भूत ,प्रेत:-(07)पिशाच का रहस्य क्या वाकई कोई नकारात्मक आत्मा होती है? क्या सच में पिशाच होते हैं?
भूत, प्रेत, चुड़ैल, पिशाच, निशाचर आदि पर अध्ययन
आज सातवाँ विषय है — पिशाच का रहस्य
क्या वाकई कोई नकारात्मक आत्मा होती है?
क्या सच में पिशाच होते हैं?
आज हम बात करेंगे एक ऐसे विषय पर जो बहुतों को डराता है — पिशाच।
लेकिन ब्रह्मा कुमारीज़ के गहन आध्यात्मिक ज्ञान में इस डर का भी एक दिव्य समाधान है।
क्योंकि जब हम ज्ञान की रोशनी में देखते हैं तो कोई भी अंधकार टिक नहीं सकता।
पिशाच क्या होता है?
सामान्य रूप से लोग समझते हैं कि पिशाच कोई भूत या आत्मा है जो लोगों को डराती है।
परंतु ज्ञान के अनुसार पिशाच कोई अलग प्राणी नहीं, बल्कि वही आत्मा होती है जो अपने विकारों में फंसी हुई है।
वह शरीर छोड़ चुकी होती है, पर उसकी आसक्तियां, क्रोध या लालच अब भी शेष रहते हैं।
क्यों रह जाते हैं?
क्योंकि यह कार्मिक अकाउंट होता है।
जिन आत्माओं के साथ उसका हिसाब-किताब बाकी होता है, उनके साथ बराबरी करने के लिए वह शरीर लेकर पार्ट नहीं बजा सकती।
इसलिए वह सूक्ष्म शरीर के माध्यम से अपना पार्ट बजाती है।
मुरली (2 नवंबर 2018)
“आत्मा जब विकारों में फंसी रहती है तो अशांत रहती है।
ज्ञान और योग से ही आत्मा को शांति मिलती है।”
पिशाच इंसानों को क्यों परेशान करते हैं?
जब आत्मा देह छोड़ती है लेकिन उसकी इच्छाएं अधूरी रह जाती हैं —
तो वह समान वाइब्रेशन वाले व्यक्तियों के आसपास खिंच जाती है।
अगर किसी में डर, नशा या क्रोध है तो ऐसी आत्माएं उसकी ओर आकर्षित होती हैं।
लेकिन याद रखें — यह केवल उन्हीं आत्माओं के साथ होता है जिनसे उसका कार्मिक संबंध (पार्ट) होता है।
जिनके साथ कोई हिसाब-किताब नहीं है, उनके पास वह आत्मा नहीं जाती।
जैसे ही कार्मिक अकाउंट बराबर होता है, वह आत्मा अलग हो जाती है।
जैसे अंधेरे में कोई प्रकाश लाए तो अंधकार मिट जाता है,
वैसे ही स्मृति योग से ऐसे प्रभाव भी मिट जाते हैं।
क्या पिशाच केवल रात में आते हैं?
यह एक भ्रम है।
आत्माएं समय के बंधन में नहीं होतीं।
रात में मनुष्य का मन शांत होता है, इसलिए उसकी कल्पनाएं अधिक सक्रिय रहती हैं —
और लोग अनुभव करते हैं कि कोई अदृश्य शक्ति है।
मुरली (10 मार्च 2020):
“डर आत्मा का शत्रु है।
जो बाबा को याद करते हैं, उनके पास कोई नकारात्मक शक्ति नहीं आ सकती।”
पिशाच की ऊर्जा और सामान्य आत्मा में क्या अंतर है?
साधारण आत्मा शांति चाहती है।
पिशाच सदृश्य आत्मा भ्रम में होती है — उसकी ऊर्जा भारी और अस्थिर होती है।
वह विकारों से मुक्त नहीं हुई होती।
जैसे गंदा जल बदबू देता है,
वैसे विकारयुक्त आत्मा नकारात्मक कंपन उत्पन्न करती है।
मुरली (8 सितंबर 2021):
“योग से आत्मा सतोप्रधान बनती है। जो सतोप्रधान है वही सच्ची प्रकाशमय आत्मा है।”
पिशाच से सुरक्षित रहने के उपाय:
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कर्मों का ज्ञान रखें।
यदि किसी आत्मा से हमारा कार्मिक अकाउंट है, तो वह अपना पार्ट पूरा करेगी।
यदि नहीं है, तो वह हमारे पास नहीं आ सकती। -
योग और ईश्वर-स्मृति का अभ्यास करें।
प्रातःकाल योग व ईश्वर की याद में रहने से आत्मा शांत बनती है और स्वाभाविक शक्ति आती है। -
सात्विक जीवन शैली अपनाएं।
नशा, हिंसा और नकारात्मकता से दूरी रखें।
प्रतिदिन मुरली अध्ययन करें और मन को स्थिर रखें। -
परमात्मा शिव से कनेक्शन रखें।
यही सर्वोच्च सुरक्षा कवच है।
मुरली (21 अक्टूबर 2019):
“जो मेरी याद में रहते हैं, उन्हें कोई नकारात्मक शक्ति छू भी नहीं सकती।”
निष्कर्ष:
पिशाच, भूत या प्रेत से डरने की नहीं,
बल्कि अपने विचारों को पवित्र और शक्तिशाली बनाने की आवश्यकता है।
जब आत्मा बाबा की याद में स्थित होती है,
तो उसके चारों ओर शक्ति और प्रकाश का कवच बन जाता है।
जिसके पास यह दिव्य ऊर्जा होती है, उसके पास कोई नकारात्मक आत्मा नहीं आ सकती।
परंतु अगर हम हॉरर फिल्में, डरावनी कहानियाँ या भूत-प्रेत की चर्चा करते हैं,
तो वही चित्र हमारी बुद्धि में रह जाते हैं और डर या भ्रम पैदा करते हैं।
ज्ञान, योग और ईश्वर-स्मृति से ही आत्मा विकारों और नकारात्मक शक्तियों से मुक्त होती है।
विकर्म विनाश ज्ञान और बाबा की श्रीमत पर चलने से ही संभव है।
जो समझ लेता है कि “मैंने दुख दिया था, अब वही लौटकर आया है,”
वह दुखी नहीं होता — क्योंकि वह आत्मा अब समझ में रहती है।
इस प्रकार, जब आत्मा ज्ञान में स्थिर होती है,
तो उसके सारे विकर्म समाप्त हो जाते हैं और वह सच्चे अर्थों में शांत, शक्तिशाली और मुक्त बन जाती है।

