(27) Who are the inhabitants of the underworld? This is a wonderful mystery of the spirits beneath the earth.

भूत ,प्रेत:-(27)पाताल वासी कौन है? पृथ्वी के नीचे की आत्माओं का यह एक अद्भुत रहस्य है।

(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“पाताल वासी कौन हैं? | धरती के नीचे नहीं, चेतना की गहराई में छिपा है यह अद्भुत रहस्य | Brahma Kumaris Spiritual Gyan”

भूमिका: पाताल वासी कौन है?

भूत-प्रेत, चुड़ैल और पातालवासी आत्माओं की चर्चा अक्सर रहस्यमयी रूप में की जाती है।
परंतु आज हम जानने का प्रयास करेंगे —
क्या वाकई धरती के नीचे कोई पाताल लोक है, या यह हमारी चेतना की गहराई का प्रतीक है?

भक्ति मार्ग में “पाताल” को धरती के नीचे माना गया है, परन्तु ईश्वरीय दृष्टि से पाताल कोई स्थान नहीं — यह आत्मा की गिरी हुई स्थिति है।


पाताल का वास्तविक अर्थ — चेतना का “Bottom”

शास्त्रों में पाताल को धरती के नीचे बताया गया, परंतु राजयोगी दृष्टि से यह आत्मा की “Bottom State of Consciousness” है।

सतयुग में हम “Top” पर होते हैं — सतोप्रधान।
फिर द्वापर और कलियुग में वही आत्मा “Bottom” पर चली जाती है — तमोप्रधान।

क्या गिरता है? — शरीर नहीं, चेतना गिरती है।
यही “पाताल” है — चेतना का अंतिम पतन।

मुरली 15 मार्च 1972

“बच्चे, आत्मा के पास प्रकाश तभी रहेगा जब वो बाबा की याद में है।
जो याद से दूर है, वह नीचे गिरता है — वही आत्मिक पाताल है।”


पातालवासी आत्माओं की पहचान

पातालवासी वे आत्माएं होती हैं जो अपने कर्म, विचार और वासनाओं के कारण
अपनी आत्मिक ज्योति खो देती हैं।
वे भय, क्रोध, लोभ, मोह के अंधकार में फंस जाती हैं।

उदाहरण:

एक व्यक्ति जिसने जीवनभर दूसरों को ठगा और धोखा दिया,
मृत्यु के बाद उसकी आत्मा ईश्वर की स्मृति से दूर चली जाती है।
वह अंधकार में रहती है जहां “याद का प्रकाश” नहीं पहुंचता —
यही कहलाती है पातालवासी अवस्था।


पातालवासी, राक्षस और दैत्य में अंतर

विषय पातालवासी राक्षस/दैत्य
स्थिति चेतना की गहराई में फंसी आत्माएं इच्छाओं और शक्तियों का दुरुपयोग करने वाली आत्माएं
ऊर्जा का प्रकार अंधकारमय परंतु निष्क्रिय उग्र, आक्रामक और सक्रिय
प्रतीकात्मक अर्थ अज्ञान और भय की गहराई अहंकार और विकारों की अग्नि
मुक्ति का मार्ग ज्ञान का प्रकाश, ईश्वर की याद विनम्रता, योग और साधना
उदाहरण आत्मा अपने अंधकार में कैद राक्षस बाहर आक्रमण करता है

मुरली 22 जून 1985

“अंधकार और अग्नि दोनों विनाश लाते हैं।
योग और ज्ञान से ही आत्मा ऊपर के लोक में लौट सकती है।”


क्या पाताल कोई भौगोलिक स्थान है?

नहीं।
पाताल लोक कोई भूगर्भीय स्थान नहीं है।
यह आत्मा की मानसिक स्थिति है।

जब मन भय, वासना और द्वेष से ग्रसित होता है,
तो उसका मानसिक संसार अंधकारमय बन जाता है — यही “पाताल” है।

कई बार व्यक्ति शरीर से जीवित होते हुए भी,
विचारों में इतना गिर जाता है कि वह “जीवित पातालवासी” बन जाता है।

मुरली 11 सितम्बर 2003

“बच्चे, आत्मा अपनी ही चेतना से ऊपर या नीचे जाती है।
जो बाबा की याद में है वह स्वर्ग में है, जो भूल में है वह पाताल में।”


