(13)Sun worship, science and spiritual practice.

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छठ पूजा का असली अर्थ-:(13)सूर्य उपासना, विज्ञान और आत्मा की साधना।

(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

छठ पूजा का असली अर्थ — 13वां विषय

सूर्य उपासना, विज्ञान और आत्मा की साधना

आधार: अव्यक्त मुरली 5 मई 2024
“ज्ञान से ही भक्ति सत्य बनती है।”

1. छठ पूजा में सूर्य की उपासना क्यों?

सूर्य को प्राणदाता माना जाता है। वे केवल प्रकाश नहीं देते, बल्कि ऊर्जा, जीवन और संतुलन का आधार हैं।

साकार मुरली 18 जून 2024:
“सूर्य तो केवल प्रकृति का दाता है। पर सच्चा जीवन सूर्य मैं परमात्मा हूं, जो आत्मा को शक्ति देता है।”

उदाहरण:
जैसे पौधे सूर्य से जीवन पाते हैं, वैसे ही आत्मा परमात्मा सूर्य से प्रकाश और ज्ञान पाती है।

वैज्ञानिक दृष्टि:

  • सूर्य उदय और सूर्यास्त के समय किरणें अल्ट्रावायलेट और इंफ्रारेड में संतुलित होती हैं।

  • शरीर को विटामिन डी, हार्मोन संतुलन और मानसिक शांति मिलती है।

अव्यक्त मुरली 8 जुलाई 2024:
“प्रकृति की हर चीज का उपयोग जब योग में होता है तब वे अमृत बन जाती हैं।”

उदाहरण:
योगी सूर्य की रोशनी में ध्यान करता है — बाहरी किरणें शरीर को, और आध्यात्मिक किरणें आत्मा को शक्तिशाली बनाती हैं।


2. शुद्धता और सात्विकता का महत्व

लोक दृष्टि: व्रती लोग पानी, दूध और सात्विक आहार ग्रहण करते हैं। घर पूरी तरह साफ-सुथरा रखा जाता है।

साकार मुरली 9 अप्रैल 2024:
“शुद्धता ही तुम्हारा मूल धर्म है। जहां शुद्धता है वहां आत्मिक शक्ति अपने आप प्रकट होती है।”

उदाहरण:
जैसे दर्पण तभी सूर्य का प्रकाश दिखाता है जब वह साफ हो, वैसे ही आत्मा तभी परमात्मा का प्रकाश अनुभव करती है जब मन निर्मल हो।


3. सूर्य को अर्घ देने का वैज्ञानिक कारण

  • सूर्य की किरणें जल में रिफ्लेक्शन होकर प्राकृतिक एनर्जी प्रिज्म बनाती हैं।

  • अर्घ देने से मानसिक शांति, ध्यान और संतुलन की स्थिति बनती है।

अव्यक्त मुरली 24 मई 2024:
“योगी आत्मा जल के समान निर्मल होती है। जिसे जो देखे वही शुद्धता का अनुभव करें।”

उदाहरण:
सूर्य के सामने जल अर्पित करते समय बनती लहरें — आत्मा के संकल्प तरंगों का प्रतीक।


4. पर्यावरणीय संदेश

छठ पूजा में नदी, जलाशय और प्रकृति की सफाई भी की जाती है।

साकार मुरली 21 जुलाई 2024:
“प्रकृति तुम्हारी सेवक है। जब तुम शुद्ध बनोगे तो वे भी शुद्धता से सहयोग देगी।”

उदाहरण:
नदी में स्नान — शारीरिक और आत्मिक स्वच्छता का प्रतीक।
जैसे आत्मा अपने कर्मों की गंदगी को ईश्वर स्मृति से धोती है।


5. भक्ति से आत्म साधना तक

अव्यक्त मुरली 13 अगस्त 2024:
“सच्चा तपस्वी वे नहीं जो भोजन छोड़े, बल्कि वे जो विकारों को छोड़े। शरीर की भूख को सहमित कर आत्मा की भूख और ज्ञान की प्यास को जगाना — यही असली उपवास है।”

साकार मुरली 17 जून 2024:
“भक्ति में प्रतीक पूजा थी, ज्ञान में वह आत्मिक अनुभव बन जाता है।”

उदाहरण:
भक्ति में दीपक बाहरी जलता है, ज्ञान में दीपक आत्मा के अंदर जलता है।


6. निष्कर्ष

छठ पूजा हमें सिखाती है —

  • सूर्य की उपासना से परम सूर्य की साधना तक।

  • जो सूर्य बाहरी जगत को प्रकाशित करता है, वही परमात्मा आत्मा को ज्ञान, शक्ति और प्रेम देता है।

अव्यक्त मुरली 22 जुलाई 2024:
“मैं सूर्य समान हूं। सब आत्माओं को प्रकाश और जीवन देने वाला। मुझसे योग जोड़ो, तो जीवन की सारी तपस्याएं बंद हो जाती हैं।”

शिव बाबा संदेश:
“बच्चे, मैं सूर्य नहीं, पर सूर्य का भी पिता हूं।”

सारांश:
छठ पूजा में सूर्य को अर्घ देने का अर्थ है — बाहरी प्रकाश नहीं, आत्मिक जागृति। परमपिता शिव को याद करना — सच्चा सूर्य, सच्चा जीवनदाता और प्रकाश।

सूर्य उपासना, विज्ञान और आत्मा की साधना

आधार: अव्यक्त मुरली 5 मई 2024

“ज्ञान से ही भक्ति सत्य बनती है।”


प्रश्न 1: छठ पूजा में सूर्य की उपासना क्यों की जाती है?

