(07)Why is it important to make people experience it and not just tell it?

साक्षात्कार मूर्त कैसे बने?-(07)सिर्फ सुनाना नहीं – अनुभव कराना क्यों है जरूरी?

YouTube player

1. परिचय – सिर्फ सुनाना नहीं, अनुभव कराना क्यों जरूरी?

आज हम इसका सातवां विषय करेंगे।

  • बाबा ने अव्यक्त मुरली में स्पष्ट कहा है कि इस यज्ञ की विशेषता सिर्फ ज्ञान सुनाना नहीं, बल्कि ऐसा अनुभव कराना है जिससे आत्मा को साक्षात्कार हो।

  • केवल सुनाने से ज्ञान बुद्धि तक सीमित रहता है।

  • अनुभव कराने से ज्ञान हृदय में उतरता है।

उदाहरण:
शिवानी बहन जब ज्ञान सुनाती हैं – वे केवल सुनाती नहीं, बल्कि अनुभव कराती हैं
छोटा सा टॉपिक भी इतनी विस्तार से समझाती हैं कि सामने वाले को अनुभव हो जाता है।


2. दुनिया में सुनाने और अनुभव कराने में अंतर

  • आज दुनिया में लाखों प्रवचनकर्ता हैं, लेकिन अनुभव कराने वाले बहुत कम हैं।

  • कुछ वक्ता ध्यान भटकाए बिना दृश्य खड़ा कराते हैं, पर वे अनुभव कराते हैं अज्ञानता का।

  • आप अनुभव कराएंगे ज्ञान का और सत्य का।

मुख्य अंतर:

क्रिया प्रभाव
सुनाना बुद्धि/मस्तिष्क तक सीमित
अनुभव कराना हृदय और आत्मा तक उतरता है, विश्वास दृढ़ करता है

3. अनुभव कराने की शक्ति

  • आत्मा अनुभव तभी करती है, जब उसका विश्वास दृढ़ होता है।

  • वर्णन, उदाहरण और शब्दों का ऐसा प्रयोग होना चाहिए कि सामने वाले को सहज रूप से अनुभव हो कि यह सत्य है।

उदाहरण:

  • डॉक्टर अगर केवल किताब पढ़ा दे और मरीज को राहत न मिले, तो क्या फायदा?

  • लेकिन जब दवा असर करती है और मरीज को आराम मिलता है, तभी डॉक्टर पर भरोसा होता है।


4. बाबा की मुर्ली से संकेत

  • 18 जनवरी 1989 – अव्यक्त मुर्ली:

“सुनाने वाले बहुत हैं, लेकिन कमी है साक्षात्कार कराने की।”

  • 24 जनवरी 1973 – अव्यक्त मुर्ली:

“अनुभव भी साक्षात्कार समान है। सुनने वाले को ऐसे लगे कि अलौकिक शक्ति बोल रही है।”


5. सुनाना और अनुभव कराना में अंतर

क्रिया विशेषता
सुनाना शब्दों तक सीमित, भूल सकते हैं, मस्तिष्क को प्रभावित करता है
अनुभव कराना आत्मा की गहराई को छूता है, अमिट छाप छोड़ता है, हृदय और आत्मा बदल देता है

6. आज की आवश्यकता

  • बाबा कहते हैं – समय ऐसा है कि लोगों को शब्दों से नहीं, श्रेष्ठ वाइब्रेशन और वातावरण से अनुभव चाहिए।

  • श्रेष्ठ संकल्पों से हर आत्मा को मंसा द्वारा शक्ति भेजनी है।

  • इसलिए हमें केवल सेवाधारी मूरत नहीं, बल्कि साक्षात्कार मूरत बनना है।

लाभ:
जब हमारी स्थिति श्रेष्ठ होगी, तो सुनने वाले कहेंगे –

“हमने केवल सुना नहीं, बल्कि अलौकिक शक्ति का अनुभव किया।”


7. निष्कर्ष और एंडिंग लाइन

  • ज्ञान सुनाना आधार है, लेकिन अनुभव कराना ही असली सफलता है।

  • शब्द भूल सकते हैं, पर अनुभव कभी नहीं।

  • पुरुषार्थ यही होना चाहिए कि सिर्फ सुनाने वाले नहीं, बल्कि ऐसा अनुभव कराने वाले बनें।

  • “साक्षात्कार मूरत कैसे बनें? – सिर्फ सुनाना नहीं, अनुभव कराना क्यों जरूरी?”


    Q&A Chapter: साक्षात्कार मूरत और अनुभव कराने का महत्व

    Q1: आज का सातवां विषय क्या है?
    A1: आज का सातवां विषय है – सिर्फ सुनाना नहीं, अनुभव कराना क्यों जरूरी?

