(14)Did life arise solely from chemical reactions?

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(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

विश्व नाटक :-(14)क्या जीवन सिर्फ रासायनिक प्रतिक्रिया से उत्पन्न हुआ?

विश्व नाटक — अध्याय 14 : जीवन के उद्भव का रहस्य

उपविषय:
जीवन के उद्भव के सिद्धांत की चार असिद्ध धारणाएँ और आत्मा का रहस्य


प्रस्तावना: क्या जीवन केवल रासायनिक प्रतिक्रिया है?

विज्ञान कहता है —
“पृथ्वी पर रासायनिक क्रियाओं से पहला जीव उत्पन्न हुआ।”
पर क्या केवल कुछ अणु और केमिकल्स मिल जाने से जीवन उत्पन्न हो सकता है?

क्या हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, या कार्बन मिलकर प्रेम, करुणा और त्याग महसूस कर सकते हैं?
स्पष्ट है — जीवन केवल रासायनिक नहीं, बल्कि चेतन अस्तित्व है।

 साकार मुरली 19 जनवरी 1975:

“शरीर तो मिट्टी से बना है, पर जीव आत्मा तो परलोक से आती है।”

ब्रह्मा कुमारी दृष्टिकोण कहता है —
जीवन आत्मा से आरंभ होता है, पदार्थ से नहीं।


1. पूर्वानुमान 1 — आदिम वायुमंडल में ऑक्सीजन नहीं थी

विज्ञान का पहला अनुमान — पृथ्वी के आरंभिक वायुमंडल में ऑक्सीजन नहीं थी।
परंतु भूवैज्ञानिक साक्ष्य बताते हैं —
आरंभ से ही ऑक्सीजन मौजूद थी।

ब्रिंकमन ने कहा —
“जलवाष्प के विघटन से प्रारंभिक काल में ही ऑक्सीजन बन चुकी थी।”

 इसका अर्थ — जीवन ऑक्सीजन रहित वातावरण में उत्पन्न नहीं हो सकता।

 मुरली 12 जुलाई 1973:

“यह प्रकृति सतो-रजो-तमो में बदलती रहती है,
पर जीवन तो आत्मा की चिंगारी से ही प्रकट होता है।”


2. पूर्वानुमान 2 — बिजली से बने अमीनो एसिड जीवन का आधार बने

मिलर और यूरे नामक वैज्ञानिकों ने प्रयोग किया —
बिजली और गैसों से अमीनो एसिड बने, पर वे जीवित नहीं थे।
वे केवल मृत पदार्थ का मिश्रण थे।

जैसे कोई मूर्तिकार मूर्ति बना सकता है, पर उसमें प्राण नहीं डाल सकता।
उसी तरह वैज्ञानिक पदार्थ तो बना सकते हैं, पर जीवन नहीं

 मुरली 20 अगस्त 1976:

“मनुष्य सृष्टि नहीं रच सकता।
केवल मिट्टी से खिलौने बना सकता है।
जीवन देना मेरे सिवाय किसी के बस की बात नहीं।”


3. पूर्वानुमान 3 — सरल अणुओं से स्वतः ‘प्रोटोसेल’ बन गए

विज्ञान कहता है —
“अमीनो एसिड और न्यूक्लिक एसिड आपस में जुड़कर प्रोटोसेल बन गए।”
परंतु यह केवल कल्पना है, कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला।

एलिस (1986) ने कहा —
“यदि ऐसा हुआ था, तो उसके भूवैज्ञानिक प्रमाण क्यों नहीं मिले?”

 मुरली बिंदु:

“बिना जीव आत्मा के कोई भी रचना जीवित नहीं रह सकती।
शरीर में प्राण डालने वाला शिव बाबा ही है।”


4. पूर्वानुमान 4 — मिथेन, अमोनिया, हाइड्रोजन से जीवन उत्पन्न हुआ

ओपेरिन और यूरे का मत था कि जीवन इन गैसों से बना,
पर बाद में यह मान्यता भी असिद्ध सिद्ध हुई —
क्योंकि भूवैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिले।

वास्तव में यह पूरा सिद्धांत कल्पना पर आधारित है, प्रमाण पर नहीं।

 अव्यक्त मुरली 5 मई 1978:

“जिसे वे रचना का रहस्य कहते हैं,
वह वास्तव में ‘रिक्रिएशन’ है।
सृष्टि की रचना तो परमात्मा के संकल्प से होती है।”


उदाहरण — घड़ी और घड़ीसाज़

यदि आप एक सुंदर घड़ी देखें —
तो आप कहेंगे कि कोई घड़ीसाज़ होगा जिसने यह बनाई।
तो क्या यह विराट सृष्टि — इतनी बुद्धिमान व्यवस्था —
बिना रचयिता के बन सकती है?

