(38) Golden Age vs Kali Yuga Exposed

(38) स्वर्ण युग बनाम कलियुग का पर्दाफाश

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

YouTube player

स्वर्ण युग बनाम कलियुग का पर्दाफाश

यह दुनिया दुखों की कब्रगाह क्यों है?


 चिंता में फंसी आज की दुनिया

आज की दुनिया लगातार चिंता और दुख में डूबी हुई है।
शांति – जो आत्मा का स्वाभाविक गुण है – वह अब विलासिता बन गई है।

  • अगर बच्चा बीमार पड़े, तो चिंता होती है।

  • अगर बच्चा मर जाए, तो गहरा शोक होता है।

  • अगर संतान न हो, तो निराशा जीवन घेर लेती है।

  • अगर पुलिस या आयकर विभाग का छापा पड़ जाए, तो डर और बेचैनी हावी हो जाती है।

यह कलियुग का सत्य है –
एक ऐसा युग जहाँ भय, अविश्वास, शोक और तनाव ने आत्मा को जकड़ लिया है।


 कब्रिस्तान बनी यह धरती

यह धरती अब वह स्वर्ग नहीं रही, जिसका कभी वर्णन किया गया था।
यह बन गई है – श्मशान भूमि – एक जीवित कब्रिस्तान

  • कहीं विमान गिरते हैं

  • कहीं भूकंप से जानें जाती हैं

  • अचानक मौतें सामान्य बात हो गई हैं

  • हर कोई किसी न किसी अनदेखे डर में जी रहा है

हर साल रावण का पुतला जलाते हैं, यह सोचकर कि बुराई समाप्त हो गई,
परंतु सच्चाई यह है –
रावण – यानी पाँच विकार – हमारे ही भीतर मौजूद हैं,
और दिन-प्रतिदिन हमारी दुनिया को और अधिक नर्क बना रहे हैं।


 सतयुग: शाश्वत आनंद की दिव्य भूमि

अब सोचिए, एक ऐसी दुनिया की कल्पना करें –
जहाँ कोई दुःख, कोई बीमारी, कोई भय, कोई बुराई है ही नहीं

वह है – सतयुग, स्वर्ण युग, राम राज्य –
जहाँ हर आत्मा शुद्ध, शक्तिशाली और परमात्मा की याद में स्थित है।

  • कोई महिला विधवा नहीं होती

  • कोई पुरुष बीमार नहीं पड़ता

  • कोई आत्महत्या नहीं करता

  • कोई बच्चा भूखा नहीं सोता

  • कोई गरीब या बेघर नहीं होता

यह एक ऐसी दुनिया है जहाँ
मृत्यु भी उत्सव है, दुःख नहीं।


 मृत्यु: उत्सव, न कि शोक

सतयुग में मृत्यु का अर्थ है – एक नए दिव्य जीवन की शुरुआत

  • आत्मा जानती है कि अब एक और पवित्र जन्म लेने जा रही है

  • कोई रोना नहीं होता, कोई मातम नहीं होता

  • न कोई मृत्यु संस्कार, न तर्पण, न पिंडदान

  • क्योंकि वहाँ न कर्मदंड है, न डर है, न ही मोह

जैसे हम पुराने कपड़े उतार कर नए पहनते हैं,
वैसे ही आत्मा आनंद से शरीर त्यागती है।


 कोई गरीबी नहीं, कोई दान नहीं

स्वर्ण युग में हर आत्मा राजा है, हर आत्मा धनी है।

  • न कोई भिखारी होता है

  • न कोई दान मांगता है

  • न कोई मंदिरों में जाकर प्रार्थना करता है –
    क्योंकि वहाँ सबकुछ भरपूर है।

उदाहरण:
आज हम बुढ़ापे या बीमारी के डर से जमा करते हैं,
लेकिन सतयुग में कोई भविष्य की असुरक्षा नहीं होती –
क्योंकि वहाँ भविष्य भी सुखमय होता है।


