(12)The secret of the rules of Chhath fast.

छठ पूजा का असली अर्थ-:(12)छठ व्रत के नियमों का रहस्य।

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छठ पूजा का असली अर्थ — व्रत का आत्मिक रहस्य

(आधारित: साकार मुरली 20 सितंबर 2024)
शिव बाबा कहते हैं:
“हर रीति में कोई न कोई गुप्त नीति छिपी हुई है।”

आज हम समझेंगे —
व्रत के नियमों का असली अर्थ क्या है?
भक्ति की मर्यादा से लेकर राजयोग की विधि तक —
हर नियम आत्मा को परमात्मा से जोड़ने की सीढ़ी है।


छठ व्रत — केवल उपवास नहीं, आत्म-संयम की यात्रा

अर्थ:
छठ व्रत का वास्तविक अर्थ है संयम
यह केवल भोजन त्याग नहीं, बल्कि इंद्रिय-विजय का प्रतीक है —
अपनी इंद्रियों को वश में रखना ही सच्चा उपवास है।

लोक उदाहरण:
गांवों में व्रती माताएं कई दिन पहले से घर की सफाई करती हैं।
रसोई में प्याज, लहसुन तक नहीं रखा जाता।
यह बाहरी सफाई नहीं, बल्कि अंतर की शुद्धि की तैयारी है।


मुरली की दृष्टि से — आत्मा का नियम पालन

साकार मुरली: 7 जुलाई 2024
बाबा कहते हैं:
“ज्ञान की दृष्टि से व्रत का अर्थ है — स्मृति और मर्यादा का पालन।
भक्ति में अन्न त्याग, और ज्ञान में अशुद्ध संकल्पों का त्याग।”

उदाहरण:
जैसे व्रती सूर्य को अर्घ देता है,
वैसे ही योगी आत्मा परमात्मा को मनसा-वाचा-कर्मणा अर्पण करती है।


“जो मन, बुद्धि और कर्म में

  व्रत के तीन मुख्य नियम — देह, मन, बुद्धि की मर्यादासाकार मुरली: 14 अगस्त 2024

 स्थिर है, वही सच्चा व्रती है।
व्रत का असली नियम है — ‘एक बाप, दूसरा न कोई।’”

भक्ति में:
व्रती अनेक देवी-देवताओं को याद करते हैं।
ज्ञान में:
आत्मा केवल एक परमपिता शिव को याद करती है।

उदाहरण:
जैसे सूर्य की किरणें सीधे धरती पर पड़ती हैं,
वैसे ही आत्मा की याद भी सीधे परमात्मा पर केंद्रित होती है।


व्रत का दूसरा नियम — मनसा संयम

भावार्थ:
व्रती अन्न त्यागता है ताकि मन स्थिर रहे।
ज्ञान मार्ग में व्रती विचारों का उपवास करता है —
नकारात्मक विचार न लेना, न देना।

अव्यक्त मुरली: 28 अप्रैल 2024
“मन के संकल्प भी भोजन समान हैं।
जो शुद्ध संकल्प लेते हैं, वही सच्चे उपवासी हैं।”

उदाहरण:
अगर कोई तुम्हें कुछ कह दे और तुम चुप रहकर शुभ संकल्प रखो —
तो तुमने विचारों का व्रत निभाया।


व्रत का तीसरा नियम — ब्रह्मचर्य (संवेदनाओं की पवित्रता)

साकार मुरली: 16 सितंबर 2024
“देह अभिमान से रहित रहो — वही ब्रह्मचर्य का सच्चा अर्थ है।”

अर्थ:
भक्ति में ब्रह्मचर्य का अर्थ है देह की मर्यादा,
ज्ञान में इसका अर्थ है — संवेदनाओं की पवित्रता

उदाहरण:
जब हम किसी के प्रति आकर्षण, क्रोध या द्वेष से मुक्त होकर
सिर्फ आत्मा की दृष्टि से व्यवहार करते हैं —
वही सच्चा ब्रह्मचर्य है।


