फ़रिश्ता स्थिति:(24)फ़रिश्ता आत्मा की शक्ति: एक सेकंड में याद की उडान
(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
फरिश्ता सिद्धि का गुप्त रहस्य | देह और संबंध से परे आत्मा की स्थिति
परिचय : हम फरिश्ता सिद्धि का अध्ययन कर रहे हैं
फरिश्ता किसे कहते हैं?
फरिश्ता मतलब — देह और संबंध से परे आत्मा।
जहाँ केवल आत्मा और परमात्मा का अनुभव हो, वहाँ कोई और ज्ञान, मोह या बंधन शेष नहीं रहता।
1. फरिश्ता किसे कहते हैं?
-
देह से परे।
-
संबंध से परे।
-
केवल आत्मा और परमात्मा का अनुभव।
अव्यक्त मुरली 21 जनवरी 1970
“फरिश्ता मतलब जो देह का नहीं।
जो देह का नहीं होगा, संबंध का नहीं होगा।
यदि उसका आपके साथ कोई संबंध है तो वह फरिश्ता नहीं।”
2. फरिश्ता आत्मा और देह से परे
साकार मुरली 16 मार्च 1969
“फरिश्ता आत्मा देह के मोह और अहंकार से मुक्त रहती है।”
उदाहरण:
जैसे हवा किसी घर या वस्तु से बंधी नहीं होती।
वह स्वतंत्र है, जहाँ चाहे बह सकती है।
वैसे ही फरिश्ता आत्मा — देह और मोह से परे, मुक्त रहती है।
3. फरिश्ता आत्मा और संबंध से परे
पहला बिंदु: फरिश्ता का रिश्ता देह पर आधारित नहीं।
दूसरा बिंदु: फरिश्ता किसी संबंध की अपेक्षा या मोह में नहीं फंसता।
उदाहरण:
जैसे सूरज की किरणें बिना किसी भेदभाव के सभी पर समान रूप से रोशनी देती हैं।
वैसे ही फरिश्ता आत्मा सब पर समान दृष्टि रखती है, बिना मोह और अपेक्षा के।
4. फरिश्ता आत्मा और शिव बाबा का संग
अव्यक्त मुरली 14 जून 1977
“फरिश्ता आत्मा अपनी आत्मा को शिव बाबा के संग अनुभव करती है।
देह और संबंध पीछे रह जाते हैं।”
उदाहरण:
जैसे चंद्रमा अंधकार को पीछे छोड़कर केवल अपनी शीतल रोशनी में चमकता है।
वैसे ही फरिश्ता आत्मा, शिव बाबा की रोशनी में रहती है और बाकी सब पीछे छूट जाता है।
5. फरिश्ता आत्मा का पार्ट
साकार मुरली 10 नवंबर 1969
“देह और संबंधों से परे रहकर केवल आत्मा-परमात्मा का अनुभव करना — यही फरिश्ता की असली पहचान है।”
उदाहरण:
जैसे पर्वत की चोटी पर खड़ा व्यक्ति पूरे वातावरण को शांत दृष्टि से देखता है,
वैसे ही फरिश्ता आत्मा हर परिस्थिति में मुक्त, हल्का और शांत रहती है।
निष्कर्ष
फरिश्ता आत्मा की पहचान यही है:
-
देह और संबंध से परे।
-
केवल आत्मा-परमात्मा का अनुभव।
यह स्थिति आत्मा को:
स्वतंत्र
हल्का
आनंदमय बना देती है।
1. फरिश्ता किसे कहते हैं?
उत्तर:
फरिश्ता वह आत्मा है जो:
-
देह से परे रहती है।
-
संबंध से परे रहती है।
-
केवल आत्मा और परमात्मा का अनुभव करती है।
अव्यक्त मुरली 21 जनवरी 1970
“फरिश्ता मतलब जो देह का नहीं।
जो देह का नहीं होगा, संबंध का नहीं होगा।
यदि उसका आपके साथ कोई संबंध है तो वह फरिश्ता नहीं।”
2. फरिश्ता आत्मा देह से परे कैसे रहती है?
उत्तर:
फरिश्ता आत्मा देह के मोह और अहंकार से मुक्त रहती है।
साकार मुरली 16 मार्च 1969
“फरिश्ता आत्मा देह के मोह और अहंकार से मुक्त रहती है।”
उदाहरण:
जैसे हवा किसी घर या वस्तु से बंधी नहीं होती।
वह स्वतंत्र है, जहाँ चाहे बह सकती है।
वैसे ही फरिश्ता आत्मा देह और मोह से परे, मुक्त रहती है।
3. फरिश्ता आत्मा संबंध से परे क्यों रहती है?
उत्तर:
-
फरिश्ता आत्मा का रिश्ता देह पर आधारित नहीं होता।
-
वह किसी संबंध की अपेक्षा या मोह में नहीं फंसती।
उदाहरण:
जैसे सूरज की किरणें बिना किसी भेदभाव के सब पर समान रोशनी डालती हैं।
वैसे ही फरिश्ता आत्मा हर आत्मा को समान दृष्टि से देखती है।
4. फरिश्ता आत्मा शिव बाबा के साथ कैसे रहती है?
उत्तर:
फरिश्ता आत्मा का सबसे बड़ा अनुभव है — शिव बाबा का संग।
वह अपनी आत्मा को शिव बाबा की रोशनी में डूबा हुआ अनुभव करती है, और देह-संबंध पीछे रह जाते हैं।
अव्यक्त मुरली 14 जून 1977
“फरिश्ता आत्मा अपनी आत्मा को शिव बाबा के संग अनुभव करती है।
देह और संबंध पीछे रह जाते हैं।”
उदाहरण:
जैसे चंद्रमा अंधकार को पीछे छोड़कर अपनी शीतल रोशनी में चमकता है।
वैसे ही फरिश्ता आत्मा शिव बाबा की रोशनी में स्थिर रहती है।
5. फरिश्ता आत्मा का असली पार्ट क्या है?
उत्तर:
फरिश्ता आत्मा का पार्ट है —
केवल आत्मा और परमात्मा का अनुभव करना और देह-संबंध से परे रहना।
साकार मुरली 10 नवंबर 1969
“देह और संबंधों से परे रहकर केवल आत्मा-परमात्मा का अनुभव करना — यही फरिश्ता की असली पहचान है।”
उदाहरण:
जैसे पर्वत की चोटी पर खड़ा व्यक्ति पूरे वातावरण को शांत दृष्टि से देखता है।
वैसे ही फरिश्ता आत्मा हर परिस्थिति में शांत, हल्की और मुक्त रहती है।
निष्कर्ष
फरिश्ता आत्मा की पहचान यही है:
-
देह और संबंध से परे रहना।
-
केवल आत्मा और परमात्मा का अनुभव करना।
यह स्थिति आत्मा को:
स्वतंत्र
हल्का
आनंदमय बना देती है।
Disclaimer (डिस्क्लेमर):यह वीडियो केवल आध्यात्मिक अध्ययन और व्यक्तिगत आत्मिक उन्नति के उद्देश्य से बनाया गया है। इसका संबंध किसी धर्म, पंथ या संस्था की आलोचना से नहीं है। यह सामग्री ब्रह्माकुमारीज़ की मुरली शिक्षाओं और आध्यात्मिक दृष्टिकोण पर आधारित है।
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