26-07-2025/Read today’s Murli in big letters, listen and contemplate

26-07-2025/आज की मुरली बड़े-बड़े अक्षरों में पढ़े सुनें और मंथन करे

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( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

“पास्ट, प्रेज़न्ट और फ्यूचर का गुप्त रहस्य – पुरुषोत्तम संगमयुग का दिव्य राज़”


 1. भूमिका: त्रिकालदर्शी बनने की सच्ची विधि

हम हमेशा यह सोचते हैं कि क्या हुआ था (Past), क्या हो रहा है (Present), और क्या होगा (Future)। लेकिन ब्रह्मा कुमारियों के ईश्वरीय ज्ञान में परमात्मा शिव स्पष्ट करते हैं — जो पास्ट था, वही आज प्रेज़न्ट बन चुका है, और वही फ्यूचर दोबारा सामने आएगा।
यह चक्र रूप में दोहराया जाने वाला शाश्वत ड्रामा है।

मुरली बिंदु (Ref: Avyakt Murli)
“जो पास्ट हुआ है, वह अब प्रेज़न्ट में पुनः घट रहा है, इसमें संशय की कोई बात नहीं।”


 2. पुरुषोत्तम संगमयुग – वह समय जो प्रैक्टिकल में पुनः आया है

आज हम जिस काल में हैं, वह है पुरुषोत्तम संगमयुग — जहाँ आत्मा परमात्मा से मिलती है, योग सीखती है, और पावन बनती है।

पुरुषोत्तम संगमयुग कोई काल्पनिक युग नहीं है। यह ही वह समय है जब

  • बाप (परमात्मा) पुनः आते हैं,

  • राज्ययोग सिखाते हैं,

  • नई दुनिया की स्थापना करते हैं।

इस युग को ही “देवताओं की फैक्ट्री” कहा जाता है।


 3. त्रिकालदर्शी कौन? जो जानते हैं – पास्ट, प्रेज़न्ट, फ्यूचर

त्रिकालदर्शी वह है जो जानता है:

  • हम कौन थे (पास्ट में),

  • अब क्या कर रहे हैं (प्रेज़न्ट),

  • और क्या बनने वाले हैं (फ्यूचर)।

बाबा कहते हैं:
“जो पास्ट हुआ है, वही फ्यूचर होगा, और वर्तमान में वही प्रैक्टिकल रूप में हो रहा है।”


 4. विकर्म विनाश का समय – पावन बनो, पुनः पतित मत बनो

यह वह समय है जब आत्मा को अपने विकर्म विनाश करने हैं।
परमात्मा बार-बार कहते हैं —
“मुझे याद करो, तुम्हारे विकर्म जल जाएंगे।”

 जब बाबा स्वयं आकर पावन बनाने आए हैं, तो
“ईश्वर का बनकर फिर से विकार में जाना सबसे बड़ी भूल है।”


 5. श्रीमत ही श्रेष्ठमत है – नई दुनिया का निर्माण

आज जो कुछ भी हम करते हैं — वह फार फ्यूचर है।
बाबा बार-बार स्मरण कराते हैं –

“यह समय अमूल्य है। श्रीमत पर चलो, नई दुनिया के अधिकारी बनो।”

बाबा का मिशन:

  • पुरानी दुनिया का विनाश

  • और नई दुनिया की स्थापना


 6. तुम ही शिवशक्ति देवियाँ हो – वरदान देने वाली आत्माएँ

बाबा कहते हैं —
“तुम वही देवियाँ हो, जिनकी आज पूजा होती है।”

 दीपावली में महालक्ष्मी की पूजा करते हैं क्योंकि
मनुष्य समझते हैं — लक्ष्मी से धन मिलेगा,
पर सच्चाई है — संगमयुगी शिवशक्तियाँ ही वरदान देती हैं।


 7. भारत – कभी सोने की चिड़िया, आज फकीर क्यों?