डार्विन के अनुयायी भी इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाए,
पर ईश्वरीय ज्ञान स्पष्ट कहता है —
“सृष्टि स्वतः नहीं बनी; इसे रचने वाला स्वयं परमात्मा है।”


आत्मिक दृष्टि से सत्य

जीवन की शुरुआत आत्मा से होती है।
जब आत्मा शरीर में प्रवेश करती है, तभी शरीर जीवित कहलाता है।
बिना आत्मा के शरीर केवल रासायनिक संयोजन है।

 मुरली 11 नवंबर 1976:

“आत्मा में ही जीवन है, शरीर तो केवल उसका साधन है।”


निष्कर्ष — विज्ञान की सीमा और योग का विस्तार

विज्ञान ने शरीर को समझा, पर आत्मा को नहीं।
इसलिए उसके सभी सिद्धांत अधूरे हैं।

जब तक विज्ञान Consciousness (चेतना) और आत्मा को स्वीकार नहीं करेगा,
वह जीवन के रहस्य को नहीं समझ पाएगा।

 अव्यक्त मुरली 21 जनवरी 1979:

“जब तक विज्ञान को योग का ज्ञान नहीं मिलेगा,
वह सृष्टि के रहस्य नहीं जान सकेगा।”

जीवन का रहस्य प्रयोगशाला में नहीं — परमात्मा की याद में है।

प्रस्तावना : क्या जीवन केवल रासायनिक प्रतिक्रिया है?

प्रश्न 1:
क्या वास्तव में जीवन केवल रासायनिक क्रियाओं से उत्पन्न हुआ?

उत्तर:
विज्ञान कहता है —
“पृथ्वी पर रासायनिक क्रियाओं के मेल से पहला जीव उत्पन्न हुआ।”
परंतु क्या कुछ अणु और केमिकल्स मिल जाने से जीवन, प्रेम, करुणा, त्याग उत्पन्न हो सकते हैं?

स्पष्ट है —
जीवन केवल रासायनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि चेतन अस्तित्व है।

साकार मुरली 19 जनवरी 1975:

“शरीर तो मिट्टी से बना है, पर जीव आत्मा तो परलोक से आती है।”

अर्थ:
जीवन आत्मा से आरंभ होता है, पदार्थ से नहीं।


पूर्वानुमान 1 — आदिम वायुमंडल में ऑक्सीजन नहीं थी

प्रश्न 2:
क्या आरंभिक पृथ्वी पर ऑक्सीजन नहीं थी, जैसा विज्ञान कहता है?

उत्तर:
विज्ञान का पहला अनुमान है कि आरंभ में पृथ्वी “ऑक्सीजन-रहित” थी।
परंतु भूवैज्ञानिक साक्ष्य बताते हैं कि प्रारंभ से ही ऑक्सीजन मौजूद थी।
ब्रिंकमन के अनुसार —

“जलवाष्प के विघटन से पृथ्वी के आरंभिक इतिहास में ही ऑक्सीजन बन चुकी थी।”

इससे सिद्ध होता है कि —
जीवन ऑक्सीजन रहित वातावरण में उत्पन्न नहीं हो सकता।

मुरली 12 जुलाई 1973:

“यह प्रकृति सतो-रजो-तमो में बदलती रहती है,
पर जीवन तो आत्मा की चिंगारी से ही प्रकट होता है।”


पूर्वानुमान 2 — बिजली से बने अमीनो एसिड जीवन का आधार बने

प्रश्न 3:
क्या मिलर और यूरे के प्रयोग से जीवन बन गया?

