(07)फरिश्ता आत्मा: क्यो वह किसी परिस्थिति या व्यक्ति से प्रभावित नहीं होती?
फरिश्ता आत्मा – परिस्थिति और व्यक्ति से अचल अडोल
परिचय
हम फरिश्ता स्थिति पर अध्ययन कर रहे हैं।
आज का विषय है: “फरिश्ता आत्मा किसी परिस्थिति या व्यक्ति से प्रभावित क्यों नहीं होती?”
फरिश्ता आत्मा की सबसे बड़ी पहचान यही है कि वह चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, चाहे कोई भी व्यक्ति मिले, न तो दुखी होती है, न गुस्सा करती है और न ही मोह में फँसती है।
1. परिस्थिति से प्रभावित क्यों नहीं होती?
मुरली नोट
अव्यक्त मुरली – 23 जनवरी 1969
“फरिश्ता आत्मा किसी परिस्थिति से प्रभावित नहीं होती।”
साकार मुरली – 15 मार्च 1968
“जब देह का अभिमान है तभी परिस्थिति चोट देती है। देही अभिमानी आत्मा परिस्थिति में भी अचल अडोल रहती है।”
उदाहरण
जैसे समुद्र की सतह पर तूफान आने से लहरें उठती हैं, परंतु समुद्र की गहराई में शांति रहती है।
उसी प्रकार देही-अभिमानी आत्मा गहरी स्थिति में रहती है, इसलिए परिस्थिति की हलचल उसे प्रभावित नहीं कर पाती।
2. व्यक्ति से प्रभावित क्यों नहीं होती?
मुरली नोट
अव्यक्त मुरली – 18 अप्रैल 1976
“फरिश्ता आत्मा किसी व्यक्ति की प्रशंसा या निंदा से प्रभावित नहीं होती। वे सदा परमात्मा की दृष्टि से देखती है।”
उदाहरण
जैसे सूरज सबको समान रूप से प्रकाश देता है, चाहे अच्छा हो या बुरा।
वैसे ही फरिश्ता आत्मा सब आत्माओं को “भाई” मानकर देखती है और उनके व्यवहार या शब्दों से प्रभावित नहीं होती।
3. परिस्थिति = परीक्षा
मुरली नोट
साकार मुरली – 22 अगस्त 1969
“परिस्थिति ही पेपर है। अगर पास होंगे तो आगे बढ़ेंगे।”
उदाहरण
जैसे खिलाड़ी मैदान में विरोधी की चाल को खेल का हिस्सा मानकर आगे बढ़ता है, वैसे ही फरिश्ता आत्मा परिस्थिति को ड्रामा का खेल मानकर पार कर जाती है।
4. बेहद की दृष्टि
मुरली नोट
अव्यक्त मुरली – 5 फरवरी 1977
“फरिश्ता आत्मा बेहद की स्थिति में रहती है, इसलिए किसी भी परिस्थिति से प्रभावित नहीं होती।”
उदाहरण
जैसे हवाई जहाज बादलों और तूफानों के ऊपर स्थिर उड़ता है, वैसे ही बेहद की स्थिति में आत्मा सभी परिस्थितियों से ऊपर उड़ती रहती है।
निष्कर्ष
फरिश्ता आत्मा की पहचान यही है:
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वह परिस्थिति से प्रभावित नहीं होती।
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वह किसी व्यक्ति के शब्द, निंदा या प्रशंसा से प्रभावित नहीं होती।
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वह परिस्थिति को खेल और परीक्षा मानकर पार कर जाती है।
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वह बेहद की उड़ान में सदा अचल और अडोल रहती है।
यही है संगम युग पर बाबा की पढ़ाई – अचल, अडोल और बेहद की स्थिति
प्रश्न 1: फरिश्ता आत्मा की सबसे बड़ी पहचान क्या है?
उत्तर: फरिश्ता आत्मा की पहचान यह है कि वह किसी परिस्थिति या व्यक्ति से प्रभावित नहीं होती।
प्रश्न 2: आत्मा परिस्थिति से क्यों प्रभावित होती है?
उत्तर: जब आत्मा देह-अभिमानी होती है तब परिस्थिति की चोट लगती है। लेकिन देही-अभिमानी आत्मा परिस्थिति में भी अचल अडोल रहती है।
साकार मुरली – 15 मार्च 1968
प्रश्न 3: परिस्थिति को कैसे देखना चाहिए?
उत्तर: परिस्थिति को परीक्षा या खेल मानना चाहिए। यदि पास होते हैं तो आगे बढ़ जाते हैं।
साकार मुरली – 22 अगस्त 1969
प्रश्न 4: फरिश्ता आत्मा व्यक्ति से क्यों प्रभावित नहीं होती?
उत्तर: फरिश्ता आत्मा न तो निंदा से प्रभावित होती है, न प्रशंसा से। वह सभी आत्माओं को परमात्मा की दृष्टि से देखती है।
अव्यक्त मुरली – 18 अप्रैल 1976
प्रश्न 5: बेहद की स्थिति का अर्थ क्या है?
उत्तर: बेहद की स्थिति का अर्थ है – सम्पूर्ण दृष्टि, सब आत्माओं को भाई मानकर देखना। इस स्थिति में आत्मा किसी परिस्थिति से प्रभावित नहीं होती।
अव्यक्त मुरली – 5 फरवरी 1977
प्रश्न 6: फरिश्ता आत्मा का व्यवहार कैसा होता है?
उत्तर: वह परिस्थिति को ड्रामा का खेल मानकर पार कर जाती है, सबको भाई मानती है और सदा अचल-अडोल रहती है।
डिस्क्लेमर
यह वीडियो ब्रह्माकुमारी मुरलियों (साकार एवं अव्यक्त) से प्रेरित अध्ययन है।
इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक शिक्षा और आत्म-जागृति देना है।
इसका किसी भी धर्म, संप्रदाय या मत के विरोध से कोई संबंध नहीं है।
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