व्रत का चौथा नियम — मौन और मनन का अभ्यास

साकार मुरली: 10 मई 2024
“मौन रहो, मनन करो, मनसा सेवा करो।”

अर्थ:
सच्चे व्रती अधिक बोलते नहीं — वे शांत मन से साधना करते हैं।
मौन मन, आत्मा को शक्ति का पात्र बनाता है।

उदाहरण:
सुबह 15 मिनट का मौन ध्यान —
मन को दिनभर के लिए दिव्य ऊर्जा देता है।
जैसे सूर्य की किरणें स्थिर जल पर चमकती हैं,
वैसे ही मौन मन में ईश्वर का प्रकाश उतरता है।


व्रत का पांचवा नियम — सेवा और दुआ का भाव

अव्यक्त मुरली: 23 मार्च 2024
“सेवा के संकल्प में रहना ही योग की श्रेष्ठ विधि है।”

अर्थ:
सच्चा व्रती केवल अपने लिए नहीं,
बल्कि सभी आत्माओं के कल्याण के लिए व्रत रखता है।

उदाहरण:
जब आप योग में बैठकर सब आत्माओं के लिए शांति और शक्ति का संकल्प लेते हैं —
वही सच्चा सार्वभौमिक व्रत है।


समापन संदेश — आत्मा का सच्चा व्रत

अव्यक्त मुरली: 18 जून 2024
“तपस्या का अर्थ शरीर को दुख देना नहीं,
बल्कि संकल्पों को शुद्ध बनाना है।”

मुख्य संदेश:
व्रत शरीर का नहीं, आत्मा का अनुशासन है।
छठ व्रत के बाहरी नियम हमें याद दिलाते हैं —
अब आत्मा का व्रत है:

  • एक बाप की याद में रहना,

  • शुद्ध संकल्प रखना,

  • सदा शुभ चिंतक बनना।

सार:
भक्ति में व्रती सूर्य को जल अर्पण करता है,
ज्ञान में आत्मा शिव बाबा को संकल्पों का प्रकाश अर्पण करती है —
यही सच्चे व्रत के तीन नियम हैं।

छठ पूजा का असली अर्थ — व्रत का आत्मिक रहस्य

(आधारित: साकार मुरली 20 सितंबर 2024)
शिव बाबा कहते हैं:
“हर रीति में कोई न कोई गुप्त नीति छिपी हुई है।”


Q1: छठ व्रत का असली अर्थ क्या है?

A:
छठ व्रत केवल उपवास नहीं, बल्कि आत्म-संयम और इंद्रिय-विजय की यात्रा है।
यह बाहरी भोजन त्यागने से कहीं ज्यादा — मन और इंद्रियों पर विजय पाने का प्रतीक है।

उदाहरण:
गांव में व्रती माताएं कई दिन पहले से घर की सफाई करती हैं।
रसोई में प्याज और लहसुन तक नहीं रखा जाता।
यह केवल बाहरी सफाई नहीं, बल्कि अंतर की शुद्धि की तैयारी है।


Q2: मुरली की दृष्टि से व्रत का क्या महत्व है?

A:
साकार मुरली: 7 जुलाई 2024
“ज्ञान की दृष्टि से व्रत का अर्थ है — स्मृति और मर्यादा का पालन।
भक्ति में अन्न त्याग, और ज्ञान में अशुद्ध संकल्पों का त्याग।”

उदाहरण:
जैसे व्रती सूर्य को अर्घ देता है,
वैसे ही योगी आत्मा परमात्मा को मनसा-वाचा-कर्मणा अर्पण करती है।


Q3: व्रत के तीन मुख्य नियम क्या हैं?

