(23)फ़रिश्ता आत्मा की शक्ति: एक सेकंड में याद की उडान
(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“फरिश्ता आत्मा की रहस्यमयी शक्ति | देह और देह संबंधों से परे अनुभव”
फरिश्ता स्थिति – कैसे बनेंगे हम फरिश्ता
1. परिचय – फरिश्ता आत्मा
फरिश्ता स्थिति क्या है और कैसे बनेंगे हम फरिश्ता?
आज हम इसका अध्ययन कर रहे हैं। यह हमारा 19वां विषय है।
फरिश्ता आत्मा देह और देह संबंधों से परे होकर केवल आत्मा और परमात्मा का अनुभव करती है। बाबा कहते हैं कि बच्चों को अपने आप को आत्मा समझना चाहिए, और देह या देह संबंधों से अलग होना चाहिए।
मुरली नोट:
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अव्यक्त मुरली, 18 जनवरी 1970: “फरिश्ता आत्मा देह संबंधों से परे होकर केवल आत्मा और परमात्मा का अनुभव करती है।”
2. देह और देह संबंधों का मोह
दुनिया में हर आत्मा देह और देह संबंधों में फंसी रहती है। यही आसक्ति दुख, मोह और बंधन का कारण बनती है।
मुरली नोट:
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साकार मुरली, 12 मार्च 1969: “जब आत्मा देही अभिमान छोड़ देती है तो देह के संबंध उसे आकर्षित नहीं करेंगे।”
उदाहरण:
जैसे कोई अभिनेता मंच पर भूमिका निभाता है, पर जानता है कि वह असली नहीं है। वैसे ही आत्मा जानती है कि यह शरीर और इसके संबंध केवल नाटक का हिस्सा हैं।
3. आत्मा और परमात्मा का अनुभव
फरिश्ता स्थिति में आत्मा केवल परमात्मा की याद में रहती है, और देह का भान मिट जाता है।
मुरली नोट:
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अव्यक्त मुरली, 5 अप्रैल 1975: “आत्मा जब शिव बाबा को याद करती है तो देह का भान मिट जाता है।”
उदाहरण:
जैसे सूर्य की किरण में बर्फ अपने आप पिघल जाती है, वैसे ही परमात्मा की याद में देह का अहंकार और आसक्ति पिघल जाती है।
4. फरिश्ता अवस्था के प्रतीक
फरिश्ता आत्मा केवल बिंदु आत्मा और बिंदु परमात्मा का अनुभव करती है, संसार और संबंधों से परे।
मुरली नोट:
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अव्यक्त मुरली, 22 जून 1977: “फरिश्ता आत्मा का अनुभव है – ना देह ना देह के संबंध, केवल बिंदु आत्मा और बिंदु परमात्मा।”
उदाहरण:
जैसे आकाश में पक्षी उड़ते हैं, वे धरती और पिंजरे से परे रहते हैं। उसी तरह फरिश्ता आत्मा भी संसार से परे रहकर बाबा के संग उड़ती है।
5. परिणाम – मुक्ति और जीवन मुक्ति
जब आत्मा देह और देह संबंधों से परे हो जाती है, तभी उसे बेहद का सुख और जीवन मुक्ति का अनुभव होता है।
मुरली नोट:
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साकार मुरली, 14 नवम्बर 1968: “जब आत्मा देह और देह के संबंधों से परे हो जाती है, तबी उसे जीवन मुक्ति का अनुभव होता है।”
उदाहरण:
मन और तन के बोझ से मुक्त होना – जैसे शरीर से न्यारे होकर आत्मा केवल परमात्मा की स्मृति में रहती है।
6. अभ्यास – फरिश्ता बनने की प्रक्रिया
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देह से अलग अनुभव करना: आत्मा को केवल आत्मा समझें।
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संकल्प में आत्मा की स्मृति: बृकुटी, शरीर या स्थान की स्मृति न लें।
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ज्ञान के तीसरे नेत्र का प्रयोग: आंखों से नहीं, बल्कि ज्ञान के तीसरे नेत्र से आत्मा को देखना।
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परमात्मा की श्रीमत पर चलना: सभी कार्य और संकल्प परमात्मा के अनुसार करें।
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साक्षात अनुभव: धीरे-धीरे एकांत में अभ्यास कर फरिश्ता अवस्था का अनुभव।
उदाहरण:
जैसे कोई पक्षी पिंजरे से निकलकर स्वतंत्र हवा में उड़ता है, वैसे ही आत्मा देह बंधन से मुक्त होकर परमात्मा के संग स्वतंत्रता का अनुभव करती है।
मुरली नोट:
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अव्यक्त मुरली, 27 सितंबर 1969: “फरिश्ता बनने के लिए केवल और केवल परमात्मा और परमात्मा का अनुभव करना।”
7. निष्कर्ष
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फरिश्ता स्थिति = देह और देह संबंधों से परे, केवल आत्मा और परमात्मा का अनुभव।
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अभ्यास और परमात्मा की श्रीमत से ही आत्मा यह अवस्था प्राप्त करती है।
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ज्ञान के तीसरे नेत्र से आत्मा को देखना और संसार के मोह से मुक्त होना अनिवार्य है।
Q&A: फरिश्ता स्थिति – आत्मा और परमात्मा का अनुभव
Q1: फरिश्ता स्थिति क्या होती है?