श्री लक्ष्मी-नारायण एक समय विश्व के मालिक थे,
और आज भारत कंगाल हो चुका है।
यह चक्र निरंतर चलता है —
सतोप्रधान से तमोप्रधान, फिर सतोप्रधान।

हर 5000 वर्ष पर यह चक्र हूबहू दोहराता है।
तभी तो कहा जाता है —

“सोने की द्वारिका नीचे चली गई।”


 8. अमृतवेला – ईश्वरीय होमवर्क का समय

बाबा हमें स्कूल जैसा अभ्यास कराते हैं।
अमृतवेला (सुबह 2 से 5 बजे)
सबसे श्रेष्ठ समय है —

  • विचार सागर मंथन करने का

  • बाबा को याद करने का

  • और शक्तिशाली बनने का


 9. रावण का प्रतीक – अंदर की 5 विकार रूपी मंज़िलें

 रावण को हर साल जलाते हैं, लेकिन विकार फिर भी नहीं जलते।
बाबा कहते हैं —

“काम विकार पांचवीं मंज़िल है, जो आत्मा को नीचे गिरा देती है।”

 अत: पुरुषार्थ यही है कि
बाप को याद कर विकारों को जलाओ।


 10. संगमयुगी राज – नई दुनिया के लिए अंतिम पुरुषार्थ

बाबा हमें बार-बार सावधान करते हैं –
“अगर कभी गिर जाओ, तो बाप को समाचार दो, उठो और पुनः शुरुआत करो।”

 जैसे बच्चे स्कूल में फेल हो जाते हैं पर फिर से कोशिश करते हैं,
वैसे ही आध्यात्मिक प्रयास में रुकना नहीं है।

कर्मातीत अवस्था का लक्ष्य रखो।
 जब आत्मा संपूर्ण पवित्र बनती है,
तभी शरीर भी स्वतः छूट जाता है।


 11. शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा ज्ञान दे रहे हैं – श्रीकृष्ण नहीं

 यह सबसे गहरा रहस्य है –
श्रीकृष्ण नहीं, परमात्मा शिव ब्रह्मा के तन में प्रवेश कर यह ज्ञान दे रहे हैं।

 श्रीकृष्ण तो सतयुग का पहला प्रिंस है,
जबकि ज्ञान, योग और आत्मा-पावन बनाने का कार्य
अब संगमयुग में ही होता है।


 12. निष्कर्ष: पुरुषोत्तम संगमयुग में श्रेष्ठ कर्म का बीज बोओ

इस पुरुषोत्तम संगमयुग को पहचानना ही सबसे बड़ी बुद्धिमानी है।
 यही वह समय है जब

  • परमात्मा साक्षात मिलते हैं,

  • विकर्म विनाश होते हैं,

  • राजयोग सिखाया जाता है,

  • और फ्यूचर देवी-देवता पद का बीज बोया जाता है।

शीर्षक: “पास्ट, प्रेज़न्ट और फ्यूचर का गुप्त रहस्य – पुरुषोत्तम संगमयुग का दिव्य राज़”


प्रश्न 1: पास्ट, प्रेज़न्ट और फ्यूचर का असली रहस्य क्या है?

उत्तर:ब्रह्मा कुमारियों के अनुसार, जो पास्ट में घटा था वही आज प्रेज़न्ट में पुनः घट रहा है और वही फ्यूचर में फिर से होगा। यह सृष्टि चक्र का शाश्वत नाटक है जो हर 5000 वर्ष में हूबहू दोहराता है।
Murli Quote: “जो पास्ट हुआ है, वह अब प्रैक्टिकल रूप से हो रहा है। इसमें संशय की बात नहीं।”


प्रश्न 2: पुरुषोत्तम संगमयुग क्या है और यह क्यों विशेष है?

उत्तर:पुरुषोत्तम संगमयुग वह अमूल्य समय है जब परमात्मा शिव स्वयं आकर आत्माओं से मिलते हैं, राज्ययोग सिखाते हैं और नई दुनिया की स्थापना करते हैं।
 इसे “देवताओं की फैक्ट्री” कहा जाता है, क्योंकि यही वह समय है जब साधारण आत्माएँ श्रेष्ठ देवियाँ बनती हैं।


प्रश्न 3: त्रिकालदर्शी कौन कहलाता है?

उत्तर:वह आत्मा जो जानती है कि –

  • पास्ट में क्या थी,

  • प्रेज़न्ट में क्या कर रही है,

  • और फ्यूचर में क्या बनने वाली है –
    उसे त्रिकालदर्शी कहते हैं।
     त्रिकालदर्शी बनने का ज्ञान सिर्फ परमात्मा शिव देते हैं।


प्रश्न 4: विकर्म विनाश का तरीका क्या है?