उत्तर:
सूर्य को प्राणदाता माना गया है। वह केवल प्रकाश का नहीं, बल्कि ऊर्जा, जीवन और संतुलन का स्रोत है।
साकार मुरली 18 जून 2024 में कहा:

“सूर्य तो केवल प्रकृति का दाता है। पर सच्चा जीवन सूर्य मैं परमात्मा हूं, जो आत्मा को शक्ति देता है।”

उदाहरण:
जैसे पौधे सूर्य से जीवन पाते हैं, वैसे ही आत्मा परमात्मा सूर्य से ज्ञान और शक्ति प्राप्त करती है।

वैज्ञानिक दृष्टि:
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय किरणों में अल्ट्रावायलेट और इंफ्रारेड का संतुलन होता है, जिससे विटामिन D, हार्मोन संतुलन और मानसिक शांति मिलती है।

अव्यक्त मुरली 8 जुलाई 2024:

“प्रकृति की हर चीज का उपयोग जब योग में होता है तब वे अमृत बन जाती हैं।”

योगिक उदाहरण:
योगी जब सूर्य की रोशनी में ध्यान करता है, तो बाहरी किरणें शरीर को और परमात्मा की याद की किरणें आत्मा को शक्तिशाली बनाती हैं।


प्रश्न 2: छठ पूजा में शुद्धता और सात्विकता का क्या महत्व है?

उत्तर:
व्रती लोग इस दिन सात्विक आहार लेते हैं, घर और वातावरण को पूर्ण स्वच्छ रखते हैं।
साकार मुरली 9 अप्रैल 2024:

“शुद्धता ही तुम्हारा मूल धर्म है। जहां शुद्धता है, वहां आत्मिक शक्ति अपने आप प्रकट होती है।”

उदाहरण:
जैसे दर्पण तभी सूर्य का प्रकाश दिखाता है जब वह साफ हो, वैसे ही आत्मा तभी परमात्मा का प्रकाश अनुभव करती है जब मन निर्मल हो।


प्रश्न 3: सूर्य को अर्घ देने का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारण क्या है?

उत्तर:
जब सूर्य को जल अर्पित किया जाता है, तो किरणें जल में रिफ्लेक्ट होकर एनर्जी प्रिज्म बनाती हैं। इससे ध्यान, एकाग्रता और शांति की अनुभूति होती है।

अव्यक्त मुरली 24 मई 2024:

“योगी आत्मा जल के समान निर्मल होती है। जिसे जो देखे वही शुद्धता का अनुभव करें।”

उदाहरण:
अर्घ देने से जल में बनती लहरें — आत्मा के संकल्प तरंगों का प्रतीक हैं। जब संकल्प शुद्ध हों, तो जीवन भी तरंगित और प्रकाशमय बन जाता है।


प्रश्न 4: छठ पूजा का पर्यावरणीय संदेश क्या है?

उत्तर:
छठ में नदी, तालाब और प्रकृति की सफाई की जाती है। यह पर्यावरण के प्रति सम्मान का प्रतीक है।
साकार मुरली 21 जुलाई 2024:

“प्रकृति तुम्हारी सेवक है। जब तुम शुद्ध बनोगे तो वे भी शुद्धता से सहयोग देगी।”

उदाहरण:
नदी में स्नान — शारीरिक और आत्मिक स्वच्छता का प्रतीक है।
जैसे आत्मा अपने विकारों की गंदगी को ईश्वर-स्मृति से धोती है, वैसे ही मनुष्य जल से बाहरी शुद्धि करता है।


प्रश्न 5: भक्ति से आत्म साधना तक का क्या संदेश है?

उत्तर:
अव्यक्त मुरली 13 अगस्त 2024:

“सच्चा तपस्वी वे नहीं जो भोजन छोड़े, बल्कि वे जो विकारों को छोड़े।”

साकार मुरली 17 जून 2024:

“भक्ति में प्रतीक पूजा थी, ज्ञान में वह आत्मिक अनुभव बन जाता है।”

उदाहरण:
भक्ति में दीपक बाहर जलता है, पर ज्ञान में दीपक आत्मा के भीतर जलता है।
छठ का उपवास — शरीर की भूख को नहीं, विकारों की भूख को शांत करने का प्रतीक है।


प्रश्न 6: छठ पूजा का आध्यात्मिक निष्कर्ष क्या है?

उत्तर:
छठ पूजा हमें सिखाती है कि —
सूर्य की उपासना से परम सूर्य की साधना तक पहुंचना ही सच्ची तपस्या है।
जो सूर्य जगत को प्रकाशित करता है, वही परमात्मा आत्माओं को ज्ञान, प्रेम और शक्ति देता है।

अव्यक्त मुरली 22 जुलाई 2024:

“मैं सूर्य समान हूं। सब आत्माओं को प्रकाश और जीवन देने वाला। मुझसे योग जोड़ो, तो जीवन की सारी तपस्याएं समाप्त हो जाती हैं।”

शिव बाबा संदेश:

“बच्चे, मैं सूर्य नहीं, पर सूर्य का भी पिता हूं।”


सारांश (Conclusion):

छठ पूजा में सूर्य को अर्घ देने का सच्चा अर्थ है —
बाहरी प्रकाश नहीं, आत्मिक जागृति।
स्मृति में रहना कि —
परमपिता शिव ही सच्चे सूर्य हैं, वही आत्मा के जीवनदाता और प्रकाशदाता हैं।

Disclaimer:

यह वीडियो आध्यात्मिक ज्ञान के लिए बनाया गया है। इसमें बताए गए आध्यात्मिक और विज्ञान संबंधी सिद्धांत ब्रह्माकुमारी अव्यक्त और साकार मुरली पर आधारित हैं। किसी भी स्वास्थ्य संबंधी या चिकित्सकीय कार्य के लिए कृपया प्रमाणित विशेषज्ञ से परामर्श लें।

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