(18) श्रीकृष्ण का विवाह राधा के साथ हुआ या रुक्मणि,सत्यभामा और16108 रानीयों से हुआ?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
श्रीकृष्ण का विवाह राधा से हुआ या रुक्मिणी से? | ब्रह्माकुमारीज ज्ञान | Divine Truth Revealed
आप सभी आत्माओं को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
आज का विषय थोड़ा रहस्यमय, लेकिन बेहद जरूरी है:
क्या श्रीकृष्ण का विवाह राधा से हुआ था या रुक्मिणी से? और फिर 16108 रानियाँ कौन थीं?
अगर आप भी इन सवालों से जूझ रहे हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है।
पूरा देखिए, क्योंकि अंत में आपको मिलेगा उस “अलौकिक सत्य” का स्पष्टीकरण जो सिर्फ परमात्मा ही बता सकते हैं।
सवाल उठता है:
शास्त्रों में राधा और कृष्ण का प्रेम है, लेकिन विवाह की बात नहीं।
विवाह तो रुक्मिणी, सत्यभामा, और 16108 रानियों से बताया गया है।
लेकिन क्या यह सच है?
क्या यह घटनाएँ वास्तविक हैं या प्रतीकात्मक कहानियाँ?
ब्रह्माकुमारीज ज्ञान के अनुसार:
बाबा ने स्पष्ट किया है —
श्रीकृष्ण और राधा कोई ऐतिहासिक पात्र नहीं, बल्कि संगम युग के दिव्य आत्माओं के “अलौकिक अनुभव” का प्रतिबिंब हैं।
राधा और कृष्ण वे आत्माएँ हैं जो संगम युग में परमात्मा शिव से साक्षात्कार करके, दिव्यता को प्राप्त करती हैं।
जब वे पूर्ण बनते हैं, तब उन्हीं का नाम रखा जाता है — लक्ष्मी और नारायण।
इसलिए, विवाह लक्ष्मी-नारायण का होता है, राधा-कृष्ण का नहीं।
यही कारण है कि राधा-कृष्ण की बचपन और युवावस्था की छवियाँ मिलती हैं, लेकिन उनकी विवाहित अवस्था का कोई प्रमाण नहीं मिलता।
इतिहास और मिथक में अंतर:
आज उपलब्ध शास्त्र — भागवत, महाभारत, रामायण — सभी 2000 साल पहले के हैं।
इनकी रचना उन लेखकों द्वारा की गई, जिन्हें उस समय की घटनाएँ प्रत्यक्ष ज्ञात नहीं थीं।
संस्कृत भाषा, जिसमें यह ग्रंथ लिखे गए, वह भी पाणिनि द्वारा कुछ सौ वर्षों पहले व्याकरणबद्ध हुई।
तो क्या इससे पहले सत्य नहीं था?
था — लेकिन वह सत्य अलौकिक था, जिसे परमात्मा शिव स्वयं संगम युग में आकर समझाते हैं।
16108 रानियों का रहस्य:
यह भी प्रतीकात्मक कथा है।
श्रीकृष्ण ने किसी जेल से रानियाँ नहीं छुड़ाईं।
बल्कि यह दर्शाता है कि परमात्मा संगम युग में 16108 श्रेष्ठ आत्माओं को बंधनों से मुक्त करते हैं —
भौतिकता, वासनाओं, अशुद्धता के बंधन से।
वे आत्माएँ आगे चलकर सतयुग के शाही परिवार की रचना करती हैं — देवता बनती हैं।
तो सच्चाई यह है:
राधा और कृष्ण, आत्मा और परमात्मा के मिलन की प्रतीक हैं।
उनका विवाह नहीं, संयोग होता है — अलौकिक, पवित्र, और दिव्य।
शादी होती है लक्ष्मी और नारायण की —
जो संगम युग की आत्माओं के परिपक्व, संपूर्ण स्वरूप हैं।
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शीर्षक: “आप सभी आत्माओं को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!” विषय: क्या श्रीकृष्ण का विवाह राधा से हुआ था या रुक्मिणी से? और फिर 16108 रानियाँ कौन थीं?
