(70) How does God take us to the heights of the soul?

(70)कैसे ईश्वर हमें ले जाते हैं आत्मा की ऊँचाई पर?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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आदिदेव ब्रह्मा बाबा समान कैसे बनें?”
(ब्रह्मा बाबा के जीवन और शिवबाबा की ज्ञानवाणी से आत्मा को परम ऊंचाई पर ले जाने वाला रॉकेट)


  क्यों करें ब्रह्मा बाबा को फॉलो?

“आदिदेव ब्रह्मा बाबा को हमें फॉलो करना है, ताकि हम बाप समान बन सकें।”
बाबा ने जो पाठ बजाया, जो जीवन जिया — वो हमें सिखाता है कि कैसे साधारण बनते हुए भी महान कर्म किया जा सकता है।
उनका जीवन एक जीवित मार्गदर्शिका है, एक रॉकेट की तरह — जो आत्मा को ऊंचाई पर ले जाता है।


 आत्मा की ऊंचाई की यात्रा – इच्छाओं को मिटाने का पुरशार्थ

“बच्चे, ये इंद्रियों की इच्छाएं ही तो तुम्हें जन्म-जन्मांतर से दुख दे रही हैं।”

मुख्य बिंदु:

  • इच्छाएं ही दुख का मूल कारण हैं।

  • आत्मा ने शरीर बदले और हर जन्म में दुख पाया।

  • बाबा कहते हैं — “इनको मिटाओ और मैं तुम्हारे हाथ में स्वर्ग रख दूंगा।”

तो आज का सवाल है:
हमें क्या मिटाना है? — इच्छाओं को।
क्यों? — ताकि आत्मा दुखों से मुक्त होकर सुखधाम की यात्रा पर निकल सके।


रॉकेट क्या है? – आत्मा को उड़ाने वाली शक्ति

“आज हम बात करेंगे उस रॉकेट की जिसमें बैठकर आत्मा इस माया की दुनिया से पार होकर परमधाम की यात्रा पर निकलती है।”

यह रॉकेट क्या है?

  • न कोई विज्ञान का यंत्र है,

  • यह है शिव बाबा की ज्ञान-वाणी

ज्ञान-वाणी के लाभ:

  • आत्मा को उड़ान देती है,

  • स्वतंत्र करती है,

  • दिव्यता में ले जाती है।


 रॉकेट की ऊर्जा – बाबा की ज्ञान वाणी

जैसे भौतिक रॉकेट को उड़ाने के लिए ईंधन चाहिए,
वैसे ही आत्मा को उड़ाने के लिए चाहिए ज्ञान का ईंधन:

बाबा की वाणी देती है:

  • ऊर्जा (energy),

  • ज्ञान-घास (divine nutrition),

  • टॉनिक (motivation),

  • और दिव्य गुणों की शक्ति।

“यह ज्ञान आत्मा को शरीर से डिटैच करता है, उसे दिव्य बनाता है।”


 नंबर एक: माया की ग्रेविटी से बाहर निकलो

“जैसे रॉकेट पृथ्वी की ग्रेविटी पार करके उड़ता है, वैसे आत्मा को भी वासनाओं की ग्रेविटी से मुक्त होना है।”

क्या करें?

  • विषय-विकारों (lust, anger, ego, greed, attachment) को मिट्टी समझकर शिवबाबा को सौंप दो।

  • तभी आत्मा माया की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से बाहर निकल सकती है।

मुरली बिंदु: “बच्चे, यह विकार तो जैसे मिट्टी हैं, इन्हें मुझे सौंप दो, फिर देखो स्वर्ग कैसे तुम्हारी हथेली पर आ जाता है।”


 नंबर दो: शब्द नहीं — शिव बाबा की शक्ति है

“शिव बाबा केवल शब्द नहीं बोलते — वो उड़ान देने वाली शक्ति है।”

मुख्य विचार:

  • बाबा की वाणी केवल ज्ञान नहीं — ऊर्जा है।

  • आत्मा को पुनः ऊर्जावान और शक्तिशाली बनाती है।

  • जीवन की “सर्दियाँ” — यानी निराशा, मोह, अशांति — ज्ञान की धूप से समाप्त हो जाती हैं।

कविता:
मैं चढ़ गया रॉकेट में, अब दुनिया से जा रहा हूं।
मोह माया सब पीछे छूट गया, अब मैं बाबा से मिल रहा हूं।


 नंबर तीन: शिव बाबा – सुप्रीम साइकोलॉजिस्ट

“बाबा एक सुप्रीम साइकोलॉजिस्ट हैं — आत्मा के डॉक्टर।”

उदाहरण:
एक डॉक्टर, वकील या वैज्ञानिक — जब भी मुरली में बैठता है, वह बच्चा बन जाता है।
क्योंकि बाबा उसकी जटिल मानसिकता को सरल बना देते हैं।
वो भीतर से शुद्ध और शांत हो जाता है।

“सिर्फ पढ़ाई नहीं, बाबा हमारी मानसिक बीमारियों का इलाज भी करते हैं।”


 आत्म-विश्लेषण – क्या आप तैयार हैं उड़ान के लिए?

खुद से पूछें:

  • क्या आप माया की ग्रेविटी में अब भी बंधे हैं?

  • या आपने बाबा के रॉकेट में बैठना शुरू कर दिया है?

