(14)What are the 16 arts of Shri Krishna?

(14) श्री कृष्ण की 16 कलाएं कौन सी हैँ?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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कभी आपने सोचा है कि श्रीकृष्ण को ‘सोलह कला संपूर्ण’ क्यों कहा जाता है?
कौन-सी हैं वो सोलह कलाएं?
क्या यह कोई लिस्ट है? या फिर… कोई गहराई से जुड़ी हुई आत्मिक बात?”

“दुनिया के कई विद्वानों, संतों और आचार्यों ने इन कलाओं को खोजने की कोशिश की।
किसी ने कहा: चित्रकला, संगीत, नृत्य, पाक कला…
पर क्या श्रीकृष्ण इन कलाओं से ‘संपूर्ण’ कहलाए?
नहीं…! ब्रह्माकुमारियों के ज्ञान से समझते हैं इसका गहराई से राज़।

परमपिता परमात्मा हमें समझाते हैं —
जैसे चंद्रमा अमावस्या से पूर्णिमा तक धीरे-धीरे पूर्ण होता है,
वैसे ही आत्मा भी पुनः पूर्णता की यात्रा करती है।
जब आत्मा 16 कला पूर्ण होती है,
तब वह बनती है संपूर्ण — सर्वगुण संपन्न, सर्व शक्तियों से भरपूर।

श्रीकृष्ण उसी आत्मिक स्थिति का प्रतीक हैं —
सोलह आने सच्चा — आज की भाषा में कहें तो इसलिए उन्हें कहा जाता है — सोलह कला संपूर्ण।
क्योंकि उनमें कोई भी गुण अधूरा नहीं था।
हर   पूरी थी।”

“तो अगली बार जब मन में यह सवाल आए कि ‘सोलह कलाएं कौन-सी हैं?’
तो याद रखें —
यह कोई लिस्ट नहीं,
बल्कि आत्मा की पूर्णता की स्थिति है।

हमने आपके लिए 8 अलग-अलग प्लेलिस्ट बनाई हैं,
जहाँ आपको आपके हर सवाल का जवाब मिल सकता है।
शायद वहां वो सवाल भी हो…
जो आज तक आपने किसी से पूछा ही नहीं।”

“अब समझ आया…
क्यों श्रीकृष्ण हैं सोलह कला संपूर्ण?
क्योंकि वह आत्मा पूर्णता का स्वरूप है।

ओम शांति।
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🌺 जय श्रीकृष्ण 🌺

🎥 कभी आपने सोचा है कि श्रीकृष्ण को ‘सोलह कला संपूर्ण’ क्यों कहा जाता है?

प्रश्न 1: ‘सोलह कला संपूर्ण’ का अर्थ क्या है?

उत्तर:‘सोलह कला संपूर्ण’ का अर्थ है — आत्मा की ऐसी स्थिति जहाँ कोई भी गुण अधूरा नहीं रहता।
हर गुण, हर शक्ति पूर्णता में होती है।
श्रीकृष्ण उस पूर्ण आत्मिक स्थिति का प्रतीक हैं — जहाँ आत्मा सर्वगुण संपन्न और सर्वशक्तिवान बन चुकी होती है।

प्रश्न 2: क्या ये सोलह कलाएं कोई कला-जैसे चित्रकला, नृत्य या पाक कला—हैं?

उत्तर:नहीं। दुनिया ने इन्हें बाहरी कलाओं से जोड़ा — लेकिन ब्रह्माकुमारियों के ज्ञान अनुसार,
ये आत्मिक परिपूर्णता की स्थितियाँ हैं, न कि बाहरी हुनर।
श्रीकृष्ण को चित्रकला या संगीत से नहीं, बल्कि आत्मिक गुणों और शक्तियों की पूर्णता से ‘संपूर्ण’ कहा गया है।

प्रश्न 3: फिर श्रीकृष्ण को ही सोलह कला संपूर्ण क्यों कहा गया?

उत्तर:क्योंकि वह आत्मा अपने पहले जन्म में पूर्णता को प्राप्त कर चुकी थी
जिस प्रकार चंद्रमा पूर्णिमा को 16 कला पूर्ण होता है,
वैसे ही आत्मा भी परमात्मा के ज्ञान व शक्तियों से पूर्ण बनती है —
और श्रीकृष्ण उस पूर्णता का पहला स्वरूप हैं।

प्रश्न 4: ‘सोलह आने सच्चा’ कहने का क्या अर्थ है?

उत्तर:पुराने ज़माने में एक रुपया = 16 आने होता था।
यदि कोई व्यक्ति “सोलह आने सच्चा” कहलाता था, तो वह पूरी तरह निष्कलंक और खरा माना जाता था।
उसी तरह, श्रीकृष्ण भी संपूर्णता का प्रतीक हैं —
ना कोई कमी, ना कोई दोष।

प्रश्न 5: क्या आज भी आत्मा 16 कला संपूर्ण बन सकती है?

उत्तर:बिलकुल!
परमात्मा शिव हमें आज ज्ञान और योग के द्वारा वही पूर्ण स्थिति प्राप्त करने की शिक्षा दे रहे हैं।
राजयोग और पवित्र जीवन के माध्यम से आत्मा फिर से सोलह कला संपूर्ण बन सकती है।

प्रश्न 6: ‘सोलह कला’ की कोई लिस्ट है क्या?

उत्तर:नहीं। यह कोई लिस्ट नहीं है।
यह एक आंतरिक यात्रा की अवस्था है —
जहाँ आत्मा हर गुण, हर शक्ति में परिपक्व हो जाती है।

प्रश्न 7: अगर मेरे मन में और सवाल हैं तो क्या करूँ?

उत्तर:हमने आपके लिए 8 विशेष प्लेलिस्ट बनाई हैं —
जहाँ हर प्रश्न का उत्तर मिलेगा,
शायद वो भी, जो आपने अभी तक कभी किसी से पूछा नहीं।
लिंक आपको डिस्क्रिप्शन में मिलेगा।

प्रश्न 8: यह ज्ञान किसने दिया?

उत्तर:यह दिव्य ज्ञान परमपिता परमात्मा शिव द्वारा ब्रह्मा के माध्यम से दिया गया है —
जिसे आज हम ब्रह्माकुमारियों के माध्यम से अनुभव कर सकते हैं।
शिव बाबा ही हमें फिर से आत्मिक पूर्णता की ओर ले जाते हैं।

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