दशहरा:-(13)राम रावण युद्ध असली रहस्य
अध्याय – राम रावण युद्ध का असली रहस्य
1. परिचय
दशहरे का हम आज 13वां विषय कर रहे हैं।
हमने बचपन से सुना है कि राम ने रावण का वध किया और दशहरा असुरों पर देवताओं की विजय का पर्व है।
लेकिन असली प्रश्न है – रावण कौन है? राम का युद्ध किससे है? और यह युद्ध हमसे कैसे जुड़ा हुआ है?
2. विकारों पर विजय का आध्यात्मिक युद्ध
राम–रावण युद्ध का आध्यात्मिक अर्थ है आत्मा और विकारों के बीच का युद्ध।
राम है परमात्मा शिव, और रावण है माया के दस विकार।
उदाहरण:
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जब हम क्रोध में आकर अपनों को दुख देते हैं, तब वही रावण हमें हरा देता है।
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जब हम मोह या लोभ में फँसते हैं, तब आत्मा रावण के चंगुल में फँस जाती है।
3. तुलसीदास जी का आध्यात्मिक रहस्य
तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में कहा कि राम को रावण पर विजय पाने के लिए आध्यात्मिक रथ की आवश्यकता है।
रथ के प्रतीक:
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साहस और धैर्य – रथ के चक्के
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सत्य और शील – ध्वजा
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बल, विवेक, संयम, परोपकार – चार घोड़े
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क्षमा, दया, सम्मान दृष्टि – रस्सी
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ईश्वर भक्ति – सारथी
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वैराग्य – कवच
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संतोष – तलवार
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ज्ञान और विज्ञान – अस्त्र-शस्त्र
यह वही रथ है जिससे आत्मा विकार रूपी रावण पर विजय पाती है।
4. रावण विकारों का प्रतीक
तुलसीदास ने स्पष्ट कहा –
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मोह है रावण
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अहंकार है कुंभकरण
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काम है मेघनाथ
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लोभ है अतिकाय
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मत्सर (ईर्ष्या) है महोदर
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क्रोध है देव आंतक
इस प्रकार रावण और उसकी सेना वास्तव में माया के विकार हैं।
5. द्वापर से कलियुग तक की कथा
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द्वापर युग से आत्मा रूपी सीता भौतिक आकर्षण (कंचन मृग) के पीछे भागकर परमात्मा राम से विमुख हो जाती है।
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वह माया रूपी रावण के चंगुल में फँस जाती है।
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कलियुग के अंत तक पूरा संसार ही शोक वाटिका बन जाता है।
6. परमात्मा का आगमन
ऐसे समय में निराकार परमपिता शिव आते हैं।
वे हमें ज्ञान और योग के अस्त्र-शस्त्र देकर माया रूपी रावण से मुक्त कराते हैं।
7. मातृशक्ति का महत्व
परमात्मा शिव माताओं को निमित्त बनाकर ज्ञान अमृत का कलश देते हैं।
माताएं ही इस विश्व युद्ध की शक्ति सेना बनती हैं।
उदाहरण:
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नवरात्रि में कन्याओं की पूजा इसी शक्ति की याद है।
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शीतला माता के रूप में स्मरण इसलिए किया जाता है क्योंकि मातृशक्ति ही विकारों से तप्त संसार को शीतल बनाती है।
8. विजय दशमी का संदेश
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केवल पुतला जलाना असली दशहरा नहीं है।
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असली दशहरा है – मन के 10 विकारों का दहन।
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जब आत्मा रावण से मुक्त होती है तो राम राज्य पुनः स्थापित होता है।
राम राज्य का स्वरूप:
हर आत्मा दीपक के समान प्रज्वलित, पवित्र और सुख–शांति में रहती है।
9. मुरली संदर्भ
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साकार मुरली (6 अक्टूबर 1970): रावण कोई मनुष्य नहीं, रावण माया रूपी पाँच विकार हैं। इनका दहन योग बल से ही संभव है।
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अव्यक्त मुरली (24 सितंबर 1979): विजय दशमी का अर्थ है आत्मा की विजय माया पर। यही असली राम–रावण युद्ध है।
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साकार मुरली (7 अक्टूबर 1985): बच्चों को असली दशहरा मनाना है। योग बल से विकारों का नाश कर राम राज्य की स्थापना करनी है।
10. निष्कर्ष
राम–रावण युद्ध बाहरी युद्ध नहीं है।
यह आत्मा और विकारों के बीच का आध्यात्मिक युद्ध है।
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राम है परमात्मा शिव, जो हमें माया पर विजय दिलाते हैं।
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रावण है माया और उसके विकार, जो आत्मा को रुलाते हैं।
इस विजय दशमी पर हमें संकल्प लेना चाहिए –
“मैं भी शिव शक्ति सेना का वीर योद्धा बनूंगा और अपने भीतर के रावण को समाप्त करूंगा।”
प्रश्न 1: दशहरे का वास्तविक महत्व क्या है?