A:
साकार मुरली: 14 अगस्त 2024

  1. देह, मन और बुद्धि की मर्यादा — “जो स्थिर है, वही सच्चा व्रती।”

  2. भक्ति में कई देवी-देवताओं की स्मृति,

  3. ज्ञान में केवल एक बाप, दूसरा न कोई।

उदाहरण:
जैसे सूर्य की किरणें सीधे धरती पर पड़ती हैं,
वैसे ही आत्मा की याद भी सीधे परमात्मा पर केंद्रित होती है।


Q4: व्रत का दूसरा नियम — मनसा संयम क्या है?

A:
व्रती अन्न त्यागता है ताकि मन स्थिर रहे,
ज्ञान मार्ग में व्रती विचारों का उपवास करता है — नकारात्मक विचार न लेना, न देना।

अव्यक्त मुरली: 28 अप्रैल 2024
“मन के संकल्प भी भोजन समान हैं।
जो शुद्ध संकल्प लेते हैं, वही सच्चे उपवासी हैं।”

उदाहरण:
अगर कोई आपको कुछ कह दे और आप चुप रहकर शुभ संकल्प रखें,
तो आपने विचारों का व्रत निभाया।


Q5: व्रत का तीसरा नियम — ब्रह्मचर्य क्या है?

A:
साकार मुरली: 16 सितंबर 2024
भक्ति में ब्रह्मचर्य = देह की मर्यादा,
ज्ञान में ब्रह्मचर्य = संवेदनाओं की पवित्रता

उदाहरण:
जब हम किसी के प्रति क्रोध, आकर्षण या द्वेष से मुक्त होकर
सिर्फ आत्मा की दृष्टि से व्यवहार करते हैं —
यही सच्चा ब्रह्मचर्य है।


Q6: व्रत का चौथा नियम — मौन और मनन का अभ्यास

A:
साकार मुरली: 10 मई 2024
सच्चे व्रती अधिक बोलते नहीं, वे शांत मन से साधना करते हैं।
मौन मन, आत्मा को शक्ति और प्रकाश का पात्र बनाता है।

उदाहरण:
सुबह 15 मिनट का मौन ध्यान —
मन को पूरे दिन दिव्य ऊर्जा देता है।
जैसे सूर्य की किरणें स्थिर जल पर चमकती हैं,
वैसे ही मौन मन में ईश्वर का प्रकाश उतरता है।


Q7: व्रत का पांचवा नियम — सेवा और दुआ का भाव

A:
अव्यक्त मुरली: 23 मार्च 2024
सच्चा व्रती केवल अपने लिए नहीं,
बल्कि सभी आत्माओं के कल्याण के लिए व्रत रखता है।

उदाहरण:
योग में बैठकर सभी के लिए शांति और शक्ति का संकल्प लेना,
यही सच्चा सार्वभौमिक व्रत है।


Q8: समापन — छठ व्रत का सार क्या है?

A:
अव्यक्त मुरली: 18 जून 2024
व्रत शरीर का नहीं, आत्मा का अनुशासन है।
छठ व्रत के नियम हमें सिखाते हैं:

  • एक बाप की याद में रहना,

  • शुद्ध संकल्प रखना,

  • सदा शुभ चिंतक बनना

सार:
भक्ति में व्रती सूर्य को जल अर्पण करता है,
ज्ञान में आत्मा शिव बाबा को संकल्पों का प्रकाश अर्पण करती है।
यही हैं सच्चे व्रत के तीन नियम

Disclaimer (डिस्क्लेमर):

यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान की आध्यात्मिक शिक्षाओं और साकार-अव्यक्त मुरली के आधार पर बनाया गया है।
इसका उद्देश्य धार्मिक मान्यताओं का खंडन नहीं, बल्कि उनके पीछे छिपे आध्यात्मिक रहस्य को स्पष्ट करना है।
हम सभी धर्मों का सम्मान करते हुए, इस वीडियो द्वारा आत्मिक दृष्टिकोण साझा कर रहे हैं।

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