दशहरा(10):-रामराज की सच्ची आशा।दशहरा दीपावली और आत्मा का जागरण
राम दो हैं – राजा राम और दाता राम
परिचय
भारत भूमि में राम नाम का गहरा महत्व है।
लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि वास्तव में राम दो हैं।
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एक राम है – त्रेता युग का राजा राम, दशरथ पुत्र, 14 कला संपूर्ण दिव्य राजा।
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दूसरा राम है – दाता राम, निराकार परमपिता परमात्मा शिव, जो राज्य भाग्य देने वाले हैं।
राजा राम – 14 कला संपूर्ण
त्रेता युग में जन्म लेने वाले दशरथ पुत्र श्रीराम 14 कला संपूर्ण पावन और मर्यादा पुरुषोत्तम राजा थे।
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उनके राज्य में दुख, चिंता, विकार, आपदा कुछ भी नहीं था।
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उस समय को राम राज्य कहा गया।
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लेकिन यह राज्य भाग्य उन्हें परमात्मा की उपासना और पुरशार्थ के आधार पर मिला था।
दाता राम – निराकार शिव
दाता राम है – रामेश्वर शिव, जो अशरीरी परमात्मा हैं।
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वही पतित-पावन हैं।
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वही विकारों से छुड़ाने वाले हैं।
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वही असली रामेश्वरम हैं, जिनकी दक्षिण भारत में भी पूजा होती है।
त्रेता युग के राजा राम तो पावन थे,
लेकिन पतितों को पावन बनाने वाले सिर्फ दाताराम – निराकार शिव ही हैं।
राम बनाम रावण
जैसे दो राम हैं, वैसे ही दो रावण का अर्थ भी गहराई से है।
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राम = रमणीय, आनंद देने वाला।
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रावण = रुलाने वाला – पाँच विकार।
आत्मा रूपी सीता जब मर्यादा (लक्ष्मण रेखा) लांघ देती है,
तो रावण अर्थात माया उसे बंधन में ले लेती है।
उस समय निराकार राम शिव ही आकर
आत्मा को विकारों के बंधन से मुक्त कराते हैं।
उदाहरण – जीवन की पंचवटी
यह संसार एक कांटों का जंगल है।
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शरीर को पंचवटी कहा गया है,
क्योंकि यह पाँच तत्वों से बना है। -
आत्मा रूपी सीता इसमें निवास करती है।
माया रूपी रावण
कभी भिखारी बनकर, कभी आकर्षण बनकर आत्मा को फँसाता है।
लेकिन निराकार राम शिव ही
ज्ञान और योग से हमें छुड़ाते हैं।
मुरली प्रमाण
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साकार मुरली – 4 अक्टूबर 1970
“राम कोई मनुष्य नहीं है। रामेश्वर परमात्मा ही पतितों को पावन बनाने वाला है। राजा राम भी उन्हीं की उपासना से राज्य भाग्य पाते हैं।” -
अव्यक्त मुरली – 10 अक्टूबर 1978
“राम और रावण की कहानी तुम्हारे जीवन की ही कहानी है। आत्मा सीता है, रावण विकार है और राम है परमपिता परमात्मा।” -
साकार मुरली – 15 अक्टूबर 1983
“त्रेता युग के राम 14 कला संपूर्ण थे, लेकिन राज्य का दाता तो निराकार शिव है।”
निष्कर्ष
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राजा राम – देहिक अवतार, मर्यादा पुरुषोत्तम पावन राजा।
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दाता राम – निराकार शिव, पतित पावन और राज्य भाग्य देने वाले।
आज संगम युग पर वही निराकार शिव, प्रजापिता ब्रह्मा के माध्यम से
ज्ञान और योग सिखाकर हमें भविष्य के राम राज्य का बीज दे रहे हैं।
राम दो हैं – राजा राम और दाता राम
❓ प्रश्न 1: क्या वास्तव में राम दो हैं?
✅ उत्तर:
हाँ। भारत भूमि में राम नाम का गहरा महत्व है।
लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि वास्तव में राम दो हैं –
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त्रेता युग के राजा राम – दशरथ पुत्र, 14 कला संपूर्ण दिव्य और मर्यादा पुरुषोत्तम राजा।
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दाता राम – निराकार परमपिता परमात्मा शिव, जो राज्य भाग्य देने वाले और पतित-पावन हैं।
❓ प्रश्न 2: राजा राम कौन थे और उनके राज्य की विशेषता क्या थी?
