Avyakta Murli 21-01-1969(1)

Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“अमृतवेले – प्राप्त दिव्य सन्देश”

आज जब वतन में गई तो सभी बच्चों की ओर से बाबा को यादप्यार दी और अर्जी डाली। ब्रह्मा बाबा को भी अर्जी डाली। तो ब्रह्मा बाबा यही बोले कि मेरा हाथ तो शिवबाबा के पास है। जो करायेंगे हम वही करेंगे। हमने शिवबाबा से बोला – बाबा, इतने सभी आपके बच्चे हैं, आप सभी आशायें पूर्ण करने वाले हो। बाबा एक आश हमारी पूर्ण कर दो-तो बाबा ने फौरन एक डाल दिखाई जिसके बीच में लिखा हुआ था – भावी टाले नाहिं टले। तो हमने बाबा को कहा अगर यही भावी है तो सभी बच्चे जो इक्ट्ठे हुए हैं वे शिवबाबा और ब्रह्मा बाबा दोनों से मिलना चाहते हैं। बापदादा ने कहा जैसे हमेशा बापदादा बच्चों से मिलते हैं वैसे आज भी बच्चों से मिलेंगे। फिर शिवबाबा ने ब्रह्मा बाबा से कहा कि आपकी क्या राय है। शिवबाबा ने कहा कि जब बच्चा बड़ा होता है तो बाप और बच्चा समान होता है। तो मैं भी मुरब्बी बच्चे की राय बिना कुछ नहीं कर सकता हूँ। पहले बाप फिर बच्चा, अभी है पहले बच्चा फिर बाप। तो यही वतन में देखा – दोनों ही एक समान और एक दो के बहुत स्नेह और प्रेम में थे। जैसे दो मित्र मिलते हैं, ऐसे ही बाप-दादा दोनों की आपस में रूहरूहान की सीन दिखाई दे रही थी। ब्रह्मा बाबा कहे जो आज्ञा और शिवबाबा कहे जो बच्चे की राय। दोनों ही मुस्करा रहे थे। हमने कहा एक सेकेण्ड के लिए बच्चों से मुलाकात करके आइये। उस समय दोनों की तरफ देखा तो आँखों से ऐसा लगा कि जो शिवबाबा ने कहा वह ब्रह्मा बाबा को मंजूर था।

(बापदादा गुलजार सन्देशी के तन में पधारे – और महावाक्य उच्चारण किये)

“आपको आकारी बनाने बापदादा अभी भी कायम है और कायम रहेगा। अभी बापदादा आप रूहानी रत्नों से मिल विदाई लेते हैं फिर मिलेंगे। जो होता है उसमें कल्याण है। बापदादा और कल्याण। और कोई शब्द नहीं।”

(सन्देशी के वापस आने पर वतन का सन्देश)

बाबा ने कहा – प्यार और याद। जैसे इस समय हर एक के अन्दर बाबा देखकर आये हैं। ऐसे ही याद और प्यार हमेशा कायम रखेंगे। यह याद और प्यार जैसे कि एक रस्सी है। उस रस्सी को कायम रखना है। इस रस्सी के जरिये बीच में मिलते रहेंगे। बाबा ने कहा स्थापना का कार्य जो और जैसे आदि से चला है अन्त तक ऐसे ही चलेगा। अन्तर नहीं। जिन बच्चों को बाबा निमित्त रखते हैं उन्हों द्वारा बापदादा सभी बच्चों को डायरेक्शन देते रहेंगे। और बच्चे अनुभव करते रहेंगे कि कैसे बापदादा की इक्टठी डायरेक्शन होगी। संगमयुग पर बापदादा दोनों को अलग नहीं होना है। बाबा ने कहा सभी को दो शब्द कहना – अटल और अखण्ड। यह बापदादा दोनों की सौगात है। जैसे कोई बड़े लोग कहाँ जाते हैं तो सौगात देते हैं। ऐसे बापदादा दोनों ही दो शब्दों की सौगात देते हैं अटल और अखण्ड। इसे बुद्धि रूपी तिजोरी में ऐसा रखें जो कितना भी कोई चुराने की कोशिश करे तो भी सौगात साथ रहे। फिर बाबा ने कहा, अब थोड़े समय के लिए विदाई लेता हूँ। फिर जैसे-जैसे कार्य होगा डायरेक्शन देता रहूँगा।

अमृतवेले – प्राप्त दिव्य सन्देश

1. ब्रह्मा बाबा और शिवबाबा की बातचीत:

Q1: ब्रह्मा बाबा ने शिवबाबा से क्या कहा जब उन्होंने बच्चों की अर्जी सुनी? A1: ब्रह्मा बाबा ने कहा कि उनका हाथ शिवबाबा के पास है और जो शिवबाबा करेंगे, वही होगा।

Q2: शिवबाबा ने ब्रह्मा बाबा से क्या पूछा? A2: शिवबाबा ने पूछा कि ब्रह्मा बाबा की राय क्या है, क्योंकि जब बच्चा बड़ा होता है, तो बाप और बच्चा समान होते हैं।

2. बापदादा का सन्देश:

Q1: बापदादा ने बच्चों से मिलते हुए क्या सन्देश दिया? A1: बापदादा ने कहा कि वह आकारी बनाने में हमेशा कायम रहेंगे, और बच्चों से मिलकर विदाई लेते हुए, यह भी बताया कि कल्याण में ही होता है।

Q2: बापदादा ने बच्चों को कौन सी सौगात दी? A2: बापदादा ने बच्चों को “अटल” और “अखण्ड” शब्दों की सौगात दी, जो उनके बुद्धि रूपी तिजोरी में सुरक्षित रहेंगे।

3. वतन का सन्देश और प्यार:

Q1: बाबा ने वतन से वापस आने के बाद बच्चों को क्या सन्देश दिया? A1: बाबा ने कहा कि प्यार और याद की रस्सी हमेशा कायम रखना है, ताकि बीच में मिलते रहेंगे।

Q2: बाबा ने बच्चों को क्या निर्देश दिए? A2: बाबा ने कहा कि स्थापना का कार्य जैसे शुरू हुआ था, वैसे ही अंत तक चलता रहेगा और बापदादा सभी बच्चों को दिशा देते रहेंगे।

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