उत्तर: बचपन से हमने सुना है कि राम ने रावण का वध किया और दशहरा असुरों पर देवताओं की विजय का पर्व है। लेकिन असली रहस्य यह है कि दशहरा आत्मा की विकारों पर विजय का प्रतीक है।
प्रश्न 2: राम–रावण युद्ध का आध्यात्मिक अर्थ क्या है?
उत्तर: राम–रावण युद्ध आत्मा और विकारों के बीच का युद्ध है।
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राम है परमात्मा शिव।
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रावण है माया और उसके दस विकार।
उदाहरण:
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जब हम क्रोध में आकर अपनों को दुख देते हैं, तब वही रावण हमें हरा देता है।
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जब हम मोह या लोभ में फँसते हैं, तब आत्मा रावण के चंगुल में फँस जाती है।
प्रश्न 3: तुलसीदास जी ने इस युद्ध के लिए आध्यात्मिक रथ का क्या रहस्य बताया?
उत्तर: तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में कहा कि राम को रावण पर विजय पाने के लिए आध्यात्मिक रथ की आवश्यकता है।
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साहस और धैर्य – रथ के चक्के
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सत्य और शील – ध्वजा
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बल, विवेक, संयम, परोपकार – चार घोड़े
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क्षमा, दया, सम्मान दृष्टि – रस्सी
-
ईश्वर भक्ति – सारथी
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वैराग्य – कवच
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संतोष – तलवार
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ज्ञान और विज्ञान – अस्त्र-शस्त्र
इन्हीं गुणों से आत्मा विकार रूपी रावण पर विजय पाती है।
प्रश्न 4: रावण वास्तव में किसका प्रतीक है?
उत्तर: रावण और उसकी सेना वास्तव में माया के विकार हैं। तुलसीदास ने बताया –
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मोह है रावण
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अहंकार है कुंभकरण
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काम है मेघनाथ
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लोभ है अतिकाय
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मत्सर (ईर्ष्या) है महोदर
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क्रोध है देव आंतक
प्रश्न 5: द्वापर से कलियुग तक आत्मा और रावण की कथा कैसे जुड़ी?
उत्तर:
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द्वापर युग से आत्मा रूपी सीता कंचन मृग (भौतिक आकर्षण) के पीछे भागकर परमात्मा राम से विमुख हो गई।
-
वह माया रूपी रावण के चंगुल में फँस गई।
-
कलियुग के अंत तक पूरा संसार ही शोक वाटिका बन गया।
प्रश्न 6: इस युद्ध में परमात्मा की क्या भूमिका है?
उत्तर: ऐसे समय में निराकार परमपिता शिव आते हैं।
वे हमें ज्ञान और योग के अस्त्र-शस्त्र देकर माया रूपी रावण से मुक्त कराते हैं।
प्रश्न 7: मातृशक्ति का इस युद्ध में क्या महत्व है?
उत्तर:
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परमात्मा शिव माताओं को निमित्त बनाकर ज्ञान अमृत का कलश देते हैं।
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माताएं ही इस विश्व युद्ध की शक्ति सेना बनती हैं।
उदाहरण:
-
नवरात्रि में कन्याओं की पूजा इसी शक्ति स्वरूप की याद है।
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शीतला माता का स्मरण इसलिए किया जाता है क्योंकि मातृशक्ति ही विकारों से तप्त संसार को शीतल बनाती है।
प्रश्न 8: असली विजय दशमी क्या है?
उत्तर:
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केवल पुतला जलाना असली दशहरा नहीं है।
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असली दशहरा है मन के दस विकारों का दहन करना।
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जब आत्मा रावण से मुक्त होती है, तभी राम राज्य स्थापित होता है।
प्रश्न 9: राम राज्य का स्वरूप कैसा है?
उत्तर: राम राज्य वह है जहां हर आत्मा दीपक के समान प्रज्वलित, पवित्र और सुख-शांति में रहती है।
प्रश्न 10: मुरली में दशहरे का क्या अर्थ बताया गया है?
उत्तर:
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साकार मुरली (6 अक्टूबर 1970): रावण कोई मनुष्य नहीं, बल्कि माया रूपी पाँच विकार हैं।
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अव्यक्त मुरली (24 सितंबर 1979): विजय दशमी का अर्थ है आत्मा की विजय माया पर।
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साकार मुरली (7 अक्टूबर 1985): असली दशहरा मनाना है – योग बल से विकारों का नाश कर राम राज्य की स्थापना करनी है।
प्रश्न 11: हमें इस दशहरे पर क्या संकल्प लेना चाहिए?
उत्तर:
“मैं शिव शक्ति सेना का वीर योद्धा बनूंगा और अपने भीतर के रावण को समाप्त करूंगा।”
Disclaimer (वीडियो शुरुआत या अंत में)यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ के गहन आध्यात्मिक ज्ञान, मुरली संदर्भों और धर्मग्रंथों की व्याख्या पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल आत्मिक जागृति और सकारात्मक जीवन मूल्यों को प्रोत्साहित करना है। किसी भी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना या ऐतिहासिक घटनाओं पर विवाद खड़ा करना हमारा उद्देश्य नहीं है।