उत्तर:
मिलर और यूरे ने गैसों और बिजली से अमीनो एसिड बनाए —
पर वे जीवित नहीं थे।
वे केवल मृत पदार्थ का मिश्रण थे।

उदाहरण के लिए —
एक मूर्तिकार मूर्ति बना सकता है, पर उसमें प्राण नहीं डाल सकता।
उसी प्रकार वैज्ञानिक पदार्थ तो बना सकते हैं, जीवन नहीं।

मुरली 20 अगस्त 1976:

“मनुष्य सृष्टि नहीं रच सकता।
केवल मिट्टी से खिलौने बना सकता है।
जीवन देना मेरे सिवाय किसी के बस की बात नहीं।”


पूर्वानुमान 3 — सरल अणुओं से स्वतः ‘प्रोटोसेल’ बन गए

प्रश्न 4:
क्या अमीनो एसिड और न्यूक्लिक एसिड स्वतः जुड़कर ‘प्रोटोसेल’ बन सकते हैं?

उत्तर:
यह केवल कल्पना है।
अब तक कोई भी वैज्ञानिक प्रयोग या भूवैज्ञानिक प्रमाण इस सिद्धांत को समर्थन नहीं देता।

एलिस (1986) के अनुसार —

“यदि ऐसा हुआ था, तो उसके भूवैज्ञानिक प्रमाण क्यों नहीं मिले?”

मुरली बिंदु:

“बिना जीव आत्मा के कोई भी रचना जीवित नहीं रह सकती।
शरीर में प्राण डालने वाला शिव बाबा ही है।”


पूर्वानुमान 4 — मिथेन, अमोनिया, हाइड्रोजन से जीवन उत्पन्न हुआ

प्रश्न 5:
क्या इन गैसों के मेल से जीवन बना?

उत्तर:
ओपेरिन और यूरे का मत था कि जीवन इन गैसों से बना।
परंतु भूवैज्ञानिक प्रमाणों ने इसे नकार दिया
इसलिए यह सिद्धांत कल्पना पर आधारित है, प्रमाण पर नहीं।

अव्यक्त मुरली 5 मई 1978:

“जिसे वे रचना का रहस्य कहते हैं,
वह वास्तव में ‘रिक्रिएशन’ है।
सृष्टि की रचना तो परमात्मा के संकल्प से होती है।”


उदाहरण — घड़ी और घड़ीसाज़

प्रश्न 6:
यदि एक घड़ी अपने आप नहीं बन सकती, तो यह सृष्टि कैसे बन गई?

उत्तर:
जब हम एक घड़ी देखते हैं, तो जानते हैं कि कोई घड़ीसाज़ होगा।
तो यह विशाल ब्रह्मांड, इतनी सूक्ष्म बुद्धिमान रचना —
क्या यह बिना रचयिता के बन सकती है?

 डार्विन के अनुयायी इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाए,
पर ईश्वरीय ज्ञान कहता है —
“सृष्टि स्वतः नहीं बनी; इसे रचने वाला स्वयं परमात्मा है।”


आत्मिक दृष्टि से सत्य

प्रश्न 7:
जीवन की शुरुआत कहाँ से होती है?

उत्तर:
जीवन की शुरुआत आत्मा से होती है।
जब आत्मा शरीर में प्रवेश करती है, तभी शरीर जीवित कहलाता है।
बिना आत्मा के शरीर केवल रासायनिक पदार्थों का ढेर है।

मुरली 11 नवंबर 1976:

“आत्मा में ही जीवन है, शरीर तो केवल उसका साधन है।”


निष्कर्ष — विज्ञान की सीमा और योग का विस्तार

प्रश्न 8:
विज्ञान जीवन के रहस्य को क्यों नहीं समझ पाया?

उत्तर:
क्योंकि विज्ञान ने शरीर को समझा, पर आत्मा को नहीं।
वह पदार्थ के सूत्र खोजता रहा, पर चेतना का स्रोत नहीं।
जब तक विज्ञान Consciousness (चेतना) और आत्मा को स्वीकार नहीं करेगा,
वह जीवन के रहस्य को नहीं समझ पाएगा।

अव्यक्त मुरली 21 जनवरी 1979:

“जब तक विज्ञान को योग का ज्ञान नहीं मिलेगा,
वह सृष्टि के रहस्य नहीं जान सकेगा।”


अंतिम सत्य

विज्ञान ने जीवन को प्रयोगशाला में ढूंढा,
पर जीवन तो आत्मा और परमात्मा के योग में छिपा है।

अगला विषय:
“क्या चेतना रासायनिक प्रक्रिया से बन सकती है?”

“जीवन कैसे बना? विज्ञान की चार गलत धारणाएँ और आत्मा का रहस्य

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