन कर लो।”
यह आत्मा और परमात्मा के मिलन की साधना है,
जहाँ भक्ति अपने चरम पर योग का अनुभव बन जाती है।


प्रश्न 10: छठ पूजा का निष्कर्ष क्या है?

उत्तर:
छठ पूजा सूर्य देव की नहीं, बल्कि ज्ञान सूर्य परमात्मा शिव की याद की पूजा है।
सूर्य केवल एक प्रतीक है जो हमें यह याद दिलाता है —
कि आत्मा को भी उसी प्रकार प्रकाशमय और देने वाला बनना है।

मुरली – 30 अगस्त 2024

“ज्ञान की किरणों से आत्मा फिर से स्वर्णिम बन जाती है।”

भावार्थ:
जब आत्मा योग द्वारा उस परम सूर्य से जुड़ती है,
तभी सच्चा छठ पर्व मनाया जाता है —
जहाँ आत्मा का अंधकार मिटकर वह फिर से
स्वर्णिम युग का दीपक बन जाती है।


समापन वाक्य:

छठ पूजा हमें यह सिखाती है —
सूर्य को नहीं, उस ज्ञान सूर्य परमात्मा शिव को याद करो,
जो हर आत्मा को प्रकाश देने आया है।

डिस्क्लेमर (Disclaimer):यह वीडियो किसी धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाने हेतु नहीं है। इसका उद्देश्य छठ पूजा के आध्यात्मिक और ज्ञानपूर्ण रहस्य को ब्रह्माकुमारीज की दृष्टि से समझाना है। हम सभी धर्मों, परंपराओं और आस्थाओं का सम्मान करते हैं। यह प्रस्तुति केवल आध्यात्मिक अध्ययन और आत्म-चिंतन के उद्देश्य से है।

क्यों छठ पूजा, सूर्य देव, परमात्मा, ज्ञान सूर्य, शिव बाबा, सूर्य पूजा रहस्य, आध्यात्मिक अर्थ, सूर्य अर्घ्य, दीपक उदाहरण, सूर्य स्रोत, समान शक्ति, आत्मा प्रकाश, सूर्य और आत्मा, सूर्यास्त रहस्य, सूर्योदय रहस्य, आत्मा ज्योति, सूर्य और चंद्र, अपरिवर्तनीय ज्ञान, योग अनुभव, छठ पूजा संदेश, गंगा में अर्घ्य, दिव्य जीवन, आत्मा का प्रकाश, विश्व का दीपक, स्वर्णिम आत्मा, ज्ञान की किरणें, परम प्रकाश, ब्रह्माकुमारीज, छठ पूजा महत्व, सूर्य नहीं चंद्र, आत्मा योग, प्रकाशमय आत्मा, सूर्य संदेशवाहक, परमात्मा स्मृति, अंधकार से प्रकाश, ज्ञान की ओर, सूर्य अर्घ्य का महत्व, आत्मा और सूर्य संबंध, सूर्य प्रतीक, ऊर्जा और सातत्य, छठ पूजा दर्शन, दिव्य दीपक, परमात्मा शक्ति, सूर्य समान आत्मा, छठ पर्व आध्यात्मिक, ब्रह्माकुमारी teachingswhy chhath puja, sun god, god of knowledge, shiv baba, sun worship secret, spiritual meaning, sun offering, lamp example, sun source, equal power, soul light, sun and soul, sunset secret, sunrise secret, soul light, sun and moon, unchanging knowledge, yoga experience, chhath puja message, arghya in ganges, divine life, light of soul, lamp of the world, golden soul, rays of knowledge, supreme light, brahma kumaris, chhath puja significance, not sun but moon, soul yoga, luminous soul, sun messenger, divine memory, from darkness to light, towards knowledge, importance of sun offering, soul and sun connection, sun symbol, energy and continuity, chhath puja philosophy, divine lamp, divine power, soul like sun, chhath festival spiritual, brahma kumari teachings

Chhath Pooja Ka Asalee Arth Tagged "अंधकार से प्रकाश, arghya in ganges, Brahma Kumari teachings, brahma kumaris, chhath festival spiritual, Chhath Puja Message, chhath puja philosophy, chhath puja significance, divine lamp, divine life, divine memory, divine power, energy and continuity, equal power, from darkness to light, god of knowledge, golden soul, importance of sun offering, lamp example, lamp of the world, light of soul, luminous soul, not sun but moon, Rays of Knowledge, Shiv Baba, soul and sun connection, Soul Light, soul like sun, soul yoga, Spiritual Meaning, sun and moon, sun and soul, sun god, sun messenger, sun offering, sun source, sun symbol, sun worship secret, sunrise secret, sunset secret, supreme light, towards knowledge, unchanging knowledge, yoga experience, अपरिवर्तनीय ज्ञान, आत्मा और सूर्य संबंध, आत्मा का प्रकाश, आत्मा ज्योति, आत्मा प्रकाश, आत्मा योग, आध्यात्मिक अर्थ, ऊर्जा और सातत्य, क्यों छठ पूजा, गंगा में अर्घ्य, छठ पर्व आध्यात्मिक, छठ पूजा दर्शन, छठ पूजा महत्व, छठ पूजा संदेश, ज्ञान की ओर, ज्ञान की किरणें, ज्ञान सूर्य, दिव्य जीवन, दिव्य दीपक, दीपक उदाहरण, परम प्रकाश, परमात्मा, परमात्मा शक्ति, परमात्मा स्मृति, प्रकाशमय आत्मा, ब्रह्माकुमारी teachingswhy chhath puja, ब्रह्माकुमारीज़, योग अनुभव, विश्व का दीपक, शिव बाबा, समान शक्ति, सूर्य अर्घ्य, सूर्य अर्घ्य का महत्व, सूर्य और आत्मा, सूर्य और चंद्र, सूर्य देव, सूर्य नहीं चंद्र, सूर्य पूजा रहस्य, सूर्य प्रतीक, सूर्य संदेशवाहक, सूर्य समान आत्मा, सूर्य स्रोत, सूर्यास्त रहस्य, सूर्योदय रहस्य, स्वर्णिम आत्मा

Post navigation

(06)“Method of becoming a Naamigrami Sevadhari”
(07)What is the significance of offering water to the Sun during this festival?

Related Posts

(02)Why does Chhath Puja last for four days?

(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं) छठ पूजा का असली अर्थ-(02)छठ पूजा चार दिन क्यों चलती है? अध्याय: “छठ…

(01)”Are we worshipping the soul and not the sun?”

(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं) छठ पूजा का असली अर्थ- (01)”क्या हम सूर्य की नहीं, आत्मा की आराधना…

(07)What is the significance of offering water to the Sun during this festival?

छठ पूजा का असली अर्थ-:(07)इस पर्व में सूर्य को अर्घ देने का क्या महत्व है? अध्याय 1: छठ पूजा का…

Copyright © 2025 brahmakumarisbkomshanti | Ace News by Ascendoor | Powered by WordPress.