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आत्मा
का जन्म कैसे होता है वो रहस्य जो दुनिया नहीं जानती
वो रहस्य जो दुनिया नहीं जानती ऐसा कौन सा रहस्य है जो दुनिया नहीं जानती

84 जन्म क्यों यह कैसा रहस्य है क्योंकि दुनिया 84 लाख

हाउस टेक बर्थ एंड व्हाई 84 इज द मोस्टेंट बर्थ
84वा जन्म क्यों मोस्टेंट है 84
84वा जन्म
भारत के इतिहास में वे क्यों महत्वपूर्ण है? 84वा जन्म

हर आत्मा अमर है।
अविनाशी है।
और शरीर के माध्यम से भूमिका निभाती है।
हर आत्मा क्या है? अमर है, अविनाशी है।

शरीर के माध्यम से भूमिका निभाती है।

लेकिन प्रश्न यह है —
नंबर एक: आत्मा जन्म कैसे लेती है?
नंबर दो: 84 जन्म क्यों लेती है?
नंबर तीन: 84 में जन्म का इतना महत्व क्यों है?

आज हम इसे गहराई से समझेंगे।

क्या आत्मा जन्म लेती है?

शरीर में प्रवेश करके — कौन बताएगा?
कौन बताएगा इस प्रश्न का जवाब क्या आत्मा जन्म लेती है?

हां जी — नहीं लेती है
आत्मा एक शरीर दूसरा शरीर जन्म लेती है?
भाई जी आत्मा नहीं जन्म लेती
अच्छा नहीं — आत्मा जन्म नहीं लेती है
आत्मा तो शरीर में प्रवेश करती है।

शरीर का जन्म और शरीर की मृत्यु होती है।

शिव बाबा ने कहा है आत्मा जन्म नहीं लेती।
शरीर लेता है।

चलो अगला क्वेश्चन।
क्या आत्मा मरती है?

हां जी।
आत्मा शरीर में प्रवेश करना ही जन्म है?
हां जी।

अब क्वेश्चन है — क्या आत्मा मरती है?
नहीं मरती भाई जी
नहीं मरती।

आत्मा नहीं — अविनाशी आत्मा।
शरीर की मृत्यु होती है।
ठीक है जी।

नहीं — केवल ड्रेस चेंज होता है।
आत्मा केवल ड्रेस चेंज करती है।
बाकी आत्मा कभी मरती नहीं।

नंबर एक — सृष्टि चक्र और 84 जन्मों की लॉजिक क्या है?

यह क्या कारण है कि एक सृष्टि चक्र में 84 जन्म होते हैं?

84 जन्म क्यों लिख दिए?
ड्रामा बना हुआ है।
ब्रह्मा कुमारी ज्ञान के अनुसार,
चार बातें हम देखेंगे —
किस युग में कितने जन्म, किस स्टेज पर होते हैं
और उनकी नेचर क्या होती है।

सतयुग —
8 जन्म होते हैं।
गोल्डन एज होती है।
पूर्ण पवित्रता, संपूर्ण पवित्रता,
सर्वगुण संपन्न, मर्यादा पुरुषोत्तम।
एक जन्म लगभग 150 साल का होता है।
कभी अकाल मृत्यु नहीं होती।
सभी सत्य पर चलते हैं।
व्यवहार कुशल होते हैं।

त्रेता युग —
12 जन्म।
गोल्डन से सिल्वर एज।
पवित्रता लगभग 25% कम।

द्वापर युग —
21 जन्म।
कॉपर एज।
पवित्रता 50% से कम।
भक्ति शुरू।
पतन शुरू।
अनेक धर्म-पंथ।
दुखों का आरंभ।

कलियुग —
42 जन्म।
आयरन एज।
विकार अधिक।
अज्ञान बढ़ता जाता है।
उम्र कम हो जाती है।
तमोप्रधानता बढ़ जाती है।
पवित्रता 25% से भी कम।
शून्य हो जाती है।

इसके बाद आता है — संगम युग
एक जन्म — 84वा जन्म।
डायमंड जन्म।
परिवर्तन, मुक्ति।

आत्मा का जन्म कैसे होता है?

आत्मा ऊर्जा रूप है —
प्रकाश का ऊर्जा बिंदु, चैतन ज्योति बिंदु।
अमर यात्री।
भूमिका धारी।
पार्ट आत्मा के अंदर है —
लेकिन बजाती शरीर के माध्यम से है।

जब शरीर तैयार होता है, आत्मा प्रवेश करती है।
यह “जन्म” कहा जाता है।

जैसे ड्राइवर कार में बैठकर यात्रा शुरू करता है
वैसे आत्मा शरीर में प्रवेश कर रोल शुरू करती है।

संगम युग — डायमंड जन्म

संगम युग केवल एक देह जन्म नहीं,
बल्कि Conscious Rebirth है।

जीते जी मरना —
और ज्ञान से पुनर्जन्म।

जैसे वाल्मीकि डाकू संत बन गया।
डाकू मर गया — संत जन्मा।
पतित से पावन बनने का नाम है “जीते जी मरना।”

आज नई बात —

दो प्रकार के जन्म:

ज्ञान से जन्म → ब्राह्मण जीवन

देह से जन्म → ह्यूमन बर्थ

ब्राह्मा बाबा ने पहले ज्ञान से जन्म लिया,
फिर शरीर से कृष्ण रूप में जन्म लिया।

84वा जन्म किसका होता है?

आज की गहन समझ यह कहती है —
84वा देह जन्म केवल उनका होता है
जो संगम पर शरीर धारण करते हैं।

जो कृष्ण के साथ जन्म लेंगे —
उनका 84वा जन्म पक्का है।

जो केवल शरीर छोड़कर आएंगे
और अपना शरीर पहनकर खड़े होंगे —
उनका मरजीवा जन्म होगा,
परंतु देह का 84वा जन्म नहीं।

कृष्ण के माता-पिता
और साथ आने वाली आत्माओं के भी
83 या 82 जन्म होंगे,
परंतु 84 नहीं।

सतयुग में फिर उनके 8 जन्म होंगे —
लेकिन उसे 9वा नहीं कहा जाएगा।

यह बहुत गहन, सूक्ष्म,
और अत्यंत अद्भुत रहस्य है।