27-07-2025/Read today’s Murli in big letters, listen and contemplate

27-07-2025/आज की मुरली बड़े-बड़े अक्षरों में पढ़े सुनें और मंथन करे

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( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

“डबल पवित्र, डबल ताजधारी होलीएस्ट आत्माओं के साथ मिलन की होली


 1. आज कौन सी होली मनाई जा रही है?

  • यह कोई साधारण होली नहीं, परमात्म मिलन की होली है।

  • बापदादा आज होलीएस्ट बाप बनकर, डबल पवित्र बच्चों के संग होली मना रहे हैं।

  • यह आत्मिक होली है जिसमें देह नहीं, पुराने संस्कारों की होली जलाई जाती है।

  • जहां स्नेह का विमान है, वहां दूरी नहीं रहती – सारे होली बच्चे समीप हैं।


 2. संगमयुग के बच्चे क्यों हैं ‘डबल पवित्र’?

  • सिर्फ संगमयुग पर ही आत्मा और शरीर – दोनों पवित्र बनते हैं।

  • सारे कल्प में कोई भी आत्मा ऐसी नहीं बनी जो डबल पवित्र और डबल ताजधारी हो।

  • बापदादा को इन बच्चों पर नाज़ है – “वाह! मेरे महान पवित्र बच्चे, वाह!


 3. आपके जीवन की विशेषता – उत्सव बन चुकी है

  • ब्राह्मण जीवन का हर कदम – दुनिया के लिए उत्सव बन गया

  • क्योंकि आपने योग अग्नि द्वारा पुराने संस्कारों की राख बनाई, और नए जीवन को अपनाया।

  • दुनिया होली आग में जलाती है, और आपने संस्कारों को जलाया – यही सच्ची होली है।


 4. सेवा और स्व-उन्नति – दोनों के संतुलन का संदेश

  • सेवा के प्लान सभी वर्ग बनाते हैं – लेकिन स्व-उन्नति का प्लान भी आवश्यक है।

  • प्रैक्टिकल जीवन का अनुभव तभी होता है जब सेवा के साथ स्व को भी ऊंचा बनाया जाए।

  • संगठित सेवा के जैसे ही, संगठित स्व-चेकिंग की मीटिंग्स बनानी होंगी।


 5. सफलता की गोल्डन चाबी – ‘मैं’ का त्याग

  • तीन प्रकार की “मैं” – देह-अभिमान, अहंकार, और निराशा

  • ब्रह्मा बाप और जगदम्बा ने सदा कहा: “बाबा करा रहा है।”

  • यदि ‘मैं’ को जला दिया, तो ज्वालामुखी योग से शक्ति मिलती है।


 6. होली का संकल्प – क्या जलाया आपने?

  • आज ‘मैं’ की होली जलाई है क्या?

  • सिर्फ एक “मैं” रखो – “मैं आत्मा, बाबा की हूं”, बाकी सब खत्म

  • यह संकल्प करना ही सच्ची होली मनाना है।


 7. दुनिया को चाहिए आपका शक्तिशाली वायब्रेशन

  • अज्ञानी आत्माएं आज रक्षक, पूज्य, पूर्वज आत्माओं को पुकार रही हैं।

  • दृष्टि ही आपकी पिचकारी है – जिससे शांति, प्रेम, आनंद के रंग छिड़कते हैं।

  • खुद के स्व-रूप में स्थित हो लाइट-माइट हाउस बनो।


 8. स्व-चेकिंग – क्या अब भी ‘मैं’ बज रही है?

  • Why, What, Want” जैसे शब्दों से कंट्रोलिंग पावर कम हो जाती है।

  • सिर्फ एक शब्द बोलो – “वाह”

  • यही बनायेगा आपको Master ज्ञान-सूर्य, जो चारों ओर किरणें फैलाता है।


 9. वरदान और स्लोगन की अमृत वर्षा

  • वरदान: “पूर्वज स्वरूप की स्मृति द्वारा उद्धारमूर्त बनो।”

  • स्लोगन: “जो सर्व शक्तियों रूपी किरणें फैलाते हैं, वही मास्टर ज्ञान-सूर्य हैं।”


 10. अंतिम संकल्प – सब संकल्पों से पार, बाप समान स्थिति

  • अभी एक सेकण्ड में संकल्पों को रोक, परमधाम में स्थित हो जाओ।

  • बाप समान स्थिति में बैठकर विश्व आत्माओं को शक्ति दो

  • बापदादा का यादप्यार, नमस्ते और दुआएं – चारों ओर के बच्चों को।

प्रश्न 1:आज की होली कोई साधारण होली क्यों नहीं है?

उत्तर:आज की होली आत्मिक होली है – यह परमात्म मिलन की होली है।
बापदादा स्वयं होलीएस्ट बाप बनकर डबल पवित्र बच्चों के संग मिलन मना रहे हैं।
यह वह होली है जिसमें हम देह और पुराने संस्कारों की होली जलाते हैं, और स्नेह के विमान से समीपता का अनुभव करते हैं।


प्रश्न 2:संगमयुग के बच्चे ‘डबल पवित्र’ क्यों कहलाते हैं?