A1: फरिश्ता स्थिति का मतलब है कि आत्मा अपने आप को देह और देह के संबंधों से अलग समझे और केवल परमात्मा के साथ अनुभव में रहे। जैसे आकाश में उड़ता पक्षी पृथ्वी से परे होता है, वैसे ही फरिश्ता आत्मा संसार के संबंधों से परे होती है।
(Avyakt Murli, 22 जून 1977)
Q2: फरिश्ता आत्मा बनने के लिए सबसे पहला कदम क्या है?
A2: सबसे पहले अपने को आत्मा समझना और देही अभिमान छोड़ना। जब आत्मा देही अभिमान छोड़ देती है, तो देह के संबंध उसे आकर्षित नहीं करेंगे।
(Sakar Murli, 12 मार्च 1969)
Q3: क्या फरिश्ता बनने के लिए स्थूल शरीर की मदद लेनी पड़ती है?
A3: नहीं। फरिश्ता बनने के लिए पहले अशरीरी होने का अभ्यास करना पड़ता है। हमें अपने आप को देह से न्यारा समझकर, केवल सूक्ष्म शरीर और आत्मा की स्थिति में अनुभव करना होता है।
(Murli Notes, 18 जनवरी 1970; 5 अप्रैल 1975)
Q4: आत्मा को देखना कैसे संभव है?
A4: आत्मा आंखों से नहीं दिखाई देती। हमें ज्ञान के तीसरे नेत्र का प्रयोग करना होगा। तीसरे नेत्र से ही हम फरिश्ता स्थिति की ओर बढ़ सकते हैं।
(Murli Notes, 27:05)
Q5: देह और देह संबंधों से अलग रहने का क्या लाभ है?
A5: जब आत्मा देह और देह संबंधों से परे हो जाती है, तभी उसे जीवन मुक्ति और बेहद का सुख अनुभव होता है। मन और तन दोनों के बोझ से मुक्त होने पर हम डबल लाइट की स्थिति में पहुँचते हैं।
(Sakar Murli, 14 नवंबर 1968)
Q6: फरिश्ता आत्मा परमात्मा के साथ कैसे जुड़ती है?
A6: केवल परमात्मा की श्रीमत पर चलकर। जब आत्मा परमात्मा की याद में डूबी रहती है, तो देह का भान मिट जाता है और आत्मा पूर्ण रूप से परमात्मा में विलीन हो जाती है।
(Avyakt Murli, 5 अप्रैल 1975)
Q7: फरिश्ता आत्मा दूसरों के प्रति कैसे व्यवहार करती है?
A7: फरिश्ता स्थिति में दूसरों को भी केवल आत्मा के रूप में देखना चाहिए, शरीर के रूप में नहीं। इसी दृष्टि से व्यवहार करने से हम पूरी तरह से अशरीरी अनुभव में रहेंगे।
(Murli Notes, 12–14:00)
Q8: अंत समय में फरिश्ता आत्मा का क्या कार्य होता है?
A8: अंत समय में फरिश्ता सूक्ष्म शरीर से उन आत्माओं के पास पहुंचकर उन्हें मुक्ति और जीवन मुक्ति प्रदान करती है। स्थूल शरीर इस कार्य के लिए सक्षम नहीं होता।
(Murli Notes, 21:53–24:10)
Q9: फरिश्ता आत्मा बनने का अभ्यास कैसे शुरू करें?
A9: पहले अकेले बैठकर अशरीरी होने का अभ्यास करें। अपने आप को देह से न्यारा समझें और केवल आत्मा के रूप में अनुभव करें। धीरे-धीरे व्यवहार में भी इसी दृष्टि का पालन करें।
(Murli Notes, 14:50–15:30)
Disclaimer (डिस्क्लेमर):
यह वीडियो आध्यात्मिक शिक्षा और ब्रह्माकुमारीज़ के मुरली ज्ञान पर आधारित है। इसमें प्रस्तुत सभी विचार आध्यात्मिक दृष्टिकोण से हैं और किसी धार्मिक या व्यक्तिगत मत को बाधित करने का उद्देश्य नहीं रखते। कृपया इसे आध्यात्मिक मार्गदर्शन के रूप में देखें।
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