(26) Angels and Angels: The Secret of Staying Dead to Maya

फरिश्ता स्थिति:(26)फ़रिश्ता और देवदुत: माया से मरे रहने का रहस्य

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फरिश्ता और देवदूत – माया से परे रहने का रहस्य

1. विषय का परिचय

आज हम 26वें पाठ में जानेंगे कि फरिश्ता और देवदूत माया से परे कैसे रहते हैं

  • दुनिया में अधिकांश लोग माया के प्रभाव में फंसे रहते हैं – मोह, लोभ, अहंकार और सांसारिक बंधनों में।

  • अगर कोई माया में फंसा है तो वह फरिश्ता या देवदूत नहीं बन सकता

मुरली नोट (21 जनवरी 1970, अव्यक्त मुरली):

“बाबा कहते हैं, फरिश्ता माया से परे है। तभी देवदूत बन सकता है।”


2. माया से परे होने का अर्थ

  • माया से परे होना मतलब है आत्मा मोह, लोभ, अहंकार और सांसारिक बंधनों से मुक्त हो

  • उदाहरण: सूरज की किरणें बादलों से प्रभावित नहीं होतीं और प्रकाश फैलाती हैं। उसी तरह फरिश्ता आत्मा माया से मुक्त रहते हुए शुद्ध प्रकाश फैलाती है।

साकार मुरली नोट (16 मार्च 1969):

“माया से परे होने का मतलब है कि आत्मा किसी भी सांसारिक बंधन से खींची नहीं जा रही।”


3. देवदूत बनने की स्थिति

  • जब आत्मा माया से परे होती है, तब वह देवदूत बनती है

  • इस स्थिति में आत्मा शांति, शक्ति और आनंद का संचार करती है।

मुरली नोट (5 अप्रैल 1975, अव्यक्त मुरली):

“जब आत्मा माया से परे होती है, तभी वह देवदूत बनती है और शांति शक्ति और आनंद का संचार करती है।”


4. उदाहरण: दीपक और सूरज

  • जैसे दीपक अंधकार मिटाकर रोशनी फैलाता है, वैसे ही फरिश्ता आत्मा दूसरों के हृदय में शांति और प्रेरणा भरती है।

  • जैसे सूरज बिना किसी भेदभाव के प्रकाश फैलाता है, वैसे ही माया से मुक्त फरिश्ता सभी पर समान रूप से शक्ति और शांति फैलाता है।


5. फरिश्ता आत्मा की विशेषताएँ

  1. माया से मुक्त होने के कारण तन और मन हल्के रहते हैं।

  2. परमात्मा के संग रहने से आत्मा स्थिर और प्रकाशमय रहती है।

  3. सभी परिस्थितियों में शांत, शक्तिशाली और प्रेरक बनती है।

  4. मनसा सेवा में एक्सपर्ट बनती है।

मुरली नोट (10 नवंबर 1969, साकार मुरली):

“माया से मुक्त आत्मा तन और मन दोनों हल्के रहते हुए परमात्मा के संग रहती है। तन से भी हल्की और मन से भी हल्की, वह बाबा के संग रहती है।”

मुरली नोट (14 जून 1977, अव्यक्त मुरली):

“माया से परे रहकर फरिश्ता हर परिस्थिति में शांत, शक्तिशाली और प्रेरक बन जाता है।”


6. निष्कर्ष

  • फरिश्ता आत्मा की सबसे बड़ी पहचान: माया से परे रहकर देवदूत बनना।

  • यह स्थिति आत्मा को मुक्त, हल्का और प्रकाशमय बनाती है।

  • हर परिस्थिति में शांति और प्रेरणा फैलाने वाला बनना ही फरिश्ता आत्मा का मूल लक्ष्य है।

प्रश्नोत्तर (Q&A) फॉर्मैट

प्रश्न 1: फरिश्ता और देवदूत क्या होते हैं?

उत्तर:फरिश्ता और देवदूत वे आत्माएँ हैं जो माया से परे होती हैं। जब आत्मा मोह, लोभ, अहंकार और सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाती है, तभी वह दूसरों के हृदय में शांति, शक्ति और आनंद का संचार कर सकती है।

मुरली नोट:

  • अव्यक्त मुरली 21 जनवरी 1970: “फरिश्ता माया से परे है। तभी देवदूत बन सकता है।”

  • अव्यक्त मुरली 5 अप्रैल 1975: “जब आत्मा माया से परे होती है, तभी वह देवदूत बनती है और शांति शक्ति और आनंद का संचार करती है।”


प्रश्न 2: माया से परे रहने का अर्थ क्या है?

उत्तर:माया से परे होने का मतलब है कि आत्मा किसी भी सांसारिक बंधन से मुक्त हो। जैसे सूरज की किरणें बादलों से प्रभावित नहीं होतीं और प्रकाश फैलाती हैं, वैसे ही फरिश्ता आत्मा माया से मुक्त रहते हुए शुद्ध प्रकाश फैलाती है।

मुरली नोट:

  • साकार मुरली 16 मार्च 1969: “माया से परे होने का मतलब है कि आत्मा किसी भी सांसारिक बंधन से खींची नहीं जा रही।”


प्रश्न 3: फरिश्ता आत्मा की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर:

  1. माया से मुक्त होने पर तन और मन हल्के रहते हैं।

  2. परमात्मा के संग रहने से स्थिर और प्रकाशमय रहती है।

  3. हर परिस्थिति में शांत, शक्तिशाली और प्रेरक बनती है।

  4. मनसा सेवा में एक्सपर्ट बनती है।

मुरली नोट्स:

  • साकार मुरली 10 नवंबर 1969: “माया से मुक्त आत्मा तन और मन दोनों हल्के रहते हुए परमात्मा के संग रहती है।”

  • अव्यक्त मुरली 14 जून 1977: “माया से परे रहकर फरिश्ता हर परिस्थिति में शांत, शक्तिशाली और प्रेरक बन जाता है।”


प्रश्न 4: फरिश्ता आत्मा दूसरों पर कैसे प्रभाव डालती है?

उत्तर:फरिश्ता आत्मा सभी पर समान रूप से शांति और शक्ति फैलाती है, जैसे सूरज बिना किसी भेदभाव के प्रकाश देता है।

  • उदाहरण: दीपक अंधकार मिटाकर रोशनी फैलाता है। वैसे ही फरिश्ता दूसरों के हृदय में प्रेरणा और प्रकाश भरती है।


प्रश्न 5: निष्कर्ष – फरिश्ता और देवदूत बनने का महत्व

उत्तर:

  • फरिश्ता आत्मा की सबसे बड़ी पहचान है माया से परे रहकर देवदूत बनना।

  • यह स्थिति आत्मा को मुक्त, हल्का और प्रकाशमय बनाती है।

  • हर परिस्थिति में शांति और प्रेरणा फैलाने वाला बनना ही फरिश्ता आत्मा का मूल उद्देश्य है।

Disclaimer:

यह वीडियो ब्रह्मा कुमारीज़ की आध्यात्मिक शिक्षाओं और अव्यक्त एवं साकार मुरली पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी आध्यात्मिक अनुभव और शिक्षाओं पर केंद्रित है। व्यक्तिगत विश्वास और आध्यात्मिक अभ्यास के लिए इसका पालन करें।

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