 कोई जन्मदिन नहीं, कोई मृत्यु दिवस नहीं

आज हम जन्मदिन और श्राद्ध मनाते हैं –
क्योंकि जीवन और मृत्यु दोनों से भावनाएँ जुड़ी हैं।

परन्तु सतयुग में:

  • कोई जन्मदिन नहीं

  • कोई शोकसभा नहीं

  • कोई मोक्ष के लिए गाय दान नहीं

  • क्योंकि आत्मा सदैव सत्कर्म कर रही होती है –
    उसे पिछले जन्म के पुण्य की आवश्यकता ही नहीं होती।


 अब समय है: चुनाव का

अब है संगम युग – परमात्मा की मुलाक़ात का समय।
यह वही पल है जब:

  • हमें कब्रिस्तान जैसी इस दुनिया और

  • स्वर्णिम बगीचे जैसी सतयुगी दुनिया का फर्क समझाया जाता है।

अब हमें निर्णय लेना है:

  • क्या हम इस भय, दुःख और अशुद्धता की दुनिया में फंसे रहेंगे?

  • या अपने अंदर के रावण को समाप्त करके,
    शांति, पवित्रता और दिव्यता से
    स्वर्ग का निर्माण करेंगे?


 निष्कर्ष: अपने भीतर स्वर्ण युग बनाओ

स्वर्ग कोई दूर स्थान नहीं है।
वह है – हमारी आंतरिक अवस्था, हमारी संस्कृति, हमारी पवित्र दृष्टि

  • हर विचार को शुद्ध करो

  • हर कर्म को ईश्वरीय बनाओ

  • हर पल परमात्मा को याद करो

यह दुखों की दुनिया समाप्त होने जा रही है।
दिव्य दुनिया तुम्हें पुकार रही है।

क्या आप कब्रिस्तान में रहना चाहेंगे…
या उठकर चलेंगे उस स्वर्ग की ओर,
जिसका हर धर्म, हर आत्मा ने वादा किया था?


 “स्वर्ण युग बनाम कलियुग का पर्दाफाश – अब निर्णय तुम्हारा है।”
“अब संगम युग है – परिवर्तन का युग है।”

प्रश्न 1: आज की दुनिया में हर व्यक्ति इतना चिंतित और दुखी क्यों है?

 उत्तर:क्योंकि यह दुनिया अब कलियुग है – रावण राज्य। यहाँ पाँच विकार – वासना, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार – हर आत्मा के अंदर घर कर चुके हैं। हर स्थिति में भय, चिंता और दुख बना रहता है:

  • बच्चा बीमार हो जाए तो चिंता

  • मर जाए तो गहरा शोक

  • न हो तो निराशा

  • छापे पड़ जाएं तो तनाव
    यह निरंतर बेचैनी कलियुगी दुनिया का असली चेहरा है।

प्रश्न 2: क्या यह दुनिया अब भी स्वर्ग है?

 उत्तर:नहीं। यह दुनिया अब “स्वर्ग” नहीं बल्कि “श्मशान भूमि” बन चुकी है।

  • हर रोज़ दुर्घटनाएँ

  • प्राकृतिक आपदाएँ

  • अचानक मौतें

  • लोगों का जीवन डर में बीतता है
    यह धरती अब दुखों की कब्रगाह बन चुकी है।

प्रश्न 3: हम हर साल रावण जलाते हैं, फिर भी बुराई क्यों नहीं खत्म होती?

 उत्तर:क्योंकि असली रावण बाहर नहीं, हमारे अंदर बैठा है – पाँच विकारों के रूप में।
जब तक आत्मा इन विकारों से मुक्त नहीं होती, तब तक शांति असंभव है।
बाहरी प्रतीकों को जलाना समाधान नहीं – अंदर की सफाई ही असली विजय है।

प्रश्न 4: सतयुग कैसा होता है? क्या वहाँ भी दुख होते हैं?

 उत्तर:सतयुग पूर्ण आनंद और पवित्रता की दुनिया है। वहाँ:

  • कोई विकार नहीं

  • कोई दुःख, बीमारी या मृत्यु का भय नहीं

  • महिलाएं विधवा नहीं होतीं

  • कोई गरीब या भूखा नहीं होता

  • मृत्यु भी उत्सव का समय होती है
    वहाँ हर आत्मा राजसी जीवन जीती है, इसलिए चिंता का कोई नामोनिशान नहीं।

प्रश्न 5: सतयुग में मृत्यु कैसी होती है?