    • बाबा ने अव्यक्त मुरली में कहा है कि इस यज्ञ की विशेषता केवल ज्ञान सुनाना नहीं, बल्कि ऐसा अनुभव कराना है जिससे आत्मा को साक्षात्कार हो।


    Q2: केवल सुनाने से क्या सीमा है?
    A2: केवल सुनाने से ज्ञान बुद्धि तक सीमित रहता है।

    • अनुभव कराने से ज्ञान हृदय में उतरता है और आत्मा तक जाता है।

    उदाहरण:

    • शिवानी बहन जब ज्ञान सुनाती हैं, वे केवल सुनाती नहीं हैं, बल्कि अनुभव कराती हैं।

    • छोटा सा टॉपिक भी इतनी विस्तार से समझाती हैं कि सामने वाले को वास्तव में अनुभव हो जाता है।


    Q3: दुनिया में सुनाने और अनुभव कराने में क्या अंतर है?
    A3:

    • आज दुनिया में लाखों प्रवचनकर्ता हैं, लेकिन अनुभव कराने वाले बहुत कम हैं।

    • कुछ वक्ता ध्यान भटकाए बिना दृश्य खड़ा कराते हैं, पर वे अनुभव कराते हैं अज्ञानता का।

    • आप अनुभव कराएंगे ज्ञान का और सत्य का।

    मुख्य अंतर:

    क्रिया प्रभाव
    सुनाना बुद्धि/मस्तिष्क तक सीमित
    अनुभव कराना हृदय और आत्मा तक उतरता है, विश्वास दृढ़ करता है

    Q4: अनुभव कराने की शक्ति क्या है?
    A4:

    • आत्मा अनुभव तभी करती है, जब उसका विश्वास दृढ़ होता है।

    • वर्णन, उदाहरण और शब्दों का ऐसा प्रयोग होना चाहिए कि सामने वाले को सहज रूप से अनुभव हो कि यह सत्य है।

    उदाहरण:

    • डॉक्टर अगर केवल किताब पढ़ा दे और मरीज को राहत न मिले, तो क्या फायदा?

    • लेकिन जब दवा असर करती है और मरीज को आराम मिलता है, तभी डॉक्टर पर भरोसा होता है।


    Q5: बाबा की मुर्ली में इस विषय पर क्या संकेत हैं?
    A5:

    • 18 जनवरी 1989 – अव्यक्त मुर्ली:

    “सुनाने वाले बहुत हैं, लेकिन कमी है साक्षात्कार कराने की।”

    • 24 जनवरी 1973 – अव्यक्त मुर्ली:

    “अनुभव भी साक्षात्कार समान है। सुनने वाले को ऐसे लगे कि अलौकिक शक्ति बोल रही है।”


    Q6: सुनाना और अनुभव कराना में मुख्य अंतर क्या है?

    क्रिया विशेषता
    सुनाना शब्दों तक सीमित, भूल सकते हैं, मस्तिष्क को प्रभावित करता है
    अनुभव कराना आत्मा की गहराई को छूता है, अमिट छाप छोड़ता है, हृदय और आत्मा बदल देता है

    Q7: आज के समय में अनुभव कराने की आवश्यकता क्यों है?
    A7:

    • बाबा कहते हैं – लोगों को शब्दों से नहीं, श्रेष्ठ वाइब्रेशन और वातावरण से अनुभव चाहिए।

    • श्रेष्ठ संकल्पों से हर आत्मा को मंसा द्वारा शक्ति भेजनी है।

    • इसलिए हमें केवल सेवाधारी मूरत नहीं, बल्कि साक्षात्कार मूरत बनना है।

    लाभ:

    • जब हमारी स्थिति श्रेष्ठ होगी, तो सुनने वाले कहेंगे –

    “हमने केवल सुना नहीं, बल्कि अलौकिक शक्ति का अनुभव किया।”


    Q8: निष्कर्ष क्या है?
    A8:

    • ज्ञान सुनाना आधार है, लेकिन अनुभव कराना ही असली सफलता है।

    • शब्द भूल सकते हैं, पर अनुभव कभी नहीं।

    • पुरुषार्थ यही होना चाहिए कि सिर्फ सुनाने वाले नहीं, बल्कि ऐसा अनुभव कराने वाले बनें।

Disclaimer (डिस्क्लेमर):

यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ के आध्यात्मिक शिक्षण और मुर्ली पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी व्यक्तिगत आध्यात्मिक समझ और ज्ञान के उद्देश्य से साझा की गई है। इसे चिकित्सकीय, कानूनी या किसी व्यावसायिक सलाह के रूप में न लें।

अनुभव कराना, ज्ञान और अनुभव, अव्यक्त मुरली, शिव बाबा, ब्रह्मा कुमारी, आत्मा का अनुभव, साक्षात्कार, धार्मिक शिक्षा, रूहानी ज्ञान, सुनाना और अनुभव, हृदय और आत्मा, अनुभव की शक्ति, श्रेष्ठ वाइब्रेशन, साक्षात्कार मूरत, सेवाधारी मूरत, ज्ञान सुनाना, अलौकिक शक्ति, मस्तिष्क और हृदय, अनुभव और विश्वास, ब्रह्मा कुमारी सेवा, आध्यात्मिक शिक्षा, अनुभव कराने वाला, आत्मा का विकास, अव्यक्त मुर्ली 1989, अव्यक्त मुर्ली 1973, आध्यात्मिक यज्ञ, ज्ञान का अनुभव, धार्मिक प्रवचन, आध्यात्मिक प्रेरणा,

Giving experience, knowledge and experience, Avyakt Murli, Shiv Baba, Brahma Kumari, experience of the soul, interview, religious education, spiritual knowledge, narrating and experience, heart and soul, power of experience, best vibration, interview idol, sevadhari idol, narrating knowledge, supernatural power, mind and heart, experience and faith, Brahma Kumari service, spiritual education, one who gives experience, development of the soul, Avyakt Murli 1989, Avyakt Murli 1973, spiritual yagya, experience of knowledge, religious discourse, spiritual inspiration,