पुराणों में पाताल — सांप, नाग और अंधकार के प्रतीक

पुराणों में पाताल को नागों, अंधकार और राक्षसों का घर बताया गया है।
परंतु यह सब मनुष्य के भीतर की अवस्थाओं के प्रतीक हैं।

  • नाग — वासना और कुंडलिनी ऊर्जा का प्रतीक।

  • अंधकार — ज्ञान-हीनता का प्रतीक।

  • पातालवासी आत्माएं — वे जो ईश्वर को भूल चुकी हैं।

मुरली 30 अगस्त 1998

“जो आत्मा बाबा की याद में रहती है वही पाताल से पार होती है।
याद ही वह सीढ़ी है जो नर्क से स्वर्ग तक पहुंचाती है।”


पाताल चेतना से ऊपर उठने के उपाय

1. अमृतवेला ध्यान

सुबह 4:00 बजे “मैं आत्मा हूं, परमात्मा का संतान हूं” का अभ्यास करें।
यही आत्मा को ऊपर के लोक में ले जाने वाली पहली सीढ़ी है।

2. सकारात्मक शब्द और दृष्टि

अंधकार तभी तक है जब तक आप प्रकाश को भूलते हैं।
बाबा कहते हैं — “याद ही दीपक है।”

3. शुद्ध संगति और आहार

संगति और भोजन दोनों चेतना को ऊँचा या नीचा बना सकते हैं।

4. मुरली सुनना और मनन करना

रोज़ाना मुरली आत्मा को “ईश्वरीय किरणों” से भर देती है।

मुरली 14 नवम्बर 2001

“जो याद की रोशनी में रहते हैं, वे स्वयं दीपक बनकर दूसरों को भी रोशनी देते हैं।
जो अंधकार में हैं, वे भी तुम्हारे प्रकाश से ऊपर आ सकते हैं।”


समापन — प्रकाश की ओर लौटना

अंधकार से लड़ना नहीं, प्रकाश को जलाना ही समाधान है।
पातालवासी आत्माएं भय की नहीं, सुधार की कहानी कहती हैं।

वे हमें याद दिलाती हैं —

“आत्मा का घर ऊपर है — परमधाम में।
और वहां लौटने का मार्ग है — राजयोग।

जहां ईश्वर की याद है,
वहां कोई पाताल नहीं।
सिर्फ प्रकाश, शांति और परमधाम की स्मृति है।


सारांश (Summary Insight):

  • पाताल कोई स्थान नहीं, बल्कि गिरी हुई चेतना की स्थिति है।

  • याद और ज्ञान से आत्मा ऊपर उठ सकती है।

  • भय और अंधकार आत्मा की भूल है, न कि वास्तविक सत्य।

  • राजयोग आत्मा को “टॉप से टॉप” बनाता है।

  • “पाताल वासी कौन है? | क्या धरती के नीचे सच में पाताल लोक है? | Rajyog द्वारा चेतना का रहस्य | Brahma Kumaris Gyan”


     प्रश्न–उत्तर (Q&A Format Speech)

    प्रश्न 1: “पाताल वासी” शब्द का अर्थ क्या है?

    उत्तर:
    भक्ति मार्ग में पाताल को धरती के नीचे का लोक कहा गया है,
    परंतु ईश्वरीय दृष्टि से पाताल कोई स्थान नहीं — यह आत्मा की गिरी हुई चेतना का प्रतीक है।
    जब आत्मा परमात्मा की याद से दूर होकर विकारों, भय, लोभ, और मोह में फंस जाती है,
    तो वह “पाताल चेतना” में चली जाती है।

    मुरली 15 मार्च 1972:
    “जो बाबा की याद में नहीं है, वही आत्मिक पाताल में है।”


    प्रश्न 2: क्या पाताल लोक सचमुच धरती के नीचे होता है?

    उत्तर:
    नहीं।
    पाताल कोई भूगर्भीय स्थान नहीं है, बल्कि आत्मा की मानसिक स्थिति है।
    जब मन अंधकार, भय या वासना से भरा होता है,
    तो चेतना नीचे गिरती है — यही “पाताल अवस्था” कहलाती है।

    मुरली 11 सितम्बर 2003:
    “जो बाबा की याद में है वह स्वर्ग में है, जो भूल में है वह पाताल में।”


    प्रश्न 3: पातालवासी आत्माएं कौन होती हैं?

