(07) ईश्र्वर और संसार के विनाश का दृश्य: जिसने दादा लेखराज काे बदल दिया”
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
ईश्वर और संसार के विनाश का दृश्य: जिसने दादा लेखराज को बदल दिया | दिव्य भविष्यवाणी की झलक”
स्पीच स्क्रिप्ट (मुख्य हेडिंग्स के साथ)
प्रस्तावना: दिव्य भविष्यवाणी की एक झलक
यह केवल एक कहानी नहीं है। यह उस दिव्य रहस्योद्घाटन की कथा है जिसने संसार की नियति, समय का रहस्य और ईश्वर के आगमन का सत्य स्पष्ट कर दिया।
1. अतीत में एक यात्रा… और भविष्य में एक दर्शन
एक शांत बगीचे में बैठकर ध्यान करते हुए दादा की आत्मा शरीर से परे उठती है – और दिव्यता के एक नए स्तर पर प्रवेश करती है।
2. दिव्य ज्ञान की पहेली
हर दिन एक नया अनुभव, एक नया रहस्योद्घाटन। दादा असाधारण पत्र लिखते हैं – आत्मा के जागरण और खोज का वर्णन करते हुए।
3. दोहरा रहस्योद्घाटन: प्रकाश और अग्नि
एक ओर शिव का शांत, दिव्य प्रकाश रूप – ज्योतिर्लिंग।
दूसरी ओर, विनाश का भयानक दृश्य – एक वैश्विक महायुद्ध, जो सृष्टि के अंत की भविष्यवाणी करता है।
4. वैश्विक विनाश का दर्शन
परमाणु बम, विश्व युद्ध, महाविनाश – एक ऐसी त्रासदी जो संसार को बदल देगी। यह वही महाभारत युद्ध है जिसकी भविष्यवाणी शास्त्रों में की गई थी।
5. आत्मा और परमात्मा का सत्य
भगवान मनुष्य नहीं हैं। वे एक ज्योति बिंदु हैं। हम आत्माएँ भी उन्हीं की संतान हैं – शरीरधारी नहीं, बल्कि चेतन बिंदु।
6. दादा की भगवान से विनती
दादा देखते हैं यह विनाश और भावविभोर हो जाते हैं – “हे प्रभु! अब मुझे अपना सुंदर रूप दिखाओ… शांति का, प्रेम का रूप।”
7. विनाश के पीछे का उद्देश्य
यह दृश्य कोई दंड नहीं, बल्कि एक दिव्य चेतावनी है – समय की रात्रि आने वाली है, ताकि नए युग की सुबह हो सके।
समापन: तैयार हो जाओ, जागो, रूपांतरित हो जाओ
यह केवल दादा की नहीं, हमारी भी कहानी है।
ईश्वर आ चुके हैं – जगाने के लिए। आत्मा को तैयार करो, सत्य को पहचानो, क्योंकि समय… अब है।
प्रश्न 1: दादा लेखराज को पहली बार दिव्य अनुभूतियाँ कहाँ और कैसे हुईं?
उत्तर:दादा लेखराज को पहली दिव्य अनुभूतियाँ एक शांत उपवन में हुईं, जहाँ वे अकेले बैठकर ईश्वर को याद कर रहे थे। वहाँ उनकी आत्मा शरीर से परे उठ गई और उन्होंने दिव्य आयाम का अनुभव किया।
प्रश्न 2: दादा के लगातार अनुभवों ने उन्हें क्या समझने में मदद की?
उत्तर:लगातार दिव्य अनुभवों ने दादा को यह एहसास दिलाया कि ये अलग-अलग घटनाएँ नहीं हैं, बल्कि एक दिव्य योजना का हिस्सा हैं। उनकी आत्मा में दिव्य ज्ञान का बीज बोया गया था, जो अब विकसित हो रहा था।
प्रश्न 3: दादा ने अपने पत्रों में किस खोज का उल्लेख किया?
उत्तर:दादा ने पत्रों में उल्लेख किया कि उन्हें “धन की बहुतायत” का अनुभव हो रहा है। बाद में, उन्होंने लिखा कि “कुंजी मिल गई” और अंततः कहा, “जो कुछ भी पाना था, वह अब मेरे पास है।”
प्रश्न 4: दादा लेखराज को कौन-से दो महान दिव्य रहस्योद्घाटन हुए?
उत्तर:पहला दर्शन – शिव, परम आत्मा का दिव्य प्रकाश रूप, ज्योतिर्लिंगम के रूप में।
दूसरा दर्शन – वैश्विक विनाश का भयावह दृश्य, जिसमें विश्व युद्ध, परमाणु बम और प्राकृतिक आपदाएँ सम्मिलित थीं।
प्रश्न 5: शिव के दर्शन से दादा ने आत्मा और परमात्मा के बारे में क्या जाना?
उत्तर:दादा ने जाना कि परमात्मा शिव एक निराकार, शाश्वत, प्रकाश बिंदु हैं। हम सभी आत्माएँ भी उन्हीं के समान प्रकाश स्वरूप हैं, जो शरीर धारण कर विश्व रंगमंच पर अभिनय कर रही हैं।
प्रश्न 6: दादा ने विनाश के दृश्य में क्या-क्या देखा?
उत्तर:उन्होंने देखा कि परमाणु युद्ध छिड़ गया है, मिसाइलें गिर रही हैं, शहर जल रहे हैं, लाखों लोग मर रहे हैं। भूकंप, ज्वालामुखी, बाढ़ और सुनामियाँ पूरी धरती को हिला रही थीं। आत्माएँ शरीर छोड़कर आत्मा की दुनिया की ओर लौट रही थीं।
प्रश्न 7: विनाश के दर्शन के बाद दादा ने ईश्वर से क्या प्रार्थना की?
उत्तर:दादा ने बेकाबू होकर रोते हुए भगवान से प्रार्थना की: “हे भगवान, कृपया इसे रोकें! अब मुझे अपना सुंदर रूप दिखाइए – प्रेम, शांति और आशा का रूप।”
प्रश्न 8: इस विनाश का अंतिम उद्देश्य क्या है?
उत्तर:विनाश का उद्देश्य दंड देना नहीं, बल्कि दुनिया को शुद्ध करना है। यह दुखों के अंत और नए स्वर्णिम युग – श्री लक्ष्मी और श्री नारायण के युग – की स्थापना के लिए है।
अंतिम संदेश:
प्रिय आत्माओं, यह केवल अतीत की कहानी नहीं है।
यह चेतावनी है – कि समय कम है। अब जागो, आत्मा को शुद्ध करो और ईश्वर के दिव्य प्रेम और ज्ञान के अधिकारी बनो।
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