Q1: क्या श्रीकृष्ण का विवाह राधा से हुआ था?
उत्तर:नहीं, शास्त्रों में राधा और श्रीकृष्ण का प्रेम वर्णित है, पर विवाह का कोई उल्लेख नहीं मिलता।
ब्रह्माकुमारीज ज्ञान के अनुसार, राधा-कृष्ण कोई भौतिक इतिहास के पात्र नहीं, बल्कि संगम युग की दिव्य आत्माओं के अलौकिक अनुभवों का प्रतीक हैं।
जब वही आत्माएँ संपूर्ण बनती हैं, तो उन्हें लक्ष्मी-नारायण कहा जाता है — जिनका आपस में विवाह होता है।
Q2: तो रुक्मिणी से विवाह क्यों बताया गया है?
उत्तर:रुक्मिणी से विवाह की कथा एक प्रतीकात्मक कहानी है, जो सतयुग की रचना और वहां के शाही जीवन को दर्शाती है।
यह दिखाता है कि श्रीकृष्ण (यानी संगम युग के दिव्य आत्मा) सतयुग में शाही जीवन जीते हैं।
परन्तु ये घटनाएं भौतिक रूप से नहीं, बल्कि आध्यात्मिक अर्थों में होती हैं।
Q3: शास्त्रों में राधा-कृष्ण की कहानियाँ क्यों हैं, पर विवाह की नहीं?
उत्तर:क्योंकि राधा-कृष्ण का संबंध आत्मा और परमात्मा के संयोग का प्रतीक है — जो अलौकिक, पवित्र, और परमात्मा शिव की याद द्वारा संभव होता है।
विवाह एक भौतिक बंधन है, जबकि राधा-कृष्ण का मिलन आध्यात्मिक प्रेम का प्रतीक है —
जो संगम युग में परमात्मा द्वारा आत्मा की पुनः स्थापना दर्शाता है।
Q4: 16108 रानियाँ कौन थीं? क्या ये सच में जेल से छुड़ाई गई थीं?
उत्तर:नहीं, यह भी एक प्रतीकात्मक कथा है।
16108 रानियाँ वे आत्माएँ हैं जिन्हें परमात्मा शिव संगम युग में
अज्ञान, वासनाओं, और भौतिक बंधनों से मुक्त करते हैं।
यही आत्माएँ सतयुग के प्रारंभ में देवता बनती हैं, और शाही परिवार की रचना करती हैं।
Q5: अगर यह सब प्रतीकात्मक है, तो सच्चाई क्या है?
उत्तर:सच्चाई यह है:
राधा और कृष्ण आत्मा और परमात्मा के संयोग का दिव्य प्रतीक हैं।
विवाह होता है लक्ष्मी और नारायण का — जो संगम युग की संपूर्ण बनी हुई आत्माएँ हैं।
परमात्मा शिव स्वयं आकर यह अलौकिक ज्ञान देते हैं,
ताकि हम सत्य और मिथक में भेद समझ सकें।
Q6: क्या यह ज्ञान कहीं लिखा है या अभी बताया जा रहा है?
उत्तर:यह ज्ञान अब संगम युग में स्वयं परमात्मा शिव द्वारा दिया जा रहा है —
ब्रह्माकुमारीज मुरली के माध्यम से।
शास्त्र तो बाद में लिखे गए —
वास्तविक सत्य तो अब बताया जा रहा है, जब स्वयं परमात्मा साकार रूप में आकर मार्गदर्शन दे रहे हैं।
?Q अगर राधा-कृष्ण का विवाह नहीं हुआ, तो उनका मिलन कैसे होता है?
उत्तर:उनका मिलन होता है परमात्मा शिव की याद में।
संगम युग में आत्मा (राधा समान) जब परमात्मा (शिव) की सच्ची याद में रहती है,
तो दिव्यता और पवित्रता को प्राप्त करती है —
और अंत में वही आत्मा लक्ष्मी या नारायण रूप में प्रकट होती है।
अंतिम संदेश:अगर आप भी इन रहस्यों को जानना चाहते हैं, तो जुड़े रहिए।
ओम शांति!
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