(11) Rakhi: Sisters’ call and brothers’ pledge – a spiritual message

(11)राखी बहनाें की पुकार और भाइयाें की प्रतिज्ञा एक आध्यात्मिक संदेश

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रक्षाबंधन का आध्यात्मिक रहस्य
11वां विषय हम आज कर रहे हैं।

राखी – बहनों की पुकार और भाइयों की प्रतिज्ञा
राखी क्या है? बहनों की पुकार और भाइयों की प्रतिज्ञा।
एक आध्यात्मिक संदेश।

यह क्या है? राखी क्या है?
बहनों की पुकार और भाइयों की प्रतिज्ञा — इस सारे को क्या कहा?
एक आध्यात्मिक संदेश।
यह दुनिया वाला नहीं है कि बहनें बुलाएं, भाई आकर प्रतिज्ञा करें।
वास्तव में यह एक आध्यात्मिक संदेश है।
क्या है यह आध्यात्मिक संदेश? इसको हम समझेंगे।

नंबर एक: भावपूर्ण परंपरा
यह जो परंपरा है एक भावपूर्ण परंपरा है,
जो काफी समय से चल रही है।
चिरातीत से चिरातीत बहुत काल से बहनें,
भाइयों की कलाई पर श्रावणी पूर्णमासी को राखी बांधती चली आ रही हैं।

रक्षाबंधन
केवल धागा बांधने की रस्म नहीं,
बल्कि स्नेह, सुरक्षा और शुद्धता का पवित्र बंधन है।

इस दिन घरों में उल्लास, मिठास और आत्मीयता का माहौल होता है।

प्रश्न:
क्या यह केवल एक सामाजिक रस्म है या कोई गहरा आध्यात्मिक अर्थ?

यमराज और यमुना जी की कथा से सीख
यमराज की बहन यमुना जी की कहानी सुनाते हैं।
वास्तविकता यह है कि मार्कंडेय एक ऋषि था।
वो जैसे पैदा हुआ तो आकाशवाणी हुई कि ये 13 साल में मर जाएगा।
इसलिए जब हम राखी बांधते हैं तो उस समय गाते हैं:
“चंद्रमा लाटा छोड़िया, सूरज छोड़ा छुआ नहीं…”

यमराज की बहन ने भाई के लिए तप करना शुरू कर दिया।
अब यम की बहन प्रसन्न हो गई।
उसने यम से कहा कि मेरा भाई ना मरे।
तो यम ने प्रतिज्ञा कर ली कि ठीक है, जो मांगेगी मैं दूंगा।
तो बहन ने कहा, “अब मेरे भाई को मत मारो।”
यम ने कहा, “ठीक है, अगर तुम्हारी भक्ति राखी बांध दे, तिलक लगा दे, तो मैं पहचान लूंगा और उसे नहीं मारूंगा।”

कहानी से शिक्षा:
आज की यमराज कोई व्यक्ति नहीं है,
बल्कि मृत्यु का भय है, अधर्म का आतंक है,
और पवित्रता का संकट है।
यमराज का अर्थ – मृत्यु का भय।
यमुना जी कौन है?
आज की नारी शक्ति,
जो भाई को पवित्रता का व्रत बंधवाना चाहती है।

बहन का संदेश:
भैया, सिर्फ मेरी नहीं, हर नारी की लाज बचाना।
हर बहन राखी बांधते समय मन ही मन कहती है:
भैया, तुम हर स्त्री को बहन की दृष्टि से देखो।
तुम्हारी दृष्टि, वृत्ति और प्रकृति पवित्र हो।

राखी का मतलब:
आज के संदर्भ में राखी का मतलब केवल मिठाई और उपहार नहीं,
बल्कि पवित्रता की प्रतिज्ञा है।

भारतीय संस्कृति का आदर्श:
जब स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में कहा था,
“Dear Brothers and Sisters”,
तो पूरी दुनिया ने तालियाँ बजाईं।
क्यों?
क्योंकि भाई-बहन का संबोधन आत्मीयता और सुरक्षा का प्रतीक है,
जिसमें भय नहीं होता।

आज का प्रश्न:
क्या आज हर बहन सुरक्षित है?
क्या हर पुरुष अपनी दृष्टि में पवित्रता रखता है?


नंबर 5: मुरली कनेक्शन – रक्षाबंधन पवित्रता का व्रत

📖 17 अगस्त 2006 को बाबा ने कहा:
“आज भी बहनें राखी बांधती हैं, परंतु मुख्य बात है – पवित्रता का व्रत लेना।
पवित्रता ही राखी का मूल आधार है।”

📖 3 अगस्त 2009 को बाबा ने कहा:
“यह रक्षाबंधन का त्यौहार तुम्हारे लिए बहुत महान है।
तुम नारी को देवी बनाओगे तो ही भारत स्वर्ग बनेगा।”

📖 22 अगस्त 2010 की मुरली:
“राखी का बंधन है सच्ची पवित्रता का।
रक्षाबंधन वो है, जो तुम्हें माया से बचाता है।”


नई राखी का संकल्प

आज एक नई राखी का हमने संकल्प लेना है।

यूनिवर्सल सिस्टरहुड।
(केवल ब्रदरहुड नहीं)

आज जब बहन राखी बांधे तो केवल अपने भाई से नहीं,
हर पुरुष से यह आस रखे कि –
तुम हर स्त्री को बहन मानो।

रक्षा केवल बाहरी नहीं,
दृष्टि और विचारों की भी होनी चाहिए।

हमारी दृष्टि और हमारे विचार – यही रक्षा करें।


सभी बहनें स्वयं को देवी महसूस करें

क्या हम देवी बहनें बनें?