निर्णय आज ही लेना है।

“बाबा हमें कहते हैं: बच्चे, सिर्फ पढ़ो मत — उड़ो। ज्ञान को जीओ। इच्छाओं को मिटाओ। मैं स्वर्ग तुम्हारे हाथ में रख दूंगा।”


उड़ान शुरू करें आज से

ब्रह्मा बाबा ने जो जीवन जिया, जो पाठ पढ़ाया — वो ही हमारा नक्शा है।
शिव बाबा की वाणी — वो रॉकेट है, जो हमें परमधाम ले जाएगी।
इच्छाओं को त्यागकर, ज्ञान से भरकर और बाबा की शक्ति से उड़कर — हमें बनना है बाप समान

प्रश्न 1: हमें ब्रह्मा बाबा को ही क्यों फॉलो करना है?
उत्तर:क्योंकि वे “आदि देव” हैं — पहला मनुष्य, जिन्होंने शिवबाबा से राजयोग सीखा और बाप समान बनकर दिखाया। उनका जीवन हमें सिखाता है कि साधारण शरीर में रहते हुए भी कैसे महान बन सकते हैं।


 आत्मा की ऊंचाई की यात्रा – इच्छाओं को मिटाने का पुरशार्थ

प्रश्न 2: आत्मा को सबसे अधिक दुख किससे मिलता है?
उत्तर:बाबा कहते हैं — “बच्चे, ये इंद्रियों की इच्छाएं ही तुम्हें जन्म-जन्मांतर से दुख दे रही हैं।”
इच्छाएं ही आत्मा को बंधन में डालती हैं और बार-बार दुख का कारण बनती हैं।

प्रश्न 3: हमें किसे मिटाना है और क्यों?
उत्तर:हमें इच्छाओं को मिटाना है — तभी आत्मा माया से मुक्त होकर सुखधाम की यात्रा पर निकल सकती है।
बाबा कहते हैं — “इनको मिटाओ और मैं तुम्हारे हाथ में स्वर्ग रख दूंगा।”


 आत्मा को उड़ाने वाला रॉकेट – ज्ञानवाणी

प्रश्न 4: वह कौन-सा रॉकेट है जो आत्मा को ऊंचा ले जाता है?
उत्तर:यह कोई वैज्ञानिक यंत्र नहीं — यह है शिवबाबा की ज्ञान-वाणी।
यह वाणी आत्मा को उड़ान देती है, स्वतंत्र करती है और दिव्यता की ओर ले जाती है।

प्रश्न 5: आत्मा को उड़ाने के लिए क्या ईंधन चाहिए?
उत्तर:जैसे रॉकेट को पेट्रोल चाहिए, वैसे आत्मा को चाहिए:

  • ज्ञान की ऊर्जा

  • बाबा की वाणी का टॉनिक

  • दिव्य गुणों की शक्ति

  • ज्ञान घास (spiritual nutrition)


 नंबर 1: माया की ग्रेविटी से बाहर निकलो

प्रश्न 6: माया की ग्रेविटी क्या है और उससे कैसे बचें?
उत्तर:माया की ग्रेविटी = विकारों का आकर्षण (lust, anger, greed, ego, attachment)।
बचने का तरीका:
बाबा कहते हैं — “यह विकार तो जैसे मिट्टी हैं, इन्हें मुझे सौंप दो। फिर देखो स्वर्ग कैसे तुम्हारी हथेली पर आ जाता है।”


 नंबर 2: शिव बाबा की शक्ति – सिर्फ शब्द नहीं

प्रश्न 7: क्या बाबा की वाणी केवल शब्द होती है?
उत्तरनहीं। शिवबाबा की वाणी शब्द नहीं, शक्ति होती है।
वो आत्मा को ऊर्जा देती है, जीवन की “सर्दियों” (निराशा, मोह) को समाप्त करती है।

🪄 कविता:
“मैं चढ़ गया रॉकेट में, अब दुनिया से जा रहा हूं।
मोह माया सब पीछे छूट गया, अब मैं बाबा से मिल रहा हूं।”


 नंबर 3: शिव बाबा – आत्मा का डॉक्टर

प्रश्न 8: शिवबाबा को सुप्रीम साइकोलॉजिस्ट क्यों कहा जाता है?
उत्तर:क्योंकि बाबा आत्मा की जटिल मनोवृत्तियों को सरल बनाते हैं।
वो सिर्फ पढ़ाई नहीं कराते — मानसिक बीमारियों का इलाज भी करते हैं।
चाहे कोई डॉक्टर हो या वैज्ञानिक, बाबा की मुरली में आकर बच्चा बन जाता है।


 आत्म-विश्लेषण (Self-check)

प्रश्न 9: क्या मैं माया की ग्रेविटी में बंधा हूँ या बाबा के रॉकेट में बैठ चुका हूँ?
उत्तर:यह सवाल हर आत्मा को खुद से पूछना चाहिए।
अगर अब भी हम इच्छाओं, मोह, विकारों से बंधे हैं — तो माया की ग्रेविटी में हैं।
अगर ज्ञान-वाणी से उड़ान भर रहे हैं — तो बाबा के रॉकेट में।


 उड़ान आज से शुरू करें

प्रश्न 10: ब्रह्मा बाबा समान बनने के लिए पहला कदम क्या है?
उत्तर:

  • इच्छाओं का त्याग

  • ज्ञान-वाणी को आत्मसात करना

  • माया की ग्रेविटी से बाहर निकलना

  • और बाबा की शक्ति से उड़ान भरना।

 अंतिम प्रेरणा:
“बच्चे, सिर्फ पढ़ो मत — उड़ो। मैं स्वर्ग तुम्हारे हाथ में रख दूंगा।”

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