(08)अध्याय: रक्षाबंधन का बंधन निभाओ और जीवन मुक्ति पाओ
भूमिका: रक्षाबंधन — एक आध्यात्मिक बंधन
रक्षाबंधन का बंधन निभाओ। जीवन मुक्ति पाओ। यह कोई साधारण पर्व नहीं, बल्कि एक महान कर्म है।
यह पर्व केवल भाई-बहन के स्नेह तक सीमित नहीं है।
यह तो मुक्ति और जीवन मुक्ति का दिव्य पर्व है।
उधर जीवन मुक्ति, इधर मुक्ति — मतलब दोनों मिल जाएंगे।
यह पर्व आत्मा को पवित्रता की शक्ति देता है और यमराज के बंधन से भी मुक्त करता है।
रक्षाबंधन: प्रेम या पवित्रता का प्रतीक?
आज हम रक्षाबंधन को केवल एक सांस्कृतिक उत्सव समझते हैं — राखी बांधना, उपहार देना, मिठाइयाँ खाना।
पर क्या यही इसका वास्तविक अर्थ है?
क्या यह केवल एक रस्म है, या इसके पीछे छिपा है कोई आध्यात्मिक रहस्य?
शिव बाबा द्वारा ब्रह्मा मुख वाणी (मुरली) में कहा गया:
“बच्चे, तुम सच्चे ब्राह्मण जो यह पवित्रता का रक्षा सूत्र बांधते हो, वही आत्माएं देवी बनने के पात्र हैं।”
(मुरली: 3 अगस्त 2025)
यह पर्व आत्मा की सुरक्षा और उन्नति का माध्यम है।
रक्षा सूत्र का वास्तविक अर्थ
1. विकारों से आत्मरक्षा का संकल्प
रक्षा सूत्र यानी संकल्प —
काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार जैसे पाँच विकारों से स्वयं की रक्षा करने का व्रत।
2. परमात्मा से स्थाई संबंध
“मैं परमात्मा शिव बाबा से परमानेंट रिश्ता बनाकर रखूंगा।
मैं श्रीमत की उंगली पकड़कर विकारों से स्वयं की रक्षा करूंगा।”
3. राखी — रस्म नहीं, आत्मिक दृढ़ता
आज राखी एक रस्म बन गई है — मिठाई, सजावट, गिफ्ट।
लेकिन क्या भाई-बहन इस धागे का अर्थ और संकल्प निभा पाते हैं?
इतिहास के प्रमाण: आध्यात्मिक रक्षा सूत्र
1. इंद्र और इंद्राणी की कथा
जब इंद्र असुरों से हार गए, इंद्राणी ने रक्षा सूत्र बांधा।
वह पवित्रता और विजय का प्रतीक बन गया।
2. यमराज और यमुना
यमराज ने यमुना से रक्षा सूत्र बंधवाया और कहा:
“जो मनुष्य यह रक्षासूत्र बंधवाएंगे, वे यम लोक, मृत्यु और नर्क से मुक्त हो जाएंगे।”
3. मार्कंडेय की कथा
13 वर्ष में मृत्यु निश्चित।
यमराज की बहन ने तपस्या कर रक्षा सूत्र बांधा।
यमराज ने प्रतिज्ञा की — “इस आत्मा को नहीं मारूंगा।”
रक्षाबंधन: आत्मा की अमरता का स्मृति पर्व
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तिलक लगाना — आत्मिक पहचान देना: “तू अमर आत्मा है।”
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युद्ध में जाते समय भी यही तिलक और राखी आत्मबल देती है।
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यह पर्व आत्मा को मृत्यु से निर्भय करता है।
आध्यात्मिक संकेत: यम और यमुना का संतुलन
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यम = मृत्यु व कर्मों का न्याय
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यमुना = आत्मिक प्रेम व पवित्रता
जब मृत्यु, पवित्रता से बंध जाए, तो आत्मा यम के बंधन से मुक्त हो जाती है।
मुरली ज्ञान से जीवन रक्षा कवच
“संगम युग में आप अनन्य देवी बच्चे ही विकारों पर विजय प्राप्त कर वैकुंठ की लाठी पाते हैं। यह आत्मा का डायमंड युग है।”
(मुरली: 31 जुलाई 2025)
यह रक्षा कवच कच्चे धागे का नहीं, बल्कि ज्ञान, संकल्प और योगबल का है।
तीन प्रकार की मुक्ति
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मृत्यु के भय से मुक्ति = मुक्ति (परमधाम)
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विकारों के राज्य से मुक्ति = जीवन मुक्ति (सत्य जीवन)
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सत्य जीवन की तैयारी = देवता बनना
जीवन से उदाहरण: ज्ञान युक्त राखी का प्रभाव
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एक बहन ने रक्षा बंधन पर संकल्प लिया — “अब मैं क्रोध नहीं करूंगी।”
दो माह में जीवन में परिवर्तन आया।
ऑफिस में सम्मान और सहयोग मिलने लगा। -
ब्रह्मा बाबा ने स्वयं रक्षा सूत्र बांधा और कहा:
“जो यह रक्षा सूत्र बंधवाएगा, वह यमदूतों से बचेगा।”
रक्षाबंधन का सार: आत्मा की रक्षा और शक्ति
यह पर्व है:
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अधर्म पर धर्म की विजय
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विकारों से आत्मा की रक्षा
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योगबल द्वारा आत्मा का सशक्तिकरण
अंतिम निष्कर्ष
“यह रक्षा सूत्र आत्मा को विषय-विकारों से बचाता है। यह बंधन तुम्हें जन्म-जन्मांतर के दुखों से मुक्त कर देता है।”
(मुरली: 3 अगस्त 2025)
इसलिए रक्षाबंधन को कहा गया है:
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विष-तोड़क पर्व
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पुण्य प्रदायक पर्व
व्यावहारिक निष्कर्ष
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एक भाई जो क्रोधी था, अब शांत और स्थिर है — यह ज्ञानयुक्त रक्षा सूत्र की शक्ति है।
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एक बहन जो पारिवारिक संघर्षों में थी, अब सहनशीलता की मिसाल बन गई — यह योगबल की कमाल है।
फलस्वरूप:
मुक्ति और जीवन मुक्ति की प्राप्ति।
“जो सच्चे दिल से पवित्रता की रक्षा सूत्र बांधते हैं, उन्हीं आत्माओं को सच्चा रक्षाबंधन प्राप्त होता है।”
1. रक्षाबंधन क्या केवल भाई-बहन का त्योहार है?