आध्यात्मिक राखी – ब्रह्मा कुमार ज्ञान में

राखी आत्मा को पवित्र बंधन बांधा जाता है।

भाई, बहन, माता-पिता — सभी आत्माएं परमात्मा से यह व्रत लेती हैं:
“बाबा, अब मैं आपकी पवित्र संतान हूं। माया से मेरी रक्षा करो।
मैं अब देही-अभिमानी बनकर सब आत्माओं को भाई समझूंगा।”


निष्कर्ष

रक्षाबंधन सिर्फ भाई की कलाई पर धागा बांधना नहीं है,
बल्कि:

  1. पवित्रता का संकल्प

  2. स्त्री सम्मान की प्रतिज्ञा

  3. समाज को नई दिशा देने वाला बंध                                                                                                                                                                                                                                                                                                                 

    रक्षाबंधन का आध्यात्मिक रहस्य – संक्षिप्त प्रश्नोत्तर

    प्रश्न 1:
    राखी का आध्यात्मिक अर्थ क्या है?
    उत्तर:
    राखी बहनों की पुकार और भाइयों की पवित्र प्रतिज्ञा है – यह एक आध्यात्मिक संदेश है।


    प्रश्न 2:
    क्या रक्षाबंधन केवल एक सामाजिक रस्म है?
    उत्तर:
    नहीं, यह एक भावपूर्ण परंपरा है जो आत्मिक पवित्रता, सुरक्षा और प्रेम का प्रतीक है।


    प्रश्न 3:
    रक्षाबंधन किस दिन मनाया जाता है और क्या परंपरा है?
    उत्तर:
    श्रावणी पूर्णिमा को बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, यह परंपरा चिरकाल से चली आ रही है।


    प्रश्न 4:
    राखी बांधने के पीछे यमराज और यमुना जी की कथा का क्या महत्व है?
    उत्तर:
    यमुना जी ने अपने भाई यमराज की रक्षा के लिए तप किया और पवित्रता का व्रत लिया, जिससे राखी आत्मिक सुरक्षा का प्रतीक बनी।


    प्रश्न 5:
    आज के समय में “यमराज” का क्या अर्थ है?
    उत्तर:
    मृत्यु का भय, अधर्म और पवित्रता का संकट – यही आज के यमराज हैं।


    प्रश्न 6:
    “राखी का मतलब केवल मिठाई और उपहार नहीं” – इसका आशय क्या है?
    उत्तर:
    इसका अर्थ है कि राखी पवित्रता, नारी-सम्मान और आत्मिक संकल्प का बंधन है।


    प्रश्न 7:
    स्वामी विवेकानंद के “Dear Brothers and Sisters” कहने पर लोग क्यों भावुक हो गए?
    उत्तर:
    क्योंकि यह संबोधन आत्मीयता, सुरक्षा और भाईचारे का प्रतीक है।


    प्रश्न 8:
    ब्रह्मा कुमारियों की मुरली में रक्षाबंधन के बारे में क्या कहा गया है?
    उत्तर:
    राखी का अर्थ पवित्रता का व्रत है जो आत्मा को माया से बचाता है और उसे शुद्ध जीवन की ओर ले जाता है।


    प्रश्न 9:
    “यूनिवर्सल सिस्टरहुड” का क्या उद्देश्य है?
    उत्तर:
    हर स्त्री को बहन की दृष्टि से देखना और समाज में पवित्रता एवं सम्मान को बढ़ावा देना।


    प्रश्न 10:
    आज की बहनों को राखी के दिन कौन-सा संकल्प लेना चाहिए?
    उत्तर:
    स्वयं को देवी समझते हुए हर पुरुष से यह आशा रखना कि वह स्त्रियों को बहन मानकर सम्मान दे।


    प्रश्न 11:
    “राखी आत्मा को बांधी जाती है” – इसका क्या भावार्थ है?
    उत्तर:
    यह आत्मा को परमात्मा के साथ पवित्रता के बंधन में बांधने की प्रतीकात्मक प्रक्रिया है।


    प्रश्न 12:
    रक्षाबंधन का निष्कर्ष क्या है?
    उत्तर:
    यह त्यौहार पवित्रता का संकल्प, स्त्री-सम्मान की प्रतिज्ञा और समाज को नई दिशा देने वाला पर्व है।

  4. (Disclaimer):
  5. यह वीडियो पूर्ण रूप से आध्यात्मिक, ज्ञानात्मक और ब्रह्मा कुमारियों द्वारा दिए गए रुद्र ज्ञान यज्ञ की शिक्षाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल आत्म-जागरूकता, पवित्रता और परमात्मा से जुड़ने की विधि बताना है। हम किसी भी धर्म, व्यक्ति या परंपरा की आलोचना नहीं करते। सभी विचार दर्शकों के विवेक पर आधारित हैं।
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