प्रश्न का मन्थन:चित्त और वृत्ति में गहरा अंतर आत्म शक्ति को समझे।
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
अध्याय : चित्त और वृत्ति में गहरा अंतर
परिचय
आत्मा की शक्तियों को जानना बहुत जरूरी है। हम सभी जानते हैं – आत्मा के तीन मुख्य अंग हैं मन, बुद्धि और संस्कार।
जब ये तीनों एकमत हो जाते हैं तो उसे दिल कहा जाता है।
परंतु आत्मा का एक और गुप्त विभाग है – चित्त।
अक्सर हम चित्त और वृत्ति शब्द सुनते हैं, परंतु दोनों में गहरा अंतर है।
आज हम मुरली की रोशनी में समझेंगे कि चित्त और वृत्ति क्या है और इनमें क्या अंतर है।
चित्त क्या है?
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आत्मा का एक विशेष शक्तिशाली विभाग।
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आत्मा के चार अंग बताए जाते हैं – मन, बुद्धि, संस्कार और चित्त।
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चित्त = आत्मा का रिकॉर्डिंग भंडार।
कैसे कार्य करता है?
चित्त आत्मा की वह शक्ति है जिससे विजुअलाइजेशन होता है।
जो कुछ भी हम देखते, सुनते, पढ़ते हैं – मन और बुद्धि के द्वारा जो भी संदेश आते हैं, उनकी इमेज चित्त पर अंकित हो जाती है।
उदाहरण:
जैसे कैमरे की फिल्म पर फोटो छप जाती है, वैसे ही आत्मा का चित्त सब रिकॉर्ड कर लेता है।
वृत्ति क्या है?
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आत्मा की केंद्रित धारा।
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वृत्ति = आत्मा से निकलने वाली शक्ति जो किसी व्यक्ति, वस्तु या परमात्मा की ओर जाती है।
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वृत्ति हमारे संस्कारों की अभिव्यक्ति है।
यदि वृत्ति व्यक्ति पर टिक गई → मोह उत्पन्न।
यदि वृत्ति वस्तु पर टिक गई → लोभ उत्पन्न।
यदि वृत्ति परमात्मा शिव पर टिक गई → आत्मा शक्तिशाली और पवित्र।
उदाहरण:
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चित्त = रिकॉर्डर (कैमरा)।
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वृत्ति = सूर्य की किरणों को लेंस से एकाग्र करना।
मुरली संदर्भ
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5 मई 1970 (साकार मुरली):
“चित्त वह रिकॉर्ड है जिसमें जन्म-जन्मांतर का सब खाता भरा हुआ है। वृत्ति वह शक्ति है जिससे आत्मा बंधन या मुक्ति का अनुभव करती है।” -
12 जुलाई 1978 (अव्यक्त मुरली):
“चित्त में चित्र है और वृत्ति में शक्ति है। वृत्ति को शिवबाबा पर टिकाओ तो चित्त भी उज्ज्वल बन जाएगा।” -
14 सितंबर 1984 (साकार मुरली):
“चित्त और वृत्ति का खेल ही जीवन को दुखी या सुखी बनाता है। विकारी वृत्ति से चित्त मैला होता है, और पवित्र वृत्ति से चित्त स्वच्छ।”
निष्कर्ष
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चित्त = आत्मा का रिकॉर्ड (स्मृति)।
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वृत्ति = आत्मा की ध्यान धारा (फोकस)।
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यदि वृत्ति परमात्मा की ओर टिके तो चित्त भी पवित्र हो जाता है।
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चित्त शुद्ध तो वृत्ति भी शुद्ध।
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वृत्ति शुद्ध तो आत्मा भी शक्तिशाली।
यही सच्चा योग और आत्म साधना है।
प्रश्न 1: आत्मा की मुख्य सूक्ष्म शक्तियाँ कौन-सी हैं?
उत्तर: आत्मा की तीन सूक्ष्म शक्तियाँ हैं – मन, बुद्धि और संस्कार।
जब ये तीनों एकमत हो जाते हैं तो उसे दिल कहा जाता है।
प्रश्न 2: क्या आत्मा में मन, बुद्धि और संस्कार के अलावा भी कोई विभाग है?
उत्तर: हाँ। आत्मा का चौथा विभाग है चित्त।
और चित्त से जुड़ा हुआ एक गहरा विषय है – वृत्ति।
प्रश्न 3: चित्त क्या है?
उत्तर:
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चित्त आत्मा का रिकॉर्डिंग भंडार है।
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आत्मा जो भी देखती, सुनती या सोचती है, उसकी छाप चित्त पर अंकित हो जाती है।
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उदाहरण: जैसे कैमरे की फिल्म पर फोटो छप जाती है, वैसे ही आत्मा का चित्त हर अनुभव को रिकॉर्ड कर लेता है।
📖 मुरली (5 मई 1970, साकार):
“चित्त वह रिकॉर्ड है जिसमें जन्म-जन्मांतर का सब खाता भरा हुआ है।”
प्रश्न 4: वृत्ति क्या है?
उत्तर:
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वृत्ति आत्मा की केंद्रित धारा है।
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यह आत्मा की ऊर्जा है जो किसी व्यक्ति, वस्तु या परमात्मा की ओर प्रवाहित होती है।
उदाहरण:
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वृत्ति व्यक्ति पर टिक गई → मोह।
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वृत्ति वस्तु पर टिक गई → लोभ।
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वृत्ति परमात्मा पर टिक गई → आत्मा शक्तिशाली और पवित्र।
📖 मुरली (12 जुलाई 1978, अव्यक्त):
“चित्त में चित्र है और वृत्ति में शक्ति है। वृत्ति को शिव बाबा पर टिकाओ तो चित्त भी उज्ज्वल बन जाएगा।”
प्रश्न 5: चित्त और वृत्ति में क्या अंतर है?
उत्तर:
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चित्त = आत्मा का रिकॉर्डिंग भंडार (स्मृति)।
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वृत्ति = आत्मा की ध्यान धारा (फोकस और शक्ति)।
कार्य:
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चित्त → सब कुछ रिकॉर्ड करता है।
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वृत्ति → जिस ओर ध्यान टिके, वहाँ शक्ति पहुँचाती है।
उदाहरण:
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चित्त = कैमरे का रिकॉर्डर।
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वृत्ति = सूर्य की किरणों को लेंस से एकाग्र करना।
📖 मुरली (14 सितंबर 1984, साकार):
“चित्त और वृत्ति का खेल ही जीवन को दुखी या सुखी बनाता है। विकारी वृत्ति से चित्त मैला होता है, और पवित्र वृत्ति से चित्त स्वच्छ।”
प्रश्न 6: चित्त और वृत्ति की शुद्धता कैसे संभव है?
उत्तर:
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यदि वृत्ति परमात्मा शिव पर टिके → चित्त पवित्र बन जाता है।
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चित्त शुद्ध → वृत्ति शुद्ध।
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वृत्ति शुद्ध → आत्मा शक्तिशाली।
यही योग की सच्ची साधना है।
Disclaimer:डिस्क्लेमर
यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज की मुरली एवं आध्यात्मिक शिक्षाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक जागृति और आत्म कल्याण है। इसमें किसी भी धर्म, सम्प्रदाय या व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुँचाना उद्देश्य नहीं है।
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