    उत्तर:
    वे आत्माएं जो अपने गलत कर्म, विचार और वासनाओं के कारण
    अपनी आत्मिक ज्योति खो देती हैं।
    ऐसी आत्माएं ईश्वर की स्मृति से कटकर भय और अज्ञान के अंधकार में रहती हैं।

    उदाहरण:
    जिन्होंने जीवनभर दूसरों को ठगा या दुख दिया —
    मृत्यु के बाद वे आत्माएं ईश्वरीय प्रकाश से दूर रहती हैं,
    और यही पातालवासी अवस्था कहलाती है।


    प्रश्न 4: पातालवासी, राक्षस और दैत्य में क्या अंतर है?

    विषय पातालवासी राक्षस/दैत्य
    स्थिति चेतना की गहराई में फंसी आत्माएं इच्छाओं और शक्तियों का दुरुपयोग करने वाली आत्माएं
    ऊर्जा का प्रकार अंधकारमय परंतु निष्क्रिय उग्र, आक्रामक और सक्रिय
    प्रतीकात्मक अर्थ अज्ञान और भय की गहराई अहंकार और विकारों की अग्नि
    मुक्ति का मार्ग ज्ञान का प्रकाश, ईश्वर की याद विनम्रता, योग और साधना

    मुरली 22 जून 1985:
    “अंधकार और अग्नि दोनों विनाश लाते हैं। योग और ज्ञान से ही आत्मा ऊपर लौट सकती है।”


    प्रश्न 5: पुराणों में पाताल को सांप और अंधकार का प्रतीक क्यों बताया गया?

    उत्तर:
    यह सब हमारे अंदर के संस्कारों का प्रतीक है।

    • नाग: वासना और कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक।

    • अंधकार: ज्ञान-हीनता का प्रतीक।

    • पातालवासी: ईश्वर को भूल चुकी आत्माएं।

    मुरली 30 अगस्त 1998:
    “जो आत्मा बाबा की याद में रहती है वही पाताल से पार होती है। याद ही वह सीढ़ी है जो नर्क से स्वर्ग तक ले जाती है।”


    प्रश्न 6: क्या कोई जीवित व्यक्ति भी “पातालवासी” बन सकता है?

    उत्तर:
    हाँ।
    जब मनुष्य अपने विचारों से इतना गिर जाता है कि उसमें ईश्वर का स्मरण नहीं रहता,
    तो वह जीवित रहते हुए भी “जीवित पातालवासी” बन जाता है।
    उसका मन भय, वासना, और द्वेष के अंधकार में कैद रहता है।


    प्रश्न 7: पाताल चेतना से ऊपर कैसे उठें?

    उत्तर:
    राजयोग ही वह सीढ़ी है जो आत्मा को “बॉटम से टॉप” तक ले जाती है।

    मुख्य उपाय:

    1. अमृतवेला ध्यान: सुबह 4 बजे “मैं आत्मा हूं, परमात्मा की संतान हूं” का अभ्यास करें।

    2. सकारात्मक दृष्टि: जहां प्रकाश है, वहां अंधकार नहीं।

    3. शुद्ध संगति और सात्विक आहार।

    4. रोज़ाना मुरली का मनन।

    मुरली 14 नवम्बर 2001:
    “जो याद की रोशनी में रहते हैं, वे स्वयं दीपक बनकर दूसरों को भी रोशनी देते हैं।”


    प्रश्न 8: पाताल का आध्यात्मिक संदेश क्या है?

    उत्तर:
    अंधकार से नहीं, प्रकाश से उठो।
    पातालवासी आत्माएं भय की नहीं, सुधार की कहानी कहती हैं।
    वे याद दिलाती हैं कि —
    “आत्मा का घर ऊपर है — परमधाम में, और वहां लौटने का मार्ग है — राजयोग।”


     समापन संदेश:

    जहां ईश्वर की याद है, वहां कोई पाताल नहीं।
    सिर्फ प्रकाश, शांति और परमधाम की स्मृति है।
    राजयोग वही प्रकाश है जो आत्मा को अंधकार से निकालकर “Top Stage” तक पहुंचाता है।

  • Disclaimer (अस्वीकरण):

    यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ के ईश्वरीय ज्ञान और मुरली के आध्यात्मिक सिद्धांतों पर आधारित है।
    इसका उद्देश्य भय फैलाना नहीं, बल्कि आत्मा की चेतना को ऊँचा उठाना है।
    सभी विचार आत्मा की आध्यात्मिक यात्रा को समझाने हेतु हैं — न कि किसी पौराणिक या भौतिक पाताल की व्याख्या करने हेतु।

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