✅ उत्तर:
राजा राम त्रेता युग में जन्म लेने वाले दशरथ पुत्र थे।
वे 14 कला संपूर्ण और मर्यादा पुरुषोत्तम पावन राजा थे।
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उनके राज्य में दुख, चिंता, विकार या आपदा कुछ भी नहीं था।
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उस समय को राम राज्य कहा गया।
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यह राज्य भाग्य उन्हें परमात्मा की उपासना और पूर्व जन्म के पुरशार्थ से प्राप्त हुआ था।
❓ प्रश्न 3: दाता राम कौन हैं?
✅ उत्तर:
दाता राम है – निराकार रामेश्वर शिव।
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वे अशरीरी परमात्मा हैं।
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वही पतित-पावन हैं।
-
वही विकारों से छुड़ाने वाले हैं।
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वही असली रामेश्वरम हैं, जिनकी दक्षिण भारत में भी पूजा होती है।
त्रेता युग के राजा राम तो पावन थे,
लेकिन पतितों को पावन बनाने वाले सिर्फ दाता राम – निराकार शिव ही हैं।
प्रश्न 4: राम और रावण का गहरा अर्थ क्या है?
उत्तर:
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राम का अर्थ है – रमणीय, आनंद देने वाला।
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रावण का अर्थ है – रुलाने वाला, पाँच विकार (काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार)।
जब आत्मा रूपी सीता मर्यादा (लक्ष्मण रेखा) लांघ देती है,
तो रावण अर्थात माया उसे बंधन में ले लेती है।
उस समय निराकार राम शिव ही आकर आत्मा को विकारों के बंधन से मुक्त कराते हैं।
प्रश्न 5: पंचवटी और आत्मा-सीता का उदाहरण क्या है?
उत्तर:
यह संसार एक कांटों का जंगल है।
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शरीर को पंचवटी कहा गया है क्योंकि यह पाँच तत्वों से बना है।
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आत्मा रूपी सीता इसमें निवास करती है।
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माया रूपी रावण कभी भिखारी बनकर, कभी आकर्षण बनकर आत्मा को फँसाता है।
लेकिन निराकार राम शिव ही ज्ञान और योग से आत्मा को छुड़ाते हैं।
प्रश्न 6: इस सत्य के लिए मुरली प्रमाण क्या हैं?
उत्तर:
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साकार मुरली – 4 अक्टूबर 1970
“राम कोई मनुष्य नहीं है। रामेश्वर परमात्मा ही पतितों को पावन बनाने वाला है। राजा राम भी उन्हीं की उपासना से राज्य भाग्य पाते हैं।” -
अव्यक्त मुरली – 10 अक्टूबर 1978
“राम और रावण की कहानी तुम्हारे जीवन की ही कहानी है। आत्मा सीता है, रावण विकार है और राम है परमपिता परमात्मा।” -
साकार मुरली – 15 अक्टूबर 1983
“त्रेता युग के राम 14 कला संपूर्ण थे, लेकिन राज्य का दाता तो निराकार शिव है।”
प्रश्न 7: आज के समय में इसका निष्कर्ष क्या है?
उत्तर:
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राजा राम – देहिक अवतार, मर्यादा पुरुषोत्तम पावन राजा।
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दाता राम – निराकार शिव, पतित पावन और राज्य भाग्य देने वाले।
आज संगम युग पर वही निराकार शिव, प्रजापिता ब्रह्मा के माध्यम से
ज्ञान और योग सिखाकर हमें भविष्य के राम राज्य का बीज दे रहे हैं।
Disclaimer: यह वीडियो केवल आध्यात्मिक शिक्षा और आत्म जागृति के उद्देश्य से बनाया गया है। इसका मकसद किसी भी धर्म, संप्रदाय या परंपरा की आलोचना करना नहीं है। यह ज्ञान ब्रह्माकुमारीज मुरली शिक्षाओं और आध्यात्मिक दृष्टिकोण पर आधारित है। कृपया इसे सकारात्मक सोच और आत्म सुधार की दृष्टि से देखें।
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