उत्तर:विकर्म विनाश का एकमात्र उपाय है – परमात्मा शिव को याद करना।
परमात्मा बार-बार कहते हैं:

“मुझे याद करो तो तुम्हारे विकर्म जल जाएंगे।”
जब बाप स्वयं पावन बनाने आए हैं, तब दुबारा पतित बनना सबसे बड़ी भूल है।


प्रश्न 5: श्रीमत का क्या महत्व है?

उत्तर:श्रीमत अर्थात परमात्मा की मत ही श्रेष्ठमत है।
इसी श्रीमत पर चलकर हम नई दुनिया के अधिकारी बनते हैं।
 बाबा का मिशन है –

  1. पुरानी दुनिया का विनाश

  2. नई स्वर्ग रूपी दुनिया की स्थापना


प्रश्न 6: शिवशक्ति देवियाँ कौन हैं?

 उत्तर:वर्तमान संगमयुग में जो आत्माएँ परमात्मा से शक्ति लेकर सेवा कर रही हैं, वही संगमयुगी शिवशक्ति देवियाँ हैं।
 यही वे देवियाँ हैं जिनकी पूजा दीपावली पर महालक्ष्मी के रूप में होती है।
मनुष्य समझते हैं — लक्ष्मी धन देती है, लेकिन वास्तव में वह वरदान देने वाली संगमयुगी आत्मा है।


प्रश्न 7: भारत कभी सोने की चिड़िया था, आज कंगाल क्यों?

 उत्तर:एक समय भारत श्री लक्ष्मी-नारायण के राज्य में समृद्ध था। समय के चक्र अनुसार आत्माएं सतोप्रधान से तमोप्रधान बनती गईं और भारत कंगाल होता गया।
 यह चक्र 5000 वर्ष बाद हूबहू दोहराता है।
 तभी कहा जाता है — “सोने की द्वारिका नीचे चली गई।”


प्रश्न 8: अमृतवेला का क्या महत्व है?

 उत्तर:अमृतवेला (सुबह 2 से 5 बजे) आत्मा की उन्नति के लिए सर्वोत्तम समय है।
 इस समय बाबा को याद करना, ज्ञान चिंतन और होमवर्क करना हमें शक्तिशाली बनाता है।


प्रश्न 9: रावण जलाते हैं, परंतु विकार क्यों नहीं जलते?

 उत्तर:रावण प्रतीक है 5 विकारों (काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार) का।
 हर वर्ष उसकी प्रतिमा जलाते हैं परन्तु अंदर के विकार नहीं जलते।
 वास्तविक रावण तभी जलता है जब आत्मा परमात्मा को याद कर विकारों से मुक्त होती है।


प्रश्न 10: अगर कोई आत्मा आध्यात्मिक प्रयास में गिर जाए तो क्या करे?

उत्तर:अगर आत्मा कभी प्रयास में गिर जाए, तो बाप को समाचार दे, श्रीमत लेकर फिर से उठ खड़ी हो।
 जैसे छात्र फेल होकर भी दोबारा परीक्षा देते हैं, वैसे ही हमें भी हार नहीं माननी चाहिए।
 लक्ष्य रखें – कर्मातीत अवस्था।


प्रश्न 11: गीता का ज्ञान किसने दिया – श्रीकृष्ण या परमात्मा शिव?

 उत्तर:परमात्मा शिव ही ब्रह्मा के तन में प्रवेश कर गीता ज्ञान सुनाते हैं।
 श्रीकृष्ण तो सतयुग का पहला प्रिंस है, वह योग कैसे सिखा सकता है?
 ज्ञान और पावनता का कार्य सिर्फ संगमयुग में ही होता है, जब परमात्मा शिव आते हैं।


प्रश्न 12: संगमयुग में हम क्या विशेष कार्य कर रहे हैं?

उत्तर:इस पुरुषोत्तम संगमयुग में आत्माएँ

  • परमात्मा से मिलती हैं,

  • योग द्वारा पवित्र बनती हैं,

  • और फ्यूचर देवी-देवता पद का बीज बोती हैं।
     यह समय परमात्मा से “वरदान” प्राप्त करने का श्रेष्ठ समय है।

(Disclaimer):

यह वीडियो ब्रह्मा कुमारियों के आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित है और इसका उद्देश्य केवल आत्मिक जागृति व प्रेरणा देना है। इस वीडियो का उद्देश्य किसी भी धर्म, संप्रदाय या मान्यता की आलोचना करना नहीं है। कृपया इस ज्ञान को खुले मन से आत्म चिंतन की दृष्टि से स्वीकार करें।

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