उत्तर:क्योंकि केवल संगमयुग पर आत्मा और शरीर – दोनों की पवित्रता का व्रत लिया जाता है।
सारे कल्प में ऐसा कोई भी आत्मा नहीं जो आत्मा और शरीर दोनों से पवित्र बनी हो।
इसीलिए बापदादा गर्व से कहते हैं – “वाह! मेरे महान पवित्र बच्चे, वाह!


प्रश्न 3:ब्राह्मण जीवन का हर कदम उत्सव क्यों बन गया है?

उत्तर:क्योंकि ब्राह्मणों ने योग अग्नि द्वारा अपने पुराने संस्कारों को जलाया और एक नया जीवन चुना।
दुनिया होली पर कागज़ जलाती है, और ब्राह्मण संस्कारों की अग्नि में खुद को शुद्ध करते हैं।
इसलिए हर कदम दुनिया के लिए एक प्रेरक उत्सव बन गया है।


प्रश्न 4:सेवा और स्व-उन्नति दोनों में संतुलन क्यों आवश्यक है?

उत्तर:क्योंकि यदि सेवा हो पर स्व-उन्नति न हो, तो सफलता में पूरा परिणाम नहीं आता
प्रैक्टिकल अनुभव और प्रभाव तभी आता है जब सेवा और स्व की उन्नति साथ-साथ चलें।
जैसे सेवा के प्लान बनाए जाते हैं, वैसे ही स्व-चेकिंग के संगठित प्लान भी जरूरी हैं।


प्रश्न 5:सफलता की गोल्डन चाबी क्या है?

उत्तर:‘मैं’ का त्याग।
तीन प्रकार की “मैं” – देह-अभिमान, अहंकार, और निराशा – इनसे सफलता रुकती है।
ब्रह्मा बाबा और जगदम्बा ने सदा कहा: “बाबा करा रहा है।”
जब “मैं” खत्म होती है, तो ज्वालामुखी योग की शक्ति प्राप्त होती है।


प्रश्न 6:सच्ची होली का संकल्प क्या है?

उत्तर:“मैं आत्मा, बाबा की हूं” – यही एकमात्र “मैं” रखनी है।
बाकी सब “मैं” – देह, अहंकार, डर – को योग अग्नि में जलाकर समाप्त कर देना है।
यह संकल्प ही सच्ची होली मनाने का प्रतीक है।


प्रश्न 7:आज की दुनिया को हमारी कौन सी शक्ति चाहिए?

उत्तर:आज दुनिया हमें रक्षक, पूज्य, पूर्वज आत्माओं के रूप में पुकार रही है।
हमें अपनी दृष्टि की पिचकारी से शांति, प्रेम, आनंद, शक्ति के रंग छिड़कने हैं
खुद के स्व-रूप में स्थित होकर लाइट-माइट हाउस बनना ही आज की सच्ची सेवा है।


प्रश्न 8:स्व-चेकिंग का मुख्य बिंदु क्या है?

उत्तर:क्या अब भी हमारे विचारों में “Why, What, Want” जैसे शब्द आ रहे हैं?
ये शब्द कंट्रोलिंग पावर कम कर देते हैं।
बजाय इसके, सिर्फ एक शब्द बोलें – “वाह”, और बन जाएं Master ज्ञान-सूर्य, जो चारों ओर सर्वशक्तियों की किरणें फैलाता है।


प्रश्न 9:आज का वरदान और स्लोगन क्या है?

उत्तर:वरदान: “पूर्वज स्वरूप की स्मृति द्वारा उद्धारमूर्त बनो।”
स्लोगन: “जो सर्व शक्तियों रूपी किरणें फैलाते हैं, वही मास्टर ज्ञान-सूर्य हैं।”


प्रश्न 10:अंतिम संकल्प में क्या करना है?

उत्तर:अब एक सेकण्ड में सभी संकल्पों को शान्त कर, परमधाम में बाप के साथ ऊंची स्थिति में स्थित हो जाना है।
बाप समान स्थिति में बैठकर, विश्व आत्माओं को शक्तियों की किरणें भेजनी हैं।
यही है सच्ची होली की अंतिम चोटीपरमात्म रंग में रँग जाना

Disclaimer:
यह वीडियो Brahma Kumaris संस्था के मूल आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित है। इसका उद्देश्य आत्मा की वास्तविकता, परमात्मा के संगमयुगी मिलन, और जीवन में पवित्रता के महत्व को सरल प्रश्नोत्तरी रूप में प्रस्तुत करना है।
यह कोई धार्मिक प्रवचन या बाहरी होली परंपरा की आलोचना नहीं है, बल्कि आत्मिक होली के गूढ़ रहस्य को उजागर करता है।
इस वीडियो का सारा कंटेंट BK डॉ सुरेन्द्र शर्मा – Om Shanti Gyan द्वारा आधिकारिक BK शिक्षाओं के अनुरूप प्रस्तुत किया गया है।

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