उत्तर: नहीं, यह आत्मा की सुरक्षा, पवित्रता और जीवन मुक्ति का दिव्य आध्यात्मिक पर्व है।
2. इस पर्व का वास्तविक अर्थ क्या है?
उत्तर: रक्षाबंधन आत्मा को विकारों से बचाने और परमात्मा से संबंध जोड़ने का संकल्प है।
3. “रक्षा सूत्र” का वास्तविक अर्थ क्या है?
उत्तर: यह संकल्प है कि हम काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसे विकारों से स्वयं की रक्षा करेंगे।
4. शिव बाबा मुरली में क्या कहते हैं?
उत्तर: “जो बच्चे पवित्रता का रक्षा सूत्र बांधते हैं, वही आत्माएं देवी बनने के पात्र हैं।” (मुरली: 3 अगस्त 2025)
5. रक्षाबंधन में आत्मा को कौन-सी दो मुक्ति प्राप्त होती हैं?
उत्तर:
मृत्यु के भय से मुक्ति (मुक्ति – परमधाम)
विकारों के राज्य से मुक्ति (जीवन मुक्ति – सत्य जीवन)
6. राखी केवल एक रस्म है या आध्यात्मिक संदेश?
उत्तर: राखी कोई साधारण रस्म नहीं, बल्कि आत्मा की रक्षा और परमात्मा से संबंध का प्रतीक है।
7. रक्षाबंधन का तात्त्विक इतिहास क्या दर्शाता है?
उत्तर:
इंद्राणी ने इंद्र को राखी बांधी — विजय का प्रतीक।
यमुना ने यमराज को राखी बांधी — मृत्यु से मुक्ति का संकेत।
मार्कंडेय कथा — आत्मा की रक्षा की दिव्यता को दर्शाती है।
8. यम और यमुना का आध्यात्मिक संकेत क्या है?
उत्तर: यम मृत्यु का प्रतीक हैं, यमुना पवित्रता का। जब मृत्यु पवित्रता से बंधती है, आत्मा मुक्त होती है।
9. रक्षा कवच किससे बनता है?
उत्तर: यह कवच कच्चे धागे से नहीं, बल्कि ज्ञान, संकल्प और योगबल से बनता है।
10. जीवन में इसका क्या प्रभाव देखा गया है?
उत्तर:
एक बहन ने क्रोध त्यागने का संकल्प किया — जीवन में सुख-शांति आई।
एक भाई ने ज्ञानयुक्त राखी बाँधी — क्रोध शांत हो गया, व्यवहार स्थिर हो गया।
11. ब्रह्मा बाबा का रक्षाबंधन से क्या संबंध है?
उत्तर: उन्होंने स्वयं रक्षा सूत्र बांधकर कहा — “जो यह रक्षा सूत्र बंधवाएगा, वह यमदूतों से बचेगा।”
12. मुरली अनुसार रक्षाबंधन का अंतिम निष्कर्ष क्या है?
उत्तर:
“यह रक्षा सूत्र आत्मा को विषय-विकारों से बचाता है और जन्म-जन्मांतर के दुखों से मुक्त करता है।” (मुरली: 3 अगस्त 2025)
13. रक्षाबंधन को और किन नामों से जाना जाता है?
उत्तर:
विष-तोड़क पर्व
पुण्य प्रदायक पर्व
आत्मा की अमरता का पर्व
14. रक्षाबंधन के पीछे का मुख्य आध्यात्मिक संदेश क्या है
उत्तर:
विकारों से रक्षा का संकल्प लेकर आत्मा को सशक्त बनाना और परमात्मा से संबंध मजबूत करना।Disclaimer:
यह वीडियो पवित्र आध्यात्मिक उद्देश्य के लिए बनाया गया है, जिसमें ब्रह्माकुमारीज़ की शिक्षाओं और मुरली वचनों पर आधारित व्याख्या प्रस्तुत की गई है। यह किसी भी धार्मिक परंपरा, ग्रंथ या व्यक्ति विशेष की आलोचना नहीं करता, बल्कि आध्यात्मिक अर्थ की स्पष्टता हेतु है।
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