 उत्तर:वहाँ मृत्यु को “दुख” नहीं माना जाता। आत्मा समझती है कि वह केवल पुराना शरीर छोड़ रही है।

  • कोई अंतिम संस्कार या शोक नहीं

  • कोई श्राद्ध या दान की आवश्यकता नहीं

  • सब कुछ स्वाभाविक और शांत होता है
    यह दिव्य समझ आत्मा को मृत्यु से भी डरने नहीं देती।

प्रश्न 6: सतयुग में गरीबी या दान क्यों नहीं होते?

 उत्तर:क्योंकि सतयुग में हर आत्मा प्राकृतिक रूप से धनी होती है।

  • वहाँ कोई भिखारी नहीं

  • कोई भूखा नहीं

  • कोई दान प्रणाली नहीं, क्योंकि सब कुछ पर्याप्त मात्रा में है
    हर आत्मा अपने अच्छे कर्मों का फल भोग रही होती है – किसी दान या पुण्य पर निर्भर नहीं होती।

प्रश्न 7: क्या आज भी हम उस सतयुग की ओर जा सकते हैं?

 उत्तर:हाँ! यह संगम युग है – वह समय जब परमात्मा हमें जगाने आए हैं।

  • अगर हम विकारों को जलाएँ

  • शुद्ध कर्म करें

  • परमात्मा को याद करें
    तो हम फिर से स्वर्ण युग का हिस्सा बन सकते हैं।

प्रश्न 8: हमें क्या चुनना चाहिए – कलियुग या सतयुग?

 उत्तर:चुनाव हमारे हाथ में है:

  • अगर हम विकारों में रहना चाहते हैं, तो यह कब्रिस्तान जैसी दुनिया ही हमारा भविष्य है।

  • लेकिन अगर हम याद, योग और पवित्रता को अपनाएँ, तो हम उस दिव्य स्वर्ग को प्राप्त कर सकते हैं जिसे सतयुग कहा जाता है।

निष्कर्ष:“दुखों की कब्रगाह में रहना है या दिव्य बगीचे में चलना है – यह अब आपकी आत्मा का चुनाव है।”

स्वर्ण युग, कलियुग, सतयुग बनाम कलियुग, स्वर्ग और नर्क का रहस्य, दुखों की कब्रगाह, संगम युग का ज्ञान, ब्रह्मा कुमारी ज्ञान, रावण का राज, सत्य और झूठ का पर्दाफाश, पवित्रता का युग, राम राज्य, स्वर्णिम भारत, आत्मा का पुनर्जन्म, पांच विकार, शुद्ध जीवन, आध्यात्मिक जागरण, ईश्वर का सन्देश, परमात्मा का आगमन, संगम युग का महत्व, शाश्वत दुनिया, मौत का डर, चिंता से मुक्ति, दिव्य संसार, सत्य जीवन शैली, ब्रह्मा बाबा, बगीचा बनाम कब्रिस्तान, स्वर्ग की तैयारी, आत्मज्ञान, भारतीय आध्यात्मिकता, सच्चा मोक्ष, शांति का मार्ग,

Golden Age, Kali Yuga, Satyug vs Kali Yuga, Secret of Heaven and Hell, Graveyard of Sorrows, Knowledge of Sangam Yuga, Brahma Kumari Knowledge, Ravan’s Rule, Truth and Lies Exposed, Age of Purity, Ram Rajya, Golden India, Reincarnation of Soul, Five Vices, Pure Life, Spiritual Awakening, Message of God, Coming of God, Importance of Sangam Yuga, Eternal World, Fear of Death, Freedom from Worry, Divine World, True Lifestyle, Brahma Baba, Garden vs Graveyard, Preparation for Heaven, Self-Knowledge, Indian Spirituality, True Salvation, Path to Peace,